सिंघाड़ा की खेती (Singhara Ki Kheti) कैसे करें।

हेलो दोस्तों स्वागत है आपका हमारे आज के नए टॉपिक सिंघाड़ा की खेती (Singhara Ki Kheti) में तो चलिए आपको बताते हैं सिंघाड़े की खेती (Singhara Ki Kheti) कैसे की जाती है और इसके लिए आवश्यक जलवायु सिंघाड़ा खाने के फायदे उनकी उन्नत किस्म पौधों की तैयारी रोपण का समय उर्वरक प्रबंधन को की रोकथाम के लिए उपाय एवं इसकी खेती से लाभ आज के बारे में हम इस पोस्ट में आपको विस्तार पूर्वक बताएंगे।

सिंघाड़ा की खेती (Singhara Ki Kheti) की जानकारी

सिंघाड़ा की खेती (Singhara Ki Kheti) कच्चे फल के रूप में करी जाती है भारत में सिंघाड़ा को जाली फसलों में विशेष स्थान दिया गया है इस जाल अखरोट भी कहते हैं इस विशेष कर उसमें कटबंदी और उपोष कताबांडीय क्षेत्र में पानी में गए जा सकता है झीलों का तालाब और जिस जगह पर 3 फीट तक पानी भरा हो वहां इसकी फसल आसानी से उगाई जा सकती है पोषक तत्व से भरपूर और चार जल में इसकी खेती की जा सकती है सिंघाड़ा फल पोजीसन से भरपूर होता है तथा इसके आर्टिस्ट का लोग व्रत में उपयोग करते हैं

देश के कई राज्यों में जैसे उड़ीसा बिहार झारखंड मध्य प्रदेश पश्चिम बंगाल राज्यों में सरकार इसके उत्पादन के लिए नर्सरी और सब्सिडी भी देती है जिसके कारण परंपरागत तौर पर खेती करने वाले कृषक भी सिंघाड़े की खेती की ओर आकर्षित हो रहे हैं सीखने की खेती एक ऐसी फसल है जो कम समय में अधिक मुनाफा किसानों को देती है इसकी खेती मछुआर जो कहारों के अलावा सामान्य किसान भी कर रहे हैं

लेकिन सिंघाड़ा की खेती (Singhara Ki Kheti) कैसे की जाती है इसकी जानकारी हर किसी को नहीं होती है यदि आप भी सिंघाड़ा की खेती (Singhara Ki Kheti) करना चाहते हैं और आपको इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है तो इस ब्लॉक को अंत तक अवश्य पढ़ें क्योंकि इसमें हम आपको सिंघाड़ा की खेती (Singhara Ki Kheti) से संबंधित सारी जानकारी प्रदान करेंगे।

सिंघाड़े की खेती (Singhara Ki Kheti) के लिए जलवायु

Singhara Ki Kheti

सिंघाड़े की खेती (Singhara Ki Kheti) के लिए उष्णकटिबंधीय जलवायु अच्छी होती है जिसे बिहार पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश राज्य में उगाया जाता है क्योंकि सिंघाड़ा जेल पौधा है इसलिए इसकी खेत की मिट्टी की भी आवश्यकता नहीं होती है जहां की मिट्टी भोजपुरी होती है वहां सिंघाड़े की पैदावार अच्छी होती है इसके अलावा मिट्टी में हिम्मत की मात्रा भी अधिक होती है सिंघाड़े की फसल सारी पीएच मान वाले जल में अधिक उपज देती है

सिंघाड़ा के उपयोग के फायदे

  • इसका उपयोग अस्थमा के मरीज के लिए काफी अच्छा होता है।
  • इसके उपयोग से बवासीर की समस्या भी दूर होती है
  • यदि आपके शरीर के किसी हिस्से में दर्द या सूजन हो तो उसे स्थान पर सिंघाड़े का लेप का इस्तेमाल करने से आपको फायदा होता है।
  • इसके उपयोग से फटी एड़ीया भी ठीक हो जाती है।
  • सिंघाड़े में काफी अधिक मात्रा में कैल्शियम होता है जिसकी वजह से इसका प्रयोग करने से हमारी बातें और हड्डियां मजबूत होती है तथा इसके उपयोग से हमारी आंखें को भी काफी फायदा होता है।
  • सिंघाड़े का प्रयोग करने से पीरियड की समस्याओं को भी यह दूर करता है।

सिंघाड़े की किस्में

Singhara Ki Kheti

लाल छिलका सिंघाड़ा इसमें आपको brwc1 और brwc2 बजाज देखने को मिलता है किस किसको काफी कमी दिखाई जाता है क्योंकि इसका फल कुछ समय पश्चात ही कम होने लगता है जिस वजह से बाजार में इसका भाव अच्छे से नहीं मिल पाता है

हरे छिलके सिंघाड़े

इस किस्म के सिंघाड़े को व्यापारिक तौर पर उगाया जाता है इसमें brwc3 सबसे अच्छी बजाज मानी जाती है हर एक छिलका सिंघाड़ा काफी समय तक ताजा रहता है तथा इसका बाजरी भाव भी काफी अच्छा होता है इसके अलावा भी अन्य कुछ किस्म है जिसमें लाल गठवा हरिया कछुआ लाल चिकनी गुलरी और कटीला आदि शामिल है

यह किसने 120 130 दिन में तोड़ने के लिए तैयार हो जाते हैं और गला हरिया गैपचा और करिया हरिद्रा यह किसने काफी टाइम में उपज देती है इन्हें लगभग 150 से 160 दिन में तोड़ा जाता है सिंघाड़े की फसल में बिना कांटे वाले किस्म को कांटे वाले किस्म से ज्यादा उगाया जाता है क्योंकि बिना कांटे वाली फासले अधिक उत्पादन देती है तथा इनका आकार भी अन्य किस्म से बड़ा होता है जिससे इसकी तुड़ाई आसानी से की जाती है

