नमस्कार किसान बंधुओ आज आपको मैं बताऊंगा की आप प्याज की खेती Pyaj Ki Kheti करके अपनी आमदनी को दुगनी कैसे करेंगे तथा कम लागत और काम समय में आप अपनी आमदनी में कैसे वृद्धि कर पाएंगे आदि सभी जानकारी आपको इस लेख में मिल जाएगा अतः आप इस लेख के साथ अंत तक बने रहिये है जैसा की सभी किसान भाई जानते है भारत देश कृषि के क्षेत्र में बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है और अपने मुकाम को हासिल कर है इस स्तर पर भारत को ले जाने का कार्य भारत के किसान भाई कर है और इनका इस काम में महत्वपूर्ण योगदान है इसके साथ साथ किसानो की आमदनी भी दुगनी हो रही है
प्याज की खेती भारत के सभी भागो में सफलता पूर्व्र्क की जाती है प्याज एक नगदी फसल है जिसमे विटामिन्स और पौष्टिक तत्व प्रचुर मात्रा में पायी जाती है भारत में Pyaj Ki Kheti बहुत बड़े पैमाने पे की जाने लगी है जब से प्याज के कीमतों में उछाल आया है प्याज की इन कीमतों की उछाल में सरकार भी दांतो तले उंगलिया दबा ली है प्याज की खेती से बहुत फायदे है आप प्याज का उपयोग सब्जी , सलाद , अचार और मसाले के रूप में भी प्रयोग कर सकते है प्याज का सेवन करने से गर्मी में लू लग जाने से और गुर्दे की बिमारी से बचाता है और इसके लिए लाभदायक भी होता है प्याज की खेती में एक ख़ास बात यह है की यह रबी तथा खरीफ के दोनों ऋतुएँ में आप प्याज की खेती कर सकते है
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प्याज की खेती कैसे करे –
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किसान दोस्तों आपको प्याज की खेती से अधिक उत्पादन करना है तो आपको ब्याज की खेती के बारे में निम्न बातो का ध्यान देना पड़ेगा जैसे की ब्याज की कहती कब और कैसे करे , Pyaj Ki Kheti किस मिटटी में करे जिससे अधिक उत्पादन हो तथा खेत की तैयारी कैसे करे , प्याज की नरसरी कब तैयार करना है और प्याज की पौधों की बुआई कब करे , प्याज की खेती में कितनी मात्रा में खाद और उर्वरको को डालना चाहिए , प्याज की खेती में कितनी में कितनी बार सिंचाई करनी चाहिए और कब कब करनी चाहिए एवं प्याज की फसल में लगने वाले किट एवं रोगो का रोकथाम कैसे करे आदि यदि आप Pyaj Ki Kheti करना चाहते है और आपको पता नहीं है की आप प्याज की खेती कैसे करे तो ाकप परेशान नहीं हो आप सही जगह आये है आपको इस लेख में पूरी जानकारी मिल जाएगी सरल व आसानी शब्दों में बस आप ध्यान पूर्वक पढ़े तो आईये जानते है की प्याज की खेती कब और कैसे करेंगे ।
प्याज की खेती (Pyaj Ki Kheti) के लिए उपयुक्त जलवायु –
प्याज की खेती के लिए जलवायु अति महत्ववपूर्ण है प्याज की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु वैसे तो न ज्यादा गर्मी और न ज्यादा ठंठी की जरूरत होती है परन्तु जब प्याज में कंद पड़ने की अवस्था हो तब वातावरण का तापमान 30 से 35 डिग्री सेंटी ग्रेड तक का ताप मान होना चाहिए ।
प्याज की उत्पादन के लिए उपयुक्त मिटटी –
