गिलोय की खेती कैसे करे

नमस्कार किसान बंधुओ मै आज आपको गिलोय की खेती के बारे में सम्पूर्ण जानकारी दूंगा की आप गिलोय की खेती कैसे कर सकते है गिलोय की खेती से भारतीय किसान अपनी आमदनी में वृद्धि कर रहे न जाने कोन कोन सी चीजों की खेती करके अपनी आय को दुगनी कर है इन्ही खेती में से एक गिलोय की भी खेती आती है जो कम खर्चे में अधिक मुनाफा देती है गिलोय की खेती करने से किसानो को काफी मात्रा में लाभ होगा गिलोय की एक बहुवर्षिय लता होती है इसके पत्ते पान के पत्ते की तरह होते हैं गिलोय आयुर्वेदिक के काम में भी आता है गिलोय को कई नामों से जाना जाता है जैसे – अमृता, गुडुची, छिन्नरुहा, चक्रांगी, आदि । 

गिलोय के बारे में और अधिक जानकारी की गिलोय किस प्रकार का होता है  गिलोय के बारे में आपको बता दे की यह गिलोय समूह में रहने वाला आरोही पौधा होता है पुराने तने 2 सेमी व्यास वाले होते है शाखाओं के गठीले निशानों से जड़ें निकालती है  और तनों और शाखाओं पर सफ़ेद अनुलंब दाग होते है इसकी छाल सलेटी – भूरी या हल्की सफ़ेद, मस्सेदार होती है और आसानी से छिल जाती है। इसकी पत्तियां 5 – 15 सेमी अंडाकार होती है। शुरू में ये झिल्लीदार होती है, किंतु समय के साथ कम या अधिक मांसल हो जाती है। इस पर राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड की तरफ से 30  प्रतिशत तक की सब्सिडी प्रदान की जा रही है।

गिलोय की खेती से किसान भईयो को काफी लाभ हो रहे है और उनकी आय में भी वृद्धि हो रही यदि आप भी गिलोय की खेती करना चाहते है और अपनी आय में वृद्धि करना चाहते है तो आप इस लेख को पूरा पढ़े और आपको परेशान होने की कोई जरूरत नहीं यदि आप गिलोय की खेती के बारे में कुछ नहीं जानते है आप सही जगह आये है बस आप पूरा और ध्यान से पढ़े आपको इस लेख में गिलोय की खेती के बारे में सम्पूर्ण जानकारी मिलेगी जैसे की गिलोय की खेती कब और कैसे कर सकते है , गिलोय की खेती किस मिटटी में की जाती है और कहा की जाती है , गिलोय की जलवायु में खेती करना उत्तम माना जाता है , क्या गिलोय की खेती के लिए सिंचाई , खाद उर्वरक , निराई , गुड़ाई की जरूरत पड़ती है ये सभी जानकरी आपको इस लेख में मिल जाएगी यानी की आपको इस लेख में गिलोय की खेती के बारे में सम्पूर्ण जानकारी मिल जाएगी ।

इसे भी पढ़े- UP एग्रीकल्चर रजिस्ट्रेशन 

गिलोय की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु एवं मिटटी –

Table of Contents

गिलोय की खेती करने के लिए उपयुक्त जलवायु उष्ण कटिबंधीय उत्तम मन जाता है इस जल वायु में गिलोय की खेती करने से फसल पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है और फसल अच्छी प्रकार से उतपन्न होता है जैविक रूस से यह बलुई दोमट मिटटी में उगाया जाता है यानी की गिलोय की खेती के लिए बलुई दोमट मिटटी उत्तम मानी जाती है इस प्रकार की मिटटी में लगाने से गिलोय की काफी ज्यादा मात्रा में उपज होती है इसे लगाते समय मिटटी को भुरभुरी बना लेते है जिससे  हमे पौधे लगाने में आसानी होती है। आपको बता दे की बलुई दोमट मिटटी में गिलोय बहुत तेजी से उगता है गिलोय की खेती के लिए यह जलवायु और मृदा उत्तम है ।

