Bakla ki kheti: बाकला की खेती कैसे करें। Broad Bean Farming का तरीका एवं लागत

हेलो दोस्तों स्वागत है आपका upagriculture के नई पोस्ट बाकला की खेती (Bakla Ki Kheti) में आज के इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको बाकला की खेती (Bakla Ki Kheti) के बारे में बताएंगे यदि आप भी बाकला की खेती (Bakla Ki Kheti) करना चाहते हैं तो इस ब्लॉक को अंत तक अवश्य पढ़े |

बाकला की खेती कैसे करें (Bakla ki kheti)

बाकला रवि के सीजन में उगाई जाने वाली दलहनी फसलों में से एक है जिसे प्राचीन काल से ही उगाया जाता है बाकला को हस बीन और हवा दिन के नाम से भी जानते हैं इसके बीच में 24 से 32% तक प्रोटीन उपस्थित होता है जिस वजह से खाद्य पदार्थ में इसका काफी महत्व है बाकला की हरी फलियों को कच्चे तथा सब्जी के रूप में बनाकर खाया जाता है तथा सुख बीजों को दाल बनाई जाती है इसकी खेती कम संचित वाले क्षेत्रों में भी आसानी से की जा सकती है एवं बाल विवाह 2 मार्च मिट्टी में बाकला की फसल काफी अच्छी होती है

भारत में बाकला की खेती दिल्ली बिहार पंजाब हरियाणा उत्तर प्रदेश व अन्य कई राज्यों में की जाती है यदि आप भी बाकला की खेती करना चाहते हैं या बाकला की खेती कैसे करें के बारे में जानना चाहते हैं तो यहां आपको Broad Bean Farming का तरीका व लागत की जानकारी  देंगे।

बाकला फार्मिंग का बेस्ट तरीका (Broad Bean Farming Method)

बाकला एक शरद ऋतु के मौसम में उगाई जाने वाली फसल है जिसके लिए ठंडियों में ट्रॉपिकल जलवायु अच्छी होती है इसके अलावा गर्मियों में बदल के पौधे टेंपरेट जलवायु की भी जरूरत होती है बकाला के पौधे 20 डिग्री तापमान में भी अच्छे से विकास कर लेते हैं बाकला के पौधे अन्य दलहनी फसलों की तुलना में पहले के प्रति अधिक काफी अधिक सहनशील होते हैं हालांकि बकाल को सभी तरह से मिट्टी में आसानी से उगाया जा सकता है लेकिन दोमट मिट्टी इसकी खेती के लिए अच्छी मानी जाती है

बाकला की खेती के लिए दोमट मिट्टी से हल्की चिकनी मिट्टी पर उपज काफी बेहतर होती है एच ए यू के वैज्ञानिक जस हुड्डा यह बताते हैं कि बाकला के पौधों को अम्लीय व शारीरिक भूमि में नहीं उगाया जा सकता इसके अलावा पतला की खेती आप किसी भी भूमि पर कर सकते हैं जिसका पीएच मान 6.5 से 7.5 के मध्य हो एवं इसके बीच जमाव के लिए 20 डिग्री से 22 डिग्री का तापमान होना चाहिए

बाकला की किस्में (Broad Bean Varieties)

बाकला की अच्छी पैदावार है उनके साथ-साथ अच्छे बीजों का भी प्रयोग करना चाहिए बाकला की उन्नत किसने के बारे में आपको नीचे बताया गया है

  • हरियाणा बाकला– हरियाणा बाकला का पौधा सीधे बढ़ाने वाला हरे रंग का होता है जिसकी ऊंचाई लगभग 90 से 100 सेंटीमीटर तक होती है इसे लगभग 140 145 दिन का समय पक्का तैयार होने में लगता है एवं ऑस्टिन पैदावार 30 से 35 कुंतल प्रति व्यक्ति होती है इस प्रसाद का बाकला में 20 से 25% तक प्रोटीन होता है इसके अलावा इसमें 50 प्रतिशत तक कार्बोहाइड्रेट एवं तीन पैसे तक वसा तथा 50 मल कैल्शियम और 100 आयु प्रति 100 ग्राम की मात्रा में होता है उसे मुख्य रूप से हरियाणा के काम संचित इलाकों में उगाया जाता है
  • BR–1- बाकला की BR–1 किस्म के अंदर काले रंग के बीच होते हैं
  • BR–2 पकड़ के BR–2 किसी के अंदर पीले रंग के बीच उपस्थित होते हैं
  • पूसा सुमित
  • पूसा सुमित
  • पूसा उदित
  • जवाहार विसिया 73 – 81

Bakla ki kheti

बाकला के बीजों की बुवाई का समय एवं तरीका (Broad Bean Sowing Seeds)