प्याज की खेती के लिए मिटटी की बात करे तो पिली , काली दोमट मिटटी उत्तम मानी जाती है तथा उच्य जल निकास वाले स्थान पर होना चाहिए प्याज की खेती के लिए जल निकास होना जरुरी है Pyaj Ki खेती लगभग भारत के सभी राज्यों में की जाती है प्याज की खेती अधिक अम्लीय और क्षारीय वाली मिटटी में नहीं करनी चाहिए क्योकि प्याज की खेती के लिए जीवाश्म युक्त मिटटी होना जरुरी है तथा मिटटी का PH- मान 6.5 से 7.5 के बीज होना चाहिए ।
खेत की तैयारी –
प्याज की खेती के लिए आप खेत की तैयारी प्याज की बुआई के 1 से 2 दिन पहले कर लेनी चाहिए यानी आप खेत को गहरी जुताई करवा लेनी चाहिए गहरी जुताई करवाना के बाद आप खेत में जुताई के समय पाटा जरूर लगवा ले जिससे खेत के ढेले टूट जाये और खेत समतल हो जाए खेत तैयारी के 1 या 2 दिन के बाद प्याज की बुआई कर देनी चाहिए ।
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प्याज की उन्नत किस्मे-
सफ़ेद छिलके वाली उन्नत किस्मे – अर्का प्रगति , पूसा सफेद , पटना सफेद , व्हाइट ग्रेनो
हाईब्रिड उन्नत किस्मे – एरिस्टोक्रेट , एम्पायर , क्रिस्टा , बीएल -67
खरीफ में उगाई जाने वाली किस्मे – भीमराज , भीमा रेड , भीमा सुपर , निफाड़ – 53 , अग्रि फ़ाउंड , अर्का कल्याण , अर्का निकेतन , अर्का प्रगति , एग्री फ़ाउंड डार्क रेड।
पौध तैयारी नरसरी में –
प्याज की पौध तैयार के लिए नरसरी व रोपाई विधि के क्षेत्र फल का अनुपात 1: 20 का होता है इस हिसाब से एक हेक्टेयर क्षेत्रफल में प्याज की बुआई के लिए 500 वर्गमीटर के क्षेत्रफल में तैयार की गयी प्याज की पौध पर्याप्त मात्रा में होती है तथा इसके लिए भूमि की चयन करते समय इस बात का ध्यान रहे की आस पास छायादार पेड़ पौधे नहीं हो ,
सर्वप्रथम आप जिस खेत में नरसरी तैयार कर है उस खेत की अच्छी से जुताई करवा ले और उसमे का ढेले टूट जाये और मिटटी एकदम भुरभुरी हो जाये और फिर उसमे पाटा चलाकर समतल बना ले उसके बाद आप 5 बायीं 1 मीटर व 15 से 20 सेंटीमीटर ऊँची क्यारिया बना ले हर एक क्यारी में कार्बनिक खाद मिला दे जैसे पूर्ण रूप से सदी हुयी गोबर की खाद या फिर आप कोई कम्पोस्ट खाद मिला दे ।
प्याज की बुआई का समय –
प्याज की बुआई किसान तो तरह से कर सकता है एक तो यह है की रबी के मौसम में और दूसरा है वह खरीफ के मौसम में दोनों मौसम में प्याज की खेती की जाती है रबी के मौसम में प्याज कि खेती के लिए यदि प्याज की नरसरी तैयार है तो आप जनवरी से फरवरी के माह में प्याज की बुआई कर दे यह रबी के मौसम के लिए उत्तम मानी जाती है ,
यदि आप खरीफ के मौसम में प्याज की उन्नत खेती करना चाहते है तो अगर आपके प्याज नरसरी में तैयार है तो उसे सितंबर और अक्टूबर के प्रारम्भिक सप्ताह में प्याज की बुआई कर दे ।
प्याज की खेती में कौन सी खाद एवं उर्वरक डाले –
