हेलो दोस्तों स्वागत है आज के इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको बादाम की खेती (Badam ki kheti) के बारे में बताएंगे यदि आप भी बादाम की खेती (Badam ki kheti) करके लाखों की कमाई करना चाहते हैं तो इस ब्लॉग को अंत तक अवश्य पढ़े |
बादाम की खेती से संबंधित जानकारी
Table of Contents
आप सभी बादाम के बारे में अच्छे से जानते होंगे | बादाम मेवा फल के रूप में भी जाना जाता है | इसका पेड़ मध्यम आकार का होता है | बादाम के पेड़ से गुलाबी रंग और सफेद रंग के होते हैं, जो कि काफी महकदार होते हैं | बादाम के पेड़ के तने बहुत मोटे तथा पत्ते लंबे चौड़े और मुलायम होते हैं | बादाम बहुत ही ताकतवर और ज्ञान वर्धक फल के रूप में जाना जाता है | इसका इस्तेमाल खान के अलावा कई तरह के उत्पाद को बनाने में किया जाता है |
आज के समय में बाजार में बादाम की बहुत ज्यादा डिमांड है | लोगों के अलावा बादाम को बड़ी-बड़ी कंपनियां खरीदती हैं तथा उनसे तेल तथा कई प्रकार के सौंदर्य उत्पाद बनाती हैं | जिसकी मार्केट में बहुत अधिक डिमांड होती है | बादाम के बीजों से तेल निकाला जाता है | जिसे खाने के साथ-साथ आयुर्वेदिक दवाइयां को बनाने में इस्तेमाल किया जाता है | बादाम के इस्तेमाल से कई बीमारियों से छुटकारा मिलता है |
बादाम का पेड़ सबसे ज्यादा एशिया में ईरान, इराक, मदीना, मक्का, मस्कट, सिराज जैसे देशों में अधिक मात्रा में पाया जाता है | भारत में भी बादाम की खेती की जाती है | यदि आप भी बादाम की खेती करना चाहते हैं तो आज के इस ब्लॉग में हम आपको बादाम की खेती से संबंधित पूरी जानकारी देने वाले हैं | हमारे किसान भाई बादाम की खेती से बहुत अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं तो ब्लॉक को अंत जरूर पढ़ें |
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बादाम की खेती (Badam ki kheti) कैसे करें ?
बादाम का पेड़ अन्य पेड़ों के जैसे ही होता है, परंतु इसकी आयु 50 साल से ऊपर होती है | अगर आप एक बार बादाम के पौधे लगा देते हैं तो वह 50 साल तक पैदावार देते रहेंगे | बादाम की खेती आद्र उष्णकटिबंधीय स्थान पर की जाती है | बादाम के पौधे के लिए अधिक बारिश की आवश्यकता नहीं होती है |
बादाम के पौधें के लिए उपयुक्त मिट्टी
बादाम की खेती (Badam ki kheti) की सभी मिट्टी में की जा सकती है | जिसमें कार्बनिक पदार्थ भरपूर मात्रा में मौजूद हो तथा भूमि में जल विकास की व्यवस्था अच्छी हो क्योंकि जल भराव वाली भूमि में इसकी खेती नहीं की जा सकती | अधिक पानी भर जाने के कारण इसके पौधों में रोग लगने लगते हैं | जिससे पैदावार कम हो जाती है | बादाम के लिए भूमि का पीएच मान 5 से 8 के मध्य होना चाहिए |
जलवायु और तापमान
बादाम के पौधे के लिए आद्र उष्णकटिबंधीय जलवायु सबसे बेहतर मानी जाती है | भारत में इसकी खेती कश्मीर जैसे ठंडे राज्य में की जा सकती है | बादाम के पौधे और फल ठंड जलवायु वाले क्षेत्रों में ही अधिक विकास करते हैं परंतु सर्दी में पढ़ने वाला पल और ढूंढ दोनों ही इसके फलों और फूलों के लिए हानिकारक होते हैं | इसके पौधे को अच्छी वृद्धि के लिए साल भर में 80 से 100 सेंटीमीटर वर्षा की आवश्यकता होती है |