बाकला के बीजों की बुवाई 25 अक्टूबर से लेकर नवंबर से पूरी सप्ताह में कर लेनी चाहिए प्रति हेक्टेयर के खेत में लगाने के लिए बाकला के 70 से 100 किलो बीजों की जरूरत होती है बाकला के बीजों को उठा ली हुई तैयारी या समतल खेत में बोया जा सकता है पुतली की तैयारी में बाकला के बीजों को लगाने खेत वीडियो के बीच 45 × 15 सेंटीमीटर या 75 × 35 सेंटीमीटर की दूरी रखना आवश्यक होता है

बाकला की फसल में खाद की मात्रा (Broad Bean Crop Fertilizer)

बाकला के अच्छे उत्पादन है खेत को तैयार करते समय 10 से 15 तक साड़ी की गोबर की खाद का उपयोग करना चाहिए इसके अलावा डिवाइस से पहले उर्वरक का भी प्रयोग आप कर सकते हैं जिसमें आपको 30 किलोमीटर 40 किलो फास्फोरस और 50 किलो 50 का प्रयोग करना चाहिए

बाकला के फसल की सिंचाई (Broad Bean Irrigation)

बाकला के फसल की अच्छी वीडियो विकास खेत जल की ज्यादा आवश्यकता नहीं होती है क्योंकि इस सर्वाधिक के मौसम में उगाया जाता है लेकिन बुवाई के दौरान नमी न होने के उपाय के प्रसाद सिंचाई की आवश्यकता होती है इसके बाद बतला के फसल में सामान्य 10 से 15 दिन के अंतराल पर सिंचाई की जरूरत पड़ती है

बाकला की फसल में खर (Broad Bean Weed)

यदि आप चाहते हैं कि बाकला की फसल अच्छे से विकास कर पाए तो उसके लिए आपको उचित मात्रा में पौधों को पोशाक भी देना होगा इसके लिए खरपतवार का नियंत्रण करना काफी जरूरी होता है रवि के मौसम उपाय जाने वाली पतला की फसल में खरपतवार को निकलना बेहद जरूरी होता है

बाकला के फसल में रोग (Broad Bean Disease)

बाकला के फसल में चार प्रकार के रोग लगते हैं

  • एफिस फैबाई- एक ही एक प्रमुख कीट रोग है इससे बाकला की फसल को बचाने आपको फसल में मेटासिस्टोक 0.3% का छिड़काव करना चाहिए।
  • बोट्रिटिस फैबाई- बाकला के फसल में लगने वाला यह रोग बोट्रिटिस फैबाई फंगस के वजह से होता है यह फंगस बाकला के पौधे के पत्तियों को भोजन नहीं बनने देते हैं जिससे उत्पादन में कमी देखने को मिलती है इस रोग से बचाए हेतु बाकला के फसल की अगेती बुवाई करनी चाहिए तथा बाकला के फसल पर यह रोग दिखाई देने पर आपको फंगीसाइड का फोलियार का स्प्रे करना चाहिए।
  • रस्ट- रस्ट यह रोग बाकला के पौधों की वृद्धि के दौरान लगता है जो पत्तियों पर छोटे-छोटे नारंगी रंग के धब्बे बना देता हैं।
  • पैरासाइट्स- यह रोग यूरोप एवं नॉर्थ अफ्रीका में उगाई जाने वाली बाकला की फसल में दिखता है जो उपज को बहुत कम कर देता है।
बाकला की उपज (Broad Bean Yield)

बाकला की फसल तीन से चार महीने के पश्चात कटाई के लिए तैयार हो जाती है इस दौरान इसकी फलियां की कटाई निरंतर अंतराल में करनी चाहिए प्रति हेक्टेयर में खेत में बाकला की फसल उगाने पर 7 से 10 तान के पैदावार मिलती है।

बाकला की खेती में लागत एवं फायदा (Bakla Cultivation Cost)

बाकला के बीज मुजफ्फरनगर हापुड़ और मेरठ में मिलते हैं किसान भाइयों का दावा है कि यदि 5 महीने में तैयार होने वाले बाकला की फसल को यदि 5 क्षेत्रफल वाले खेतों में करते हैं तो लगभग 70 हजार रुपए का खर्च आ जाता है जिसकी फसल बेचने के पश्चात तीन गुना तक मुनाफा मिलता है बाकला की फसल पौधों से चार से पांच बार फलिया तोड़ने को भी मिलती है इस तरह से बाकला की फसल में एक बार लागत लगाकर पांच बार तक मुनाफा आसानी से कमाया जा सकता है इस वजह से किसान भाई फली की खेती करना काफी पसंद करते हैं

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सामान्य पूछे जाने वाले प्रश्न।

बाकला की बुवाई किस माह में करनी चाहिए?

बाकला की बुवाई सितंबर से अक्टूबर माह में करनी चाहिए।

बाकला की खेती करने पर क्या मिलता है?

बाकला की खेती करने पर खाद्य फलिया एवं बीज प्राप्त होते हैं।

बाकला में कौन-कौन से तत्व मिलते हैं?

बाकला में आपको एमिनो एसिड और एल-डोपा का अच्छा स्रोत मिलता है जो हमारे शरीर पर हैप्पी हारमोंस को बढ़ाने में मदद करता है।

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