प्याज की खेती के लिए खाद एवं उर्वरको की बात करे तो किसानो को यही सही रहेगा की वे जैविक खाद का ही प्रयोग करे यदि वे रासायनिक खाद का प्रयोग करना चाहते है तो वह सिंगल सुपर फास्फेट , डीएपी , यूरिया , अच्छी तरह से पाकी हुयी गोबर की खाद डालकर 2 से 3 बार कल्टीवेटर से जुताई करवा दे तथा बुआई के 15 दिन पहले ही अच्छी तरह से सड़ी हुयी गोबर की खाद यानी एक हेक्टेयर में 20 से 25 टन की जरूरत होगी खाद डालने के बाद उसे गहरी जुताई करवा के छोड़ दे ।
प्याज की सिंचाई कब करे –
बुआई एवं रोपाई के साथ और बुआई के 3 से 4 दिन बाद हल्की सिंचाई कर दे जिससे मिटटी में नमि बनी रहे और 8 से 10 दिनों के अंतराल पर प्याज की फसल को सिंचाई अवश्य करे जब फसल तैयार होने पर उसके शीर्ष पे हलकी पिली रंग और फसल गिरने की अवस्था में हो तो सिंचाई बंद कर देनी चाहिए ।
प्याज की फसल में खरपतवार नियंत्रण कैसे करे –
प्याज की बुआई के बाद आप 1.5 से 2.0 किग्रा एल्कालोर छिड़के या फिर आप 1.5 से 2.0 किग्रा फ्लूक्लोरेलिन का छिडकाव कर दे और प्याज की खेत में निराई गुड़ाई करे रहे तथा उसमे के घास फुस को बहार निकर फेक दे आप निराई गुडाई निरंतर करे रहे ।
प्याज की फसल में लगने वाले किट और व्याधिया –
पर्ण जीवी ( थ्रिप्स ) – यह आकर में बहुत छोटे होते है इन कीटो का फसल पर आक्रमण तापमान के बदलने पर होता है जैसे ही तापमान में बदलाव होता है वैसे ही इनका आक्रमण तेजी बढ़ जाता हैaur यह मार्च के माह में स्पस्ट रूप से दिखाई देता है इस किट के वजह से काफी नुकसान होता है क्योकि इन कीटो के द्वारा चूसे गए पत्तिया कमजोर हो जाती है और उनके स्थान पाए सफेद चट्टे बन जाते है जिससे प्याज की फसल खरब हो जाती है ।
नियंत्रण – इस किट के निवारण के लिए इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एसएल 0.3 – 0.5 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़कव कर दे तथा आवश्य्कता पड़ने पर आप इसे 15 दिनों के बाद दुहरा दे ।
तुलासिता – यह पत्तियों की निचले भाग पर सफेद रुई जैसी फफूंद दिखाई देगा जो हमेशा वृद्धि करता रहता है इसके रोकथाम के लिए मेंकोजेब या जाइनेब का 2 ग्र्राम प्रति लीटर के पानी में घोल बनाकर छिड़काव कर दे ।
अंगमारी – यह प्याज की पत्तियों पर सफेद धब्बे बना लेते है जो की बाद में बिच से बैगनी रंग के हो जाते है इसके रोकथाम के लिए मेंकोजेब या जाइनेब 2 ग्राम प्रति पानी के हिसाब से घोल बनाकर छिड़काव कर देनी चाहिए साथ में ही तरल साबुन का घोल जरूर मिलाना चाहिए ।
गुलाबी जड़ सड़न – इस रोग के कारण प्याज की जड़े हल्की गुलाबी होकर गलने लगती है और धीरे धीरे सड़ जाती है इसके निवारण के लिए कार्बनडाईजिम के 1 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से बीज को उपचारित करके बुआई करे पौध रोपण के समय पौधे को कार्बेन्डाजिम के 1 ग्राम प्रति लीटर का घोल बनाकर पौधे के ऊपर छिड़काव करके बुआई करे ।
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प्याज की खुदाई –
