हेलो दोस्तों स्वागत है आपका upagriculture के नई पोस्ट करी पत्ता की खेती ( Curry Leaf Farming ) में आज के इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको करी पत्ता की खेती ( Curry Leaf Farming ) के बारे में बताएंगे यदि आप भी करी पत्ता की खेती ( Curry Leaf Farming ) करना चाहते हैं तो इस ब्लॉग को अंत तक अवश्य पढ़े |
करी पत्ता की खेती (Curry Leaf Farming)
Table of Contents
करी पत्ता की खेती ( Curry Leaf Farming ) मीठे नीम के रूप में की जाती है इसका पौधा कड़वे नीम की तरह होता है लेकिन इसकी पत्ती किनारो पर कटी नहीं होती है इसके पेड़ की ऊंचाई 15 से 20 फीट तक जा सकते हैं कड़ी पत्ता का उपयोग ज्यादातर भोजन में किया जाता है इसमें मसाला के साथ-साथ विभिन्न प्रकार के औषधीय गुण भी उपलब्ध होते हैं यही कारण है कि इसका उपयोग भारतीय भोजन में किया जाता है |
यदि किसान सही तरीके से करी पत्ता की खेती ( Curry Leaf Farming ) करके अच्छा मुनाफा कमाना चाहते हैं तो कड़ी पत्ता को सुखाकर पैकिंग करके बाजार में बेचे इसके अलावा इसका पाउडर बनाकर भी सेल किया जा सकता है भारत के कई राज्य में करी पत्ता की खेती ( Curry Leaf Farming ) की जाती है जैसे केरल ,कर्नाटक ,बिहार, बंगाल ,और पूर्वी पहाड़ी राज्यों में इसे मुख्य रूप से उगाया जाता है |
करी पत्ता में उपस्थित औषधीय गुण (Medicinal properties present in curry leaves )
कड़ी पत्ता में आयरन और फोलिक एसिड उपस्थित होता है जो हमारे शरीर में एनीमिया के खतरे को काम करती है इसमें विटामिन ए और विटामिन सी भी पाया जाता है जो सेहत के लिए काफी लाभदायक होता है इसका सेवन करने से शुगर के मरीज के लिए लाभकारी साबित होता है यह शरीर में ब्लड प्रेशर को भी कंट्रोल करता है करी पत्ता के सेवन से मोटापा भी काम करने में मदद मिलता है और यह हमारी पाचन क्रिया को भी ठीक करने में सहायता करता है इसके अलावा इसका सेवन शरीर में कोलेस्ट्रॉल के लेवल को कंट्रोल करता है और त्वचा संबंधी बीमारियों को भी दो करता है |
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करी पत्ता की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु और भूमि ( Suitable climate and land for Curry Leaf Cultivation in India )
करी पत्ता की खेती ( Curry Leaf Farming ) के लिए उष्णकटिबंधीय और उपोष्ण कटिबंधीय जलवायु अच्छा माना जाता है उनके पौधों के विकास के लिए सूर्य के सीधे प्रकाश की आवश्यकता होती है और इसकी खेती छायादार स्थान पर नहीं करना चाहिए क्योंकि छायादार स्थान पर सूर्य का प्रकाश नहीं पहुंचेगा और उत्पादन अच्छा प्राप्त नहीं होगा कड़ी पत्ता की खेती नहीं करना चाहिए जहां पर सूर्य के प्रकाश निरंतर मिलता रहे सर्दी और पाले से भी बचाने की आवश्यकता होती है |
करी पत्ता की खेती ( Curry Leaf Farming ) करने के लिए उचित जल निकास वाली उपजाऊ भूमि की आवश्यकता होती है करी पत्ता की खेती ( Curry Leaf Farming ) के लिए आप अधिक जल भरा वाली चिकनी काली मिट्टी का भी उपयोग कर सकते हैं इसकी खेती के लिए भूमिका पीएच मान 6 से 7 के मध्य होना चाहिए |
