Tambaku Ki Kheti :तम्बाकू की खेती कम मेहनत,कम लागत रिकार्ड़तोड़ मुनाफा

हेलो दोस्तों स्वागत है आपका upagriculture के नई पोस्ट तंबाकू की खेती (Tambaku Ki Kheti) में आज के इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको तंबाकू की खेती (Tambaku Ki Kheti) के बारे में बताएंगे यदि आप भी तंबाकू की खेती (Tambaku Ki Kheti) करना चाहते हैं तो इस ब्लॉग को अंत तक अवश्य पढ़े |

तंबाकू की खेती (Tambaku Ki Kheti)

Table of Contents

भारत में सामान्य रूप से तंबाकू को सुखाकर इसका इस्तेमाल धुआं और धुए से बनने वाली चीजों में उपयोग किया जाता है और तंबाकू से सिगरेट, बीड़ी सिगार, पान मसाला , खैनी, जर्दा जैसी और भी विभिन्न प्रकार की वस्तुएं बनाई जाती हैं भारत के लगभग सभी राज्यों में तंबाकू की खेती की जाती है लेकिन आंध्र प्रदेश तमिलनाडु बिहार कर्नाटक गुजरात पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश में तंबाकू की खेती बहुत ही अधिक मात्रा में की जाती है भारत में विभिन्न प्रकार के व्यवसायिक प्रकार के तंबाकू का उत्पादन किया जाता है तंबाकू की खेती (Tambaku Ki Kheti) किसानो के लिए फायदेमंद साबित होती है क्योंकि तंबाकू की फसल कम मेहनत और काम लागत वाली व्यावसायिक नगदी फसल होती है |

तंबाकू का बीज कहां से खरीदें (Where to buy tobacco seeds )

किसान भाइयों तंबाकू का वीज ऑनलाइन में खरीद सकते हैं और यदि इसके बावजूद सरकारी उद्योग विभाग या अपने नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र या किसी कॉलेज से संपर्क करके तंबाकू की खेती (Tambaku Ki Kheti) के बारे में संपूर्ण जानकारी प्राप्त कर सकते हैं |

तंबाकू की खेती के लिए खेतों की तैयारी (Preparation of fields for Tambaku Ki Kheti )

तंबाकू की खेती (Tambaku Ki Kheti) करने के लिए सबसे पहले खेतों की जुताई मिट्टी पलटने वाले हेलो से तीन या चार बार करनी चाहिए उसके पश्चात सड़ी हुई गोबर की खाद को 20 से 25 दिनों के बाद खेतों में डालकर रोटावेटर या कल्टीवेटर की सहायता से खाद को मिट्टी में अच्छे से मिला देना चाहिए और खेतों में जुताई करने के बाद पता चला कर मिट्टी को भरवारी और समतल कर लेना चाहिए मिट्टी को समतल करने से जल भराव की समस्या नहीं उत्पन्न होती है और इसके बाद खेतों में छोटी-छोटी कोरिया बना लेते हैं ताकि सिंचाई करने में समस्या ना हो |

खेतों में तंबाकू के पौधों की रोपाई ( Planting tobacco plants in the fields )

तंबाकू के पौधों की रोपाई करने के लिए नर्सरी को उखाड़ने से एक दिन पहले सिंचाई कर देना चाहिए जिससे पौधे उखाड़ने में किसी भी प्रकार की परेशानी ना हो और रोपाई करते समय सिर्फ स्वस्थ और रोग रहित पौधों का ही प्रयोग करें नर्सरी उखाड़ने के तुरंत बाद ही खेतों में इसकी रोपाई कर देना चाहिए तंबाकू के नर्सरी के रोपाई समतल खेत या मेड़ों पर की जाती है |

Tambaku Ki Kheti

क्योंकि इसकी खेती से अच्छी मात्रा में पैदावार प्राप्त करने के लिए मिट्टी का समतल होना आवश्यक होता है और रोपाई करने के पश्चात हल्के सिंचाई करना चाहिए नमी को बनाए रखने के लिए रोपाई के 8 से 10 दिन बाद पुणे सिंचाई कर देना चाहिए और इसके बाद वीडियो को यदि पौधे सूख जाते हैं तो उनके स्थान पर 12 से 15 दिन बाद नए पौधे को लगा देना चाहिए |