गिलोय की खेती

गिलोय उगाने के सामाग्री –

गिलोय के पौधे को उगाने के लिए हमे गिलोय के तनो की कटाई मई से जून के माह में कर लेनी चाहिए यह पौध रोपण का सर्वश्रेष्ठ सामाग्री है गिलोय की पौधे लगाने के लिए ज्यादा और कुछ सामाग्री की जरूरत नहीं पड़ती है यानी की इस प्रकार के विधि से यदि गिलोय की खेती कर रहे है तो आपको ज्यादा तामझाम करने की कोई जरूरत नहीं होती है दो गांठो सहित लगभग 7 से 8 इंच की कटिंग करके सीधे रोपाई कर देनी चाहिए ।

खेत की तैयारी –

गिलोय की खेती से अच्छा पैदावार चाहते है तो आप गिलोय की खेती जिस खेत में करना चाहते है उस खेत की मृदा परीक्षण करवा ले फिर उसके बाद आप उस खेत में गिलोय की खेती करे गिलोय की खेती करने के लिए खेत को 2 से 3 बार गहरी जुताई करवा ले तथा खेत में जुताई के समय पाटा लगवा ले जिससे खेत की मिटटी भुरभुरी और खेत समतल हो जाये गिलोय की खेती से आप अधिक उपज पाना चाहते है तो आप खेत जुताई के समय ही गोबर की खाद एक उचित मात्रा में मिलाकर खेत की जुताई करवा देनी चाहिए ।

गिलोय की उन्नत किस्मे –

गिलोय की उन्नत किस्मो के नाम कुछ इस प्रकार है जो की निचे दिया गया है –

  • अमृतवल्ली
  • सतावा
  • गिलोयस्त्व
  • सत्तगिलो 
  • सेंथिल कोड़ी

गिलोय रोपाई का समय –

गिलोय रोपाई की समय की बात करे तो यह पौध रोपाई का समय जून से जुलाई के मध्य माह से करनी चाहिए यह समय गिलोय की रोपाई का उत्तम समय माना जाता है यदि आप इस समय में गिलोय की खेती कर है तो आपको किसकी भी प्रकार की कोई परेशानी नहीं आएगी और फसल पर भी कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा तथा उत्पादन भी अच्छा होगा ।

गिलोय की खेती में खाद एवं उर्वरक –

जैसा की आप अपने खेत की मिटटी की जाँच करवाए है आप अपनी खेत की मिटटी के अनुसार ही खाद एवं उर्वरक का प्रयोग करे यदि आप अपनी खेत की मिटटी की जाँच नहीं करवाए है तो आप प्रति एकड़ खाद एवं उर्वरक का प्रयोग करे । जैसा की आप जानते है की गिलोय के पौधे से ज्यादा तर औषधीय ही तैयार की जाती है इसी के वजह से आप अपने खेत में यानी की गिलोय की खेती में ज्यादा रासायनिक खाद एवं उर्वरको का प्रयोग नहीं कर सकते है आप एक उचित मात्रा में ही इस्तेमाल करे । खेत की तयारी के समय में ही आप फार्म यार्ड खाद 4 टन और 20 किलोग्राम नाइट्रोजन प्रति एकड़ खेत में दाल देनी चाहिए ।

गिलोय की नरसरी तैयार करना –

आपको बता दे की गिलोय की नरसरी अप्रेल और मई की पहले सप्ताह में लगाना उचित समय माना जाता है इसका रोपण बीज और कटिंग दोनों से किया जा सकता है । आपको बता दे की बीजो की अंकुरण क्षमता कम होने के वजह से लोग इसे ज्यादा कटिंग के माध्यम से लगाना ज्यादा पसंद करते है पौधे के कटिंग के रोपण के लिए इसे लगभग 18 से 20 सेंटीमीटर तथा जिसमे दो गांठे हो उसे काट लिया जाता है और उसे रोपण के लिए चुन लिया जाता है कटिंग को पॉलीथिन में जिसमे रेट मट्टी और एक संतुलित मात्रा में खाद और उर्वरक को मिला कर रख दिया जाता है इसे लगभग 30 से 45 दिन में खेत में लगाने योग्य पौधे हो जाते है यानी की आप 30 से 45 दिन के बाद पौध रोपण कर सकते है ।

