ट्रिकल सिंचाई प्रणाली क्या है (What is trickle irrigation system?)
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ड्रिप सिंचाई प्रणाली में प्रयुक्त होने वाला उपकरण (equipment used in drip irrigation system)
यदि आप अपने गार्डन में लगे पौधों को एक साथ पानी देना चाहते हैं तो इसके लिए आपको ट्रिप इरिगेशन सिस्टम को अपनाना होगा और यदि आप drip irrigation system को अपनाना चाहते हैं तो इसके लिए आपको कई तरह के उपकरणों या सामग्री को एक साथ कनेक्ट करना होगा यह सभी सामग्री अलग-अलग कार्यों के लिए ही प्रयुक्त की गई है इस सिंचाई सिस्टम कों स्थापित करने के लिए इरिगेशन किट के साथ प्रयुक्त की जाने वाली सामग्री निम्न है |- मुख्य सप्लाई पाइप लाइन (Main supply pipe line)
- फीडर पाइप लाइन (Feeder pipe line)
- ड्रिप एमिटर्स (Drip emitters 4LPH)
- पिन कनेक्टर्स (Pin Connectors)
- एमिटर स्टेक्स (Emitter Stakes)
- डमी (Dummy)
- एल्बो कनेक्टर (Elbow connector)
- टी कनेक्टर (T connector)
- मुख्य सप्लाई कनेक्टर को नल के साथ जोड़ दे(Connect the main supply connector to)
- सीधे कनेक्टर (Straight connector)
- एंड कैप (End Cap)
- ड्रिप होल पंच (Drip hole punch)
ड्रिप इरीगेशन या ट्रिकल इरिगेशन सिस्टम को कैसे लगाये( How to install drip irrigation or trickle irrigation system )
गार्डन में लगे पेड़ पौधों को drip irrigation system या trickle irrigation system की सहायता से पानी देने के लिए मुख्य सप्लाई पाइपलाइन के साथ ड्रिप एमिटर्स, ड्रिप फीडर पाइप लाइन तथा कनेक्टर को एक दूसरे से जोड़कर प्रत्येक पौधों की जड़ों तक बूंद-बूंद करके पानी को पहुंचाया जाता है ड्रिप इरीगेशन की सहायता से पौधों को पानी देने के लिए एक बार आपको अपने बगीचे में इसे लगाने की जरूरत होगी | तो आज हम आप लोगों को बताएंगे कि गार्डन में लगे पेड़- पौधों को लगातार पानी देने के लिए और पौधों में नमी को बनाए रखने के लिए trickle irrigation किट कैसे लगाये l. इसे भी पढ़े : बोक चोय की खेती कैसे करेट्रिकल सिंचाई प्रणाली में किट लगाने के स्टेप्स(Steps to install kit in trickle irrigation system)
trickle irrgation किट लगाने के लिए निम्नलिखित स्टेप को फॉलो करे- गार्डन में trickle irrigation system कों लगाने के लिए सबसे पहले हमें सप्लायर पाइप लाइन को बिछाना होगा उसके पश्चात पौधों के हिसाब से फीडर पाइप लाइन को तैयार करना होगा |
- फीडर पाइप लाइन को तैयार करने के लिए हमें मुख्य पाइपलाइन से गमले से गमले के बीच की दूरी के आधार पर फीडर पाइपलाइन को उचित लंबाई के हिसाब से काट लेते है |
- इसके पश्चात काटे गए फीडर पाइप के एक सिरे को पिन कनेक्टर तथा दूसरे सिरे को एमिटर स्टेप्स को लगाकर ड्रिप एमिटर को लगाया जाता है इसी प्रकार काटी गई सभी फीडर पाइप लाइन को तैयार करना चाहिए |
- मुख्य सप्लाई पाइप लाइन को एक सिरे को नल कनेक्टर की मदद से नल से जोड़ने ताकि पाइपो मे पानी का अदान- प्रदान होता रहे |
- मुख्य सप्लाई पाइप लाइन में तैयार की गई फीडर्स पाइप लाइन को जोड़ने के लिए ड्रिप होल पंच की सहायता से छेद कर ले इसके पश्चात फीडर पाइपलाइन को पिन कनेक्टर वाले हिस्से में लगा दे और प्रत्येक फीडर पाइपलाइन में लगे हुए एमिटर स्टेप्स को गमले की मिट्टी में लगा दे
- इसके पश्चात सप्लाई पाइप लाइन के दूसरे खुले हुए सिरे को लगभग 6 इंच की दूरी से मोड़कर बेल्ट नुमा आकर के एंडकप से बंद कर दे।
- इस विधि से ट्रिकल इरिगेशन प्रणाली (trickle irrigation system) कों गार्डन इंस्टॉल करने के पश्चात पेड़ -पौधे में पानी देने के लिए ट्रिकल् इरिगेशन प्रणाली तैयार हो जाएगा अब आप मुख्य सप्लाई पाइप लाइन को नल के साथ जोड़कर सभी पौधों को एक समान रुपए पानी प्रदान कर सकते हैं |
