सेम की खेती (Sem ki kheti) कैसे करें।

हेलो दोस्तों स्वागत है आपका upagriculture के नई पोस्ट सेम की खेती (Sem ki kheti) में आज के इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको सेम की खेती (Sem ki kheti) के बारे में बताएंगे यदि आप भी सेम की खेती (Sem ki kheti) करना चाहते हैं तो इस ब्लॉक को अंत तक अवश्य पढ़े

सेम की खेती (Sem ki kheti)

भारत में सब्जियों के उत्पादन में दूसरे स्थान पर है भारत के किसान आधे से ज्यादा सब्जियों की खेती करना पसंद करते हैं। भारत ही एक ऐसा देश है जहां हर किस्म की सब्जियां सब्जियों का उत्पादन किया जाता है। इसकी खेती लोग नगदी फसल के रूप में भी करते हैं, सब्जियों के अच्छी फसल से किसानों को काफी आमदनी प्राप्त होता है। सेम की खेती (Sem ki kheti) करके आप हर रोज के लगभग 2 से 3 हजार रुपये आसानी से कमा सकते हैं आप सभी जानते ही होंगे कि भारत में हर प्रकार की सब्जी उगाई जाती है लेकिन सेम की खेती (Sem ki kheti) इसमें सबसे मुख्य होती है

सेम एक ऐसी फसल है जिससे आप कम लागत से ज्यादा फायदा कमा सकते हैं। बहुत से किसान इसकी खेती करके काफी ज्यादा मुनाफा कमा रहे हैं, सेम की खेती (Sem ki kheti) करने में किसानों को लगभग 3 से 4 महीने का समय लगता है। यदि आप सेम की खेती (Sem ki kheti) के बारे में विस्तार से जानना चाहते हैं तो इस पोस्ट को अंत तक अवश्य करें आज के इस पोस्ट में हम आपको सेम की खेती (Sem ki kheti) कैसे की जाती है इसमें लगने वाले रोग और उनके रोकथाम के बारे में विस्तार पूर्वक बताएंगे।

सेम के पौधा उगाने का तरीका

प्रत्येक सब्जी की तरह हम सेम को भी उन्हें सब्जियों में शामिल कर सकते हैं, भारत में फसल के रूप में की जाती है इसका पौधा लता के रूप में होता है, जब उनके पौधे में फलिया लगती है तो हम उसे सेम का पौधा कहते हैं इसका प्रयोग सब्जी बनाने के रूप में करते हैं, गांव के लोग इनकी पत्तियों को पशुओं को खिलते हैं इसकी खेती भारत के सभी राज्य में की जाती है। सेम की कई प्रजाति होती है।

Sem ki kheti

जिसकी वजह से इसका आकार में लंबी, चिपकी तो कुछ टेढ़ी कुछ सफेद, कुछ हरी, कुछ पीली रंग के होते हैं अगर से की फसल में रोग का प्रकोप होता है तो आप केमिकल का प्रयोग करके आप लोगों का आसानी से नष्ट कर सकते हैं हमारे भारत के लोग सब को दवाई के रूप में भी उपयोग करते हैं आयुर्वेद में सब का वर्णन है

जहां पर यह बताया गया है कि शीतल, भारी, बलकारी, वातकारक, दाहजनक, दीपन तथा पित्त और कफ का नाश करने वाली दवाई को मानी जाती है। सेम के बीज का उपयोग हम दाल बनाकर करते हैं सेम में बहुत सारे पौष्टिक तत्व होते हैं, इन्हीं पौष्टिक तत्व के कारण इसकी सब्जी काफी अच्छी होती है। भारत में सबसे ज्यादा सेम की खेती (Sem ki kheti) उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और तमिलनाडु में की जाती है।

