धान की खेती कैसे करें(dhaan ki kheti kaise karen ) :-
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नमस्कार किसान भाई आप सभी तो यह जानते ही होंगे कि भारत में धान की खेती ( dhaan ki kheti ) को मानसून की खेती कहा जाता है भारत में धान की खेती ज्यादातर किसान बारिश के मौसम में करते हैं और कुछ किसान भाई धान की खेती साल में दो बार करते हैं छत्तीसगढ़ केरल अन्य दक्षिण भारत के कुछ राज्य में धान की खेती वर्ष भर की जाती है और यदि हम उत्तर प्रदेश उत्तराखंड हरियाणा पंजाब हिमाचल प्रदेश के किसने की बात करें तो यहां के किसान धान की खेती बरसात के समय में करते हैं |
तरीका चाहे जो भी हो लेकिन जिस तरीके से उत्पादन अधिक प्राप्त हो उन्हें तरीकों का प्रयोग करना एक सफल किसान की पहचान होती है तो आज के अपने इस आर्टिकल में हम आप लोगों को धान की खेती कैसे करें dhaan ki kheti kaise karen के बारे में संपूर्ण जानकारी प्रदान करेंगे यदि आप भी धान की खेती करके कम लागत में अधिक उत्पादन प्राप्त करना चाहते हैं तो हमारे इस आर्टिकल को अंत तक अवश्य पढ़ें |
धान की खेती( dhaan ki kheti ) के उन्नत तरीके
धान की खेती करने के लिए आजकल विभिन्न प्रकार के तरीके अपनाए जा रहे हैं और इन तरीकों से काफी अधिक मात्रा में पैदावार भी प्राप्त की जा रही है यह तरीका कुछ इस प्रकार से हैं |
- रोपाई विधि
- (DSR) सीधी बिजाई
- श्री विधि
किसान इन्हीं तरीकों का उपयोग करके आज अधिक मात्रा में धान की खेती से उत्पादन प्राप्त कर रहे हैं आप अभी इनमें से किन्हीं एक तरीकों को अपना कर धान की खेती कर सकते हैं ऊपर दिए गए धान की खेती करने का तरीका अलग-अलग है इसलिए इन तरीकों का सही से उपयोग करने के लिए धान की खेती की इन वीडियो के बारे में जानना आवश्यक है |
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रोपाई विधि :-
आज के ज्यादातर किसान धान की खेती करने के लिए रोपाई विधि का उपयोग अत्यधिक मात्रा में कर रहे हैं किसान भाई धान की खेती करने की इस विधि को अपनाकर अधिक मात्रा में उपज प्राप्त कर रहे हैं तो आईए आज हम इनके आसान तरीकों को समझते हैं |
धान की खेती की रोपाई विधि :-
धान की खेती रोपाई विधि से करने के लिए सबसे पहले आपको अच्छी उपज के लिए एक अच्छे बीज का चुनाव करना होगा अच्छे बीज के लिए देसी हाइब्रिड शंकर या रिसर्च बीज जो आपको आसानी से मिल सके उसका चयन करें |
इसके बावजूद भी आपको यह ध्यान रखना है कि आप बासमती मोटा माध्यम मोटा पतले चावल में से किसकी खेती करना पसंद करेंगे इतना करने के बाद आपको उपयुक्त जलवायु मिट्टी और पानी का विशेष ध्यान रखना है |
धान की खेती के लिए उपयुक्त जलवाय :-
धान की खेती ( dhaan ki kheti ) करने के लिए वायु का औसतन तापमान 25 डिग्री सेल्सियस से 30 डिग्री सेल्सियस के बीच होना चाहिए धान की सामान्य वृद्धि और विकास के लिए दिन का तापमान 25 डिग्री सेल्सियस से 30 डिग्री सेल्सियस और रात का तापमान 18 डिग्री सेल्सियस से 20 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए |
धान की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी :-
धान के लिए टोमेट हल्की दोमट और मटियार मिट्टी उपयुक्त मानी जाती है ऐसे क्षेत्र जहां दो से चार इंच तक पानी जमा रहता है वहां सिंचाई की आवश्यकता नहीं पड़ती है इसलिए इसकी खेती आप उन परिस्थितियों में भी आसानी से कर सकते हैं जिन परिस्थितियों में आप बिना पानी के कोई भी फसल नहीं उगा सकती |
धान की खेती की सिंचाई :-