प्याज की फसल दो तरह से तैयार होती हैं यदि आप प्याज कंदो से लगाई है तो यह 60 से 100 दिन में तैयार हो जाती है तथा आप जब बीज द्वारा प्याज की खेती किये है तो यह 140 से 150 दिनों में तैयार हो जाती है यदि आप रबी के मौसम में Pyaj Ki Kheti किये है तो तब प्याज की खुदाई करे जब पत्तिया पिली होकर जमीन पर गिरने लगे तब खुदाई कर देनी चाहिए तथा अगर आप खरीफ के मौसम में पियाज की खेती किये है तो वह दिसम्बर से जनवरी में खुदायी योग्य हो जाती है ।
प्याज के कंदो को सुखाना –
जब आप प्याज की खुदाई कर ले तब गांठो को पत्तियों के साथ एक सप्ताह तक सुखाये अगर धुप तेज हो तो आप उसे छाया में भी सूखा सकते है एक सप्ताह बिट जाने के बाद आप गांठो के 2.0 से 2.5 सेंटीमीटर ऊपर से काट दे और उसे एक सप्ताह तक सुखाये ।
प्याज की उपज –
यदि आप प्याज की उन्नत तकनीकी अपनाकर खेती करते है तो प्याज से प्रति हेक्टेयर लगभग आप 200 से 350 किवंटल तक की पैदावार ली जा सकती है ।
प्याज के उपयोग –
प्याज का उपयोग आप कई तरह से कर सकते है जैसे की –
- मसाले के रूप में
- आयुर्वेदिक औषधियों के रूप में
- भोजन को स्वादिष्ट बनाने में
- सलाद बनाने में
- आँख की ज्योति बढ़ाने में
- मवेशियों एवं मुर्गियों के भोजन में
- कीटनाशक के रूप में आदि –
सामान्यतःपूछे जाने वाले प्रश्न
प्याज की खेती के लिए उन्नत किस्मो के बीजो के नाम बताईये ?
प्याज की खेती के उन्नत किस्म के बीजो के नाम इस प्रकार है – हाईब्रिड उन्नत किस्मे – एरिस्टोक्रेट , एम्पायर , क्रिस्टा , बीएल -67, सफ़ेद छिलके वाली उन्नत किस्मे – अर्का प्रगति , पूसा सफेद , पटना सफेद , व्हाइट ग्रेनो, खरीफ में उगाई जाने वाली किस्मे – भीमराज , भीमा रेड , भीमा सुपर , निफाड़ – 53 , अग्रि फ़ाउंड , अर्का कल्याण , अर्का निकेतन , अर्का प्रगति , एग्री फ़ाउंड डार्क रेड।
प्याज की खेती किस समय में की जाती है ?
प्याज की खेती आप तो तरह से कर सकते है पहली यह है की आप खरीफ की मौसम में भी कर सकते है सितंबर से अक्टूबर के माह में और दूसरा यह है की आप रबी के मौसम में भी कर सकते है जनवरी तथा फरवरी के माह में ।
प्याज की फसल में लगने वाले प्रमुख रोग और कीटो के नाम और उनका रोकथाम बताईये ?
अंगमारी – यह प्याज की पत्तियों पर सफेद धब्बे बना लेते है जो की बाद में बिच से बैगनी रंग के हो जाते है इसके रोकथाम के लिए मेंकोजेब या जाइनेब 2 ग्राम प्रति पानी के हिसाब से घोल बनाकर छिड़काव कर देनी चाहिए साथ में ही तरल साबुन का घोल जरूर मिलाना चाहिए ।
गुलाबी जड़ सड़न – इस रोग के कारण प्याज की जड़े हल्की गुलाबी होकर गलने लगती है और धीरे धीरे सड़ जाती है इसके निवारण के लिए कार्बनडाईजिम के 1 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से बीज को उपचारित करके बुआई करे पौध रोपण के समय पौधे को कार्बेन्डाजिम के 1 ग्राम प्रति लीटर का घोल बनाकर पौधे के ऊपर छिड़काव करके बुआई करे ।
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