सेम की खेती (Sem ki kheti) के लिए आवश्यक जलवायु तथा मिट्टी

सेम की खेती (Sem ki kheti) दोमट और बलुई रेतीली मिट्टी में करें तो इससे उनकी फसल काफी अच्छी होगी सेम की खेती (Sem ki kheti) के लिए उसके भूमि का पीएच 5 से 6 के बीच होना चाहिए सेम के पौधे के लिए सबसे अच्छा जलवायु संशीतोषण को माना जाता है। सेम के पौधे ज्यादा ठंड के मौसम में ही विकसित होते हैं। यदि आप से की खेती ठंडी के मौसम में करते हैं

तो आप इससे अच्छा पैदावार कर सकते हैं कि इसकी खेती के लिए 15 से 20 डिग्री तापमान काफी अच्छा होता है अगर इस तापमान में आप सेम की खेती (Sem ki kheti) करते हैं तो बीज अच्छे से अंकुरित हो जाते हैं, तथा सेम की खेती (Sem ki kheti) को सबसे ज्यादा खतरा पाला से होता है।

सेम की खेती (Sem ki kheti) के लिए बीज की मात्रा

सेम की खेती (Sem ki kheti) बीज के रूप में की जाती है यदि इसकी बुवाई करने जा रहे हैं तो आपको एक हेक्टेयर के खेत में लगभग 10 से 15 किलो बीच की आवश्यकता होगी इसकी रोपाई हाथ या ड्रिल दोनों माध्यम से की जा सकती है सेम के बीजों की रक्षा के लिए आप रासायनिक केमिकल का भी उपयोग कर सकते हैं।

सेम की खेती (Sem ki kheti) के लिए खेत

किसी भी फसल की बुवाई के लिए सबसे पहले आपको उसके खेत को तैयार करने की आवश्यकता होती है, इसके लिए आपको खेत में मौजूद पुरानी फसलों के अवशेषों को आसानी से खत्म कर सकते हैं। इस अवशेषों को खत्म करने के पश्चात मिट्टी पलटने वाले हाल से जुताई करने की आवश्यकता होती है, इसके बाद किसान इसमें गोबर करें खाद का प्रयोग करते हैं गोबर का खाद खेतों में डालने के पश्चात एक बार और जुताई करनी चाहिए

इससे गोबर की खाद मिट्टी में अच्छे से मिल जाती है उसके पश्चात कुछ दिन तक खेत को खुला छोड़कर पानी लगाकर पलेव कर देना चाहिए। पलेव करने के कुछ समय पश्चात रोटावेटर की सहायता से गहरी जुताई करनी चाहिए जिससे जमीन समतल हो जाती है और इसके लिए आपको पता का उपयोग कर सकते हैं ऐसा करने से आपकी फसल में जल भराव की समस्या उत्पन्न नहीं होगी।

बुवाई के लिए क्यारियां एवं बुआई का समय

सेम की बुवाई के लिए आपको 1.5 मीटर चौड़ी क्यारियां बनानी चाहिए। इसकी बुआई क्यारी के दोनों और लगभग 1.5 से 2 फीट की दूरी पर 2 से 3 सेंटीमीटर की गहराई में दो से तीन बीजों की बुवाई की जाती है। आप इन बीजों की बुवाई के अनुसार बॉस की बल्लियों को गाड़कर एक जालनुमा संरचना भी तैयार कर सकते हैं। ऐसा करने से आप पौधों को जमीन से ऊपर रख सकते हैं।

कृष एक्सपर्ट का यह मानना है कि ऐसे करने से रोग एवं कीट का खतरा भी कम हो जाता है और पौधों का विकास तेजी के साथ होता है और बरसात होने पर सेम के पौधे सड़ते भी नहीं है। सेम की बुवाई जलवायु मौसम के हिसाब से अलग-अलग समय पर की जाती है इसकी खेती उत्तर पूर्वी राज्यों में अक्टूबर से नवंबर महीने में की जाती है कहीं-कहीं पर इसकी खेती सितंबर माह के मध्य तक भी लोग करते हैं, इसके अलावा पहाड़ पर रहने वाले लोग इसकी बुआई जून में जुलाई के माह में करते हैं।

