हेलो दोस्तों स्वागत है आपका upagriculture के नई पोस्ट ग्वार की खेती ( Gawar ki kheti ) में आज के इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको ग्वार की खेती ( Gawar ki kheti ) के बारे में बताएंगे यदि आप भी ग्वार की खेती ( Gawar ki kheti ) करना चाहते हैं तो इस ब्लॉक को अंत तक अवश्य पढ़े |
जाने ग्वार की खेती ( Gawar ki kheti ) का सही समय और इसके लाभ :-
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ग्वार की खेती ( Gawar ki kheti ) करने वाले किसानों के लिए कृषि विशेषज्ञ बताया है कि खेती में महीने में ना करें ग्वार की खेती के संबंध में कृषि विभाग सिरसा के खंड नाथूसरी चौपटा के अधिकारी व ग्वार विशेषज्ञ की संयुक्त टीम किसानों को जागरूक करने में लगी है और नाथूसरि चौपटा एटीएम डॉक्टर मदन सिंह इतवार के विशेषज्ञ के सहयोग के खंड नाथूसरि चौपटा एक गांव खेड़ी में ग्वार की समय से पहले बुवाई नहीं करना चाहिए |
और जड़ गलन की रोग की रोकथाम के बारे में किसानों को जागरूक करने के लिए एक शिविर का आयोजन किया गया है जिसके अंतर्गत किसानों को ग्वार की उन्नत किस्मो समय पर बीजों की बुवाई बीज उपचार व उपयुक्त मात्रा में खाद प्रयोग करने के बारे में बताया गया है |
क्यों नहीं करना चाहिए किसानों को मई माह में ग्वार की खेती ( Gawar ki kheti ) :-
ग्वार की खेती ( Gawar ki kheti ) मई माह में न करने की सलाह ग्वार विशेषज्ञ डॉक्टर यादव के द्वारा दी गई है इसके पीछे का मुख्य कारण यह बताया गया है कि यदि किसान मई माह में द्वारा की बुवाई करते हैं तो पौधों की लंबाई अधिक हो जाएगी जिससे फसल गिरने के अधिक डर बना रहता है इतना ही नहीं बल्कि पौधों में फलों का उत्पादन भी काम होगा और नीचे की फलिया जो बनेंगे वह सिकुड़ कर सूख जाएंगे इससे ग्वार की पैदावार पर बहुत बुरा असर पड़ेगा |
आपकी जानकारी के लिए यह बता दें कि सिरसा जिले के नहरी क्षेत्र में नरमा की बुवाई करने के बाद किसानो की आम धारणा रहती है कि नहर का पानी उपलब्ध होने पर भी अपने खेत में पानी लगाकर में महीने में ही ग्वार की खेती करने लग जाते है |
जाने कब करें ग्वार की खेती :-
ग्वार की खेती ( Gawar ki kheti )करने का सबसे उपयुक्त समय जून का दूसरा सप्ताह माना जाता है यदि आपकी जमीन सिंचित क्षेत्र में है जहां पर नहर का फालतू पानी बर्बाद होता है या फिर आपके पास सिंचाई का साधन है तो किसान ग्वार की खेती कर सकते हैं परंतु बीजों की बुवाई करने से पहले बीजों उपचारित कर लेना चाहिए ग्वार की फसल को जड़ गलन या उखेड़ा रोग भी कहते हैं |
इस रोग की रोकथाम करने के लिए 3 ग्राम कार्बन्डाजिम 50 प्रतिशत (बेविस्टीन) प्रतिकिलो बीज की दर से 15 से 20 मिनट सूखा उपचारित करने के बाद ही बीजों की बुवाई करनी चाहिए 3 ग्राम कार्बन्डाजिम 50 प्रतिशत (बेविस्टीन) प्रतिकिलो बीज की दर से 15 से 20 मिनट सूखा उपचारित करने के बाद ही बीजों की बुवाई करनी चाहिए |
जाने कैसे करें ग्वार की खेती :-
