मखाना की खेती कैसे की जाती है? | Makhana ki Kheti in India

भारत में Makhana ki Kheti एक पारंपरिक और लाभदायक व्यवसाय बनती जा रही है। खासकर बिहार, असम, बंगाल और पूर्वी उत्तर प्रदेश में इसकी खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। मखाना, जिसे फॉक्स नट्स (Fox Nuts) या लोटस सीड्स भी कहा जाता है, सेहत के लिहाज से भी बेहद फायदेमंद है और आजकल हेल्थ-फूड के रूप में इसकी मांग तेजी से बढ़ रही है। इस ब्लॉग में हम जानेंगे कि मखाना की खेती कैसे की जाती है, इसके लिए किन चीजों की जरूरत होती है, और इससे किस प्रकार अच्छी आमदनी हो सकती है।

मखाना क्या है?

मखाना एक प्रकार का जलीय पौधा है, जिसे वैज्ञानिक भाषा में Euryale ferox कहा जाता है। इसके बीजों को सुखाकर भुना जाता है और यहीं से हमें बाजार में मिलने वाले सफेद रंग के कुरकुरे मखाने प्राप्त होते हैं। यह प्रोटीन, कैल्शियम और एंटीऑक्सिडेंट्स से भरपूर होता है।

मखाना की खेती का इतिहास क्या है?

मखाना का वैज्ञानिक यूरेल फेरोक्स है। मखाना की खेती मुख्यतः जलाशयों, तालाबों, तथा जल से भरे स्थानों पर उगाई जाती है। मखाना की खेती का उल्लेख आयुर्वेद तथा चरक सहिंता में मिलता है। मखाना को आयुर्वेद में वीर्यवर्धक, बलवर्धक, के रूप में बताया गया है। 2002 में मखाना पर रिसर्च बढ़ाई गई दरभंगा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी द्वारा और इसके बाद 2008 मखाना के उत्पादन में २क्स की बढ़ोत्तरी देखी गई।

  • GI टैग के लिए प्रक्रिया 2022 में शुरू हुई है। मखाना को बिहार का सुपर फ़ूड कहाँ जाता है।
  • मखाना को वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट योजना में २०२३ में शामिल किया गया।

Makhana ki Kheti

मखाना की खेती कहां की जाती है?

भारत में मुख्य रूप से बिहार राज्य के मिथिलांचल क्षेत्र (दरभंगा, मधुबनी, सुपौल आदि) में मखाना की खेती सबसे अधिक होती है। इसके अलावा असम, बंगाल और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में भी इसकी खेती होती है।

Makhana ki Kheti  के लिए आवश्यक जलवायु और मिट्टी

  • जलवायु: मखाना की खेती के लिए नम और उष्णकटिबंधीय जलवायु अनुकूल होती है।
  • मिट्टी: दोमट या चिकनी मिट्टी वाली जमीन, जिसमें पानी रुकता हो, इस खेती के लिए उपयुक्त मानी जाती है।
  • पानी: यह जलीय फसल है, इसलिए इसके लिए तालाब या जलाशय की आवश्यकता होती है। पानी की गहराई लगभग 1 से 1.5 मीटर होनी चाहिए।

मखाना की खेती कैसे की जाती है?

  1. तालाब या खेत का चयन
  • सबसे पहले ऐसे खेत या तालाब का चयन करें जिसमें पानी अधिक समय तक रह सके।
  • खेत को समतल और साफ किया जाता है ताकि पौधों को बढ़ने में कोई रुकावट न हो।
  1. बीज की बुवाई (Seed Sowing)
  • मखाने के बीजों को पहले अंकुरित किया जाता है।
  • फरवरी-मार्च के महीनों में बीजों को तालाब या खेत में बोया जाता है।
  • बीजों को लगभग 10 से 15 सेंटीमीटर की दूरी पर रोपित किया जाता है।
  1. पौधों की देखभाल
  • मखाना की खेती में खरपतवार नियंत्रण जरूरी होता है।
  • तालाब में जलीय खरपतवारों को समय-समय पर साफ करना चाहिए।
  • आवश्यकता अनुसार जैविक खाद जैसे गोबर की खाद या वर्मी कंपोस्ट डाली जाती है।
  1. फूल और बीज का विकास
  • जून-जुलाई में मखाना के फूल आना शुरू हो जाते हैं।
  • इसके बाद बीज बनते हैं जो पानी में नीचे चले जाते हैं।
  1. मखाना का संग्रहण (Harvesting)
  • बीज पकने के बाद पानी के नीचे चले जाते हैं।
  • इन्हें पानी में गोता लगाकर निकाला जाता है जिसे पकिंग” कहा जाता है।
  • फिर बीजों को सुखाया जाता है और बाद में भूनकर तैयार किया जाता है।

मखाना की प्रोसेसिंग कैसे होती है?