सेम की फसल की सिंचाई

सेम की खेती (Sem ki kheti) के लिए आपको ज्यादा सिंचाई करने की आवश्यकता नहीं होती। कृष एक्सपर्ट का यह कहना है कि सिंचाई मृदा के प्रकारों व मृदा के जलधारा के अनुसार ही किया जाता है। अगर आप सेम की खेती (Sem ki kheti) दोमट मिट्टी में करते हैं तो आपको कम सिंचाई करने की आवश्यकता होती है। इसके अलावा इसकी फसल को बलुई और चिकनी मिट्टी में ज्यादा सिंचाई की आवश्यकता होती है।

सेम की फसल की तुड़ाई का समय

सेम की तुड़ाई फसल की बुवाई तथा फसल की किस्म को ध्यान में रखकर करना चाहिए कृष एक्सपर्ट का कहना है कि इसकी पैदावार तीन से पांच महीने में हो जाती है। लेकिन इन तीन से चार महीना के बाद आपके फसल की प्रतिदिन कर सकते हैं सेम की फलियों की तुड़ाई को पूर्ण विकसित व कोमल अवस्था में करनी चाहिए उनकी फसल की तुड़ाई में आप देर से करते हैं तो यह कठोर हो जाते हैं।

Sem ki kheti

जिसकी वजह से इनमें रेशे आ जाते हैं अगर इसमें रेशे दिखाई पड़े तो इसकी तुड़ाई जल्दी ही करवा लेनी चाहिए नहीं तो इसकी फसल को काफी नुकसान हो सकता है और पैदावार भी काम हो जाता है। कम पैदावार होने से आपको इसका लाभ नहीं मिल पाता है।

सेम की खेती पर खर्च पैदावार एवं लाभ

यदि हम सेम की खेती (Sem ki kheti) पर होने वाले खर्च की बात करें तो 1 हेक्टेयर जमीन में लगभग 20 से 25000 खर्च आ सकता है इसमें खेती तैयार करने बुवाई, सिंचाई एवं खाद का खर्च भी जुड़ा हुआ है। इसके बुवाई के 90 दिन बाद इसकी उपज मिलना शुरू हो जाता है। इससे एक हेक्टेयर में 100 से 150 कुंटल का उत्पादन होता है बाजार में से की अच्छी कीमत भी मिल जाती है कृषक एक बार में सेम की बुवाई करके लगभग 2 से 3 लख रुपए तक की कमाई आसानी से कर सकता है।

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आशा करते हैं आपको यह ब्लॉक सेम की खेती (Sem ki kheti) कैसे करे पसंद आया होगा यदि आप किसी अन्य खेती के बारे में जानना चाहते हैं तो कमेंट में अवश्य बताएं हम आपको अन्य खेती के बारे में जानकारी उपलब्ध कराने की कोशिश करेंगे और अपने साथियों के साथ इस पोस्ट को अवश्य शेयर करें।

सामान्यतः पूछे जाने वाले प्रश्न

सेम का बीज कितने दिन में उत्पन्न होता है?

सेम के बीज को अंकुरित होने में लगभग 10 से 12 दिन का समय लगता है।

सेम का बाजरी भाव क्या है?

सेम का बाजरी भाव ₹6000 क्विंटल है ।

सेम की सबसे अच्छी किस्म कौन सी होती है?

सेम की सबसे अच्छी किस्म की बात करें तो पूसा सेम-2 सबसे अच्छी होती है।

1 एकड़ में कितने किलो सेब का उत्पादन हो सकता है?

1 एकड़ में लगभग 9 से 10 कुंतल सेम का उत्पादन किया जा सकता है।

सेम की फसल कब लगानी चाहिए?

सेम की फसल लगाने का उच्चतम समय जून तथा जुलाई का प्रथम सप्ताह उपयुक्त माना जाता है।

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