Convolvulus Pluricaulis in Hindi- शंखपुष्पी खेती से लाखों की कमाई

शंखपुष्पी की खेती (Convolvulus Pluricaulis in Hindi) से सम्बंधित जानकारी 

शंखपुष्पी याददाश्त बढ़ाने वाला एक औषधीय पौधा है | यह रेगिस्तान की झाड़ी के रूप में पाया जाता है | इसका इस्तेमाल मरुस्थल क्षेत्र में ऊंट के चारों के रूप में प्रयोग किया जाता था लेकिन किसानों को इसके औषधि शक्ति का पता चलने के बाद इसे व्यापारिक रूप पर उगाया जाने लगा | शंखपुष्पी की खेती खास तौर पर दक्षिण और पूर्वी भारत में अधिक की जाती है | शंखपुष्पी का इस्तेमाल आयुर्वेदिक दवाइयां को बनाने में किया जाता है | इसका पौधा लगभग 1 फीट लंबा होता है तथा इसकी पौधे की अधिकतम लंबाई लगभग डेढ़ फूट तक होती है |

यह एक बार तैयार हो जाने के बाद कई वर्षों तक पैदावार देता रहता है | इसके पौधे में लगने वाले फूल लाल, सफेद और नीले रंग के होते हैं तथा इसके बीज काले रंग के पाए जाते हैं | इनके बीजों में 1 से 3 धारियां बनी होती है जो देखने में शंख के समान लगती है | शंखपुष्पी का बाजरी भाव बहुत अच्छा है इसलिए किसान की खेती में अधिक रुचि दे रहे हैं |

अगर आप भी शंखपुष्पी की खेती (Convolvulus Pluricaulis in Hindi) करना चाहते हैं तो इस ब्लॉग को अंत तक जरूर पढ़ें | इस ब्लॉग में हमने शंखपुष्पी की खेती के बारे में संपूर्ण जानकारी विस्तार पूर्वक समझाइए |

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शंखपुष्पी की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी

शंखपुष्पी की खेती (Convolvulus Pluricaulis in Hindi) के लिए अधिक उपजाऊ और हल्की रेतीली दोमट मिट्टी की जरूरत होती है | इसकी खेती के लिए भूमि का पीएच मान 5.5 से 7 के बीच होना चाहिए तथा भूमि में अच्छी जल विकास की व्यवस्था होनी चाहिए |

शंखपुष्पी की खेती के लिए जलवायु और तापमान

शंखपुष्पी की अच्छी पैदावार के लिए समशीतोष्ण जलवायु सबसे अच्छा माना जाता है | इसकी फसल के लिए सबसे उपयुक्त मौसम बारिश का माना जाता है, परंतु अधिक गर्मी और सर्दियों के मौसम में इसके पौधे अच्छे से विकास नहीं कर पाते हैं |

इसके बीजों के अंकुरण के लिए 20 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है तथा इसके पौधे के विकास के लिए 15 से 30 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है | शंखपुष्पी के पौधे के लिएं न्यूनतम 10 डिग्री तथा अधिकतम 35 डिग्री तापमान लाभकारी होता है | इससे कम या अधिक तापमान पौधे के विकास को प्रभावित करता है |

Convolvulus Pluricaulis in Hindi

शंखपुष्पी की उन्नत किस्म

शंखपुष्पी की कई उन्नत किस्म मौजूद है | जिन्हें जलवायु और पैदावार के अनुसार उगाया जाता है तथा फूलों के आधार पर इसकी तीन प्रजातियां मौजूद है जो कि सफेद नीले और लाल किस्म में बँटी हैं-

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इस किस्म के पौधे देखने में झाड़ीनुमा होते हैं तथा इसके पौधे सामान्य ऊंचाई के होते हैं | इसमें छोटे आकार की पत्तियां और पीले नीले रंग के फूल पाए जाते हैं तथा पौधे की शाखों में कुछ कम मात्रा में रोयें मौजूद होते हैं | इस किस्म की पैदावार लगभग 160 से 200 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है |

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सोढ़ाला किस्म के पौधे

शंखपुष्पी किस्म में पौधे का तना लगभग 1 फीट लंबा पाया जाता है तथा पौधे के चारों ओर शाखाएं फैली होती है | इसके पौधे में सफेद और नीले रंग के फूल पाए जाते हैं और इसके बीजों का रंग काला होता है | इसके पौधे से उत्पादन 180 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होता है |

इसके अतिरिक्त की शंखपुष्पी की गई किस्म है जिनको पैदावार तथा जलवायु के अनुसार उगाया जाता है जो कि इस प्रकार है-विष्णुक्रान्ता, उदय, क्रांति, सी-15, डी-121 आदि किस्मे है |

शंखपुष्पी के फसल के लिए खेत की तैयारी

शंखपुष्पी की अच्छी फसल के लिए भुरभुरी मिट्टी की आवश्यकता होती है | इसके लिए खेत की मिट्टी पलट हल के द्वारा अच्छे से गहरी जुताई कर लेनी चाहिए | जुताई के बाद खेत को कुछ समय के लिए खुला छोड़ दें | इससे मिट्टी में धूप लगने से बचे हुए खरपतवार तथा हानिकारक जीव नष्ट हो जाएंगे |

