Moong Ki Kheti : गर्मियों में मूंग की लाभकारी खेती

नमस्कार किसान भाईयो मूंग राजस्थान में खरीफ ऋतु में उगाई जाने वाली एक महत्वपूर्ण दलहनी फसल होती है राजस्थान राज्य में Moong Ki Kheti 12 लाख हैक्टेयर क्षेत्र में की जाती है राज्य में मूंग के फसल 70% शुष्क क्षेत्र वाले क्षेत्रफल में पाया जाता है लेकिन मूंग की औसत उपज काफी कम है तंतु विभिन्न प्रकार के उन्नत तरीकों का प्रयोग करके मूंग की पैदावार को 25 से 50% तक बढ़ाया जा सकता है |

Moong Ki Kheti : उन्नत किस्मे 

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Mung ki kheti

आर.एम.जी.-62 :- आर.एम.जी.-62 की खेती सिंचित या असिंचित दोनों क्षेत्रों के लिए उपयुक्त होता है इस किस्म की फसल 65 से 70 दिनों मे तैयार हो जाती है और इसकी औसत उत्पादन क्षमता 8 से 9 कुंतल प्रति हेक्टेयर होती है |
आर.एम.जी.-268 :- मूंग की यह किस्म बुवाई के 65 से 70 दिनों बाद पक्कर तैयार हो जाती है और इसके उत्पादन क्षमता 8 से 9 कुंतल प्रत्येक होती है |
एस.एम.एल.-668 :- Mung ki fasal की यह किस्म 65 से 75 दिनों में पक्कर तैयार हो जाती है और इसकी औसत उत्पादन क्षमता 8 से 9 कुंतल प्रति हेक्टेयर होती है |

इसके अलावा भी मूंग की विभिन्न प्रकार की उन्नत किस्म उपलब्ध है जो की निम्नलिखित हैं आर.एम.जी.-344, गंगा-8, जी.एस.-4 

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Moong Ki Kheti : भूमि एवं तैयारी 

Mung ki kheti करने के लिए दोमट एवं बलुई दोमट मिट्टी सबसे ज्यादा उपयोगी मानी जाती है और इसके साथ ही भूमि में उचित जल निकास की उचित व्यवस्था होना चाहिए भूमि की तैयारी करने के लिए पहले जुताई मिट्टी पलटने वाले हल या डिस्क हैरो का प्रयोग करना चाहिए तथा एक बार तिरछी जुताई करने के बाद पता लगाकर भूमि को समतल कर लेना चाहिए |

Moong Ki Kheti : बीजदर एवं बुवाई का समय 

मूंग फसल की बुवाई 15 जुताई तक कर देनी चाहिए क्योंकि देर से वर्षा होने पर शीघ्र पकने वाली किस्म की बुवाई 30 जुलाई तक की जा सकती है स्वास्थ्य एवं अच्छे गुणवत्ता वाले उपचारित बीज की बुवाई करना चाहिए यदि बुवाई कतारो में करते हैं तो कतारो के बीच की दूरी 45 सेमी और पौधों से पौधों के बीच की दूरी 10 सेंटीमीटर रखना चाहिए |

Mung ki kheti में खाद एवं उर्वरक की मात्रा :-

मूंग एक प्रकार की दलहनी फसल होने के कारण इसमें नाइट्रोजन की कम मात्र की आवश्यकता होती है मूंग के फसलों के लिए 25 किलोग्राम नाइट्रोजन 40 किलोग्राम फास्फोरस प्रति हेक्टेयर की आवश्यकता होती है नाइट्रोजन और फास्फोरस की समस्त मंत्र 90 किलोग्राम डीएपी और 10 किलोग्राम यूरिया के द्वारा भूमि के समय देनी चाहिए मूंग की खेती करने के लिए खेतों में तीन से चार वर्ष के अंतर्गत 8 से 10 टन सड़ी हुई गोबर की खाद डाल देनी चाहिए |

इसके अलावा 700 ग्राम राइजोबियम कलर को 1 लीटर पानी में ₹250 ग्राम गुड़ के साथ गर्म करें ठंडा होने पर बीज को उपचारित कर लेना चाहिए और इसके बाद बीज को छाया में सुखा लेना चाहिए तथा बुवाई कर देना चाहिए खाद और उर्वरक का प्रयोग करने से पहले उपस्थित मिट्टी की जांच करवा लेनी चाहिए |

खरपतवार नियंत्रण

मूंग के फसल की बुवाई की एक या दो दिन बाद तक पैडीमैथाइलिन की बाजार में उपलब्ध 3.30 लीटर मात्रा को 500 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव कर देना चाहिए और जब फसल 25 से 30 दोनों का हो जाए तो एक बार गुड़ाई कर देनी चाहिए |

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मूंग की खेती में लगने वाला रोग तथा कीट नियंत्रण :-

