Rajnigandha Ki Kheti: रजनीगंधा की खेती कैसे करे | Tuberose Farming का तरीका व लागत

रजनीगंधा की खेती (Rajanigandha farming in Hindi)

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Rajnigandha Ki Kheti रजनीगंधा का फूल बहुत ही उपयोगी होता है व्यावसायिक दृष्टिकोण से रजनीगंधा के फूल को अति महत्वपूर्ण माना जाता है इसका पुष्प सफेद रंग का एवं बहुत ही सुगंधित होता है जो मन को मोहित कर लेता है यह रजनीगंधा के अलावा ‘स्वोर्ड लिल्ली’ और ‘निशीगंधा’ के नाम से भी जाना जाता है यह जड़ी बूटी वाला पौधा होता है।

जो सदाबहार मिला रहता है इसकी डंठल लगभग 75-100 CM लंबी होती है जिससे 10 से 20 चिमनी के आकार वाले सफेद फूल निकलते हैं कट फ्लावर देखने में ज्यादा आकर्षक और मीठी सुगंध वाले होते हैं जिसे लंबे समय तक स्टोर करके भी रखा जा सकता है इस वजह से इस फूल का उपयोग गुलदस्ता बनाने में भी किया जाता है।

इसके अलावा बिना डंठल वाले रजनीगंधा के फूलों का प्रयोग गजरा, माला, लरी व् वेनी बनाने के साथ-साथ सुगंधित तेल बनाने में भी उपयोग में लाया जाता है खाड़ी देश में इस फूल से बने तेल की मांग अत्यधिक होती है किसान भाई वैज्ञानिक तरीका अपना का रजनीगंधा की खेती से अच्छी कमाई कर पाते हैं।

ऐसे में यदि आप Rajnigandha Ki Kheti करना चाहते हैं और रजनीगंधा खेती कैसे करें के बारे में सोच रहे हैं तो आप लोग इस ब्लॉग को अंत तक अवश्य पढ़ें क्योंकि इसमें आपको Tuberose Farming का तरीका व लागत के बारे में पूरी जानकारी विस्तार पूर्वक बताई जाएगी।

रजनीगंधा की खेती कैसे करें (Rajnigandha Ki Kheti)

यदि आप भी रजनीगंधा की खेती करना चाहते हैं तो इसके लिए आपको रेतीली व चिकनी मिट्टी का प्रयोग करना चाहिए इसके लिए भूमि का पीएच मान 6.5 से 7.5 के बीच होना चाहिए यदि आप रजनीगंधा की खेती करने चाहते हैं तो सबसे पहले रहती रेतीली व चिकनी भूमि का चयन करना होगा।

इसके पश्चात भूमि को भुरभुरा होने तक गहरी जुताई करना होगा पटा लगा कर खेत को समतल करना होगा ताकि जल भराव की समस्या ना उत्पन्न हो क्योंकि जलभराव की स्थिति में रजनीगंधा की फसल खराब हो जाती है इस तरह से आप खेत में रजनीगंधा की खेती को कर सकते हैं।

Tuberose Farming का तरीका (Tuberose Farming Method)

रजनीगंधा की खेती में पौधे के लिए खाद्य उर्वरक का उपयोग सही ढंग से करना आवश्यक होता है इसके लिए खेत में खरपतवार दिखते ही निकाल देना चाहिए निराई करने से मिट्टी ढीली हो जाती है और वायु का संचार बना रहता है इससे कंद की जड़ सही रूप से विकसित होती है प्रत्येक कंद से 1 से 3 स्पाइक प्राप्त होती है तथा 3 वर्ष पश्चात् प्रत्येक पौधे से छोटे-छोटे आकार वाले 25 से 30 कंद मिलते हैं।

यदि स्पाइक को ना काटा जाए तो खेत में पुष्प 18 से 22 दिन तक खिले रह सकते हैं ऐसा भी देखा गया है कि सिंगल किस्म का फूल सभी मौसम में खिले रहते हैं और सुगंध भी अच्छी मिलती है वहीं डबल किस्म के फूल न खील पाने की वजह से कम सुगंध वाला होता है व्यावसायिक दृष्टि से रजनीगंधा की खेती करने पर सिंगल किस्म का चयन करना चाहिए।

रजनीगंधा की खेती के लिए भूमि का चयन (Tuberose Cultivation Land)

रजनीगंधा की खेती से अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए अच्छी भूमिका चयन करना आवश्यक होता है इसके लिए आपको दो बातों का ध्यान अवश्य रखना चाहिए पहले यह की खत किसी छायादार जगह पर नहीं होना चाहिए और दूसरा यह की उचित चलने विकास की व्यवस्था होनी चाहिए रजनीगंधा का पौधा हर तरह की भूमि में आसानी से उगाया जा सकता है लेकिन दोमट मिट्टी दोमट या मत यार या बलुवार दोमट मिट्टी में यह फसल काफी अच्छे से उग पाती है

