स्ट्रॉबेरी की खेती कैसे करें की कमाए, करोड़ों का मुनाफा

भारत में खेती-बाड़ी हमारे किसान भाइयों की रीढ़ रही है। पहले के समय में किसान परंपरागत तरीके से फसलें उगाते थे और सामान्य आय पर संतोष करते थे। लेकिन अब वक्त बदल गया है, किसान नई सोच और बेहतर आमदनी की ओर बढ़ रहे हैं। इसी कड़ी में Strawberry ki Kheti जैसी फसल किसानों के लिए कम लागत और कम जगह में अच्छा मुनाफा कमाने का जरिया बन रही है।

अगर आपको खेती से जुड़ाव है और आप अपने खेत से कुछ नया करने की सोच रहे हैं, तो स्ट्रॉबेरी की खेती Strawberry ki kheti आपके लिए एक बेहतरीन अवसर हो सकता है। इस फसल से कम समय में अच्छा उत्पादन मिलता है और बाजार में इसकी मांग भी लगातार बढ़ रही है।

इस लेख में हम सरल भाषा में बताएंगे कि Strawberry Farming  कैसे की जाती है, इसके लिए कौन-सी जलवायु सबसे अनुकूल होती है और किस प्रकार की मिट्टी व बीज से आपको अधिक उपज मिल सकती है। ताकि आप भी इस स्वादिष्ट फल की खेती कर अच्छी कमाई कर सकें और खेती को एक नया रूप दे सकें।

स्ट्रॉबेरी की खेती का इतिहास

स्ट्रॉबेरी की खेती (Strawberry Farming ) का इतिहास बहुत पुराना है। स्ट्रॉबेरी सबसे लोकप्रिय और स्वादिस्ट फल है। स्ट्रॉबेरी का सबसे पहला उल्लेख रोमन सभ्यता से मिलता है जहाँ इसे दवा के रूप में उपयोग किया जाता था। प्राचीन काल में इसे त्वचा, ज्वार संबंधी रोगो के रूप में जाना जाता है।

20 वीं सदी में स्ट्रॉबेरी की खेती अमेरिका, यूरोप और एशिया जैसे कई देशों में फ़ैल चुका था। कलिफ़ोर्निया आज तक का सबसे बड़ा स्ट्रॉबेरी उत्पादक राज्य है। भारत में स्ट्रॉबेरी की खेती की शुरुवात ब्रिटिश शासन काल से शुरू हुआ था। भारत में इसकी वाणिज्यिक रूप से खेती 1990 से शुरू हुई।

Strawberry ki Kheti

स्ट्रॉबेरी खाने से क्या होता है ?

स्ट्रॉबेरी सिर्फ स्वाद में ही नहीं अपितु पौष्टिक रूप से भी बहुत अच्छी होती है। इसमें कई प्रकार के एन्टीऑक्ससिडेंट, विटामिन, मिनिरल्स इत्यादि पाए जाते है। इसके बारे में कुछ बिंदुओं के माध्यम से नीचे दर्शाया गया है :-

  • इम्युनिटी को बहुत मजबूत बनता है।
  • दिल के लिए फायदेमंद होता है।
  • जवान दिखने में मदद करता है।
  • डायबिटीज के लिए बहुत फायदेमंद होता है।
  • वजन घटने में सहायक होता है।
  • पाचन क्रिया को अच्छा करता है।
  • हड्डियों को मजबूत बनाते है।
  • कैंसर बचाव में सहायक होता है।
  • दिमाग को तेज बनता है।

स्ट्रॉबेरी में बीजों के प्रकार

स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए बीजों के प्रकार, उनके रंग और बीजों की संख्या को दर्शाया गया है जो की कुछ इस प्रकार है :-

बीज के नाम  बीज का रंग बीज की संख्या
कैमरोज हल्का-भूरा 250
सिलीवा पीला 300
विंटर डॉन पीला-भूरा 270
सागर हल्का भूरा 250

भारत में स्ट्राबेरी की खेती कहाँ- कहाँ होती है ?

भारत में स्ट्राबेरी की खेती निम्नलिखित राज्यों में की जाती है :-

  • महाराष्ट्र (महाबलेश्वर और पंचानी)
  • उत्तराखंड (नैनीताल, देहरादून, भीमताल, रानीखेत)
  • हिमांचल प्रदेश (शिमला, सोलन, कुल्लूमण्डी)
  • जम्मू कश्मीर (श्रीनगर, गुलमर्ग)
  • कर्नाटक (बंगलुरु के आसपास का क्षेत्र)
  • सिक्किम और मेघालय
  • उत्तर प्रदेश (मिर्जापुर, वाराणसी, लखनऊ)
  • राजस्थान (जयपुर, अलवर)
  • पंजाब (लुधिआना, अमृतसर)
  • हरियाणा (करनाल)

Strawberry ki kheti के लिए मिट्टी और भूमि का चुनाव

Strawberry ki kheti के लिए मिट्टी और भूमि का चुनाव करना सबसे महत्वपूर्ण कदम होता है। अच्छी मिट्टी और उपयुक्त भूमि के चुनाव से फसल की पैदावार बहुत अधिक बढ़ जाती है। स्ट्राबेरी की खेती के लिए दोमट और रेतीली मिट्टी में सबसे अधिक पैदावार होती है।

