हेलो दोस्तों स्वागत है आपका upagriculture के नई पोस्ट कपास की खेती में आज के इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको कपास की खेती के बारे में बताएंगे यदि आप Kapas ki kheti kaise hoti hai यह जानना चाहते हैं तो इस ब्लॉग को अंत तक अवश्य पढ़े |
नमस्कार किसान भाइयों देशभर में कपास की खेती सबसे ज्यादा महाराष्ट्र में की जाती है क्योंकि कपास महाराष्ट्र के दूसरी सबसे महत्वपूर्ण नदी फसल है महाराष्ट्र के खानदेश,सोलापुर,सांगली, सातारा, जलगांव जिलों में बड़े पैमाने पर की जाती है |
Kapas ki kheti भारत के लगभग 9.4 मिलियन हेक्टेयर के भूमि पर की जाती है इसके प्रत्येक हेक्टेयर क्षेत्र में दो मिलियन टन कपास की डंठल अपशिष्ट के रूप में विद्यमान रहते हैं देश भर में कपास के सबसे ज्यादा खेती महाराष्ट्र में की जाती है और पूरे सीजन में लगभग महाराष्ट्र राज्य में 35 लाख हेक्टेयर से ज्यादा कपास की फसल की खेती की जाती है |
Kapas ki kheti kaise hoti hai
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बाजार में कपास की विभिन्न प्रकार की ऐसी प्रजातियां उपलब्ध है जिसे काफी अधिक मात्रा में पैदावार प्राप्त होता है यह माना जाता है कि लंबे रेशों वाली कपास अच्छी होती है इसकी सबसे ज्यादा पैदावार तटीय इलाकों में होती है कपास की खेती में ज्यादा मेहनत लगती है इसका उपयोग कपड़ा बनाने में ज्यादा किया जाता है और इसके बीज से तेल भी निकाला जाता है शेष बचा भाग पशुओं को खिलाया जाता है |
कपास और Kapas ki kheti के व्यापक उद्योग और कई अनुप्रयोगों के कारण कपास को “सफेद सोना” भी कहा जाता है जिसकी बुवाई मई महीने में शुरू हो जाती है कपास की खेती सिंचित और असिंचित दोनों प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है कपास की खेती करके किसान अपनी आय को दोगुना कर सकते हैं |
Kapas ki kheti kaise hoti hai : कपास की खेती के लिए उपयुक्त मौसम और जलवायु
Kapas ki kheti करने का सबसे उपयुक्त समय मई का महीना होता है यदि आपके पास सिंचाई की सुविधा नहीं है तो मानसून के पर्याप्त वर्षा की शुरुआत होते कपास की फैसले लगाई जा सकती है कपास की फसल से उत्पादन के लिए अनुकूल जलवायु का होना आवश्यक है |
कपास की खेती के लिए उपयुक्त तापमान
- कपास की फसल से अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए तापमान कम से कम 16 डिग्री सेल्सियस और अंकुरण के लिए 32 से 34 डिग्री सेल्सियस के तापमान की जरूरत होती है |
- कपास के पौधों की वृद्धि के लिए 21 से 27 डिग्री फारेनहाइट के तापमान उपयुक्त माने जाते हैं |
- कपास के फसलों के लिए दिन का तापमान 25 से 30 डिग्री सेल्सियस के बीच होना चाहिए |
- Kapas ki kheti के लिए कम से कम 50 सेंटीमीटर वर्षा की आवश्यकता होती है और 125 सेंटीमीटर से अधिक वर्षा कपास के लिए हानिकारक होता है |
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कपास की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी का चुनाव :-
- Kapas ki kheti के लिए उपयुक्त जल विकास वाली मिट्टी की आवश्यकता होती है |
- यदि आपके गहरी काली मिट्टी में कपास की खेती करते हैं तो उत्पादन से प्राप्त होता है |
- कपास की खेती बालवीर दोमट मिट्टी में भी कर सकते हैं |
- अम्लीय और क्षारीय दोनों मिट्टी में कपास की खेती सबसे अच्छी मानी जाती है |
- Kapas ki kheti से अच्छा पैदावार प्राप्त करने के लिए भूमिका पीएच मान 5.5 से 6.0 के बीच होना चाहिए जबकि कपास की बुवाई 8.5 तक के पीएच मान वाली मिट्टी में भी की जा सकती है |
कपास की खेती कैसे होती है खेत की तैयारी कैसे करें
उत्तरी भारत में कपास की खेती सिंचाई पर निर्भर करती है इन स्थानों पर Kapas ki kheti करने के लिए एक बार सिंचाई के बाद एक से दो बार गहरी जुताई तीन से कर हल्की जुताई करके पाटा लगाकर बुवाई कर देना चाहिए |
