Khubani ki kheti- खुबानी की खेती से 8 लाख प्रति एकड़ की कमाई

Khubani ki kheti- किसान साथियों वैसे तो हमारे भारत में बहुत से प्रकार की फसल की खेती की जाती है परंतु हमारे किसान साथियों की आमदनी पारंपरिक कृषि में बहुत ही कम होती है | ऐसे में हमारे भारतीय किसानों को खाद्यान्न फसलों के अलावा बागवानी फसलों की खेती करना बहुत ही मुनाफे का सौदा होगा | भारत के किसान खुबानी की खेती (Khubani ki kheti) करके 8 लाख प्रति एकड़ की आमदनी कर रहे हैं | भारत में इसकी डिमांड बहुत अधिक है तथा इसकी कीमत भी अधिक रहती है |

इसलिए हम आप आज आपको खुबानी की खेती (Khubani ki kheti) के बारे में बताने वाले हैं | जिसे करके हमारे भारतीय किसान अपनी खेती में अधिक मुनाफा कमा सकते हैं तो आइये खुबानी की खेती के बारे में जानते हैं |

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खुबानी से संबंधित जानकारी

खुबानी एक गुठली वर्ग फल है इसकी खेती गुठली वर्गी फसल के लिए की जाती है तथा यह एक ऐसी फसल है जिसका उत्पादन नगदी फसल के लिए करते हैं | इसे खुबानी के अलावा भारत में चोले के नाम से भी जाना जाता है | खुबानी के अंदर एक गुठली मौजूद होती है तथा इसका रंग पीला होता है खुबानी आलू बुखार और आडू प्रजाति का फल है |

खुबानी की खेती (Khubani ki kheti) पूरे विश्व में सबसे अधिक तुर्की में की जाती है | खुबानी की खेती (Khubani ki kheti) भारत में हिमालय वाले क्षेत्रों में की जाती है इसकी खेती करने के लिए भारत में उपयुक्त जगह उत्तराखंड हिमाचल प्रदेश और कश्मीर है जहां इसकी खेती आसानी से की जा सकती है खुबानी के पौधे की ऊंचाई सामान्य होती है | जिसमें गुलाबी काले पीले सफेद और भूरे रंग के फल लगते हैं | इसके अंदर बादाम के आकार का बीज उपस्थित होता है |

खुबानी के फलों का उपयोग जैम, जेली, जूस और चटनी बनाने में किया जाता है | इसके बीजों को वयस्क व्यक्ति दो से तीन को खा सकते हैं परंतु इस छोटे बच्चों को बिल्कुल नहीं खिलाना चाहिए क्योंकि इसका बीच धीमे जहर के रूप में काम करता है | खुबानी के फलों का का सेवन सूखे मेवे के रूप में कर सकते हैं |

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खुबानी की खेती (Khubani ki kheti)

Khubani ki kheti

खुबानी की खेती के लिए जलवायु 

खुबानी की खेती ठंडे प्रदेशों में की जाती है जैसे कि हिमाचल प्रदेश जम्मू कश्मीर उत्तराखंड | इसकी खेती के लिए शीतोष तथा संशीतोष जलवायु की आवश्यकता होती है | खेती गर्म जलवायु वाले क्षेत्रों में बिल्कुल नहीं करनी चाहिए क्योंकि इसकी खेती में अधिक गर्म जलवायु फल और फूल को प्रभावित करते हैं खुबानी की खेती के लिए सर्दी का मौसम बहुत ही उपयुक्त होता है परंतु सर्दी के मौसम में पढ़ने वाला पाला इसके फूलों को प्रभावित करते हैं | इसके पौधों के लिए सामान्य बारिश की आवश्यकता होती है |

कम तापमान में खूबानी का पौधा अच्छे से विकसित होता है | जब पौधे में फलों का विकास हो उसे समय 700 से 800 घंटे तक 7 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है | 5 डिग्री से कम तापमान पर इसके फूल खराब होने लगते हैं |

