Ragi ki kheti | रागी की उन्नत खेती कैसे करे जाने सम्पूर्ण जानकारी

रागी की खेती ( Ragi ki kheti ) :-

रागी एक ऐसी फसल होती है जिसकी खेती सूखा प्रभावित क्षेत्र में भी आसानी से किया जा सकती हैं रागी को सभी पौष्टिक अनाजों में से एक माना गया है क्योंकि रागी मे कैल्शियम आयरन प्रोटीन फाइबर और अन्य खनिज तत्वों की भरपूर मात्रा पाई जाती है रागी अनाज का वसा वाली होती है जो बचाने में आसानी होती है और इसमें ब्रिटेन शामिल नहीं होता है जिस कारण से यह वजन को नियंत्रित करने में हड्डियों को स्वस्थ बनाए रखना रक्त कोलेस्ट्रॉल कम करने एनीमिया को नियंत्रित करने में मदद करता है जो मधुमेह रोगी के लिए काफी लाभदायक होता है |

रागी में अमीनो एसिड की भरपूर मात्रा पाई जाती है जो शरीर के सामान्य कामकाज में मदद करते हुए यदि नियमित रूप से रागी का सेवन किया जाए

Ragi ki kheti

तो कुपोषण का शिकार होने से बच सकते हैं इसके अलावा भी रागी का उपयोग रक्तचाप यकृत विकार अस्थमा स्तनपान कराने वाली महिलाएं और हृदय की कमजोरी की स्थिति के लिए हरी रागी का सेवन करने की सलाह दी जाती है |

इसका अधिक मात्रा में सेवन करने से शरीर में ऑक्जेलिक एसिड की मात्रा की कमी नहीं होती है इसलिए गुर्दे की पथरी वाले रोगियों को भी इसकी सलाह नहीं दी जाती है फिंगर मिलेट को मूल्य वर्धित किया जा सकता है और केक रोटी दोसा दलिया उपमा पेठा हलवा रागी के पाउडर से बिस्कुट आदि विभिन्न प्रकार के सामग्री को तैयार किया जा सकता है |

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रागी की खेती ( Ragi ki kheti ) के लिए उपयुक्त जलवायु :-

राजी मडूआ फिंगर मिलेट अफ्रीका और एशिया के सुख क्षेत्र में अधिक मात्रा में उगाया जाता है इसे भारत में कुछ 4000 साल पहले लाया गया था रागी की खेती बाजरे की खेती की तरह होती है जिसकी खेती मैं के आखिरी और जून के अंत तक किया जाता है इसके अलावा भी कई क्षेत्रों में इसकी रोपाई जून के बाद की जाती है कुछ क्षेत्र ऐसे भी होते हैं जहां पर इसकी खेती जाड़ा के मौसम में की जाती है |

Ragi ki kheti करने के लिए बीजों के अंकुरण के लिए सामान्य तापमान की आवश्यकता होती है और पौधों को विकास करने के लिए 28 से 30 डिग्री के तापमान किया सकता है पूर्ण रूप से विकसित रागी के पौधे 45 से 50 डिग्री का तापमान सेंड करने की क्षमता रखते हैं जीपीयू 45, चिलिका , जेएनआर 1008, आरएच 374, पीइएस 400, वीएल 149, जेएनआर 852, कुछ उन्नत किस्में हैं। जिन्हें आप अपने क्षेत्र के अनुसार चयन कर उनकी बुवाई कर सकते है |

रागी की खेती करने के लिए खेत की तैयारी :-

रागी की फसल की खेती करने के लिए बुवाई करने से पहले खेत को तैयार किया जाता है इसके लिए खेतों में उपस्थित पुरानी फसलों के अवशेष को नष्ट करने के लिए तीन से चार बार जुताई करके छोड़ दिया जाता है और इसके बाद रागी की फसल से अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए 15 से 16 टन जैविक के रूप में सड़ी हुई गोबर की खाद और खेत में डालकर 2 से 3 बार गहरी जुताई करें |