इसके पौधे को अंकुरित होने के लिए 20 डिग्री तापमान की आवश्यकता= होती है तथा अच्छे विकास के लिए अधिकतम तापमान 27 डिग्री को उपयुक्त माना जाता है | बादाम के पौधे फूल खिलने के दौरान दो डिग्री तापमान को विषय नहीं कर सकते हैं किंतु अधिकतम तापमान बढ़ने पर इसके फूल खराब हो जाते हैं |
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बादाम की विकसित किस्में
बादाम की कई किस्म मौजूद है | इन किस्मों को पैदावार तथा जलवायु के आधार पर तैयार किया गया है | इन सभी किस्म को पैदावार और समय के हिसाब से अलग-अलग श्रेणियां में रखा गया है | कुछ किस्में नीचे दी गई हैं-
बादाम की विदेशी किस्में | कैलिफोर्निया, मामरा |
सामान्य किस्म किस्में | क्रिस्टोमोरटो, वेस्ता, मरकोना आदि |
बादाम की अगेती किस्में | नीप्लस अल्ट्रा, नॉन पेरिल, फेसिओनेलो, पियरलेस, सामान्य किस्म |
बादाम की पछेती किस्मे | जेंको, टेक्सास |
बादाम के खेत को तैयार करने का तरीका
बादाम की खेती करने से पहले खेत को अच्छे से तैयार करना चाहिए क्योंकि इसके पौधे एक बार लगाने के बाद 40 से 50 साल तक पैदावार देते रहते हैं इसलिए खेत को अच्छे से तैयार कर देना चाहिए | सबसे पहले इसमें मिट्टी पलट हल के द्वारा गहरी जुताई कर लेनी चाहिए | जुताई के खेत को कुछ दिन के लिए खुला छोड़ दें फिर इसमें पाटा लगाकर तो उसे 2 से 3 अच्छी जुताई कर ले |
खेत समतल हो जाने के बाद 5 से 8 मीटर की दूरी पर एक से आधे मीटर लंबाई चौड़ाई के गड्ढे तैयार करें | गड्ढे तैयार हो जाने के बाद गढ्ढो में सड़ी हुई गोबर की खाद तथा रासायनिक खाद की उचित मात्रा को मिट्टी में मिलाकर भर दें | इस प्रक्रिया को पौधे लगाने से 1 महीने पहले करना होता है |
नर्सरी तैयार करने का तरीका
बादाम की नर्सरी तैयार करने के लिए कलम का प्रयोग किया जाता है | अगर आप बीजों का इस्तेमाल करते हैं तो लगभग 8 वर्ष बाद वे फल देना प्रारंभ करेंगे परंतु आप अगर नर्सरी तैयार करने के लिए कलम के पौधे की सहायता लेते हैं तो वह तीन से चार साल में ही फल देना शुरू कर देंगे |
नर्सरी को तैयार करने से अच्छा होगा कि आप किसी सरकारी रजिस्टर नर्सरी से इसके पौधे खरीद के खेत में लगा दें | इससे आपका समय और मेहनत भी बचेगी |
बादाम का पौधा रोपने का सही तरीका और समय
तैयार किए हुए गड्ढे में एक छोटा सा गड्ढा तैयार कर लें तथा उस गड्ढे को गोमूत्र या बाविस्टिन से उपचारित करें | इससे पौधे की वृद्धि में कोई परेशानी नहीं आएगी तथा यह पौधा रोग मुक्त रहेगा | इसके बाद उन पौधों को गड्ढे में लगायें और मिट्टी को अच्छे से दबा दें |
बादाम के पौधे की रोपाई नवंबर और दिसंबर के महीने में करना चाहिए क्योंकि इस समय वातावरण पौधे के लिए अनुकूल रहता है तथा पौधा अच्छे से विकास करता है |
सिंचाई