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करी पत्ता की खेती का उपयुक्त समय ( Suitable time for Curry Leaf Cultivation in India )
कड़ी पत्ता के बीजों की बुवाई सर्दी के मौसम छोड़कर किसी भी समय की जा सकती है करी पत्ता की खेती ( Curry Leaf Farming ) ज्यादातर फरवरी से मार्च के महीने में लगाना अच्छा होता है यदि आप कड़ी पत्ते की बुवाई मार्च महीने में करते हैं तो सितंबर से अक्टूबर महीने में यह फसल कटाई के लिए तैयार हो जाएगी |
करी पत्ता की खेती के लिए खेत की तैयारी ( Field preparation for Curry Leaf Farming in India )
करी की फसल एक ऐसी फसल होती है जिसको एक बार लगाने के बाद साथ कई सालों तक लगातार पैदावार प्राप्त कर सकते हैं इसकी खेती के लिए खेत की तैयारी करते समय सबसे पहले खेत की अच्छे से जुताई करनी चाहिए जिसके लिए आप रोटावेटर या कल्टीवेटर का इस्तेमाल कर सकते हैं दो से तीन बार खेत की जुताई करने के पश्चात पाटा की सहायता से खेत को समतल कर लेना चाहिए |
इसके पश्चात तीन से चार मीटर की दूरी रखते हुए गड्ढे को तैयार कर लेना चाहिए गड्ढे में समान दूरी रखते हुए पंक्ति के रूप में तैयार करना चाहिए इसके बाद इन गड्ढो में सड़ी हुई गोबर की खाद जैविक उर्वरक की उचित मात्रा को मिट्टी में मिलाकर गड्ढे में डाल देना चाहिए और इसके पास साथ गढ़ों की हल्की सिंचाई कर देनी चाहिए |
कड़ी पत्ता बीज रोपाई का तरीका ( Method of planting curry leaves seeds )
दो तरीकों से करी पत्ता की खेती ( Curry Leaf Farming ) की जा सकती है कड़ी पत्ता की खेती बीज बुवाई द्वारा भी की जा सकती है और इसकी खेती कलम विधि द्वारा की जा सकती है आप दोनों विधि द्वारा कड़ी पत्ता की खेती कर सकते हैं दोनों तरीकों से करी पत्ता की खेती ( Curry Leaf Farming ) करने पर पैदावार सामान प्राप्त होती है यदि आप इसके बीजो की बुवाई कर रहे हैं तो इसके लिए आपको एक एकड़ के लिए लगभग 75 किलो बीज की आवश्यकता पड़ेगी |
करी पत्ता की खेती में प्रयुक्त खाद और उर्वरक की मात्रा ( Amount of manure and fertilizer used in curry leaf cultivation )
करी पत्ता की खेती ( Curry Leaf Farming ) अच्छी मात्रा में उत्पादन प्राप्त करने के लिए हमेशा जैविक खाद का प्रयोग करना चाहिए इसकी खेती के लिए गधों की तैयारी के समय लगभग 200 कुंतल पुरानी साड़ी हुई गोबर की खाद प्रति एकड़ के हिसाब से गड्ढो में डालकर मिट्टी में मिला देना चाहिए उसके बाद हर तीसरे महीने जैविक कंपोस्ट खाद पौधों को दो से तीन किलो की मात्रा में देते रहे |
करी पत्ता के पौधों की सिंचाई ( irrigation of curry leaves plants )
करी पत्ता के पौधों की सिंचाई बीज बुवाई के तुरंत बाद कर देना चाहिए और उसके बाद जब तक बीज अंकुरित होता है तब तक गड्ढे में नमी को बनाए रखने के लिए ड्रिप विधि का प्रयोग करना चाहिए और जब बी अच्छे से अंकुरित हो जाए तब गर्मी के मौसम में 4 से 5 दिन में एक बार पौधों को सिंचाई करना चाहिए जबकि बरसात के मौसम में उनके पौधों को पानी की आवश्यकता नहीं होती है परंतु आवश्यकता पड़ने पर पौधों की सिंचाई कर देना चाहिए सर्दी में इसके पौधों को पानी की काफी कम जरूरत होती है |
करी पत्ता की फसल में खरपतवार नियंत्रण ( Weed control in curry leaves crop )