और उसके बाद खेत में पानी भरकर पहले कर देना चाहिए और फिर खेत को तीन से चार दिनों के लिए मे छोड़ देना चाहिए और मिट्टी सुखी दिखाई देने पर पून: खेत की जुताई करते पाटा चला देना चाहिए जिस खेत समतल हो जाए और जल भराव की समस्या ना हो |

रागी के बीजों की बुवाई कैसे करें :-

रागी की खेती ( Ragi ki kheti ) दो तरीकों से की जा सकती है पहले ड्रिल विधि द्वारा दूसरा छिड़काव विधि द्वारा यदि आप बुवाई की प्रक्रिया कतर मैं करते हैं तो कतर से कतर के बीच की दूरी 45 सेंटीमीटर और बीज से बीच की दूरी 4 से 5 सेमी रखना चाहिए बीजों की बुवाई करने से पहले इसे उपचारित कर लेना चाहिए बीजों को उपचारित करने के लिए कार्बन डाइऑक्साइड या बोबिस्टन या फिर सीरम का प्रयोग करना चाहिए क्योंकि बीजों को उपचारित करने से फसल में लगने वाले रोग की मात्रा कम हो जाती है |

रागी के फसलों की सिंचाई :-

रागी के फसलों को ज्यादा सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है क्योंकि इसकी खेती बारिश के मौसम में की जाती है और यदि बारिश नहीं होती है तो इस स्थिति में 15 से 20 दिनों के अंतराल पर सिंचाई की आवश्यकता होती है क्योंकि इसके फसल उच्च गर्मी सहन करने की क्षमता रखते हैं रागी की फसल को तीन से चार बार सिंचाई किया सकता होती है और जब पौधे पर फूल और दाने आने लगते हैं तब खेत में नमी पर विशेष ध्यान देना पड़ता है

खरपतवार नियंत्रण :-

रागी के फसलों में पौधों में खरपतवार नियंत्रण करने के लिए आइसोप्रोट्यूरॉन या ऑक्सीफ्लोरफेन का उचित मात्रा में छिड़काव कर देना चाहिए और यदि खरपतवार नियंत्रण,प्राकृतिक तरीके से की जाती है तो इसके लिए बीजों की रोपाई के 15 से 20 दिन बाद एक बार पौधों की निराई- गुड़ाई कर देनी चाहिए |

रागी के फसलो में खाद और उर्वरक की मात्रा :-

रागी के खेतों में खाद देने की विशेष आवश्यकता नहीं होती। अच्छी पैदावार के लिए मिट्टी जांच रिपोर्ट के अनुसार रासायनिक खाद के रूप में एक से दो बोरे एनपीके की मात्रा को प्रति हेक्टेयर की दर से खेत की आखिरी जुताई के समय छिड़ककर मिट्टी में मिला देना चाहिए |

सामान्यतः पूछे जाने वाले प्रश्न
रागी की फसल कितने दिनों में पककर तैयार हो जाती है ?

रागी की फसल बुवाई के 130 से 135 दिनों में पककर तैयार हो जाती है जब फसल तैयार हो जाए तो इसकी बोलियों को डराती से काटना चाहिए और फसल की कटाई के बाद बोलियों को इकट्ठा कर धूप में लगभग 4 से 5 दिन तक सुखाये |

रागी फसल का दूसरा नाम क्या है ?

रागी फसल का दूसरा नाम मंडुआ है जिसके पौधों की लंबाई लगभग 1 मीटर होती है |

भारत में रागी की खेती कहां-कहां की जाती है ?

भारत में रागी की खेती सबसे अधिक मात्रा में राजस्थान कर्नाटक आंध्र प्रदेश तमिलनाडु उड़ीसा महाराष्ट्र उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र और गोवा में की जाती है जिसमें से महाराष्ट्र तमिलनाडु और उत्तराखंड भारत में राज्य का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है |

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