लहसुन की खेती कब और कैसे करे 

लहसुन का वैज्ञानिक नाम (एलियम  सैटिवुम एल ) होता है लहसुन की खेती करने के लिए ना तो ज्यादा ठंड होनी चाहिए और ना ही ज्यादा गर्मी इसलिए लहसुन की बुवाई अक्टूबर – नवंबर के माह में करनी चाहिए हालांकि लहसुन की खेती हर क्षेत्र में मौसम के अनुसार की जाती है जैसे कि पर्वती क्षेत्र में मार्च – अप्रैल के महीने में लहसुन की बुवाई का समय अच्छा होता है उत्तर प्रदेश , हरियाणा , पंजाब , उत्तराखंड और मध्य प्रदेश में इसकी खेती के लिए अनुकूल मौसम माना जाता है लहसुन का उपयोग हर देश में किया जाता है इसलिए लहसुन का वर्ष भर मांग रहता है लहसुन का प्रयोग चटनी, पाउडर, अचार और सब्जी में भी किया जाता है और लहसुन हमारे शरीर के कई रोगों को दूर करता है जैसे पेट के रोग ,आंखों की जलन, गले की खराश,  कण के दर्द ,रक्तचाप, दमा, फेफड़ों की बीमारियों आदि यह एक गुलाबी तथा सफेद पतली झिल्ली इससे लैंकी होती है लहसुन की खेती से किसान लाखों की कमाई कर सकते हैं एक बीघा में लहसुन की खेती करने पर 7 – 8 कुंटल पैदा कर सकते हैं अगर लहसुन का भाव मंडी में 1 लाख ₹-120000  हजार रुपए है तो आप 80 – 85 हजार रुपए कमा सकते हैं जिससे किसानों को बहुत ही लाभ होता है|

लहसुन की खेती कब और कैसे करें (Garlic Farming)-

लहसुन की अच्छी फसल के लिए अक्टूबर से नवंबर का महीना अच्छा होता है लहसुन की खेती करने के लिए जमीन का PH – 7 होना चाहिए लहसुन में एलिसन नामक कंपाउंड होता है लहसुन की खेती इन जगहों पर काफी अच्छी होती है जैसे  मध्य प्रदेश ,गुजरात , उड़ीसा , पंजाब,  महाराष्ट्र ,उत्तर प्रदेश आदि लहसुन को कई प्रकार की दवाइयों के रूप में भी प्रयोग किया जाता है लहसुन में विटामिन और पोषक तत्व पाया जाता है साथ ही मैग्नीज, कैल्शियम ,काॅपर ,सेलेनियम, विटामिन B1 , B6 ,C प्रमुख तत्व होते हैं

लहसुन की खेती

लहसुन की अच्छी फसल के लिए खेत को 3-4 बार जुताई करनी चाहिए फिर मिट्टी में पुराने गोबर की खाद ,1हेक्टेयर खेत में 100 किलोग्राम नाइट्रोजन, 50 किलोग्राम फास्फोरस ,पोटाश और सल्फर को मिलाकर फिर से जुताई करें और पाटा की सहायता से खेत को बराबर कर ले जब  पौधे लगाएं तब 35 किलोग्राम खाद डाले,पौधा लगाने के  30 दिन बाद 35 किलो खाद तथा 45 दिन बाद 30 किलो प्रति हेक्टेयर खाद डालना चाहिए  जिससे लहसुन की फसल काफी अच्छी होती है और किसानों को काफी लाभ भी होता है

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लहसुन की किस्में (प्रजातियां) 

हमारे देश में लहसुन की खेती बहुत ही सफलतापूर्वक की जाती है लहसुन की अधिक पैदावार के लिए कई प्रकार के प्रजातियों को उगाना चाहिए जिससे किसानों के उत्पादन खर्च कम हो और लहसुन की खेती से अधिक लाभ हो