तंबाकू के पौधों का रोपण करते समय उचित दूरी का चयन (Selection of proper distance while planting tobacco plants )

तंबाकू के पौधों से पौधों के बीच की दूरी तंबाकू की किस्म ,मृदा के किस्म और उत्पादन के उद्देश्य के आधार पर निर्धारित होता है यदि मोती व भारी पत्तियों वाली तंबाकू का उत्पादन करते हैं तो पौधे से पौधों के बीच की दूरी अधिक होनी चाहिए और यदि पतली अथवा भारी के गठन वाली तंबाकू की खेती करते हैं तो इसके लिए पौधों से पौधों के बीच की दूरी कम होना चाहिए एक हेक्टेयर खेत में कमी प्रयोग किए जाने हुक्का तंबाकू के 10000 पौधे हुआ खैनी वा बीड़ी में प्रयोग किए जाने वाले तंबाकू के 1.25 लाख पौधे लगाई जा सकते हैं |

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तंबाकू का उपयोग (tobacco use )

कृषि उद्योग में तंबाकू का उपयोग कीटनाशक बनाने में किया जाता है इसके पश्चात पशुओं की खली में और खेतों में खाद के रूप में भी इसका प्रयोग किया जाता है |

तंबाकू का इस्तेमाल विभिन्न प्रकार की औषधियां बनाने में किया जाता है तंबाकू में निकोटिन की उपस्थिति के कारण इसका उपयोग एंटीबैक्टीरियल एवं एंटीफंगल दवाओं को बनाने में भी किया जाता है |

सामान्य उद्योगों में तंबाकू के तेल का उपयोग वार्निश और रंग के लिए किया जाता है तंबाकू का तेल निकालने के लिए कृषि आनंद एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के ऑटोमेटिक तेल मिल पहले भारतीय मिशन को तैयार किया गया |

तंबाकू के प्रकार (types of tobacco )

भारत में मुख्य रूप से दो प्रकार के तंबाकू उगाई जाती है |

1.निकोटिआना टेबेकम (Nicotiana tebecum)
2.निकोटिआना रस्टिका (विलायती तम्बाकू) (Nicotiana rustica)

1.निकोटिआना टेबेकम ( nicotiana tabacum )

निकोटिआना टेबेकम की खेती भारत में सबसे अधिक क्षेत्रफल में उगाई जाती है भारत में तंबाकू की खेती (Tambaku Ki Kheti) का क्षेत्रफल लगभग 89% है |

2.निकोटिआना रस्टिका (Nicotiana rustica )

इस किस्म के तंबाकू की खेती (Tambaku Ki Kheti) ठंडी जलवायु के लिए सबसे अधिक उपयोगी होता है क्योंकि इसका उत्पादन अच्छी मात्रा में ठंडी जलवायु में ही प्राप्त किया जा सकता है इसके अंतर्गत कल 11% क्षेत्रफल भाग आता है |

निकोटिआना टेबेकम की खेती भारत में निकोटिआना रस्टिका से अधिक मात्रा में की जाती है निकोटिआना की खेती भारत के लगभग सभी स्थानों में उगाया जाता है परंतु रस्टीका की खेती केवल उत्तरी पूर्वी, भारत ,पंजाब ,उत्तर प्रदेश ,पश्चिम बंगाल ,असम ,बिहार में  ही की जाती है |

निकोटिआना टेबेकम की खेती समान रूप से सिगरेट ,सिगार ,बीड़ी ,चबाने वाले सिर्फ तंबाकू के लिए ही उगाया जाता है जबकि रस्टिका की खेती हुक्का चबाने के उद्देश्य से उगाया जाता है |

निकोटिआना टेबेकम प्रजाति के तंबाकू की पत्तियों में 5 से 5.25 प्रतिशत तक निकोटिन की मात्रा पाई जाती है तथा निकोटिआना रस्टिका की पत्तियों में 3.8 से 8% तक निकोटिन की मात्रा उपलब्ध होती है |