स्ट्राबेरी की खेती के भूमि का PH 5.5 से 6.5 होना चाहिए। मिट्टी का अधिक अम्लीय और अधिक क्षारीय होना मिट्टी को नुक्सान पंहुचा सकता है। भूमि थोड़ी ऊंचाई वाली  और समतल होनी चाहिए ताकि पानी का भराव अधिक ना हो।

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स्ट्राबेरी की खेती कैसे की जाती है – Strawberry ki Kheti Kaise Kare

स्ट्राबेरी की खेती के लिए आपको निम्नलिखित चरणों का अनुसरण करना होगा :-

  1. तापमान और जलवायु ?

स्ट्राबेरी की खेती के लिए ठंडी और समशीतोष्ण जलवायु चाहिए। इसके लिए 15 से 25 डिग्री सेल्सियस का तापमान होता है। इसके लिए बहुत अधिक गर्मी और बहुत अधिक ठंडी फसल को नुकसान पहुँचती है। कंट्रोलड फॉर्मिंग का उपयोग करके इसे गर्म मौसम में भी उगाया जा सकता है।

  1. पौधे लगाने का समय और तरीका ?

स्ट्राबेरी की खेती के लिए बीज रोपण का समय अक्टूबर से नवम्बर के बीच का होता है। ताकि तापमान के हिसाब से फसल का उत्पादन किया जा सके। इसमें 30 से 35 सेमी की दूरी पर पौधा लगाना होता है।

  1. खाद के प्रयोग ?

इसकी खेती में किसान को लगभग 30 टन खाद प्रति हेक्टेअर डालना होता है। और समय समय पर संतुलित रूप से नाइट्रोजन, फास्फोरस, और पोटाश को भी डालना होता है ताकि पौधे को ऊर्जा मिलती रहे और वो बढ़ता रहे।

  1. सिंचाई की प्रक्रिया ?

जब स्ट्राबेरी के पौधे की रोपाई की जाती है उसके बाद शुरुवात में सप्ताह में 3-4 बार सिंचाई करनी होती है।  और वही जब जब फल बनने लगे तो 4-5 दिन में एक बार सिंचाई करनी होती है। इसकी खेती के लिए ड्रिप इरिगेशन बहुत अच्छा विकल्प होता है जिसके माध्यम से पौधे को आवश्यकतानुसार नमी मिलती रहती है।

  1. फलों की कटाई ?

स्ट्राबेरी के पौधे की रोपाई के 3-4 महीने बाद फलों की कटाई का समय आ जाता है। फल पूरी तरीके से लाल होने के बाद ही कटाई की जाती है। ये बहुत नाजुक फल होते है इसीलिए इनकी तुड़ाई के समय इस बात का ख़ास ख्याल रखना होता है।

स्ट्राबेरी की खेती में लगने वाले रोग?

स्ट्राबेरी की खेती में लगने वाले रोगों का विवरण कुछ इस प्रकार है :-

  • पाउडरी मिल्ड्यू
  • ग्रे मोल्ड
  • एन्थ्रेक्नोज
  • रेड स्टील
  • लीफ स्पॉट
  • रुट रॉट
  • वायरल रोग

रोगों से बचाव

रोग से बचाव के लिए निम्नलिखित बिंदुओं का अनुसरण करना होगा :-

  1. हमेशा सही पौधे का चयन करें।
  2. प्लास्टिक मल्चिंग का उपयोग सही रहता है।
  3. सिंचाई पर नियंत्रित तरीके से ध्यान दें।
  4. फसल को हवा और धुप के प्रभाव में रखें।
  5. कीटों पर नियंत्रण रखें।

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स्ट्राबेरी की मार्केट

स्ट्राबेरी की मार्केट की बात की जाए तो आप इसको लोकल मंडी , होटल में, या ऑनलाइन भी बेच सकते है। लेकिन यदि मार्किट में इसके भाव की बात की जाए तो वो कुछ इस प्रकार हैं :-

गुणवत्ता औसत मूल्य
सामान्य 300 लगभग
उच्च गुणवत्ता 700 लगभग
निष्कर्ष :-

स्ट्राबेरी की खेती (Strawberry Farming) भारतीय किसानों में बहुत अधिक प्रचलित हो रही हैं। जिसके कारण से किसानों के मुनाफे में भी इजाफा हो रहा हैं और भारतीय अर्थव्यवस्था में भी। भारत के विभिन्न राज्यों में स्ट्राबेरी की खेती ड्रिप इरिगेशन, पॉलीहॉउस का उपयोग करके खेती को बढ़ावा दिया जा रहा हैं। ये फसल जल्दी तैयार हो जाते हैं इस कारण मार्किट में भी इनकी मांग बढ़ रही हैं।

यदि आप स्ट्राबेरी की खेती के लिए तापमान, मिट्टी, उच्च किस्म के बीज, सिंचाई, और रोगों के नियंत्रण पर विशेष ध्यान दिया जाए तो एक पैदावार में आप करोड़ों का मुनाफा कमा सकते हैं।

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