गिलोय की खेती से सम्बंधित महत्वपूर्ण जानकारी
गिलोय उप उष्णकटिबंधीय जलवायु में जैविक तौर से भरपूर बलुई दोमट मिट्टी में उगाया जाता है।
जलवायु एवं मिट्टी
तनों की कटाई जून -जुलाई के दौरान की जाती है जो पौधारोपण की सर्वश्रेष्ठ सामग्री है। दो गांठों सहित 6 -8 इंच की कटिंग सीधे रोपी जाती है।
उगाने की सामग्री
मुख्य पौधे से जून - जुलाई में प्राप्त तने 24 घंटों के अंदर खेत में सीधे रोपे जाते हैं।
नर्सरी की विधि
एक हेक्टेयर भूमि में पौधारोपण के लिए 2500 कलमों की जरूरत पड़ती है।
पौधों की दर और पूर्व उपचार
जमीन की अच्छी जुताई और खरपतवार से मुक्त किया जाना चाहिए।
खेत की तैयारी
मिट्टी तैयार करते समय प्रति हेक्टेयर 10 टन उर्वरक और नाइट्रोजन की आधी खुराक (75 किलो ) प्रयोग की जाती है।
उर्वरक का प्रयोग
गांठो सहित तने की कटिंग को सीधे ही खेत में बोया जाता है। बेहतर उपज के लिए 3 मी.* 3 मी. की दूरी सही मानी जाती है।
पौधरोपण और दूरी
उगाने के लिए पौधे को लकड़ी की खपच्चियों के सहारे की जरूरत होती है।
पौधरोपण और दूरी
75 किलों नाइट्रोजन के साथ 10 टन उर्वरक की खुराक सही मानी जाती है।
संवर्धन विधियां
अच्छी बढ़त के लिए करीब दो से तीन बार निराई - गुड़ाई की जरूरत होती है।
संवर्धन विधियां
पौधे से करीब दो वर्षो में प्रति हेक्टेयर करीब 1500 किलो ताजा तने की उपज होती है.जिसका शुष्क भार 300 किलों रह जाता है।
पैदावार:
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