Dhaniya ki kheti एक प्रकार का वार्षिक जड़ी बूटी के रूप में किया जाता है जिसका प्रयोग रसोई में मसाले के रूप में किया जाता है इसके बीजों और पत्ती का प्रयोग अलग-अलग पकवानों को सजाने और स्वादिष्ट बनाने के लिए किया जाता है इनके पत्तों में विटामिन सी की भरपूर मात्रा उपलब्ध होती है और यह घरेलू नुस्खे में इसका प्रयोग दवाई के आधार पर भी किया जाता है |
धनिया का उपयोग पेट की बीमारियों मौसमी बुखार,उल्टी, खांसी,और चमड़ी के रोगों को ठीक करने के लिए किया जाता है धनिया की सबसे ज्यादा पैदावार और खपत भारत में ही होती है क्योंकि भारत में Dhaniya ki kheti सबसे ज्यादा खेती राजस्थान में की जाती है मध्य प्रदेश असम और गुजरात में भी उसकी खेती की जाती है |
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Dhaniya ki kheti : उपयुक्त मिट्टी और उसकी तैयारी
Table of Contents
Dhaniya ki kheti सभी प्रकार की भूमि में की जा सकती है परंतु जल निकास वाली दोमट मिट्टी में इसकी खेती सर्वोत्तम मानी जाती है भूमि की तैयारी से पहले 20 से 25 टन प्रति हेक्टेयर गोबर की सड़ी हुई खाद समान रूप से खेत में भी खेर देने चाहिए इसके बाद मिट्टी पलटने वाले सहायता से खेत की दो से तीन बार जुताई कर देनी चाहिए जिससे खाद और मिट्टी आपस में मिल जाए खेत की जुताई के बाद पाटा अवश्य चला दे ताकि मिट्टी हो जाए और खेत में नमी बनी रहे |
Dhaniya ki kheti : उपयुक्त उर्वरक की मात्रा

यदि Dhaniya ki kheti में उचित मात्रा में उर्वरक का प्रयोग ना किया जाए तो उपज कम प्राप्त होती है मिट्टी की जांच के बाद उर्वरकों का प्रयोग करना लाभप्रद होता है यदि किसी कारणवश मिट्टी की जांच नहीं हो सकी तो 200 किलो सिंगल सुपर फास्फेट तथा 50 किलो न्यू रेट ऑफ पोटाश प्रति हेक्टेयर की दर से अंतिम जुताई के समय खेत में डाल देना चाहिए इसके अलावा 50 किलो नाइट्रोजन प्रति हेक्टेयर की आवश्यकता होती है अतः 55 किलो यूरिया पहले सिंचाई के बाद तथा 55 किलो यूरिया फूल आने से पहले खड़ी फसल में डाल देना चाहिए |
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Dhaniya ki kheti : उन्नत किस्मे और पैदावार
Local :- इस किस्म के पौधों की ऊंचाई 60 सेंटीमीटर होती है इनके फूलों का रंग सफेद और फल का रंग हल्का हर से पीला होता है या किस्म 175 से 180 दिनों के अंदर टक्कर तैयार हो जाती है और इसकी पैदावार 3.5 क्विंटल प्रति एकड़ होता है |
Punjab Sugandh :- इस किस्म के पौधों की पत्तियों का आकार छोटा और तेज सुगंध युक्त होता है इसका पत्ता चार पंखुड़ियां के आकार वाला होता है हरे पत्तों के रूप में इतनी ज्यादा पैदावार 150 कुंतल और 3.5 क्विंटल प्रति एकड़ पैदावार प्राप्त होती है |
इसके अलावा भी धनिया के विभिन्न प्रकार की उन्नत किस्म उपलब्ध है जैसे राजेंद्र स्वाति, पू डी – 20, पंतहरीतिमा एवं एल.सी.सी. -133 इत्यादि |
धनिया के बीजो की बुवाई का समय
