Chikoo Ki Kheti: चीकू की खेती कैसे करें । Sapodilla Farming in Hindi का नया तरीका एवं लागत

Chikoo Ki Kheti in Hindi सर्दियों के मौसम में बाजार में कई प्रकार के फल मिलते हैं इन्हीं में से एक फल चीकू भी होता है जो शरीर के लिए बहुत ही लाभदायक होता है ऐसे में आप सर्दी के मौसम में चीकू के फल को अपनी डाइट में सम्मिलित कर सकते हैं चीकू में फाइबर, मैग्निशियम, कैलशियम आईरन विटामिन बी सी, मैंगनीज, पोटेशियम और प्रोटीन की भरपूर मात्रा मिलती है यह पोषक तत्व हड्डियों को मजबूत बनाती है एवं आगे पाचन तंत्र को भी स्वस्थ रखती है चीकू एक बागवानी फसल है इसकी खेती किसान भाई स्वादिष्ट फल प्राप्त करने के लिए करते हैं

चीकू की खेती (Chikoo Ki Kheti in Hindi)

मध्य अमेरिका और मेक्सिको को चीकू फल की उत्पत्ति का स्थान कहा जाता है लेकिन वर्तमान समय में भारत में भी चीकू की खेती बड़े पैमाने पर की जा रही है चीकू एक बार लगाया गया पौधा कई वर्षों तक फल देता रहता है भारत के महाराष्ट्र गुजरात तमिलनाडु और कर्नाटक राज्यों के कई बड़े इलाकों में चीकू की खेती की जाती है इस फल की त्वचा मोती व पूरे रंग की होती है तथा प्रत्येक फल से एक या दो काले रंग के बीज भी मिलते हैं

झारखंड में भी किया चीकू की खेती की जाती है जिस वजह से यह ऊंचे दामों पर मार्केट में बिकता था झारखंड के सरकार चीकू की खेती शुरू कर काफी अच्छी आमदनी प्राप्त कर सकते हैं इसकी खेती करने के लिए काम सिंचाई एवं कम रखरखाव की भी आवश्यकता होती है थोड़ी सी खाद एवं कम मात्रा में पानी देखकर भी इसके पेड़ अच्छे से उगते हैं

यदि आप भी चीकू की खेती करना चाहते हैं तो बड़ी आसानी से ही चीजों की खेती कर सकते हैं लेकिन यदि आप सोच रहे हैं कि चीकू की खेती कैसे करें तो इसके लिए आपको इस आर्टिकल को अंत तक ध्यान पूर्वक पढ़ना होगा क्योंकि हमने इस आर्टिकल की मदद से आपको सभी जानकारी दी है जैसे कि चीकू के फायदे टिक्कू की खेती के लिए भूमि खेती के लिए मौसम उन्नत किस्म आज के बारे में हम आपको विस्तार पूर्वक बताएंगे

चीकू के फायदे (Chikoo Benefits)

चीकू खाने के बहुत से फायदे भी होते हैं इनमें कैल्शियम फाइबर ट्रेनिंग ग्लूकोस विटामिन ए प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट जैसे पोषक तत्व भी भरपूर मात्रा में होते हैं
इसलिए चीकू के सेवन करना से हमारे शरीर को काफी लाभ भी मिलता है चीकू में एक खास तरह का निष्ठा का गुड भी होता है जिसका सेवन करने से बहुत सी बीमारियों में लाभकारी होता है

चीकू का फल सेवन करने से बवासीर तनाव एनीमिया और पेट संबंधी बीमारियों में काफी लाभ प्राप्त होता है इसके अलावा चीकू श्वसन तंत्र में जाने बलगम और कफ को भी बाहर निकलने में मदद करता है एवं साथी पुरानी से पुरानी खांसी को भी ठीक करता है

चीकू की खेती कैसे करें (Chikoo Ki Kheti)

झारखंड राज्य की कृषि योग्य भूमि के ज्यादातर भाग में खाद्यान्न फैसले उगाई जाती है जिसकी उत्पादकता बहुत ही काम है बागवानी फसलों की खेती के माध्यम से इन क्षेत्रों में पदकता बढ़कर अधिक लाभ लिया जा सकता है यहां का प्रत्येक व्यक्ति के लिए 10 दिन का संतुलित आहार 18 ग्राम फल होता है जबकि उपलब्धता 37 ग्राम ही हो पता है फलों की उपलब्धता को बढ़ाने के लिए ज्यादा से ज्यादा क्षेत्र में फलों की खेती करने की जानी चाहिए ऐसे में चीज को फल की खेती कर के भी फल का उत्पादन में बढ़ावा दिया जा सकता है