कपास दक्षिण और मध्य भारत में वर्षा पर आधारित गहरी मिट्टी में उगाई जाती है इन स्थानों पर खेत तैयार करने के लिए रवि की फसल की कटाई के बाद मिट्टी पलटने वाले हाल का प्रयोग करके खरपतवार निकाल देने चाहिए और खेत की अच्छे से सफाई हो जाने के बाद कपास के बीज की बुवाई करके खेत को समतल कर लेना चाहिए जिससे कपास का अंकुरण होने में किसी प्रकार की कठिनाई ना हो |
आपकी जानकारी के लिए क्या बता दे की कपास का खेत तैयार करते समय हमें इस बात का ध्यान अवश्य रखना चाहिए की खेत बिल्कुल समतल होना चाहिए जिससे मिट्टी की जल धारण क्षमता और जल विकास की दक्षता दोनों अच्छी हो एक समतल होने पर कपास को बिना जुताई या कम से कम एक बार जुताई के साथ भी पगा जा सकता है यदि खेतों में खरपतवार की समस्या ना हो तो |
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कपास की खेती के लिए उन्नत किस्मे
Kapas ki kheti के लिए उन्नत किस्म का चुनाव मिट्टी जलवायु तापमान कपास में सिंचाई कपास की अवधि उपयुक्त खाद की मात्रा आदि पर निर्भर करती है कपास की टॉप 10 किस्म उपलब्ध है जो कि इस प्रकार हैं |
कपास के फसलों की बुवाई का सही तरीका
- BT कपास के बीज शिवलिंग को 108 और 60 सेंटीमीटर पौधों से पंक्ति और 60 सेंटीमीटर पौधे से पौधों या 67.5 और 90 सेंटीमीटर की दूरी पर लगाना चाहिए |
- यदि आप अमेरिकी किस्म के कपास की खेती करते हैं तो इसके लिए पंख से पंक्ति के बीच की दूरी 60 सेमी और पौधों से पौधों के बीच की दूरी 45 सेंटीमीटर रखनी चाहिए |
- देसी किम के कपास की खेती करने पर कतार के कतार के बीच की दूरी 45 सेंटीमीटर और पौधों से पौधों के बीच की दूरी 30 सेंटीमीटर रखनी चाहिए |
- पॉलिथीन की थैलियां में पैक करके खाली स्थान पर पौधे लगाकर आप मनचाहे संख्या में पौधे रख सकते हैं |
- Kapas ki kheti लवणीय भूमि पर की जा सकती है |
कपास की खेती में प्रयुक्त होने वाले खाद और उर्वरक की मात्रा
- कपास की उन्नत किस्म से संतोषजनक उत्पादन प्राप्त करने के लिए नाइट्रोजन (80-120 )किलोग्राम फास्फोरस (40- 60 )किलोग्राम पोटाश (20- 30) किलोग्राम और सल्फर 25 किलोग्राम प्रति एकड़ के हिसाब से देना चाहिए |
- हाइब्रिड और बीटी किस्म के कपास की खेती करने के लिए नाइट्रोजन 150 किलोग्राम प्रति एकड़ फास्फोरस 75 किलोग्राम पोटेशियम 40 किलोग्राम और सल्फर 25 किलोग्राम प्रति एकड़ के हिसाब से डालना चाहिए |
- गंधक की पूरी मात्रा बुवाई के समय 15% नाइट्रोजन बुवाई के समय तथा शेष बची मात्रा को तीन बराबर भागों में बाटकर 30 60 तथा 90 दिनों में डाल देना चाहिए |
- फास्फोरस और पोटेशियम की आधी मात्रा पौधारोपण के समय और दूसरी आधी मात्रा 60 दिनों के बाद डालनी चाहिए शिव परी के लिए अंतिम जुताई के समय 10 से 12 तन सड़े हुए गोबर की खाद डाल देना चाहिए |
कपास की खेती में सिंचाई का प्रबंध :-
कपास के बीजों की बुवाई के बाद खाद डालने के पश्चात फूल आने के समय में 5 से 6 बार सिंचाई करें और अंकुरण के बीच से 30 दिन बाद पहले सिंचाई करें ऐसा करने से कपास के पौधे की जड़े गहराई तक चली जाती है और इस समय कपास के पौधों की छटाई करनी चाहिए हर 20 से 25 दिनों में पुन सिंचाई करते रहना चाहिए |
सामान्यत: पूछे जाने वाले प्रश्न
कपास की खेती करने के लिए 4 साल में एक बार बारहमासी खरपतवारों को नष्ट करने के लिए गहरी जुताई की सलाह दी जाती है मानसून मौसम से पहले खेत को तैयार कर लेना चाहिए और नवीन संरक्षण खरपतवार प्रबंधन के लिए सूखी भूमि में मेडो और खाचो पर बुवाई की जाती है |
1 एकड़ खेत में कपास की औसत पैदावार 8 कुंतल होती है तथा हुई की मात्रा 35.5 प्रतिशत और रेसे की लंबाई 24.01 मि.मी.मीटर होती है |
गंगानगर राजस्थान का सबसे महत्वपूर्ण कपास उत्पादक जिला है और राज्य के उत्पादन में इनका 80% से अधिक का हिस्सा होता है |