  1. बीजों को सुखाना – पकिंग के बाद बीजों को 2-3 दिन तक धूप में सुखाया जाता है।
  2. भूनना – सूखे बीजों को बालू के साथ गरम किया जाता है।
  3. फोड़ना – भुने हुए बीजों को लकड़ी के हथौड़े से फोड़ा जाता है जिससे अंदर का सफेद मखाना बाहर निकलता है।
  4. छँटाई और पैकिंग – अच्छे मखानों को छाँटकर पैक किया जाता है और बाजार में भेजा जाता है।

Makhana ki Kheti  से कमाई कितनी होती है?

  • एक एकड़ तालाब या खेत से 10 से 15 क्विंटल तक मखाना प्राप्त किया जा सकता है।
  • बाजार में मखाने की कीमत ₹400 से ₹800 प्रति किलो तक जाती है (गुणवत्ता के अनुसार)।
  • इस हिसाब से एक सीजन में किसान ₹4 से ₹8 लाख तक की आमदनी कर सकता है।

मखाना की खेती के फायदे

  • पानी वाले क्षेत्रों के लिए उत्तम फसल
  • बाजार में बढ़ती मांग
  • स्वास्थ्य के लिए लाभकारी
  • कम लागत में अधिक मुनाफा
  • जैविक तरीके से भी की जा सकती है

मखाना की खेती में चुनौतियाँ

  • बहुत मेहनत और श्रम-प्रधान प्रक्रिया
  • प्रोसेसिंग के लिए अनुभव की जरूरत
  • जल स्रोत की उपलब्धता जरूरी
  • शुरुआत में सही मार्गदर्शन का अभाव

सरकार द्वारा सहायता

भारत सरकार और राज्य सरकारें मखाना किसानों को प्रशिक्षण, सब्सिडी और बीज वितरण जैसी सुविधाएं देती हैं।
Bihar Agriculture Department, ICAR, और NRCM (National Research Centre for Makhana) जैसे संस्थान मखाना की उन्नत खेती के लिए प्रशिक्षण और सहयोग प्रदान करते हैं।

मखाना की खेती भारत के किन क्षेत्रों में की जाती है?

मखाना की खेती भारत के जिन क्षेत्रों में की जाती है उनकी सूची नीचे दी गई है :-

  • बिहार के मिथिलांचल में
  • मधेपुरा
  • दरभंगा
  • सहरसा
  • सुपौल
  • मणिपुर
  • असम
  • पश्चिमबंगाल
  • उत्तर प्रदेश
  • छत्तीसगढ़
निष्कर्ष (Conclusion)

Makhana ki Kheti  भारत के जलयुक्त क्षेत्रों के लिए एक बेहतरीन विकल्प है। यदि इसे वैज्ञानिक तरीके से किया जाए तो यह खेती किसानों के लिए बेहद लाभदायक साबित हो सकती है। बढ़ती मांग और हेल्दी फूड के रूप में मखाना की पहचान ने इसकी संभावनाएं और बढ़ा दी हैं। अगर आप किसान हैं या खेती में कुछ नया करना चाहते हैं, तो मखाना की खेती आपके लिए एक शानदार अवसर हो सकता है।

सामान्यतःपूछे जाने वाले प्रश्न
मखाना की खेती कौन-कौन से राज्य में होती है?

बिहार, पश्चिम बंगाल, असम, उत्तर प्रदेश।

मखाना की खेती के लिए कितना खर्च आता है?

एक एकड़ में लगभग ₹40,000 से ₹70,000 तक का खर्च आता है।

क्या मखाना की खेती घर पर या छोटी जगह पर की जा सकती है?

छोटी मात्रा में टैंक या तालाब बनाकर की जा सकती है, लेकिन व्यवसायिक पैमाने पर जगह और पानी की आवश्यकता होती है।

मखाना को बाजार में कैसे बेचें?

आप स्थानीय बाजार, ऑनलाइन प्लेटफार्म या सीधे प्रोसेसिंग यूनिट को बेच सकते हैं।

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