चीकू की खेती का तरीका (Sapodilla Farming Method)

चीकू खेती करने हेतु बाली टोमेट एवं उचित जल निकास वाले भूमि की आवश्यकता होती है इस तरह के फॉर्म में चीकू की अधिक पैदावार होती है ऐसा भी कहा गया है कि चरिया व लाउदी खून में चीकू के पौधे को आसानी से उगाया जा सकता है उष्णकटिबंधीय जलवायु में चीकू के फसलों को आसानी से उगाया जा सकता है सामान्य इसके पौधों को वृद्धि करने हेतु हाथ एवं सुख जलवायु की आवश्यकता पड़ती है

अधिक ठंडा एवं अधिक गर्म क्षेत्र में चीकू की फसल को नहीं उगाया जा सकता है चीकू के पौधे को खेत में तैयार करने के लिए गड्ढे में लगाया जाता है इन गधों में खाद व उर्वरक को भरकर सिंचाई की जाती है इसके पश्चात समय-समय पर चीकू के पौधों की सिंचाई कर फसलों को तैयार किया जाता है

चीकू की खेती के लिए भूमि (Sapodilla Cultivation Land)

चीकू की फसल किसी भी तरह के भूमि में उगाया जा सकता है लेकिन बलुई दोमट और जल निकासी वाली भूमि चीकू की खेती के लिए अच्छा माना जाता है और खेत का पीएच मान 5.8 से 8 के मध्य होना चाहिए।

चीकू की खेती के लिए मौसम (Chikoo Cultivation Season)

चीकू उष्ण कटिबंधीय जलवायु वाला पौधा है इसके पौधे की वृद्धि करने हेतु सुख एवं आधार जलवायु उपयुक्त होता है समुद्र तल से 1000 मीटर की ऊंचाई या इससे भी अधिक ऊंचाई पर चीकू के पौधा आसानी से विकास कर सकता है चीकू गर्मी के मौसम में अच्छे से बढ़ता है लेकिन जहां अधिक समय तक ठंडी रहती है वहां पर आप चीकू की खेती नहीं कर सकते हैं

चीकू के पौधों का प्रतिवर्ष लगभग 150 से 200 सेंटीमीटर बारिश की आवश्यकता होती है शुरुआत में चीकू के पौधों के वृद्धि हेतु सामान्य तापमान की आवश्यकता होती है पूर्ण रूपी से तैयार चीकू के पौधे को न्यूनतम 10 डिग्री और अधिकतम 40 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है चीकू की खेती के लिए 70% आद्रता वाले मौसम को ज्यादा उपयुक्त माना जाता है

चीकू की उन्नतशील किस्में (Chikoo Improved Varieties)

पीली पत्ती किस्म- यह चीकू की एक देर से बुवाई करने वाली कि है जिसमें फलों को पक्का तैयार होने में थोड़ा अधिक समय लगता है इनके इसमें निकलने वाला फल गोल समतल और छोटे आकार का होता है इस चीकू के फल का छिलका पतला एवं निचला हिस्सा हरे रंग का होता है साथ ही गुड़ा बहुत ही स्वादिष्ट व सुगंधित भी होता है

पीकेएम 2 हाइब्रिड किस्म- पीकेएम 2 चीकू की एक हाइब्रिड किस्म में से 1000 जिसे अधिक उत्पादन है उगाया जाता है इस किस्म का पौध रोपाई के तीन से चार वर्ष के पश्चात ही फल देना आरंभ कर देता है इस किस्म के चीकू फल पर हल्के-हल्के रो भी होते हैं लेकिन फल का स्वाद में मीठा रसीला हुआ स्वादिष्ट होता है साथी इसका छिलका भी पतला होता है

चीकू की काली पत्ती किस्म- इस प्रकार की किस्म की खेती करने पर आप अधिक उपज प्राप्त करते थे जिसे वर्ष 2011 में तैयार किया गया था काली पट्टी किसका पका हुआ फल में तीन से चार बीज होते हैं और फल की अच्छी गुणवत्ता भी प्राप्त होती है चीकू एक पूर्ण विकसित वृक्ष में से एक वर्ष में लगभग डेढ़ सौ के किलो फल का उत्पादन करता है भारत के गुजरात और महाराष्ट्र राज्य में इस किस्म को काफी अधिक मात्रा में उगाया जाता है

