tarbuj ki kheti kaise kare

हेलो दोस्तों स्वागत है आपका upagriculture के नई पोस्ट तरबूज की खेती (  tarbuj ki kheti ) में आज के इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको तरबूज की खेती (  tarbuj ki kheti ) के बारे में बताएंगे यदि आप भी तरबूज की खेती (  tarbuj ki kheti ) करना चाहते हैं तो इस ब्लॉक को अंत तक अवश्य पढ़े |

tarbuj ki kheti : कब और कैसे करें

भारत में गर्मी के मौसम के आरंभ में किसानों के द्वारा बड़े पैमाने पर tarbuj ki kheti की जाती है इस दौरान बाजार में तरबूज के फल बहुत ही महंगे बिकते हैं और किसान भाई काफी अच्छा मुनाफा कमा सकते है तरबूज की खेती करना उचित तरीके से और बड़े बनाने पर तरबूज की खेती करने पर आप एक अच्छा आय स्रोत बना सकते हैं छोटे पौधे के उगने का इंतजार करते हुए और उनके रोपण की तैयारी करते हुए वह खेत तैयार करते हैं |

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तरबूज के अधिकांश व्यवसाय किस्म की रोपाई कों रोपाई 78 से 90 दिनों के बाद इसकी कटाई की जा सकती है इसकी कटाई केवल कैंची या चाकू के जरिए ही की जा सकती है कटाई के पश्चात तरबूज उगने वाले किसान फसल के अवशेष को नष्ट कर देते हैं tarbuj ki kheti से सम्बंधित संपूर्ण जानकारी के बारे में जानना चाहते है तो इस ब्लॉग कों अंत तक पढ़े |

tarbuj ki kheti तरबूज की खेती का सही समय क्या है

tarbuj ki kheti

तरबूज की बुवाई करने का समय फरवरी और मार्च का महिना होता है इस समय अच्छे से आप तरबूज के फलो की पैदावार कर सकते हैं और अन्य फलों की अपेछा तरबूज के फसलों में कम समय कम खाद और कम पानी की भी आवश्यकता होती है आपको बता दे की गर्मी में लोगों को खुद डिहाइड्रेशन से बचने के लिए तरबूज के फलों का भरपूर सेवन करते रहना चाहिए ऐसा होने से किसानों का मुनाफा अपने आप लाखों के पार हो जाता है

तरबूज की खेती के लिए आवश्यक जलवायु एवं मिट्टी

tarbuj ki kheti के लिए गर्म और औसत आर्द्रता वाले क्षेत्र सबसे उपयुक्त होते है। लगभग 25 से 32 डिग्री सेल्सियस तापमान में तरबूज का आकार अच्छा आता है। इस की खेती के लिए रेतीली और रेतीली दोमट भूमि सबसे बेहतर मानी जाती है।

तरबूज की खेती के लिए भूमि की तैयारी

tarbuj ki kheti के लिए सबसे पहले आपको खेत में  plough की सहायता से जोतना होगा ताकि मिट्टी में पहले से पड़े खरपतवार नष्ट हो जाएं और इसके बाद हैरो की सहायता से खेत को जोतना चाहिए ताकि मोटे मिट्टी के ढेले टूट जाए और खेत बराबर हो जाए |

तरबूज की खेती के लिए नर्सरी की तैयारी

tarbuj ki kheti के लिए नर्सरी 200 गज 10 सेंटीमीटर व्यास और 15 सेंटीमीटर आकर के पॉलिथीन बैग या संरक्षण नर्सरी के माध्यम से तैयार की जा सकती है पॉलीबैग नर्सरी में काली मिट्टी बालू और गोबर की खाद के मिश्रण को एक अनुपात एक अनुपात एक के अनुपात में भरना चाहिए पौधे उगाने के लिए ट्रे का उपयोग कर सकते हैं प्रत्येक में 98 कोशिकाएं होती हैं मुख्यतः खेत में लगभग 12 दिन पुराने पौधों की रोपाई की जा सकती है |

पौधों की बुवाई किस प्रकार की जाती है

ड्रिप की ट्यूबों को प्रत्येक बिस्तर के केंद्र में फैलाएं। 8-12 घंटे लगातार ड्रिप सिस्टम चलाकर क्यारियों की सिंचाई करें। बुवाई से ठीक पहले उगने से पहले खरपतवारनाशी (पेंडीमिथालिन @250 किग्रा a.i/ha) का छिड़काव करें। बुवाई के लिए 1.2 मीटर चौड़ाई और 30 सेमी ऊंचाई की उठी हुई क्यारियां बनाये। 60 सेंटीमीटर की दूरी पर बने गड्ढों में पौधे रोपें।

तरबूज की खेती के लिए खाद का प्रबंध

जब आप खेत को तैयार करें तो 8 टन गोबर की सड़ी हुई खाद की आखिरी जुताई से पहले दे इसके साथ आप आखिरी जुताई एजोस्पिरिलम और फॉस्फोबैक्टीरिया @1 किलोग्राम प्रति एकड़ और स्यूडोमोनोआस @1 किलोग्राम/एकड़  के साथ एफवाईएम 50 किलोग्राम और नीम के 40 किलो डालना चाहिए 22 किलोग्राम फोस्फोरस, 22 किलोग्राम यूरिया और 22 किलोग्राम पोटाश का प्रयोग जब फसल 10-20 दिनों की हो जाए उस समय करना चाहिए। आप इन सभी नुट्रिएंट्स को फर्टिगेशन के माध्यम से भी दे सकते है।

ड्रिप सिंचाई: मुख्य और उप-मुख्य पाइपों के साथ ड्रिप सिस्टम स्थापित करें और इनलाइन लेटरल ट्यूबों को 1.5 मीटर के अंतराल पर लगाएं। 4 एल पी एच और 3.5 एल पी एच क्षमता के साथ क्रमशः 60 सेमी और 50 सेमी के अंतराल पर पार्श्व ट्यूबों में ड्रिपर्स रखें।

सामान्यत पूछे जाने वाले प्रश्न
तरबूज का बीज बोने का सही समय क्या है ?

तरबूज की बुवाई का सही समय दिसंबर से जनवरी का होता है परंतु मार्च में इसकी हरवेस्टिंग होती है वहीं कुछ क्षेत्रों में इसकी बुवाई का समय फरवरी और मार्च जबकि पहाड़ी क्षेत्रों में अप्रैल में बोया जाता है |

तरबूज के पौधों में कौन-कौन सा खाद डालना चाहिए ?

तरबूज के पौधों से अच्छी फसल प्राप्त करने के लिए 250 क्विंटल सड़े हुए गोबर के खाद 80 किलोग्राम फास्फोरस तथा पोटाश 40 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर में उपयोग करना चाहिए |

तरबूज कब नहीं खाना चाहिए ?

रात के समय में तरबूज नहीं खाना चाहिए क्योंकि इस समय तरबूज को पचा पाना मुश्किल हो जाता है जिससे आतो में जलन पैदा हो सकती है इसलिए होता है क्योंकि रात में डाइजेशन प्रोसेस दिन की तुलना में धीमा हो जाता है |

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