धनिया की बुवाई का समय इस बात पर निर्भर करता है कि आप बीज या हरी पत्तियों के उत्पादन हेतु खेती कर रहे या दोनों के लिए एक खरीफ मौसम में इसे अगस्त-सितंबर में पत्तियों के लिए उगाया जाता है और बीज के लिए सर्वोत्तम समय अक्टूबर का तीसरा सप्ताह होता है |
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धनिया के बीजो के बुवाई की विधि
यदि हम Dhaniya ki buwai की विधि की बात करें तो धनिया की बुवाई अधिक उपज हेतु पंक्तियों में करें और पंक्तियों से पंक्तियों के बीच की दूरी 30 सेंटीमीटर एवं पौधों की दूरी 20 सेमी निर्धारित करें और जब पौधे 5 से 6 सेंटीमीटर लंबे हो जाए तब धनिया के पौधों को उखाड़ कर हरी पत्ति के रूप में प्रयोग करें यदि बीज बोने से पहले उन्हें कुचल कर दानो कों 10 से 12 घंटे पानी में भिगोकर बुवाई करें |
Dhaniya ki kheti : बीज की मात्रा
यदि आप Dhaniya ki kheti पत्तियों को उगाने के लिए कर रहे हैं तो कम मात्रा में बीज की आवश्यकता होती है और यदि पंक्तियों में बुवाई कर रहे हैं तो बुवाई के लिए 12 से 18 किलो बीज एक हेक्टेयर भूमि के लिए प्रयुक्त होता है |
बीज उपचार की विधि
धनिया के बीजों की बुवाई करने से पहले बी को उपचारित करने के लिए 3 ग्राम थिरम प्रति किलो बीज या 4 ग्राम ट्राइकोडर्मा प्रति किलो बीज की दर से अच्छी तरह से मिलकर बुवाई करें |
सिंचाई
धनिया के फसलों की पहली सिंचाई बुवाई के तुरंत बाद और दूसरी सिंचाई अंकुरण के साथ से 10 दिनों बाद करें
Dhaniya ki kheti : निकाई-गुडाई
जब धनिया के पौधे 4 से 5 सेंटीमीटर के हो जाए तब खेत में खरपतवार निकाल दें और हल्की मात्रा में गुड़ाई कर दें और धनिया के पौधों में फूल आने से पहले पौधों के चारों तरफ से मिट्टी चढ़ा दे |
धनिया के फसलों की कटाई
साधारणता या धनिया की बुवाई के 40 से 45 दिनों बाद पत्तियों की कटाई शुरू कर दी जाती है और 15 दिनों के अंतर में दोबारा काटी जाती है धनिया के किस्म के अनुसार बीज उत्पादन के लिए बुवाई के 120 से 150 दिनों बाद फसल काटने लायक तैयार हो जाती है धनिया के पौधों में लगे दोनों का रंग सुनहरे पीले रंग का दिखाई देने लगे तो कटाई करके 4 से 5 दोनों के लिए छाया में सुखाएं तथा उसके 7 से 8 दिन बाद धूप में अच्छे तरीके से सुख ले |
धनिया के पौधों में लगने वाले रोग : –
धनिया के पौधों में समान रूप से फफूंदी और गलन की बीमारी ज्यादा मात्रा में देखने को मिलती है यह रोग ज्यादातर मौसम नम होने पर लगते हैं इसका प्रभावशाली उपचार इंडोफिल एम-45 के 2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव कर दे |
सामान्यत पूछे जाने वाले प्रश्न
धनिया की फसल रवि मौसम मैं की जाती है धनिया बोने का सबसे उपयुक्त समय 12 अक्टूबर से 15 नवंबर का होता है |
धनिया की एक एकड़ खेती से लगभग 15 से 20 कुंतल धनिया का उत्पादन प्राप्त होता है |
धनिया की खेती में जुताई करने से पहले 5 से 10 टन प्रति हेक्टेयर सड़ी हुई गोबर की खाद मिट्टी में मिले यदि गोबर की खाद उपलब्ध नहीं है तो प्रति हेक्टेयर में दो बोरी सिंगल सुपर फास्फेट और यूरिया का प्रयोग करें |