पानी की खेती में सहायक मिट्टी

खुबानी की खेती के लिए अच्छी जल निकास वाली उपजाऊ भूमि की आवश्यकता होती है इसकी खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी जाती है तथा आप जिस भूमि में भगवान की खेती करें ध्यान दें कि उसका पीएच मान साथ हो जहां पर पानी अधिक भरत हो तथा कठोर भूमि में खुबानी की खेती बिल्कुल ना करें

खुबानी की उन्नत किस्म

खुबानी की बहुत सी ऐसी किस्म है जिनको समय तथा पैदावार के अनुसार अलग-अलग किया गया है आज हम आपको ऐसी कुछ किस्म के बारे में विस्तार से बताने वाले हैं जो की निम्नलिखित हैं-

  • कैसा: पानी की यह किस एम बहुत ही कम समय में पैदावार देने लगती है इसका फल जून के महीने में आना प्रारंभ हो जाते हैं इसमें किस्म के फलों का आकार गोल और सामान्य होता है जिसकी बाहरी परत लाल और पीले रंग का होता है
  • गौरव लाल गाल खुबानी: पानी की इस कि एम के पौधों को तैयार होने में 4 साल का समय लग जाता है इसके फलों का स्वाद बहुत ही मीठा होता है तथा लगभग 15 साल बाद किसके पेड़ से 70 से 100 किलो खुबानी के फलों की पैदावार मिलती है इसकी पौधे ज्यादा समय तक गर्म जलवायु सहन कर सकते हैं | जिस वजह से इसके फलों का भंडारण उपयुक्त माना जाता है |
  • काला मखमल: यह एक पानी की संकर किस्म है | इसे तैयार करने के लिए अमेरिकी खुबानी और चेरी बेर का संकरण कराया गया था | इसके पौधे की ऊंचाई बहुत ही काम होती है और इसके फल भी देरी से आते हैं | इस खुबानी के फल अगस्त में पक कर तैयार हो जाते हैं | जैसा कि नाम से ही पता चल रहा है कि इसका फल काला होता है तथा इसके फलों का उपयोग अचार बनाने के रूप में भी इसका प्रयोग किया जाता है |

खुबानी की खेत की तैयारी

खुबानी की पौधों को लगाने के लिए पौधों को तैयार करना होता है | पौधे तैयार करने से पहले खेत की मिट्टी को अच्छे से गहरी जुताई करके भुरभुरी बना लेना चाहिए | इसके बाद रोटावेटर के द्वारा खेत की जुताई करके मिट्टी को भुरभुरा कर देते हैं तथा पाटा लगाकर समतल कर लिया जाता है |

खेत को समतल करने के बाद खेत में गड्ढों को तैयार करना होता है इसके लिए 5 से 6 मीटर की दूरी पर पंक्तियां को तैयार करते हैं और पंक्तियों के मध्य 5 से 6 मीटर की दूरी पर घंटा को तैयार कर लिया जाता है

गाड़ी तैयार होने के बाद गड्ढे में जैविक खाद और रासायनिक खाद की उचित मात्रा को मिट्टी मिलाकर भारत किया जाता है तथा गड्ढे भरने के पश्चात उन गड्ढों में अच्छे से गहरी सिंचाई कर दी जाती है | इस प्रक्रिया को खुबानी के पौधों को लगाने के 2.5 से 3 महीने के पहले ही कर लेना चाहिए |

खुबानी की नर्सरी

खुबानी की खेती के लिए नर्सरी की आवश्यकता होती है | इसे तैयार करने के लिए कलम दाब विधि, क्राफ्टिंग, गुटी में बांधने और कलम, बीज विधि के द्वारा नर्सरी को तैयार कर लिया जाता है | इन सभी विधि द्वारा नर्सरी को तैयार करने में जितना गुण पहले के पौधे में मौजूद होते हैं उतने गुण नर्सरी तैयार करने वाले पौधे में भी पाए जाते हैं | परंतु जो बीज के द्वारा तैयार किया जाता है उनमें थोड़े कम गुण मौजूद होते हैं इसके पौधों को तैयार करने के लिए बारिश का मौसम सर्वश्रेष्ठ माना जाता है | जिसकी हुई बसंत के रूप में की जाती है |