दीमक रोग :-

यह एक प्रकार का ऐसा रोग होता है जो पौधों की जड़ों को खाकर नष्ट कर देता है इसीलिए बुवाई करने से पहले अंतिम जुताई के समय खेत मे क्युनालफोस 1.5% क्लोरोपाईरोफोस् पाउडर की 20 से 25 किलोग्राम मात्रा प्रति हेक्टेयर की दर से खेत की मिट्टी में मिला देना चाहिए और बीज बोने से पहले क्लोरोपाईरोफोस कीटनाशक की दो मिलीलीटर मात्र से प्रति किलोग्राम बीज दर से उपचारित करके बोना चाहिए |

मोयला सफेद मक्खी एव हरा तेला :-

मूंग की फसल में यह सभी किट बहुत ही नुकसानदायक होते हैं और पौधों को काफी ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं उनकी रोकथाम के लिए मोनोक्रोटोफास 36 डब्लू एस.सी.या मिथायिल डिमेटान 25 ई.सी. डाईमिथोएट 30 ई. सी. आधा लीटर मैलाथियोन 50 ई. सी. को 25 लीटर पानी में मिलाकर प्रति हेक्टेयर कि दर से छिड़काव कर देना चाहिए |

इसके अलावा भी मूंग की फसल में विभिन्न प्रकार के रोग और कीट देखने को मिलते हैं जो की निम्नलिखित है कतरा:,पट्टी बीटल, फली छेदक,रस सूचक कीड़े, चित्ति जीवाणु रोग, पीत सिरा मोजैक, तना झुलसा रोग,इत्यादि |

Moong Ki Kheti : फसल चक्र 

Mung ki kheti

मूंग की फसल से अच्छी पैदावार प्राप्त करने के लिए सबसे पहले भूमि की उर्वरक शक्ति बनाए रखना हेतु फसल चक्र अपनाना आवश्यक होता है वर्षा आधारित खेती के लिए मूंग बाजार तथा सिंचित क्षेत्र में मूंग गेहूं जीरा सरसों फसल चक्र अपनाना चाहिए

Moong Ki Kheti : बीज उत्पादन

मूंग के बीज उत्पादन के लिए ऐसे खेत का चुनाव करना चाहिए जिसमें पिछले मौसम में मूंग ना पाया गया हो मूंग के खेती के लिए सब प्रदूषण को रोकने के लिए फसल के चारों तरफ 10 मीटर की दूरी तक मूंग का दूसरा खेत नहीं होना चाहिए और भूमि की अच्छी तैयारी के लिए उचित मात्रा में खाद्य एवं उर्वरक का प्रयोग करना चाहिए कीड़े एवं बीमारियों के नियंत्रण के साथ-साथ समय-समय पर अवांछनीय पदों को निकालते रहना चाहिए |

फसल को काट लेने के पश्चात सुखाकर दोनों को अलग कर लेना चाहिए और यह ध्यान रखें की बीज में नमी 8 से 9% से ज्यादा नहीं होनी चाहिए बी को साफ करके उपचारित कर सुखा स्थान पर रख देना चाहिए इस प्रकार पैदा किए गए बी को अगले वर्ष बुवाई के लिए भी आप प्रयोग कर सकते हैं |

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मूंग की खेती में फसल की कटाई

मूंग की फलियां जब काली पड़ने लगे तथा पौधे सुख दिखाई देने लगे तो फसलों की कटाई कर लेनी चाहिए क्योंकि मूंग की फसल अधिक सूख जाने पर फलियों के चिटकने का डर बना रहता है खलियों से बीज को थ्रेसर या डंडे द्वारा अलग कर लिया जाता है |

Moong Ki Kheti : उपज एवं आर्थिक लाभ 

Mung ki kheti उचित विधियो का प्रयोग करके करना चाहिए सही विधि का प्रयोग करके 7 से 8 कुंतल प्रति हेक्टेयर प्राप्त हो जाती है एक हेक्टेयर क्षेत्र में मूंग की खेती करने के लिए 5 से ₹7000 तक का खर्चा आ जाता है मूंग का भाव बाजार में ₹40 प्रति किलो है इस हिसाब से 15000 से ₹20000 का लाभ प्रति हेक्टेयर में प्राप्त किया जा सकता है |

सामान्यतः यह पूछे जाने वाले प्रश्न
मूंग की बुवाई का उपयुक्त समय क्या है ?

मूंग के बीजों की बुवाई का उपयुक्त समय जुलाई का प्रथम सप्ताह होता है फसल ग्रीष्मकालीन 15 मार्च तक बुवाई कर देना चाहिए क्योंकि बुवाई में देरी होने पर समय तापक्रम वृद्धि के कारण फलिया कम बन पाते हैं अथवा नहीं बन पाती हैं जिससे उपज काफी ज्यादा प्रभावित होती है |

मूंग के बीजों की बुवाई करने के कितने दिन बाद सिंचाई करना चाहिए ?

Moong Ki Kheti में ज्यादा सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है उनके पौधे को 10 से 15 दिन बाद सिंचाई की जरूरत पड़ती है अर्थात 10 से 13 दिनों के अंतराल में सिंचाई करते रहना चाहिए |

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