हेलो दोस्तों स्वागत है आपका upagriculture के नई पोस्ट सुरती की खेती (surti Ki Kheti) में आज के इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको सुरती की खेती (surti Ki Kheti) के बारे में बताएंगे यदि आप भी सुरती की खेती (surti Ki Kheti) करना चाहते हैं तो इस ब्लॉक को अंत तक अवश्य पढ़े |
सुरती की खेती (surti Ki Kheti) की जानकारी
Table of Contents
सुरती को नशीले पदार्थ के रूप में जाना जाता है इसकी खेती को कम खर्च तथा अधिक मुनाफे के लिए भी किया जाता है सुरती का सेवन स्वास्थ्य के लिए बहुत ही हानिकारक होता है इसे धीमा जहर भी कहा जाता है सुरती को सुखाकर हुआ एवं धुएं रहे नशे जैसी चीजों के सेवन में प्रयोग किया जाता है
सुरती का प्रयोग करके सिगरेट, बीड़ी, सिगार, पान मसाले आदि जैसी बहुत सी चीज बनाई जाती है इन सब चीजों का वर्तमान में बहुत ही प्रयोग किया जा रहा है यदि आप भी सुरती की खेती से कमाई करना चाहते हैं तो यहां पर आपको सुरती की खेती कैसे होती है तंबाकू की कीमत आदि के बारे में संपूर्ण जानकारी दी जाएगी।
सुरती की खेती कैसे करें
सुरती की खेती अधिक बचत एवं कम खर्च वाली खेती है इसकी फसल आप आसानी से उगा सकते हैं तथा इसे आसानी से बेच भी सकते हैं देश के लगभग सभी जगह पर इसकी खेती होती है यदि आप भी सुरती की खेती करके अच्छी कमाई करना चाहते हैं तो आपके यहां पर सुरती की खेती कैसे करें इसके बारे में बताया जा रहा हैं
सुरती की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी जलवायु एवं तापमान
इसकी खेती करने हेतु हल्की भुरभुरी एवं लाल दोमट मिट्टी की जरूरत होती है इसकी खेती के लिए आपका खेत ऐसा होना चाहिए जिसमें जल खराब की समस्या उत्पन्न ही ना हो जल भराव होने के कारण अक्सर पौधे खराब हो जाते हैं जिससे पैदावार भी काफी प्रभावित होती है सुरती की खेती में भूमि का पीएच मान 6 से 8 के बीच होना चाहिए।
सुरती की खेती में ठंडी एवं शुष्क जलवायु को अच्छा माना जाता है इसमें अधिकतम 1000 सेंटीमीटर की बारिश की मात्रा की आवश्यकता होती है इसके पौधों को अच्छे से विकसित होने के लिए ठंडी जलवायु की जरूरत होती है जबकि पौधों के पकने के समय अधिक धूप की आवश्यकता होती है इसकी खेती को समुद्र तल से लगभग 1800 मीटर की ऊंचाई पर करना अच्छा होता है।
सुरती के पौधों को ठीक से अंकुरित होने में 15 डिग्री तापमान की जरूरत होती है पौधों के विकास के समय 30 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है जब पौधे की पत्तियां पकाने लगती है तो उसे समय इन्हें अधिक ताप की एवं अधिक धूप की जरूरत होती है।
इसे भी पढ़े-किसान कर्ज माफी योजना के आवेदन हुए शुरू
तम्बाकू की किस्में
अन्य फसलों की तरह ही तंबाकू में भी बहुत सारी फसल पाई जाती है मुख्य रूप से इन्हें दो प्रजातियों में विभाजित किया गया है इनमें सिगरेट सिगार और हुक्का, तंबाकू बनाने के लिए निकोटिन की मात्रा के आधार पर तैयार किया जाता है।
सुरती की खेती के लिए खेत को कैसे तैयार करें
एक अपनी स्थिति के पौधे को लगाने से पूर्व खेत के अच्छे से जुताई करना चाहिए इससे कुछ दिन बाद उसे ऐसे ही छोड़ देना चाहिए उसके बाद खेत में उर्वरक की मात्रा को डालकर अच्छे से जुताई करनी चाहिए खेत में पानी लगा देना चाहिए फिर कुछ दिन पश्चात खेत की ऊपरी परत सुख जाए एवं खेत में नमी बनी रहे तब उसमें पाटा लगाकर एक बार फिर से अच्छे से जुताई कर लेनी चाहिए।
सुरती का पौधा कैसे तैयार करें
सुरती की खेती के लिए बीजों को सीधे न लगाकर इसके लिए पहले पौधों की नर्सरी तैयार करते हैं फिर उसके बाद इसे खेतों में लगाया जाता है खेत में पौधे को लगाने से पूर्व नर्सरी में एक से डेढ़ महीने पहले ही तैयार कर लेना चाहिए पौधों के तैयार हो जाने के पश्चात इसे खेतों में लगा दिया जाता है उसके पौधों को तैयार करने हेतु आरंभ में कार्यों को 5 मीटर की दो गुना तैयार कर लेनी चाहिए
क्यारी तैयार करने के लिए उसमें गोबर की खाद को डालकर उसे अच्छे से मिला लेना चाहिए इसके पश्चात सुरती के बीजों को अच्छे से मिट्टी में मिला दें इसके पश्चात उसमें हजारे की सहायता से पानी देना होता है उसके बाद क्यारी में बीजों के पुलाव की मदद से अच्छे से ढक देना चाहिए बीजों के अंकुरित होने के पश्चात पुलाव को हटा देना चाहिए पौधे के नर्सरी के तैयार होने में लगभग एक से डेढ़ महीने पहले अगस्त से सितंबर माह में तैयार कर लेना चाहिए