क्रिकेट बाल किस्म- यह किस्म को कोलकाता राउंड के नाम से भी विख्यात है इसे काली पट्टी वाली किस्म के साथ ही तैयार किया गया है इसमें आने वाले फल गोल एवं हल्के भूरे रंग के होते हैं क्रिकेट बालकृष्ण के चीकू का फल स्वाद में मीठा एवं इसके छिलके पतले होते हैं इसका पूर्ण विकसित पौधा प्रति पौधे से लगभग डेढ़ सौ किलो की ऊपर आसानी से देता है

बारहमासी किस्म- इस किस्म के चीकू ज्यादातर उत्तर भारत के राज्यों में ही उगाई जाती है इनमें पौधा पूरे वर्ष फल देता रहता है जिससे मध्य एवं गोल आकार के फल मिलते हैं इसका एक पेड़ प्रतिवर्ष में लगभग 130 से 180 किलो तक का उत्पादन देता है

इन किस्म के अलावा भी भारत में चीकू के कुछ और किसने उगाई जाती है जिसमें पाल द्वारा पूरी डी एस एच टू झुमकीय कीर्ति भारती भाभी वर्षा ढोली दीवानी जना वाला शाह वन पिम वन और बेंगलुरु किस्म भी सम्मिलित है

चीकू की फसल के लिए खेत (Chikoo Crop Field)

चिकन खेती में फसल लगने से पूर्व खेतों में मौजूद पुरानी फसलों को और शेष को हटाना हटा देना चाहिए इसके पश्चात मिट्टी पलटने वाले हाल की मदद से दो से तीन गहरी जुताई करनी चाहिए खेत की मिट्टी को बड़ा करने के पश्चात रोटावेटर लगाकर 1 से 2 जुलाई करनी चाहिए अब पता लगाकर खेत को संपर्क कर लेना चाहिए

समतल खेत में बारिश के मौसम में जल भराव नहीं होता है इसके बाद पौधों को लगाने हेतु गड्ढे तैयार करने होते हैं खेत में गड्ढे के आकार 1 मीटर चौड़ा एवं दो फीट गहरा रखना चाहिए या गद्य पथ बनाकर बनाने चाहिए और एक पंक्ति से दूसरी पंक्ति की दूरी न्यूनतम 5 से 6 मीटर होनी चाहिए

गड्ढे तैयार करने के पश्चात उसमें जैविक एवं रासायनिक खाद की उचित मात्रा में मिट्टी के साथ मिलकर करना चाहिए अपने भरे हुए घाटों की सिंचाई की आवश्यकता होती है फिर उन्हें पुलाव की सहायता से ढक देना चाहिए इन ढके हुए चीकू के पौधों को लगाने से एक महत्वपूर्ण ही तैयार कर लेना चाहिए

चीकू की फसल में खाद (Chikoo Crop Fertilizer)

चीकू की फसल को भी सामान फसलों की तरह ही खाकर उर्वरक की आवश्यकता होती है चीकू के पौधों की रोपाई करने के दौरान गर्भ में मिट्टी के साथ-साथ 15 किलो सड़ी हुई गोबर की खाद एवं 100 ग्राम एमपी के खाद को मिलाकर भरना चाहिए चीकू के पौधे को 2 वर्ष तक खाद्य की इस मंत्र को देना चाहिए तथा बौद्ध विकास के साथ ही खाद की मात्रा में बढ़ोतरी भी करना चाहिए 15 वर्ष के पूर्ण विकसित चीकू के पौधों को लगभग 25 किलो जैविक खाद 1 किलो यूरिया 3 किलो सुपरफास्ट एक्सप्रेस एवं 2 किलो पोटाश की मात्रा को वश में दो बार देना चाहिए

चीकू के फसल की सिंचाई (Chikoo Crop Irrigation)

चीकू का फसल को ज्यादा सिंचाई की आवश्यकता नहीं पड़ती है पूर्व से तैयार चीकू के पौधों को वश में 7 से 8 बार ही पानी की आवश्यकता होती है चीकू के पेड़ को पानी देने हेतु खा ले बनाने चाहिए इन खेलो को पौधों के तने के चारों तरफ 2 फीट की दूरी पर बनाना चाहिए यह गहरा दो फिर चौड़ा होना चाहिएसर्दी के मौसम में चीकू के पेड़ को 10 से 15 दिन में पानी की आवश्यकता होती है

