Ramdana ki kheti : रामदाना की खेती से कम पानी और कम मेहनत से कमाए अच्छा मुनाफा

रामदाना की खेती ( Ramdana ki kheti )

रामदाना जिसे चौलाई या राजगिरा के नाम से भी जाना जाता है रामदाना की खेती ( Ramdana ki kheti ) सिर्फ दाना के लिए ही नहीं बल्कि जानवरों के लिए चारा प्राप्त करने के लिए किया जाता है इसमें प्रोटीन फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट जैसे खाद्य पदार्थ की महत्वपूर्ण मात्रा उपलब्ध होती है और इसके साथ ही रामदाना का उपयोग लड्डू पट्टी और लइया बनाने में किया जाता है |

सबसे ज्यादा मात्रा में इसका प्रयोग व्रत या उपवास के समय में किया जाता है और इसके अलावा रामदाने से विभिन्न प्रकार के बेकरी प्रोडक्ट जैसे बिस्किट केक और पेस्टी बनाया जाता है अधिक मात्रा में रामदाना की खेती उत्तर पश्चिमी हिमालय के क्षेत्र में की जाती थी लेकिन अब देश के इलाकों में भी होने लगी है |

Rajgira ki kheti

रामदाना की खेती कैसे करें ( Ramdana ki kheti kaise kare )

रामदाना की बुवाई का समय :-

रामदाना की खेती ( Ramdana ki kheti ) खरीफ एवं रबी की सीजन में की जाती है भारत में इसकी खेती जम्मू कश्मीर हिमाचल प्रदेश उत्तराखंड तमिलनाडु बिहार गुजरात पूर्वी उत्तर प्रदेश बंगाल एवं हिमाचल प्रदेश इत्यादि में मिल्टेस फसल के रूप में की जाती है |

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सही मिट्टी :-

रामदाना एक प्रकार का दुर्लभ फसल होता है जिसे हर जगह नहीं उगाया जा सकता है इसके लिए अच्छे जल विकास वाली दोमट और बलुई मिट्टी का होना अनिवार्य है |

कैसे करें खेत की तैयारी :-

Rajgira ki kheti करने के लिए सबसे पहले खेत की एक बार मिट्टी पलटने वाले हाल की सहायता से जुताई करें और दो से तीन जुताई उन्नत कृषि यॉट से या हैरों से कर देना चाहिए और इसके बाद पता लगाकर खेत की मिट्टी को भुरभुरा और समतल कर लेना चाहिए |

उपयुक्त जलवायु:-

रामदाना की व्यवस्थापन खेती करने के लिए गर्म औरआद्र जलवायु की आवश्यकता होती है और उसकी खेती उन सभी स्थानों पर भी की जा सकती है जहां वर्षा का मात्रा में होती है |

रामदाना की उन्नतशील किस्मे :-

जी.ए. 1 :-

रामदाना की यह किस्म 110 से 115 दिन में पककर  तैयार हो जाती है इसके पौधों की ऊंचाई 205 से 210 सेंटीमीटर बाली हल्के हरे और पीले रंग के होते हैं 1000 दाने का वजन 0.8 ग्राम और उत्पादन 20 से 25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की मात्रा से होती है |

जी.ए.-2 :-

यह किस्म बुवाई के 95 से 100 दिनों के अंदर पककर तैयार हो जाती है इसके पौधों की ऊंचाई 180 से 200 सेंटीमीटर होती है बाली का रंग लाल होता है 1000 दानो  का वजन 0.8 ग्राम और उपज की मात्रा 22 से 25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होते हैं |

अन्नपूर्णा :-

रामदाना कि यह किस्म बुवाई के लगभग 105 से 110 दिनों में पाटकर तैयार हो जाती है इसके पौधे की ऊंचाई 200 सेमी होती है बाली का रंग हरा एवं पीला होता है उपज 18 से 22 कुंतल प्रति हेक्टेयर होती है |

बीज की दर एवं उपचार:-

Rajgira ki kheti करने के लिए यदि हम बीज दर की बात करें तो एक हेक्टेयर खेत में 1 किलो बीज प्रयोग किया जाता है और बुवाई करने से पहले इसके बीजों 2 से 3 ग्राम थीरम मैं 1 किलो बीज को उपचारित कर लेना चाहिए |

खाद एवं उर्वरक की मात्रा :-

रामदाना की खेती ( Ramdana ki kheti ) में 60 किग्रा. नत्रजन, 40 किग्रा. फास्फोरस एवं 20 किग्रा. पोटाश प्रति हेक्टेयर की आवश्यकता पड़ती है बुआई के समय नत्रजन की आधी मात्रा फास्फोरस एवं पोटाश की सम्पूर्ण मात्रा देनी चाहिए, नत्रजन की आधी मात्रा का दो बार में छिड़काव करना चाहिए |

सिचाई :-

खरीफ मौसम में सिंचाई वर्षा के आधार पर की जाती है |

निराई -गुड़ाई :-

बीज बोने के 20–25 दिन बाद खेत की निराई-गुड़ाई की जाती है। फसल की दो बाद निराई-गुड़ाई अवश्य करनी चाहिए |

कटाई-मड़ाई :-

फसल पीले पड़ने के बाद ही  कटाई – मड़ाई कर लेनी चाहिए |

उपज :-

20–25 कुन्तल प्रति हे० पैदावर होती है |

रामदाना की फसल में लगने रोग और रोगथाम :- 

रामदाना की फसल (झोंका) ब्लास्ट व सड़न आदि बीमारियों का आक्रमण जयदा मात्रा में होता है और खड़की फसल में डाइथेन जेड 78 पर 0.05 प्रतिशत बेविस्टीन के घोल का छिड़काव से भी रोग का प्रभाव कम हो जाता है।

सामान्यत: पूछे जाने वाले प्रश्न
रामदाना फसल की बुवाई कौन से महीने में की जाती है ?

रामदाना फसल की बुवाई अगस्त महीने में की जाती है इसकी खेती इस समय सीमा 90 से 100 दिन होता है |

रामदाना को और किन-किन नाम से जानते हैं ?

रामदाना को राजगिरा और चौलाई के नाम से जाना जाता है इसका सेवन अक्सर व्रत या उपवास करने पर किया जाता है |

रामदाना खाने के क्या-क्या फायदे होते हैं ?

रामदाना ग्लूटेन फ्री भी होता है जो लोग गेहूं के आटे की बनी रोटी नहीं खा सकते हैं वह इसका सेवन कर सकते हैं या हमारे पाचन तंत्र के लिए काफी लाभदायक माना जाता है इसका सेवन करने से कब्ज गैस अपच ब्लोटिंग और एसिडिटी की समस्या नहीं होती है |

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