बादाम के पौधों को अधिक सिंचाई की जरूरत नहीं होती है | इसके पौधों को वृद्धि करने के लिए शुरुआत में अधिक पानी की जरूरत नहीं होती है | गर्मियों के मौसम में सप्ताह में दो बार तथा सर्दियों के मौसम में एक बार पानी देना ही पर्याप्त होता है | परन्तु जब पौधा पूर्ण रूप से विकसित हो जाये तो वर्ष में 5 से 8 सिंचाई की आवश्यकता होती है | बादाम के पौधों की सिंचाई में टपक विधि का इस्तेमाल सबसे उचित माना जाता है |
उवर्रक
बादाम के पौधों को अच्छी वृद्धि के लिए पर्याप्त मात्रा में उवर्रक की आवश्यकता होती है | उवर्रक की उचित मात्रा को देने के लिए सबसे पहले जब गड्डे तैयार किये जा रहे हो तो उस समय लगभग 20 से 25 किलो पुरानी गोबर की खाद को मिट्टी में अच्छे से मिलाकर गड्डो में भर देना चाहिए | इसके अतिरिक्त N.P.K. की 100 ग्राम की मात्रा को तीन वर्ष के अंतराल में पौधों को देना होता है | इसके बाद जब पौधों में फल लगने लगे तो जरूरत के अनुसार उवर्रक की मात्रा को बढ़ा देना चाहिए |
खरपतवार नियंत्रण
बादाम के पौधों के अच्छे विकास के लिए खरपतवार पर नियंत्रण करना बहुत जरूरी होता है | इसके लिए खेत में खरपतवार की निराई गुड़ाई की जाती है | पहली गुड़ाई को पौधों रोपण के तक़रीबन 25 से 30 दिन बाद करनी चाहिए | इसके बाद डेढ़ महीने में इसकी गुड़ाई करे, फिर समय – समय पर जब खरपतवार दिखाई दे तो इसकी निराई गुड़ाई कर सकते है |
अतिरिक्त कमाई
इसके साथ ही आप बादाम की खेती में अतिरिक्त कमाई भी कर सकते है क्योकि बादाम के पौधों को लगभग 7 मीटर की दूरी पर लगाया जाता है और इसके फलो को तैयार होने में 3 से 4 वर्ष का समय लग जाता है | जिससे यदि किसान भाई चाहे तो पौधों के बीच में बची हुई जगह पर किसी भी तरह की फसल को तैयार कर अच्छी कमाई भी कर सकते है|
बादाम की खेती में लगने वाले रोग और उनकी रोकथाम
बादाम के पौधों में कुछ ही रोग देखने को मिलते है किन्तु यह रोग भी पौधों को हानि पहुंचाते है | जिससे पैदावार प्रभावित होती है | इस रोगो की उचित रूप से रोकथाम की जा सकती है |
रोग | रोकथाम |
पत्ती धब्बा रोग | थिरम का छिड़काव |
जड़ सड़न रोग | जड़ो में बोर्डो मिश्रण का छिड़काव |
कीट आक्रमण | पौधों पर डरमेट का छिडकाव करें |
पैदावार
बादाम के फलो को उनके पूरी तरह से पक जाने के बाद पतझड़ के मौसम में की जाती है | इसके पौधे 5 से 7 वर्ष बाद पूरी तरह से फल देना आरम्भ कर देते है | इसमें फल फूल लगने के 8 महीने के बाद पककर तैयार हो जाते है | बादाम की गुठलियों का रंग जब हरे से पीले में परिवर्तित हो जाये तब वह गुठलिया अधिक समय तक न तोड़ने पर अपने आप टूटकर नीचे गिरने लगती है |
फलो को तोड़ने के बाद उन्हें छायादार जगहों पर सूखा लिया जाता है | गुठलियों के सूख जाने के बाद उन्हें फोड़कर उनसे बादाम की गिरी को निकाल लिया जाता है |
लाभ
बादाम की फसल कर किसान भाई अच्छी कमाई कर सकते है बादाम का बाजारी भाव 600 से 700 के मध्य होता है | इसके अतिरिक्त इसके पेड़ कई वर्षो तक पैदावार भी देते है इसलिए इन्हे बार–बार लगाना भी नहीं पड़ता है | किसान भाई बादाम की खेती कर अच्छी कमाई कर सकते है|