नीचे लहसुन की अच्छी खेती  की प्रजातियां को विस्तार में बताया गया है 

  1. जमुना सफेद -2 (जी.50) – इस रंग उजले तथा गांठ को ठोस है इसको तैयार होने में 160 – 175 दिन का समय लगता है इसकी पैदावार 130 – 150 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होता है
  2. जमुना सफेद-3 (जी 282) – इसके जवा का रंग सफेद तथा गुदा क्रीम रंग का होता है इसकी प्रजाति को तैयार होने में 140 – 145 दिन लगता है और इसकी पैदावार 180 – 200 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होता है जवां की मोटाई 1.04 -105 सेमी. तथा वजन 25 से 29 ग्राम होता है  
  3. एग्रोफाउंड पार्ववती- इसकी प्रजाति 145 – 150 दिन में तैयार होती है इसकी गाड़े  ठोस तथा बड़े आकार का होता है इसका रंग उजला होता है एक गांठ में 12 – 18 जवा होते हैं इसकी ऊपज 175 – 225 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होता है
  4. एग्रोफाउंड सफेद- यह प्रजाति को तैयार होने में 165 – 170 दिन का समय लगता है इसका रंग उजाला  तथा प्रत्येक गांठ में 15 -20 जवा होते हैं इसकी पैदावार 130 -140 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होता है

लहसुन के लिए मिट्टी तथा जलवायु इस प्रकार होनी चाहिए

लहसुन की खेती के लिए दोमट मिट्टी होनी चाहिए जिससे लहसुन की पैदावार काफी अच्छी होती है खेत को 3-4 बार जुताई (10 – 14 सेमी.) गहराई कर लें तथा पाटा  की सहायता से खेत को बराबर कर ले फिर क्यारिया बना ले और सिंचाई के लिए नालियां भी, लहसुन की अच्छी ऊपज के लिए मध्यम ठंडी जलवायु हो फिर 10 – 15 दिनों में सिंचाई कर लेनी चाहिए/

लहसुन की रोपाई कब और कैसे करें

लहसुन की बुवाई का सही समय अक्टूबर से नवंबर होता है लहसुन की गांठ होती है जिसे गाठो  से जावे को  अलग- अलग कर लेते हैं इन्हीं जनों  को बोया जाता है बोआई  से पहले खेत में क्यारियां को छोटे-छोटे भागों में बांट लें लहसुन की अच्छी पैदावार के लिए 10 से 15 सेमी. दूरी क्यारियां बना लेना चाहिए और 2-3 सेमी.  गहराई हो जावा को क्यारियो में 7 -8 सेमी. दूरी और गहराई में बुवाई करनी चाहिए जावे को बोते समय ध्यान रखें कि जवां का नुकीला भाग ऊपर हो और बुवाई के बाद ऊपर से हल्की  मिट्टी से  ढाक देंना चाहिए

लहसुन की सिंचाई कब और कैसे

लहसुन के बुवाई के तुरंत बाद हल्की सिंचाई कर देनी चाहिए फिर 9 -11 दिन में सिंचाई करनी चाहिए जब भी सिंचाई करें हल्की करें खेत में पानी भराव नहीं होना चाहिए ज्यादा सिंचाई करने से जवाब ईधर -उधर हो सकता है जिससे लहसुन की पैदावार अच्छी नहीं होगी और काफी हानि का सामना करना पड़ेगा

खाद एवं उर्वरक कब और कैसे डालें

लहसुन बोने से कुछ दिन  पहले खेत को 3-4 बार जोताई कर लेनी चाहिए फिर मिट्टी में पुरानी की गोबर खाद ,100 किलोग्राम नत्रजन, 50 किलोग्राम फास्फोरस ,50 किलोग्राम पोटाश, डी0 ए0 पी0  और यूरिया को मिलाकर खेत को पाटा की सहायता से बराबर कर ले बाकी की खाद को 30 से 40 दिन बाद पौधे की रोपाई होने के बाद छिड़काव करें

लहसुन की निराई एवं खतपतवार कब और कैसे निकाले

खेत में लहसुन बोने के पहले खरपतवार को अच्छे से साफ कर लें जिससे लहसुन की रोपाई के तुरंत बाद निराई ना करना पड़े निराई हाथों से खुरपी की सहायता से करनी चाहिए लहसुन की बुवाई  के 25 – 27 दिन बाद पहली निराई / गुड़ाई करनी चाहिए दूसरी निराई / गुड़ाई 45 – 46 दिन बाद करनी चाहिए लहसुन की अच्छी फसल के लिए हमेशा खतपतवार निकालते रहे और समय-समय पर निराई/ गुड़ाई करते रहना चाहिए जवा को थोड़ा दूर- दूर लगाएं जवे को पास -पास ना लगाएं जिससे निराई/ गुडाई करने मे जावे (पौधे) कट जाते हैं और फसल में बहुत ही हानि होती है