इसे भी पढ़े – kapila Pashu Aahar

गिलोय की रोपाई की विधि –

गिलोय की रोपाई की विधि की बात करे तो यह आप गिलोय के पौधे या कटिंग को रोपण करने के लिए 3 बायीं 3 की मीटर उत्तम माना जाता है परन्तु आप 1.5 बायीं 1.5 या 2 बायीं 2 मीटर की अंतराल पर 30 सेंटीमीटर लम्बा , 30 सेंटीमीटर चौड़ा तथा 30 सेंटीमीटर गहरा गढ़े में रोपाई कर देनी चाहिए ।

पौध कटिंग की संख्या –

गिलोय की पौध की कटिंगो की संख्या की बात करे तो यह गिलोय की उन्नत खेती करने के लिए गिलोय की पंक्ति से पसंकती की दुरी और पंक्ति में पौध से पौध की दुरी इस प्रकार रखते है जो की कुछ इस प्रकार का है प्रति एकड़ कटिंग के लिए –

  • 3 बायीं 3 के लिए लगभग 400 पौधे की जरूरत पड़ेगी ।
  • 2 बाय 2 के लिए लगभग 1000 पौधे की जरूरत पड़ेगी ।
  • 1.5 बायीं 1.5 के लिए लगभग 1750 पौधे की जरूरत पड़ेगी ।

गिलोय की खेती में सिंचाई की आवश्यकता –

गिलोय की खेती में सिंचाई की ज्यादा भूमिका नहीं होती है फिर भी आवश्यकता पड़ने पर सिंचाई करनी चाहिए गिलोय की पौध रोपण करने के तुरंत बाद एक बार सिंचाई कर देनी चाहिए गिलोय की फसल को शुरूआती के दिनों में 3 से 4 दिनों के अंतराल पर सिंचाई कर देनी चाहिए फिर उसके कुछ दिनों बाद आप 7 से 8 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करे ।

गिलोय की फसल में खरपतवारो का नियंत्रण –

गिलोय की फसल में खरपतवारो के निययन्त्रण का एक ही उचित मार्ग है जो की आप समय समय पर गिलोय की फसल की निराई गुड़ाई करते रहे गिलोय की फसल को अच्छी विकास और वृद्धि के लिए गिलोय की फसल में सिंचाई करते रहे ।

गिलोय की फसल में किट एवं रोगो का नियंत्रण –

आपको बता दे की गिलोय की फसल में एक अच्छी बात यह है की इस फसल में किसी भी प्रकार का न तो किट और न तो रोगो की प्रकोप होता है यानी की अभी तक किसी भीम प्रकार का किट व रोग गिलोय की फसल में देखने को नहीं मिला है । परन्तु किसी भी प्रकार किट और रोग का प्रकोप देखने को मिलता है तो आप उसके नियंत्रण के लिए निम् का तेल और जैविक कीटनाशक का प्रयोग करना चाहिए ।