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रजनीगंधा की फसल के लिए खेत (Tuberose Crop Field)

रजनीगंधा की फसल को उगाने के लिए सबसे पहले आपको अच्छी तरह से खेत को तैयार कर लेना चाहिए इसके लिए खेत की मिट्टी को भुलबारा करने के पश्चात दोस्त से तीन स्थाई करनी चाहिए जुदाई के पश्चात प्रति एक एकड़ की दर से 6 से 8 टन गोबर की खाद मिला देना चाहिए खेत में खरपतवार और पुरानी फसल के अवशेषों को हटाकर अपनी आवश्यकता अनुसार क्यारियां तैयार कर लेनी चाहिए और सिंचाई भी अच्छे से करते रहना चाहिए

रजनीगंधा की किस्म (Tuberose Varieties)

रजनीगंधा की किस्म को दो भागों में विभाजित किया गया है जिसमें सिग्नल किस में और डबल किसमे होती हैं

रजनीगंधा सिंगल किस्में:-

  • Calcutta Single:- यह रजनीगंधा के सफेद फूल वाली कि होती है जिसके प्रत्येक दांडी की लंबाई 60 सेंटीमीटर होती है और एक डंडी में लगभग 38 से 40 फूल देखने को मिलते हैं ऐसे मुख्य तौर पर खुला या कट फ्लावर के तौर पर प्रयोग किया जाता है
  • Prajwal:- रजनीगंधा की यह कि हर इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ हॉर्टिकल्चर रिसर्च बैंगलोर द्वारा विकसित की गई है इसे श्रीनगर और मैक्सिकन सिंगल का संकरण करके तैयार किया जाता है इस फूल की कलियां हल्की गुलाबी रंग की होती है जिससे सफेद रंग का फूल निकलता है इसे मुख्ता कट फ्लावर और खुले तौर पर प्रयोग में लाया जाता है

रजनीगंधा की डबल किस्में:-

  • Rajat Rekha:- इस किस्म को एनबीआरआई नेशनल बोटैनिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर नबी अरे नेशनल बोटैनिकल इंस्टीट्यूट लखनऊ के द्वारा तैयार किया गया है इसमें फूल पर सफेद और सिल्वर रंग की धारियां देखने को मिलती है और इसकी पत्तियां सुरमई रंग की होती है
  • Pearl Double:- इस किस्म का नाम लाल रंग के फूलों की वजह से पड़ा है जो मोती की तरह होती है इस फूल को खुले और कट फ्लावर के साथ ही तेल की प्राप्ति के लिए भी किया जाता है
  • Vaibhav:- यह कि इस आचार इंडियन इंस्टीट्यूट आफ होरिजेंटल रिसर्च बेंगलुरु के द्वारा तैयार किया जाता है इसे hr2 और मैक्स में सिग्नल का संकरण करके तैयार किया जाता है इस फूल की काली हल्की हरि रंग की होती है जिसे सफेद रंग का फूल निकलता है इसे कट फ्लावर के रूप में प्रयोग में लाया जाता है।

रजनीगंधा की फसल हेतु बीज (Tuberose Crop Seeds)

रजनीगंधा की खेती के लिए बीज की बात करें तो प्रति एकड़ के खेत में रजनीगंधा की फसल को उगाने के लिए 2100 से 2500 गंतों की आवश्यकता होती है इन गेटों को लगाने से पूर्व बेल्ट 0.2% या एमिशन 0.2% या 20 दिन 0.2% या थ्योरम का 0.3% किया कप्तान 0.2% की मात्रा से उपचारित करना चाहिए ताकि कंधों को मिट्टी से होने वाले रोगों से बचाने में मदद मिल सके

रजनीगंधा के कंधों की रोपाई (Planting Tuberose Tubers)

रजनीगंधा के कंधों की रोपाई मार्च से अप्रैल माह में उपयुक्त मानी जाती है रोपाई के लिए 2 सेंटीमीटर या इससे अधिक गैस वाले कंधों का चयन करना चाहिए फसल आवाज के अनुसार प्रत्येक स्थान पर एक से दो कांड लगानी चाहिए सिंगल किस्म के कंठ को 15 से 20 सेंटीमीटर तथा पौधों को 20 से 30 सेंटीमीटर की दूरी पर लाइन में तथा डबल किम को लगभग 5 सेंटीमीटर की गहराई में 20 से 25 सेंटीमीटर की दूरी पर लगाना चाहिए