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लहसुन के पौधों मे रोग/ कीट से बचाव

1.थ्रिप्स कीट- यह किट लहसुन में लग गए तो पूरी फसल बर्बाद कर देते हैं  यह एक ऐसा कीट है जो  लहसुन के पत्तियो पर बैठकर पत्तियों को छेद कर उनका सारा रस चूस लेता है जिससे पत्तियां सूख कर गिर जाती है और पौधे सूख जाते हैं जिससे कारण गांठ छोटी रह जाती है और लहसुन की गांठ अच्छे से नहीं पढ़ पाते हैं

2.झुलसा व अगमारी- झुलसा सफेद रंग का होता है जो पत्तियों में लग जाता है तो पत्तियों का रंग बैगनी हो जाता है और लहसुन का पौधा मर जाता है या रोग बढ़ने पर पत्तियां झुलस जाते हैं जिससे पौधा पढ़ नहीं पाता है और पौधे की गांठ छोटी रह जाती है

  1. ब्लैक मोल्ड- ब्लैक मोड एक ऐसा कीट है जो लहसुन पकने पर लगता है  यह लहसुन की कलियों के बीच में पाउडर के रूप में दिखाई देने लगता है जिससे लहसुन खराब हो जाता है और बाजार में इसका भाव कम हो जाता है
  2. बैगनी धब्बा रोग- इस बीमारी का कारण अल्टरनेरिया पोटि नामक कवक है जिस जगह पर लहसुन की बुआई होती है यह  रोग वहां ज्यादा पाया जाता है यह रोग लहसुन के पौधों की डंठलो पर लगती है जो पौधों को धीरे-धीरे जड सुखा देती हैं
  3. ग्रीन निगलने- यह एक बोट्राइटिस आली नामक कवक है इस रोग के कारण पौधे तने के पास से सड़ने लगते हैं और इसी रोग के कारण तने से गाठो में प्रवेश कर लेते हैं और धीरे-धीरे पूरी गांठ पड़ जाती है

कीटो पर रोकथाम

  • नामक कीट से बचने के लिए डाईमिथोएट   30% ईसी 1.5 मिली प्रति लीटर पानी में मिलाकर पौधों पर छिड़काव करें
  • लहसुन के पौधों को पास पास ना लगाएं
  • लहसुन की खेती में ज्यादा सिंचाई भी ना करें और जलभराव ना हो 
  • लहसुन में रोग लगने पर मैकोजेब  करीब 0.2 प्रतिशत या फिर रिडोमिल एम जेड करीब 0.2 प्रतिशत गोल बनाकर पौधों को छिड़काव करें बेकार पत्तियों को समय-समय पर निकालते रहें
  • जब लाखन की खुदाई करें तो 3 हफ्ते पहले 3000 पीपीएम मैलिक हाइड्रोजन का छिड़काव करें
  • ग्रीव निगलने  नामक रोग से बचने के लिए बीज डालने से पहले थाइरम कैपटाॅन या बाविसटीन  से छिड़काव करें

लहसुन की खुदाई की विधि

लहसुन की खुदाई कई क्षेत्रों मिट्टी नरम होने के कारण हाथों से उखाड़ लिया जाता है कई क्षेत्रों में  कढी  होने के कारण हाथो  से नहीं उखाड़ा जा सकता है जब लहसुन की पत्तियां पक जाती है और पौधो  कमजोर दिखने लगते हैं तब  4-5 दिन पहले खेत में हल्की सिंचाई कर देनी चाहिए जिससे लहसुन  की खुदाई करने में आसानी हो और हाथों की मदद से उखाडा जा सके लहसुन की खुदाई खुरपी या कुदार की सहायता से करनी चाहिए

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