गिलोय की फसल की कटाई –

गिलोय की फसल की कटाई आवश्यकतानुसार इस प्रकार करे –

गिलोय की पत्ते की कटाई –

गिलोय की पत्तियों की कटाई की बात करे तो आपको बता दे की गिलोय की पत्तियों का डिमांड बाजारों में बहुत ज्यादा है गिलोय की पत्तियों को तोड़कर बाजार में संबंधित जानकारी लेकर बेचना चाहिए ध्यान रहे की जब आप गिलोय किमपट्टियो को तोड़ रहे है तो आप इस बात का ध्यान दे की बेल को कोई नुकसान न पहुंचे । गिलोय के पौधा लगाने के 3 माह के बाद पत्तिया तोड़ने लायक हो जाती है फिर उसके बाद 2 माह के अंतराल पर पत्तिया तोड़ सकते है यानी की आप एक साल में लगभग चार बार गिलोय की पत्तियों की कटाई कर सकते है आप गिलोय की हरी पत्तियों की कटाई के बाद इसे साफ़ फर्श पर सूखने के लिए छोड़ दिया जाता है लगभग 1 सप्ताह के बाद पत्तिया सुख जाती है और आप इसे लाईनिंग वाली बोरी में भरके बाजार में बेचने के लिए भेज सकते है । आपको बता दे की लगभग 1 एकड़ में 1 साल में 2000 किलोग्राम गिलोय की सुखी पत्तिया प्राप्त की जा सकती है ।

गिलोय की डंठल की कटाई –

गिलोय की डंठल की कटाई की  बात करे तो यह पतझड़ के समय में जब इसकी पत्तिया झड़ने लगे तब उस समय जमीन से 1 फिट ऊपर बेल की कटाई कर के लता को इकठ्ठा कर लेना चाहिए इसे छोटे छोटे टुकड़े में काट लेना चाहिए फिर इसे 1 सप्ताह तक धुप में सूखा लेना चाहिए । फिर इसे संग्रहित करके किसी हवादार कमरे में बंदरित कर देना चाहिए ।

गिलोय की उपज –

गिलोय की उपज की बात करे तो यह लगभग 1 एकड़ में 4 कुंतल उपज प्राप्त किया जा सकता है ।

गिलोय की फसल से प्राप्त उपज को कहा बेचे –

गिलोय की फसल से प्राप्त उपज को आप दो तरीके से बेच सकते है ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीको से बेच सकते है । ऑनलाइन में आप अमेजॉन , फ्लिपकार्ट , इण्डिया मार्ट  आदि के माध्यमों से ऑनलाइन बेच सकते है । ऑफलाइन में आप दवाई तथा औषधीय बनाने वाली कम्पनियो को बेच सकते है । अथवा आप मंडी एजेंट के जरिये या आप सीधे मंडी जाकर खरीददारों से सम्पर्क करके अपना माल बेच सकते है । आदि ऐसी कई प्रकार के तरीके है जो आप अपना माल बेच सकते है ।

सामान्यतःपूछे जाने वाले प्रश्न गिलोय की खेती कैसे करे

गिलोय की उन्नत किस्मो के नाम बताईये ?

गिलोय की उन्नत किस्मो के नाम कुछ इस प्रकार के है –
अमृतवल्ली
सतावा
गिलोयस्त्व
सत्तगिलो 
सेंथिल कोड़ी

गिलोय को और कौन कौन से नामो से जानते है ?

गिलोय को और नामों से जाना जाता है जैसे – अमृता, गुडुची, छिन्नरुहा, चक्रांगी, आदि ।

गिलोय की रोपाई कब की जाती है ?

गिलोय रोपाई की समय की बात करे तो यह पौध रोपाई का समय जून से जुलाई के मध्य माह से करनी चाहिए यह समय गिलोय की रोपाई का उत्तम समय माना जाता है ।

गिलोय की फसल से कितनी उपज प्राप्त की जा सकती है ?

गिलोय की फसल से लगभग 1 एकड़ में 4 कुंतल उपज प्राप्त किया जा सकता है ।

गिलोय की फसल से प्राप्त उपज को आप कैसे बेच सकते है ?

गिलोय की फसल से प्राप्त उपज को आप दो तरीके से बेच सकते है ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीको से बेच सकते है । ऑनलाइन में आप अमेजॉन , फ्लिपकार्ट , इण्डिया मार्ट  आदि के माध्यमों से ऑनलाइन बेच सकते है । ऑफलाइन में आप दवाई तथा औषधीय बनाने वाली कम्पनियो को बेच सकते है। और भी तरीको से आप बेच सकते है आदि ।

Leave a Comment