यदि किसान भाई धान की खेती बरसात के समय में करते हैं तो सिंचाई की जरूर नहीं पड़ती है क्योंकि बरसात का पानी ही धान की खेती के लिए पर्याप्त होता है और यदि किसी कारणवश बरसात नहीं होती है या गर्मी के मौसम में धान की खेती करने पर 7 से 10 बार सिंचाई की जरूरत पड़ती है |
धान की नर्सरी :-
धन की रोपाई करने के लिए सबसे पहले धान की नर्सरी को तैयार करना पड़ता है धान की नर्सरी तैयार करने के लिए उन्नतशील बीज का चयन करके 15 से 20 में के बीच मैं नर्सरी को डाल देना चाहिए और एक एकड़ के लिए शंकर धान का 6 किलो बीज़ देसी या रिसर्च धान का 12 किलो बीज 1 एकड़ खेत के लिए डालना चाहिए |
धान की खेती के लिए खेत की तैयारी
धान की खेती ( dhaan ki kheti ) करने के लिए खेत की तैयारी धान रोपाई से पहले कर लेनी चाहिए जिस खेत में धान की रोपाई करनी होती है उसे खेत में में महीने में ढांचा या हरी खाद के लिए लोबिया की बुआ आई करके हरी खाद तैयार कर लेनी चाहिए और धान रोपाई के 15 से 20 दिन पहले ढांचा लोबिया को खेत में रोटावेटर या डिस्क हैरो से जुताई करके खेत में 4 से 5 इंच तक 7 से 8 दिन तक पानी में खड़ा रखें |
जिससे हरी खाद अच्छे तरीके से कंपोस्ट हो जाएगी और उसके बाद धान की रोपाई करने से पहले खेत की अच्छे तरीके से जुताई कर देने के बाद धान की रोपाई करने से ध्यान में खरपतवार नहीं होते हैं |
धान रोपाई :-
धान की रोपाई करने से पहले धन नर्सरी की जड़ को फफूंद नाशक और कीटनाशक से उपचारित करके रोपाई करने से धान के पौधों में फफूंद जनित और कीटनाशक बीमारी यो से बचाने के लिए कर देना चाहिए इसके अलावा भी खेतों को कीटनाशक और फफूंद नाशक से उपचारित कर लेना चाहिए जिससे मिट्टी में उपस्थित किट और फफूंद से पौधे सुरक्षित रह सके |
इसके लिए फफूंद जनित कॉर्बेंडाज़ेम 12%मैनकॉज़ेब 63% की 500g मात्रा प्रति एकड़ में डालें और कीटनाशक के रूप में क्लोरोपरीफोस 20EC को 1 लीटर पानी में डालकर रोपाई के बाद दीमक और सफेद गिटार पौधों की जड़ काली होकर जड़ सड़ने जैसी रोग बीमारी से बचाया जा सकता है |
धान की रोपाई करने के 24 घंटे के अंदर ही बूटा क्लोर 1 लीटर मात्रा प्रति एकड़ स्प्रे कर देने से धान की फसल में उगने वाले खरपतवारों को नियंत्रित किया जा सकता है |
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धान की खेती में प्रयुक्त उर्वरक की मात्रा :-
धान की खेती करते समय जरूरी पोषक तत्वों के लिए उचित मात्रा में उर्वरक देना होता है धान में फास्फेट नाइट्रोजन और पोटाश की पूर्ति धान रोपाई के समय 10 दिन के अंदर में जरूर कर दें इसके लिए DAP NPK यह सिंगल सुपर फास्फेट को डाल दें इसके लिए मृदा परीक्षण के आधार पर उर्वरक की मात्रा देनी चाहिए |
- N.P.K.12:32:16 की 70-75KG/एकड़
- DAP 18:46 की 45-50KG/एकड़
- SSP की 100-150 KG/एकड़ देनी चाहिए
- DAP देने पर साथ में MOP 60 की मात्रा 20KG मात्रा मिलाकर
- दें, SSP के साथ यूरिया 35KG + 20KG साथ में मिलाए।
धान की रोपाई के 30 से 35 दिन बाद यूरिया 50 से 55 किलोग्राम के साथ 5 किलोग्राम मोनो जिंक 33% मिलाकर देने से नाइट्रोजन और जिंक की पूर्ति हो जाएगी यदि आप जिंक धान में नहीं देते हैं तो खैरा रोग लगता है जिससे फसल को भारी नुकसान होता है |
सामान्यतः पूछे जाने वाले प्रश्न
भारत में एक एकड़ खेत में 25 से 28 क्विंटल धान उगाया जा सकता है परंतु यदि आप हाइब्रिड बीजों और चावल को किसी प्रणाली का इस्तेमाल करके इसकी खेती करते हैं तो 50 से 60 कुंतल तक पैदावार हो सकते हैं |
धान की रोपाई करते समय पौधे एवं पंक्ति की दूरी 25 × 25 सेंटीमीटर होनी चाहिए |
धान की हाइब्रिड किस्मो के लिए धान की नर्सरी को तैयार करने का उपयुक्त समय में का दूसरा सप्ताह से लेकर पूरा जून होता है |