वही गर्मी के मौसम में इन्हें 5 से 7 दिन के पश्चात पानी की आवश्यकता होती है यदि आपने पौधों को बाली दोमट मिट्टी में लगाया है तो अधिक पानी की आवश्यकता नहीं होती है गर्मी के मौसम में पौधों को एक सप्ताह में दो बार पानी की जरूरत होती है तथा बारिश के मौसम में वर्षा न होने पर सिंचाई की जरूरत पड़ती है

चीकू की फसल में खरपतवार (Chikoo Crop Weed)

चीकू की फसल में खरपतवार को नष्ट करने के प्राकृतिक तरीकों का प्रयोग करना चाहिए इसके पौधों को खेत में लगाने से लगभग 20 से 25 दिन बाद हल्की-हल्की नीति जुदाई करनी चाहिए पूर्ण रूप से विकसित पौधों को प्रति वर्ष मात्र 3 से 4 गुड़ाई की जरूरत होती है

चीकू की फसल में रोग (Chikoo Crop Disease)

चीकू की फसल में कुछ लोगों को का रिकॉर्ड भी देखने को मिलता है जिसकी जानकारी आपको नीचे दी गई है
पेट का जल काली की सुंडी बालों वाली सुंडी पत्ती धब्बा रोग तना गलन एंथ्रेक्लो न्यूज

चीकू की खेती में लागत (Chikoo Cultivation Cost)

चीकू की खेती मे ज्यादा लागत की आवश्यकता नहीं होती हालांकि मुनाफे मिलने में थोड़ा समय लगता है इसकी खेती के प्रथम वर्ष में ज्यादा लागत आती है फिर दूसरे वर्ष में लागत काफी कम हो जाता है प्रति यदि आप प्रति एक एकड़ में खेत में चीकू के पौधे लगा रहे हैं तो खेत में गड्ढे को तैयार करने एवं उसमें खाद भरने सिंचाई के साथ खेत की जुताई में लागत लगानी पड़ती है चीकू के प्रति पौधे को लगाने में 70 से 80 रुपए की लागत आती है प्रति एकड़ के खेत में लगाए गए जीतू के पौधों की संख्या के आधार पर लागत का अनुमान लगाया जा सकता है

चीकू की खेती से लाभ (Chikoo Cultivation Benefits)

चीकू के पेड़ को फल देने में 2 वर्ष का समय लगता है जैसे-जैसे चीकू का पेड़ पुराना होता है वैसे-वैसे चीकू फल की उपज बढ़ती जाती है चीकू के पेड़ पूरे वर्ष पैदावार देते रहते हैं लेकिन नवंबर से दिसंबर महीने में पौधे पर मुख्य रूप से फसल के लिए फूल आते हैं मैं के महीने में ऊपर मिलने लगती है और फूल खेलने के साथ माह के बाद फल पक्का तैयार हो जाते हैं जब चीकू का फल हर से भूरे रंग में बदल जाए तब उसकी तुड़ाई कर लेनी चाहिए

चीकू के एक पेड़ से लगभग 130 किलो की वार्षिक उपज प्राप्त होती है एक-एक एकड़ के खेत में लगभग 300 से अधिक चीकू के पेड़ लगाया जा सकते हैं जिसमें मिलने वाला उत्पादन लगभग 15 से 20 तान के आसपास हो सकता है बाजार में चीकू का भाव 30 से ₹40 प्रति किलो होता है इस तरह से किसान भाई प्रति एकड़ के खेत में चीकू की एक वर्ष की फसल से लगभग 6 से 7 लख रुपए आसानी से प्राप्त कर सकते हैं

सामान्य पूछे जाने वाले प्रश्न

चीकू के बीज को कब बोना चाहिए?
चीकू के बीज की बुवाई फरवरी से मार्च एवं अगस्त से अक्टूबर माह में करना चाहिए

भारत में चीकू की फसल कहां-कहां उगाई जाती है?
भारत में चीकू की फसल समानता गुजरात महाराष्ट्र तमिलनाडु पश्चिम बंगाल और आंध्र प्रदेश में उगाया जाता है।

चीकू के एक फल में कितने बीच होते हैं?
चीकू के एक फल में लगभग 1 से 6 बीज उपस्थित होते हैं।

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