आज के समय में जब पारंपरिक खेती से किसानों को सीमित मुनाफा हो रहा है, ऐसे में कुछ किसान अपनी सोच और मेहनत से नए विकल्प अपनाकर करोड़ों रुपये तक की कमाई कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले के किसान amla ki kheti (आंवला की खेती) कर के लाखों रुपये सालाना कमा रहे हैं। आंवला जिसे आयुर्वेद में अमृत कहा गया है, अब प्रतापगढ़ के किसानों के लिए भी अमृत साबित हो रहा है।
इस लेख में हम जानेंगे कि प्रतापगढ़ में amla ki kheti कैसे की जाती है, इसमें कितना खर्च आता है, कितना मुनाफा होता है और कैसे एक किसान आमदनी का नया रास्ता बना सकता है।
प्रतापगढ़ क्यों बना आंवला की खेती का केंद्र?
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प्रतापगढ़ को भारत का “आंवला नगरी” कहा जाता है। यहां की जलवायु, मिट्टी और किसान की मेहनत ने इस जिले को आंवला उत्पादन में अग्रणी बना दिया है। देश के कई राज्यों में यहां से आंवला सप्लाई किया जाता है। यहां की आंवला की गुणवत्ता इतनी प्रसिद्ध है कि यहां पर आंवला से जुड़ी छोटी-बड़ी लगभग 500 से अधिक प्रोसेसिंग यूनिट्स चल रही हैं।

Amla Ki Kheti की शुरुआत कैसे करें?
अगर आप भी प्रतापगढ़ की तरह अपने जिले या गांव में आंवला की खेती शुरू करना चाहते हैं तो निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें:
- सही किस्म का चयन करें:
आंवला की कई किस्में होती हैं जैसे:
- NA-7: यह सबसे ज्यादा उपज देने वाली किस्म मानी जाती है।
- Krishna और Kanchan किस्में भी बहुत लोकप्रिय हैं।
- इन किस्मों से बड़ी और रसीली आंवला मिलती है।
- भूमि की तैयारी:
- आंवला की खेती के लिए दोमट मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है।
- खेत की गहरी जुताई करें और गोबर की खाद मिलाएं।
- पौधों के बीच लगभग 6×6 मीटर की दूरी रखें।
- सिंचाई व्यवस्था:
- आंवला ज्यादा पानी नहीं मांगता।
- गर्मियों में महीने में 2 बार सिंचाई करें।
- ड्रिप इरिगेशन का उपयोग करना फायदेमंद रहता है।
- रोग और कीट नियंत्रण:
- आंवला के पौधों में गैल मिज, फलों की मक्खी, और पत्ती झुलसा रोग आम हैं।
- नीम तेल स्प्रे, जैविक कीटनाशक या समय-समय पर कीटनाशक का छिड़काव करें।
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कितना खर्च और कितना मुनाफा?
अब बात करते हैं सबसे जरूरी विषय की – मुनाफा और लागत।
| विवरण | अनुमानित खर्च (1 एकड़) |
| पौध खरीद | ₹10,000 से ₹15,000 |
| गड्डा खोदाई व खाद | ₹8,000 से ₹10,000 |
| सिंचाई व रखरखाव | ₹5,000 सालाना |
| कीटनाशक/उर्वरक | ₹3,000 से ₹5,000 |
| कुल अनुमानित खर्च | ₹30,000 से ₹40,000 |
पहले दो सालों में मुनाफा कम होता है, लेकिन तीसरे साल से एक पौधा लगभग 30-40 किलोग्राम फल देने लगता है।
➡️ यदि आपने 1 एकड़ में 100 पौधे लगाए हैं और एक पौधा 30 किलोग्राम फल देता है, तो कुल उत्पादन होगा:
100 x 30 = 3000 किलोग्राम
➡️ अगर आंवला का थोक बाजार मूल्य ₹20 प्रति किलो है, तो कुल आमदनी होगी:
3000 x ₹20 = ₹60,000
➡️ प्रोसेसिंग और सीधे बाजार में बेचने पर यही मूल्य ₹50 प्रति किलो तक मिल सकता है, जिससे आमदनी ₹1,50,000 तक पहुंच सकती है।
आंवला से जुड़े बिज़नेस के अन्य विकल्प
प्रतापगढ़ के कई किसान केवल आंवला बेचकर ही नहीं, बल्कि उससे जुड़े प्रोसेसिंग बिजनेस से भी अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं:
- आंवला कैंडी निर्माण
- आंवला मुरब्बा
- आंवला जूस और चूर्ण (पाउडर)
- कॉस्मेटिक इंडस्ट्री में सप्लाई
- आंवला तेल (Amla Hair Oil)
इन सभी प्रोडक्ट्स की डिमांड देश-विदेश में है, जिससे किसान को स्थायी आमदनी मिलती है।
प्रतापगढ़ के सफल किसान की कहानी
रामजीत यादव, प्रतापगढ़ के एक छोटे किसान थे। उन्होंने 1 एकड़ जमीन में NA-7 किस्म का आंवला लगाया। तीसरे साल से उन्हें 1.2 लाख रुपये सालाना की आमदनी होने लगी। बाद में उन्होंने एक छोटी प्रोसेसिंग यूनिट लगाई और अब वो आंवला जूस और कैंडी बनाकर महीने के ₹50,000 से अधिक कमा रहे हैं।
सरकार से मिलने वाली सहायता
आंवला की खेती को बढ़ावा देने के लिए केंद्र और राज्य सरकारें कई योजनाएं चला रही हैं:
- PM FME योजना के तहत फूड प्रोसेसिंग यूनिट के लिए अनुदान।
- राष्ट्रीय बागवानी मिशन (NHM) के तहत पौध और ड्रिप इरिगेशन पर सब्सिडी।
- कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) से तकनीकी मार्गदर्शन।
निष्कर्ष
प्रतापगढ़ के किसान यह साबित कर चुके हैं कि amla ki kheti एक लाभकारी और दीर्घकालिक खेती का विकल्प है। सही जानकारी, मेहनत और मार्केटिंग से कोई भी किसान आंवला की खेती से लाखों रुपये कमा सकता है। अगर आप भी कृषि में कुछ नया करना चाहते हैं, तो आंवला की खेती एक सुनहरा मौका है।