ग्वार की खेती ( cultivation of guar ) गर्मी और वर्षा के मौसम में की जाती है यदि आप ग्वार की फसल से अच्छा उत्पादन प्राप्त करना चाहते हैं तो इसे काली मिट्टी में ना बोकर बलुई दोमट मिट्टी में बोना चाहिए क्योंकि बलुई दोमट मिट्टी में ग्वार का उत्पादन अच्छा प्राप्त होता है ग्वार की बुवाई करने के लिए खेत को सबसे पहले तैयार करना होता है इसके लिए खेत की पहली जुटा मिट्टी पलटने वाले हाल जिसे हैरो कहते हैं उसे जुटा करना चाहिए और इसके बाद कल्टीवेटर से दो बार जीति करनी चाहिए और पता लगाकर खेत को समतल कर लेना चाहिए ग्वार की बुवाई किसान दो समय में कर सकते हैं |
यदि किसान सब्जी के लिए ग्वार की खेती करता है तो उसे फरवरी मार्च में सरसों गन्ना आलू की खड़ी फसल के साथ हो सकते हैं और यदि चारे के लिए इसकी खेती करना चाहते हैं तो इसकी खेती जून जुलाई माह में करना चाहिए |
ग्वार की बुवाई पहले मानसून के बाद कर देनी चाहिए परंतु अभी कई ऐसे क्षेत्र है जिनमें ग्वार की बुवाई सितंबर से अक्टूबर महीने में भी की जाती है 1 एकड़ खेत में ग्वार की खेती करने के लिए 6 से 8 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर की आवश्यकता होती है रोगों से बचने के लिए बुवाई करने से पहले ग्वार के बीजों को राइजोबियम व फास्फोरस सोलूबलाइजिंग बैक्टीरिया (पी.एस.बी.) कल्चर से उपचारित करके बोना चाहिए। सोलूबलाइजिंग बैक्टीरिया (पी.एस.बी.) कल्चर से उपचारित करके बोना चाहिए।
ग्वार का उपयोग क्या है :-
दोस्तों हम आपको बता दें कि ग्वार की खेती ( Gawar ki kheti ) से प्राप्त होने वाले फलियों को सब्जी बनाने के लिए उपयोग में लाया जाता है और इसके साथ ही जानवरों का पशु आहार एवं गोंद बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है इससे जो चारा प्राप्त होता है उसे स्वस्थ चारे को पशुओं को खिलाया जाता है |
और इसमें निकलने वाले गोंद से विभिन्न प्रकार के उत्पाद बनाए जाते हैं और इसके साथ ही ग्वार आटा ग्वार खाली ग्वार चूरी और ग्वार कोरमा ऐसे विभिन्न प्रकार के उत्पाद बनाए जाते हैं जिसमें काफी अधिक मात्रा में प्रोटीन उपलब्ध होता है इससे पशुओं को खिलाया जाता है और ग्वार से प्राप्त गोंद का उपयोग पेपर उद्योग कपड़ा उद्योग और इमारती लकड़ी सुमित सिंह के रूप में किया जाता है ग्वार के बीजों का उपयोग गोंद उद्योग के साथ ही पेट्रोलियम उद्योग किया जाता है |
सामान्यत : पूछे जाने वाले प्रश्न
ग्वार की बुवाई का सही समय जुलाई का प्रथम सप्ताह से लेकर 30 जुलाई तक सबसे उपयुक्त समय होता है और जहां पर सिंचाई की सुविधा उपलब्ध है वहां पर उसके फसल बोन का उपयुक्त समय जून का अंतिम सप्ताह होता है |
गर्मियों में ग्वार की खेती करने के लिए अधिक खरपतवार वाली भूमि की गर्मी के मौसम में एक बार जुताई करें वहीं वर्ष के साथ एक से दो जुताई करके खेत को तैयार कर लेना चाहिए और यदि संभव हो सके तो एक हेक्टेयर के हिसाब से 22 से 25 खाद डालें इससे अंकुरण अच्छा होगा और प्रत्येक में पैदावार की मात्रा भी बढ़ेगी |
ग्वार की फसल से अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए खेत में भर पानी को सहन नहीं कर पाती है इसलिए अधिक वर्षा होने पर जल निकास की उचित व्यवस्था करें |