सुरती के पौधे की रोपाई का सही समय एवं तरीका
इसमें पौधों के उपाय को उनकी किस्म के आधार पर ही किया जाता है दिसंबर के शुरुआती महीने में सुनने वाली किस्म को लगाना चाहिए तथा सिगरेट और शिकार वाली किस्म को अक्टूबर से दिसंबर के मध्य लगाना चाहिए इसके पौधे को क्षमता एवं दोनों जगह पर आसानी से लगाया जा सकता है समतल जगह पर पौधों की रुके करते समय हर पौधे के बीच की दूरी लगभग दो से ढाई फीट की होनी चाहिए तथा क्यारी से क्यारी के बीच में दो फीट की दूरी होना आवश्यक होता है

मेड पर इसके पौधों की रोपाई करते समय आपको यह ध्यान रखना चाहिए कि पौधे के बीच में दो से ढाई फीट की दूरी आवश्यक है तथा प्रत्येक में एक मीटर का गैप जरूर होना चाहिए पौधे की रोपाई में दो ही तरीके से पौधों के जड़ों को तीन से चार सेंटीमीटर की गहराई में लगाना चाहिए पौधों को शाम के समय लगने से पौधे अधिक मात्रा में अंकुरित हो जाते हैं
तंबाकू पौधों की सिंचाई एवं उर्वरक की मात्रा
सुरती के फोटो को खेत में लगाने के पश्चात उनकी पहली सिंचाई तुरंत करनी होती है इसके बाद 15 दिन के गायब करके सिंचाई करते रहना चाहिए इस तरह से आपके पौधे अच्छे से विधि कर पाएंगे पौधे की कटाई से 15 से 20 दिन पूर्व इसकी सिंचाई बंद कर देनी चाहिए इसके पौधे में सामान्य मात्रा में उर्वरक की आवश्यकता होती है
एवोकाडो की खेती से 10 से 12 लाख की कमाई,
खेत की पहली जुताई के पश्चात लगभग 10 गाड़ी पुराने गोबर की खाद को प्रति एकड़ के हिसाब से डालना चाहिए और इस मिट्टी में मिला देना चाहिए इसके अलावा यदि आप रासायनिक खाद का प्रयोग करते हैं तो नाइट्रोजन 80 किलो फास्फोरस 150 किलो पोटाश 45 किलो और कैल्सियम लगभग 86 किलो प्रति हेक्टेयर के हिसाब से खेत में आखिरी जुताई के पश्चात डालना चाहिए।
सुरती के खरपतवार नियंत्रण एवं देखभाल
सुरती के पौधे में खरपतवार नियंत्रण की जरूरत होती है इसके लिए पौधों की रोपाई के पश्चात खरपतवार दिखाने से बात इसकी पहली गुड़ाई 20 से 25 दिन तथा दूसरी पढ़ाई 15 से 20 दिन के पश्चात करनी चाहिए सुरती के पौधों को अधिक देखभाल की जरूरत नहीं होती है क्योंकि इसकी खेती बीज और तंबाकू दोनों को ही प्राप्त करने के लिए किया जाता है
सुरती की अधिक मात्र प्राप्त करने हेतु को तोड़ लेना चाहिए इससे पैदावार में काफी वृद्धि देखने को मिलती है यदि इसकी खेती बीजों के लिए आप करते हैं तो डोडो को आपको नहीं तोड़ना चाहिए।
सुरती के पौधे में लगने वाले रोग एवं रोकथाम के तरीके
सुरती के पौधों में कई प्रकार के रूप देखने को मिलते हैं या फसल की पत्तियों को भी हानि पहुंचाते हैं तथा इससे हरिद्वार भी काफी प्रभावित होती है कुछ ही ऐसे रोग एवं रोकथाम के बारे में आपको नीचे बताया जा रहा है सुरती के फसलों में कुल चार प्रकार के रोग देखने को मिलते हैं
पर्ण चिट्टी रोग, ठोकरा पर किस्म का रोग, तना छेदक कीट रोग सुंडी रोग
तंबाकू के पौधों की कटाई
सुरती के पौधे की फसल लगभग 120 से 130 दिन में तैयार हो जाती है इसके पौधों को हर तरह से कर सकते हैं इस समय जब इसके पत्ते नीचे सुख कर कठोर होने लगे तब इसकी कटाई कर लेनी चाहिए इसके बाद पौधों को जड़ के पास से काटना चाहिए खान और सुनने के लिए इसके पौधे की पत्तियों का प्रयोग किया जाता है इसके अलावा सिगरेट का बीड़ी और शिकार में भी इसका प्रयोग इसके साथ किया जाता है
तंबाकू के तैयार करनी है उसे चलाएं इसके लिए तंबाकू को काटकर उसे दो से तीन दिन तक अच्छे से सुखा देना चाहिए इसके पश्चात इन पत्तियों को इकट्ठा करके कुछ समय के लिए एवं मिट्टी मैं दबा कर रख देना चाहिए तंबाकू के पौधों को कितनी अच्छी नामी एवं सफेदी होती है उतनी ही इसकी गुणवत्ता अच्छी होती है इसके बाद पौधों के कटाई कर लेनी चाहिए।
सुरती की खेती से लाभ
सुरती की खेती का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसे बेचना बहुत ही आसान है फसल के खेतों में तैयार होने से ही इसकी बिक्री आरंभ हो जाती है पैदावार की बात करें तो एक एकड़ की जमीन में लगभग 3 से 4 महीने में इसकी फसल को करके डेढ़ से 2 लाख तक की कमाई आसानी से किया जा सकता है यह कम लागत एवं अधिक पैदावार वाली फसल है।