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तंबाकू की खेती में प्रयुक्त होने वाले खाद और उर्वरक की मात्रा (Amount of manure and fertilizer used in Tambaku Ki Kheti )

तंबाकू की खेती (Tambaku Ki Kheti) में प्रयुक्त होने वाले खाद और उर्वरक की मात्रा किस्म और मृदा के आधार पर प्रयोग किए जाते हैं कई प्रकार की तंबाकू के किस्म के लिए उत्तर प्रदेश पोषक तत्वों की निम्नलिखित मात्रा  प्रदान की जाती है |

तंबाकू की खेती (Tambaku Ki Kheti) पौधों की रोपाई करने से पहले 5 से 6 तान कर सड़ी हुई गोबर की खाद 1 महीने पहले से खेतों में डाल दिया जाता है और यदि तंबाकू के खेतों में नाइट्रोजन का उपयोग करते हैं तो निकोटिन की मात्रा बढ़ जाती है और सिगरेट तंबाकू की खेती (Tambaku Ki Kheti) में कम मात्रा में नाइट्रोजन दी जाती है नटराजन का उपयोग उड़िया या सल्फेट के रूप में बुवाई करते समय देना उचित होता है सिगरेट में प्रयोग की जाने वाले तंबाकू को कार्बनिक खाद्य के रूप में पोषक तत्व को प्रदान करना काफी हानिकारक होता है |

Tambaku Ki Kheti

बीड़ी हुक्का वा अन्य किस्म के तंबाकू में नाइट्रोजन की 1/3 मात्रा में रोपाई से पूर्व कम पोस्ट वह खाली के रूप में तथा दो बटे तीन मंत्र कार्बनिक उर्वरकों के रूप में रोपाई के लगभग एक महीने बाद एक बटे तीन दोपहर के 2 महीने बाद एक बटे तीन नटराजन की मात्रा खेतों में प्रयोग किए जाते हैं अमोनियम सल्फेट अमोनियम नाइट्रेट उर्वरक द्वारा नाइट्रोजन देना तंबाकू की फसल के उत्पादन के लिए काफी अच्छा माना जाता है नटराजन की अधिक मात्रा प्रयोग करने से पत्तियों का रंग ऐच्छिक प्राप्त नहीं होता है और पत्तियों में खुरदुरापन बढ़ता जाता है |

फास्फेटिक हुआ पोटेशियम उर्वरकों का प्रयोग करने से पत्तियों के गुना में विशेष कर जलने वाले गुण में बहुत अधिक मात्रा में वृद्धि होती है फास्फोरस को सिंगल सुपर फास्फेट में देना काफी बेहतर माना जाता है सिगार तंबाकू को एक ऐसे मृदा में उगाना चाहिए जिसके अंदर ह्यूमस की अच्छी मात्रा पाई जाती है यदि मृदा में कैल्शियम की कमी है तो उपज की मात्रा अच्छी प्राप्त नहीं होगी और यदि मैग्नीशियम की कमी है |

तो मैग्नीशियम की कमी के कारण विशेष प्रकार की क्लोरोसिस हो जाती है जो सेंड ड्रोन के नाम से भी जाना जाता है और यदि क्षारीय मृदा में मैगजीन की कमी है तो प्राण हरम की समस्या उत्पन्न हो जाती है बरन की कमी के कारण नीचे की पत्तियां मोटी हो सकती हैं सिंचाई एवं जल विकास रोपाई के तुरंत बाद पहले से चाहिए हल्की करनी चाहिए साधारणता सिंचाई संख्या मृदा के किस मुगल जलवायु के आधार पर तय करना चाहिए आवश्यकता पड़ने पर 15 से 18 दिनों के बीच सिंचाई करते रहना चाहिए |

सिंचाई करने के पश्चात मृदा में केवल पांच प्रतिशत पानी उपलब्ध रहना चाहिए पूरी तरह से फसल को तैयार होने के लिए 8 से 10 सिंचाई की आवश्यकता होती है सिंचाई को सदैव फल की मात्रा में करना चाहिए और यदि आप तंबाकू की सिंचाई खारे पानी का उपयोग करके करते हैं तो मृदा में नमी बढ़ने के साथ-साथ नटचन की मात्रा भी बढ़ जाती है जिससे निकोटिन की प्रतिशत मात्रा में वृद्धि हो जाती है और यदि सिंचाई करते करते समय खेतों में पानी की मात्रा अधिक हो जाए तो पानी को खेतों से निकाल देना चाहिए |