रजनीगंधा की फसल में खाद (Tuberose Crop Fertilizer)

रजनीगंधा की खेती के लिए तैयार की गई एक वर्ग मीटर आकार वाली तैयारी में तीन से साढे तीन किलो सड़े हुए कंपोस्ट 15 से 20 ग्राम फास्फोरस 20 से 30 ग्राम नाइट्रोजन तथा 10 से 20 ग्राम पोटाश देना आवश्यक होता है नाइट्रोजन को तीन बराबर भागों में पाठ कर ही देना चाहिए पहले मंत्र रुपए से पूर्व दूसरी 60 दिन के पक्ष एवं तीसरी फूल निकलने के बाद देनी चाहिए फास्फोरस कंपोस्ट व पोटाश की पूरी मात्रा पर रोपण से पूर्व ही देना चाहिए

रजनीगंधा की फसल की सिंचाई (Tuberose Crop Irrigation)

रजनीगंधा की फसल की सिंचाई की बात करें तो गर्मियों के मौसम में रजनीगंधा के पौधों को एक सप्ताह के अंतराल पर सिंचाई की आवश्यकता होती है यदि बारिश के मौसम में वर्षा नहीं होती है तो मौसम में नमी को ध्यान में रखते हुए आवश्यकता के अनुसार सिंचाई की जा सकती है यही समय पर सही मात्रा में सिंचाई करने से फूल की उपज संतोष जनक मिलती है

रजनीगंधा की फसल में खरपतवार (Tuberose Crop Weed)

रजनीगंधा की फसल में लगे खेत को तीन मुक्त करने के तीन से चार बार हाथ से बुराई की आवश्यकता होती है रोपण के 45 दिन के पक्ष और नए पौधे लगाने के पश्चात प्रति एकड़ के खेत में 0.2 साक्षी फ्लोर फैन या 0.6 क 800 म लिंक 200 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे को खरपतवार उगने से पूर्व पूरे खेत में करना चाहिए।

रजनीगंधा के पौधे में लगने वाले रोग (Tuberose Plants Care)

तना गलन, ढाबा का झुलसा रोड मुरझाया चेप ट्रिप्स बूंदी टिड्डे काली छेदक

रजनीगंधा की खेती में लागत (Tuberose Cultivation Cost)

रजनीगंधा की खेती करने पर प्रथम वर्ष ज्यादा लागत लगती है उसके पश्चात दूसरे एवं तीसरे वर्ष में लागत काम हो जाती है यदि आप प्रति एकड़ के खेत में रजनीगंधा की फसल को गाना चाहते हैं तो खेत की तैयारी कंधों की खरीद खाद्य उर्वरक कीटनाशक दवा निराई गुड़ाई एवं अन्य खर्चो को मिला दिया जाए तो लगभग सवा लाख रुपए तक का खर्चा प्रथम वर्ष में आता है इसके पश्चात दूसरे एवं तीसरे वर्ष में लागत कम हो जाती है लेकिन ऊपर काफी अच्छी मिलती है

रजनीगंधा की खेती से लाभ (Tuberose Cultivation Benefits)

रजनीगंधा के कंधों की रोपाई के लगभग 90 से 100 दिन के पश्चात फूलों की चौड़ाई की जा सकती है इसके फूल अगस्त से सितंबर माह में आ जाते हैं जब पौधे और दो से तीन फूल निकल आए तब इसकी तुड़ाई कर सकते हैं दांडी कोचिंग चाकू से ही काटना चाहिए कट फ्लावर से पूर्व वर्ष में प्रत्येक एकड़ के खेत में 1.4 से ₹200000 तक की कमाई की जा सकती है वहीं दूसरे वर्ष में लगभग पैदावार दो से ढाई लाख रुपए प्रति एकड़ तथा अलग-अलग फूलों से लगभग 4 से 5 लख रुपए तक की कमाई आप कर सकते हैं

सामान्यतः पूछे जाने वाले प्रश्न-

रजनीगंधा का पौधा कब लगाना चाहिए
रजनीगंधा का पौधा लगाने का उचित समय मार्च से अप्रैल का माह माना जाता है

रजनीगंधा का पौधा कितने प्रकार का होता है
रजनीगंधा का पौधा संरचना एवं पट्टी व फूलों के आकार के अनुसार रजनीगंधा के चार वर्गों में बांटा गया है

रजनीगंधा का पौधा किस काम में आता है?
रजनीगंधा का पौधा से मिलने वाले फूलों का प्रयोग पूजा में किया जाता है इसके अलावा इसके फूलों से तेल भी निकाला जाता है

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