गार्डन में ट्रिकल सिंचाई प्रणाली का उपयोग करने के लाभ क्या है(What are the benefits of using trickle irrigation system in garden)
- गार्डन में सभी पौधों को समान मात्रा में कुशलतापूर्वक पानी प्रदान करने के लिए हमें ट्रिकल इरिगेशन सिस्टम का उपयोग करना चाहिए।
- ट्रिकल इरिगेशन सिस्टम(trickle irrigation system )का उपयोग करने से मिट्टी के कटाव और अपवाह के कारण पोषक तत्वों की हानि नहीं होती है |
- ट्रिकल इरिगेशन सिस्टम को स्थापित करना आसान होता है उसे स्थापित करने के लिए किसी भी प्रकार के खुदाई तथा अन्य जटिल प्रक्रियाओं की आवश्यकता नहीं होती है |
- ट्रिकल इरिगेशन सिस्टम का उपयोग करने से पौधों में अधिक पानी की समस्या नहीं होती है जिस कारण से खरपतवार और बीमारियों को बढ़ावा नहीं मिलता है |
- ट्रिकल सिंचाई प्रणाली का उपयोग करने से वशीकरण और ओवरस्प्रे मे पानी के हानि कम होती है ड्रिप इरिगेशन सिस्टम का उपयोग करने से समय और पानी दोनों की बचत होती है।
- ट्रिकल सिंचाई सिस्टम का उपयोग करने से पौधों की जड़ो या मिट्टी दोनों में नमी बनी रहती है जिससे पानी की कमी नहीं होती है |
- इस प्रणाली का उपयोग करने से पानी सीधा पौधों की जड़ों को प्रदान होता है जिससे पत्तियां तथा तना गीला होने से बच जाता है जिस कारण से पौधों में बीमारियां तथा कीट लगने की समस्या उत्पन्न नही होती है।
ट्रिकल सिंचाई प्रणाली से होने वाले नुकसान क्या है (What are the disadvantages of trickle irrigation system)
ट्रिकल सिंचाई प्रणाली का उपयोग करने से होने वाले लाभ के साथ- साथ कुछ हानियां भी होती है जो निम्नलिखित है | इस प्रक्रिया को सावधानी पूर्वक इंस्टॉल करना होता है इंस्टॉलेशन की प्रक्रिया में काफी समय लगता है | 1 यदि फिल्टर पाइप लाइन में पानी सही तरीके से फिल्टर नहीं हो पता है तो पानी का गिरना बंद हो जाता है | 2. सूर्य के गर्मी ट्यूबो को प्रभावित करते हैं जिस कारण से कभी-कभी अत्यधिक गर्मी के कारण वह फट जाते हैं | 3. यदि ट्रिकल इरिगेशन को ठीक से स्थापित नहीं किया जाता है तो इस समय पानी और मेहनत दोनों की बर्बादी होती है | 4. जब शीर्ष ड्रेसिंग उर्वरकों को सक्रीय करने के लिए पानी की आवश्यकता होती है तब इस स्थिति में ट्रिकल सिचाई प्रणाली(trickle irrigation system )का उपयोग नही कर सकते है। 5.यदि ड्रिप सिचाई प्रणाली सही ढंग से स्थापित नहीं किया गया है तो पानी के अभाव के कारण पौधे के सुखने का खतरा रहता है।ट्रिकल सिंचाई प्रणाली (trickle irrigation system ) कब उपयोगी होती है
- गार्डन में लगे हुए पेड़ -पौधों को तथा विभिन्न प्रकार के फल-पुल व सब्जी यो वाले पौधे को कम दबाव आदि में गति से पर्याप्त मात्रा में पानी देने के लिए ट्रिक प्रदर्शन सिस्टम का उपयोग किया जाता है |
- आउटडोर पौधों के लिए मिट्टी में नमी बनाए रखने के लिए सर्वश्रेष्ठ संचालित जल प्रणाली के रूप में ट्रिकल इरिगेशन सिस्टम का प्रयोग किया जाता है |
- रूफटॉप गार्डनिंग या टेरेस गार्डनिंग में सभी पौधों को पानी देने के लिए जब आपके साथ समय की कमी रहती है तब आप ड्रिप इरिगेशन प्रणाली का उपयोग कर सकते हैं |
सामान्यतः पूछे जाने वाले प्रश्न
ट्रिकल सिंचाई का दूसरा नाम ड्रिप सिंचाई होता है यह एक विशेष प्रकार की सिंचाई की विधि होती है इस विधि में पानी को पौधों की जड़ों तक बूंद-बूंद करके टपकाया जाता है |
ट्रिकल सिंचाई प्रणाली का आविष्कार सिम्चा ब्लास (27 नवंबर, 1897 – 18 जुलाई, 1982; हिब्रू: एक पोलिश-इजरायल इंजीनियर ने किया था |
आधुनिक ट्रिकल सिंचाई प्रणाली का विकास जर्मनी में 1860 ई में शुरू की गई |
ट्रिकल सिंचाई प्रणाली में भारत का ग्रहणी राज्य उत्तर प्रदेश कर्नाटक और पंजाब है |