तंबाकू की खेती में निराई गुड़ाई एवं खरपतवार नियंत्रण (Weeding and weed control in Tambaku Ki Kheti))

तंबाकू के पौधों की रोपाई करने से पहले लगभग 40 से 45 दिनों तक फसलों को खरपतवार से मुक्त रखने के लिए निराई गुड़ाई करते हैं पहले निराई गुड़ाई रोपाई के 12 से 15 दिनों के बाद की जाती है क्योंकि नीति बुराई करने से नमी संरक्षण व मृदा वायु संचार बढ़ता है तंबाकू की फसल को पूरी तरह से तैयार होने तक लगभग तीन से चार बार निराई गुड़ाई करना आवश्यक होता है |

खरपतवार के रूप में पाया जाता है जिसका रंग सफेद हल्का पीला हल्का बेगानी होता है जिन-जिन क्षेत्रों में कई वर्षों से तंबाकू की खेती की जाती है उन क्षेत्रों में यह खरपतवार अधिक तेजी से फैलता है इसके नियंत्रण करने के लिए बीज बोने से पहले ही इस खेत में उखाड़ देना चाहिए और उनके पौधों को इकट्ठा करके जला देना चाहिए जिन खेतों में लगातार तंबाकू की खेती की जा रही है उन खेतों में तंबाकू की फसल ना लगे खरपतवारों को नष्ट करने के लिए मिथाइल ब्रोमाइड से खेतों खेतों को उपचारित कर लेना चाहिए और गर्मियों में खेत की गहरी जुताई कर देना चाहिए |

तंबाकू की खेती से तैयार फसल को कहां बेचे (Where to sell the crop prepared from Tambaku Ki Kheti)

  • तंबाकू की फसल को व्यापारी किया मार्केट मे बेच सकते हैं |
  • तंबाकू की खेती (Tambaku Ki Kheti) करके तंबाकू की फसल से कम समय में अधिक मुनाफा प्राप्त करने के लिए तैयार की गई नर्सरी से स्वास्थ्य एवं रोग रहित पौधों का चयन करे |
  • तंबाकू के नर्सरी पर विशेष रूप से ध्यान दें |
  • तंबाकू की खेती (Tambaku Ki Kheti) करते समय तंबाकू की फसलों में नाइट्रोजन की अधिक से अधिक मात्रा का प्रयोग करें |
  • तंबाकू की खेती (Tambaku Ki Kheti) से अधिक मात्रा में उत्पादन और निकोटिन की मात्र प्राप्त करने के लिए पौधों की रोपाई उचित समय पर कर देना चाहिए |
  • तंबाकू की खेती (Tambaku Ki Kheti) के लिए किसी भी प्रकार की लाइसेंस की आवश्यकता नहीं होती है |

सामान्यतः पूछे जाने वाले प्रश्न

तंबाकू की खेती कौन-कौन से जिले में की जाती है ?

सबसे अधिक मात्रा में तंबाकू की खेती आंध्र प्रदेश में होती है क्योंकि आंध्र प्रदेश में समृद्ध काली मिट्टी और सिंचाई की सुविधाओं के साथ-साथ राज्य को तंबाकू के उच्च श्रेणी के उत्पादन को भी प्रदान किया जाता है |

तंबाकू की पैदावार सबसे ज्यादा कहां होती है ?

चीन दुनिया का सबसे बड़ा तंबाकू उत्पादक देश है क्योंकि तंबाकू का उत्पादन के लिए नियम और आदर वातावरण की आवश्यकता होती है जो कि चीन में उपस्थित है |

तंबाकू की खेती कौन से महीने में की जाती है ?

तंबाकू की खेती 20 सितंबर से 10 अक्टूबर के बीच करने उचित होता है तंबाकू के बीजों की बुवाई के बाद नर्सरी के तैयार होने पर ही उन्हें खेत में रोपा जाता है |

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