अगर आप नर्सरी को तैयार नहीं करना चाहते हैं तो आप सरकार द्वारा रजिस्टर्ड कई सरकारी नर्सरी केंद्र मौजूद है | जिसमें आप कम पैसों में नर्सरी को खरीद सकते हैं | नर्सरी खरीदते समय या ध्यान दें की नर्सरी में पौधे स्वस्थ और अच्छी तरह से विकासशील हो |

खुबानी के पौधों की रोपाई

खुबानी के पौधों को खेत में तैयार गड्ढे में लगाया जाता है | खुबानी के पौधों के रोपाई का सबसे अच्छा समय मार्च जुलाई और अगस्त का महीना होता है | जहां सिंचाई की अच्छी व्यवस्था हो वहां खुबानी के पौधों को मार्च के महीने में लगायें | इस समय पर पौधों को अधिक देखभाल की आवश्यकता है | जहां पर पानी की काम व्यवस्था हो वहां पर जून के महीने में लगे क्योंकि इस समय बारिश का मौसम होता है | जिससे पौधों को अधिक सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती |

खुबानी के पौधों की सिंचाई

खुबानी की पौधों को समस्या की आवश्यकता होती है | गर्मियों के मौसम में इसे 7 से 9 दिन की अंतराल तथा सर्दियों में 20 से 25 दिन के अंतराल में पानी देना चाहिए | बारिश के मौसम में जरूरत पड़ने पर ही सिंचाई करनी चाहिए तथा इसकी सिंचाई करने के लिए ड्रिप विधि सबसे बेहतर मानी जाती है |

खुबानी की फसल में खरपतवार नियंत्रण

खुबानी के पौधे में खरपतवार रोकने के लिए पौधे की वर्ष में 7 से 8 बार गुड़ाई की आवश्यकता होती है परंतु जब पौधा पूर्ण रूप से तैयार हो जाए तो 3 से 4 गुड़ाई की आवश्यकता होती है | खेत में काम खत्म खरपतवार ना उगने पाए इसके लिए आप खेत की बची हुई जगह में अन्य फसल को भी उगा सकते हैं | अगर अन्य फसलों को ना उगे तो इसकी हल्की जुताई कर दे |

खुबानी के फलों की तुड़ाई

खुबानी के पौधे रोपाई के तीन से चार साल बाद पैदावार देना प्रारंभ करते हैं | इसके पौधे पौधों में अप्रैल से मई के महीने में फल आने प्रारंभ होने लगते हैं तथा कुछ ऐसी किस्म है जो की जून से लेकर जुलाई तक फल देती हैं | इसके फलों को तो पकने के पहले तोड़ लेना चाहिए | जिससे इसके फल अधिक दूरी तक भेज सकें |

फलों का रंग अलग-अलग किस्मों में अलग-अलग होता है | जब इसका फल नरम हो जाए तब इसके फलों को तोड़ लेना चाहिए | इसके बाद गुणवत्ता के आधार पर फलों की छटाई करके बाजार में भेजने के लिए भेज देना चाहिए |

खुबानी की कीमत तथा पैदावार

खुबानी का पौधा विकसित होने के 50 से 60 वर्ष तक उपज देता है | उन्नत किस्म के आधार पर एक विकसित पेड़ लगभग 80 किलो से एक कुंतल का उत्पादन प्रतिवर्ष प्रदान करता है |

खुबानी की कीमत की बात की जाए तो बाजार में खुबानी 100 से 120 रुपए प्रति किलो विशेष हिसाब से यदि कोई किसान एक हेक्टर के खेत में खुबानी की खेती करता है तो उसे 20 लाख तक की कमाई हो सकती है |

सामान्यतः पूछे जाने वाले प्रश्न 

खुबानी की कीमत कितनी है ?

खुबानी की कीमत 100 से 120 रुपये किलो है |

खुबानी की कीमत 100 से 120 रुपये किलो है |

कुबानी का पेड़ 50 से 60 साल तक फल देता है |

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