इसके बाद खेत में पुरानी गोबर की खाद या फिर जैविक खाद डालकर अच्छी तरह से आड़ी तिरछी जुताई करके खेत में मिला दें तथा खेत को पलेव करने के लिए पानी छोड़ दें | जब खेत की मिट्टी सुखी दिखाई देने लगे तो उसमें रोटावेटर के द्वारा खेत को अच्छी तरह से जुटाए करके समतल कर लेना चाहिए |

बीच की रोपाई का सही समय और तरीका

इसकी रोपाई पौधों और बीज दोनों विधि द्वारा की जाती है | बीज के रूप में बुवाई करने के लिए बीजों को पौधों 20 से 25 दिन पहले प्रो-ट्रे में तैयार किया जाता है | इसके बाद उन पौधों को मेड में लगा दिया जाता है यदि आप इसके रुपए पौधे के रूप में करना चाहते हैं तो इसके पौधे को किसी भी रजिस्टर नर्सरी से सस्ते दाम पर आसानी से खरीद सकते हैं | इससे आपका समय बचेगा और पैदावार भी जल्दी होगी पौधे खरीदते समय ध्यान दें कि सभी पौधे बिल्कुल ही स्वस्थ हों | इसमें किसी पर प्रकार के रोग न लगे हों

पौध रोपाई के लिए खेत में मेंडो को तैयार किया जाता है | इसके अलावा पौधे की रोपाई को समतल भूमि पर भी कर सकते हैं | सुंदर भूमि इसकी उपाय के लिए पंक्तियों में क्या नियम बना ली जाती हैं तथा प्रत्येक पौधों के बीच की दूरी एक फीट होती है |

अच्छी पैदावार के लिए इसके पौधों पर को मेड़ों पर ही लगाना चाहिए | मेड़ों पर लगाने से पौधों के बीच में 20 से 25 सेंटीमीटर की दूरी होनी चाहिए तथा प्रत्येक के मध्य एक फीट की दूरी अवश्य रखें | पौधों की रोपाई से पहले उनके जड़ों को रोगों से बचने के लिए बाविस्टिन से उपचारित कर लेना चाहिए तथा पौधों को 3 सेंटीमीटर की गहराई में लगाना चाहिए |,पौधों की रोपाई करने के लिए शाम का समय अच्छा होता है | इसमें पौधे के अंकुरण अच्छे से होते हैं |

सिंचाई

शंखपुष्पी के पौधे की रोपाई बारिश के मौसम में की जाती है | इसलिए इसे अधिक सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती लेकिन पौधों रोपाई के तुरंत बाद बारिश नहीं होती तो उस समय सिंचाई करनी चाहिए बरसात के मौसम में जरूरत पड़ने पर ही इसकी सिंचाई करें | जब शंखपुष्पी के पौधे पर फूल लगने लगते हैं तो इसके बीजों के बनने के लिए अधिक सिंचाई की आवश्यकता होती है | इस दौरान खेत में नमी बनाए रखने के लिए समय-समय पर हल्की-हल्की सिंचाई करते रहना चाहिए |

खरपतवार नियंत्रण

इसके पौधों को अधिक खरपतवार की नियंत्रण की आवश्यकता नहीं होती है | जब इसके पौधे की रोपाई हो जाए तो 20 से 25 दिन के बाद प्राकृतिक रूप से निराई-गुड़ाई करके खरपतवार को निकाल देना चाहिए | इसके बाद समय-समय पर खरपतवार दिखाई देने पर निराई-गुड़ाई कर देनी चाहिए |

पौधे पर लगने वाले रोग तथा उनके रोकथाम

शंखपुष्पी की खेती (shankhpushpi ki kheti) में बहुत ही कम रोग लगते हैं लेकिन कुछ किट ऐसे होते हैं जो पौधे पर दिखाई देते हैं | इनके रोकथाम के लिए जैविक विधि का इस्तेमाल किया जाता है | इसके लिए पौधों पर कीटनाशक के रूप में नीम का काढ़ा या नीम के तेल का छिड़काव करें |

शंखपुष्पी की कीमत

शंखपुष्पी की खेती (shankhpushpi ki kheti) में लगभग 4 से 5 महीने का समय लगता है | इस दौरान फूलों का विकास अच्छे से हो जाता है तथा फूलों के विकास के 1 महीने बाद दिसंबर के महीने में पौधों में फलियां पर दाने बनकर तैयार हो जाते हैं | इसके बाद जनवरी के माह तक पौधा पूर्ण रूप से विकसित होकर कटाई के लिए तैयार हो जाता है | इसके पौधों को काटा नहीं जाता बल्कि जड़ सहित निकाल लिया जाता है | इसके बाद उन्हें धूप में अच्छी तरह सुखा दिया जाता है | सूखने के बाद उन्हें बाजार में बेचने के लिए तैयार कर लिया जाता है |

शंखपुष्पी की कीमत की बात की जाए तो इसकी बद्री भाव ₹3000 के आसपास होती है इस हिसाब से एक हेक्टेयर में किसान की अच्छी कमाई हो जाती है | इस हिसाब से इसकी खेती में प्रति हेक्टेयर में मात्र 5 से 6 महीने 5 से 6 लाख की कमाई हो जाएगी |

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