सिंघाड़े के पौधों की तैयारी

सिंघाड़े की फसल की नर्सरी तैयार करने के लिए जनवरी और फरवरी का म अच्छा होता है यदि आप पौधे का बीज के माध्यम से तैयार करते हैं तो बीजों को जनवरी से फरवरी माह के मध्य लगा देना चाहिए जब पौधा रुपए के लिए तैयार हो जाए तो इसमें से एक एक लंबी मी टेल की तोड़कर उसे में से जून माह के मत तलाई तालाब में लगा देना चाहिए कर परेशान है तो आप इसके वीडियो को अपने राज्य के उद्यान विभाग में जाकर ले सकते हैं

इसके अलावा अगर आप सिंघाड़े की पहले से ही खेती कर रहे हैं तो अगली फसल की रोपाई के लिए दूसरी की लड़ाई से प्राप्त स्वस्थ फलों को बी के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं इसके लिए आप एक बार का अवश्य ध्यान रखें कि फल को जनवरी के महीने तक भिगोकर रखें तथा अंकुरित से पूर्व सरकारी के पहले सप्ताह में अधिक तालाब में डाल देना चाहिए इसके बाद जब मार्च के फलों से बिल निकालना शुरू हो जाए तो जून से जुलाई के महीने में बैलों की रोपाई कर देनी चाहिए

सिंघाड़े की रोपाई का सही समय

सिंघाड़े की फसल पानी में की जा सकती है, उनकी फसल की रोपाई बरसात के महीने में की जाती है , बरसात के महीने में वर्षा के साथ सिंघाड़े का रोपण को शुरू कर देना चाहिए जून जुलाई का महीना सिंघाड़े की रुपए के लिए अच्छा होता है सिंघाड़े की भेजो को आमतौर पर छोटे तालाबों में लगाए जाते हैं इसके अलावा आप खेतों में गड्ढे बनाकर उसमें पानी भरकर भी सिंघाड़े को बीजों को लगा सकते हैं।

सिंघाड़े की सिंचाई एवं उर्वरक

सिंघाड़े की खेती (Singhara Ki Kheti) अधिक पानी वाले स्थान पर की जाती है जिस वजह से उसे बहुत ही काम खाद की आवश्यकता होती है इसमें आपको अलग-अलग खाद देने की आवश्यकता होती है आवश्यकता होती है तथा पौधों के रुपए से पहले 8 से 10 तन पुराने गोबर की खाद को प्रति हेक्टेयर के हिसाब से प्रयोग करना चाहिए इसके अलावा प्रति हेक्टेयर में लगभग 60 kg फास्फोरस तथा 40 kg नाइट्रोजन और 40 kg पोटाश का प्रयोग करना चाहिए इस खाद का इस्तेमाल रुपए से पहले एक तिहाई मात्रा में करना चाहिए और बची हुई नाइट्रोजन की मात्रा को एक माह के पश्चात प्रयोग करना चाहिए

सिंघाड़े की फसल के रोगों की रोकथाम

Singhara Ki Kheti

सिंघाड़े की खेती (Singhara Ki Kheti) में ज्यादातर मनहू सिंघाड़ा मृग खून नीला फिर और लाल खजुरा नमक गीत ज्यादातर दिखते हैं जो फसल को 25 से 40% तक खराब कर लेते हैं इसके अतिरिक्त लोहिया और दहिया रोग भी खतरनाक होता है इसके बचाव के लिए समय-समय पर आपको कीटनाशक का प्रयोग करते रहना चाहिए।

सिंघाड़े की खेती (Singhara Ki Kheti) से लाभ

सिंघाड़े की फसल तीन से चार महीने में तैयार हो जाती है जिसमें आपको एक हेक्टेयर के तालाब में लगभग 80 से 100 किलोमीटर के फलों की पैदावार मिलती है तथा 18 से 20 कुंतल सुखी गोटिया भी मिलती है और सिंघाड़े की खेती (Singhara Ki Kheti) में लगभग 50000 की लागत आती है तथा इस तरह से आप अगर खर्च निकाल दे तो लगभग आपको एक लाख रुपए का मुनाफा मिल जाएगा

आशा करते हैं आपको यह पोस्ट सिंघाड़े की खेती (Singhara Ki Kheti) पसंद आएगी इस पोस्ट को सर्च करें जो सिंघाड़े की खेती में रुचि रखते हैं।

सामान्यत पूछे जाने वाले प्रश्न

सिंघाड़े की खेती कब करनी चाहिए?

सिंघाड़े की खेती बरसात के मौसम में जून से जुलाई में करनी चाहिए।

सिंघाड़े का प्रयोग कब नहीं करना चाहिए?

सिंघाड़े का प्रयोग आपको पेट दर्द सूजन आंतों में तकलीफ कब सर्दी जुकाम होने पर नहीं करना चाहिए।

सिंघाड़ा कौन सी बीमारी में उपयोगी होता है?

सिंघाड़ा ब्लड प्रेशर के मरीजों के लिए काफी फायदेमंद होता है।

सिंघाड़े का दूसरा नाम क्या है?

सिंघाड़े को संस्कृत में श्रृंगार तक कहते हैं।

1 दिन में कितने सिंघाड़े का सेवन करना चाहिए?

1 दिन में एक व्यक्ति को लगभग 8 से 9 सिंघाड़े का प्रयोग करना चाहिए इससे रक्त संबंधी सभी समस्याएं ठीक हो जाती है।

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