करी पत्ता की खेती ( Curry Leaf Farming ) से खरपतवार को नियंत्रण करने के लिए निराई – गुड़ाई का उपयोग करना चाहिए पहले गुड़ाई बीज रोपण के लगभग 1 महीने के बाद कर देनी चाहिए अगर हो सके तो पहले बुराई के समय सिर्फ हाथ से ही खरपतवार करें नियंत्रित करें उसके बाद दूसरी गुड़ाई 2 महीने के बाद करें और तीसरे बड़े तीन से चार महीने के पश्चात कहते हैं पौधों की कटाई के तुरंत बाद एक बार गुड़ाई करना अच्छा होता है |
करी पत्ता के फसल में लगने वाले रोग और रोकथाम ( Diseases and prevention of curry leaves crop )
कीटों का आक्रमण
करी पत्ता की खेती ( Curry Leaf Farming ) में यह रोग पौधों पर कीट के रूप में आक्रमण करता है यह रोग अक्सर जलवायु परिवर्तन के कारण देखने को मिलता है इस कीट का लारवा पत्तियों पर आक्रमण कर उन्हें हानि पहुंचती है इससे पत्तियों को व्यापारिक रूप से इस्तेमाल में लाया जा सकता है इसके पौधों को रोग से बचने के लिए नीम के तेल का छिड़काव किया जाता है |
जड गलन
यह रोग खेतो में अत्त्याधिक जल भराव की स्थिति में देखने को मिलता हैं. इस रोग के लगने पर पौधा पूरी तरह से नष्ट हो जाता है. शुरुआत में इसके पौधे की पत्तियां पीली दिखाई देने लगती है. उसके कुछ दिन बाद पत्तियां सुखकर गिरने लगती हैं. पौधों कों इस रोग से बचाने के लिए खेतो में जलभराव की स्थिति उत्त्पन्न ना होने दे इसके अलावा पौधों में रोग लगने पर पौधों की जड़ों में ट्राइकोडर्मा का छिडकाव करना चाहिए.|
दीमक
यह रोग मिट्टी में रहकर पौधे की जड़ों को नुक्सान पहुँचाती है. इसके लगने पर पौधे की पत्तियां मुरझाने लगती हैं. और उसके बाद धीरे – धीरे करके पूरा पौधा सुखकर पूरी तरह से नष्ट हो जाता है.इस रोग से पौधों कों बचाने के लिए बीज को क्लोरोपाइरीफास से उपचारित कर खेत में लगाएं.|
करी पत्ता की पैदावार और मुनाफा ( Curry leaves yield and profit )
करी पत्ता की खेती ( Curry Leaf Farming ) में तैयार फसल की कटाई साल में तीन से चार बार की जा सकती है इसकी पत्तियों को सूखा कर बेचा जाता है। पर ध्यान रहे इसे ज्यादा समय खुला नहीं छोड़ना चाहिए क्योंकि इसे खुला छोड़ देने पर थोड़ी देर बाद इसकी खुशबू कम हो जाती है। इसलिए करी पत्ता कों हमेशा पैकिंग करके ही बेचना चाहिए। और यदि हम करी पत्ता के उत्पादन की बात करें तो एक एकड़ में साल भर में चार से पाच टन तक उत्पादन प्राप्त किया जाता है और इसकी पत्तियों या उसका पाउडर बनाकर पैकिंग करके इसे बेचकर आप तीन से चार लाख रुपए तक की कमाई आसानी से कर सकते है |
सामान्यतः पूछे जाने वाले प्रश्न
करी पत्ता में उपस्थित औषधीय गुण के कारण गैस और सूजन जैसे समस्या को नियंत्रित करने में मददगार साबित हो सकता है खाली पेट कड़ी पत्ता का सेवन करने से मॉर्निंग सिकनेस की समस्या को भी आराम मिलता है |
कड़ी पत्ते एक छोट सुगंध झाड़ी का भाग होते हैं जिसे वैज्ञानिक नाम मुरराया कोएनिगी होता हैं उसे प्राकृतिक रूप से औषधीय पौधा भी माना जाता है |
करी पत्ता को इस्तेमाल करने के लिए पत्ते को पीसकर आवला के रस के साथ मिलाकर बालों पर जड़ों से सिरों तक लगा ले इसे बालों पर लगभग 45 मिनट लगाए रखने के बाद धोकर हटा ले हफ्ते में दो से तीन बार इस नुक्से को आजमाएं |