नमस्कार किसान भाइयों आज हम आपको जुकिनी की खेती (zucchini ki kheti) के बारे में बताने वाले हैं | हमारे भारतीय किसान पारंपरिक कृषि के चलते आज आर्थिक स्थिति में बहुत ही कमजोर हैं | परन्तु आज की युवा पीढ़ी खेती किसानी की कीमत और अहमियत को देखते हुए फिर से किसानी की ओर आ रहे हैं | आज की नई युवा पीढ़ी खेती के नए तरीके और नई नई खेती के जरिये लाखों की कमाई कर रही है |
आपको बता दें कि खेती की तरफ बढ़ने के लिए आज की युवा पीढ़ी अपनी लाखों की नौकरियां तक को छोड़ दिए हैं इसी प्रकार आज के समय में बाजार में जुकिनी की बहुत डिमांड है | आज के युवा किसान जुकिनी की खेती करके अपनी खेती में लाखों की आमदनी कर रहे हैं | अगर आप भी जुकिनी की खेती (zucchini ki kheti) करना चाहते हैं |
इस लेख को पूरा पढ़ें इस लेख के माध्यम से आपको बताया जाएगा की जुकिनी की खेती करने के लिए आपको कौन-कौन से बिंदुओं पर ध्यान देना चाहिए, हम आपको इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि जुकिनी की खेती कैसे करें ?, क्या है जुकिनी के फायदे संपूर्ण जानकारी के लिए लिखो अंत तक पढ़े
जुकिनी की खेती (zucchini ki kheti) से संबंधित जानकारी
Table of Contents
जुकिनी एक कद्दू वर्गीय फसल है | इसे चप्पन कद्दू के नाम से जानते हैं | इसका वैज्ञानिक नाम क्युकरबिटा पेपो है | यह एक विदेशी सब्जी है | पहले इसकी खेती विदेश में होती थी, परंतु अब भी तो कुछ सालों में इसकी खेती भारत में भी हो रही है | जुगनी हरे या पीले रंग की सब्जी है | इसके पौधों की लंबाई 2 से 3 फीट तक होती है | इसका उपयोग सब्जी के रूप में खाने में किया जाता है | इसमें बहुत से औषधीय गुण मौजूद होते हैं |
जुकिनी में केरोटीन की मात्रा बहुत अधिक होती है तथा इसका उपयोग से कैंसर जैसी भयंकर बीमारी में भी फायदेमंद साबित होता है | जुकिनी में पोटेशियम और विटामिन ए बहुत ज्यादा मात्रा में मौजूद होते हैं | जुकिनी को खाने से वजन नियंत्रित रहता है जिससे इसका उपयोग फिल्म स्टार बहुत अधिक मात्रा में करते हैं | इसकी खूबियों के चलते आज के समय में भारतीय बाजार में भी इसकी काफी अधिक मात्रा में मांग बनी रहती है | जिससे हमारे किसान भाई इसे उगाकर अपनी खेती में अच्छी आमदनी कर सकते हैं |
इसे भी पढ़े- लेटस की खेती कैसे करें
जुकिनी की खेती के लिए उपयुक्त तापमान
किसान भाइयों आपको तो पता ही होगा कि किसी भी फसल की खेती करने में जलवायु और तापमान की बहुत अहम भूमिका होती है इस प्रकार जुकिनी की फसल को भी उगाने में 20 से 40 अंश सेल्सियस तापमान की आवश्यकता होती है | आपको बता दें कि जुगनी के बीज के अंकुरण के लिए 15 अंश सेल्सियस से अधिक तापमान की आवश्यकता होती है तथा इसकी अच्छी पैदावार के लिए 30 अंक सेल्सियस तापमान सबसे अच्छा होता है जुकिनी की खेती के लिए अधिक ठंड और पाला हानिकारक होता है जो की उत्पादन पर भारी गिरावट लाता है |
उपयुक्त मिट्टी Zucchini ki Kheti
जुकिनी की खेती (zucchini ki kheti) करने के लिए बलुई दोमट मिट्टी सर्वोत्तम मानी जाती है तथा भूमि का पीएच मान 6.5 से 7 के बीच होना आवश्यक होता है | अगर आप जुकिनी की खेती करना चाहते हैं तो ऐसी भूमि का चयन करे, जहां पर जल निकासी की अच्छी व्यवस्था हो क्योंकि इसकी खेती में अधिक जल भर जाने पर पैदावार में भारी गिरावट मिलती है |
जुकिनी की उन्नत किस्में
आज के समय पर जुकिनी की बहुत सी किस्म मौजूद हैं जो कि अपनी खासियत और रंग के आधार पर वर्गीकृत की गई है जुकिनी की सभी किस्म लगभग 40 से 50 दिनों के अंतराल में तैयार हो जाती हैं | जुकिनी की कुछ किस्म के बारे में बताया गया है जो की निम्नलिखित है –
- सेनेका
- स्पेसमिसर
- आठ बॉल
- गोल्ड रश
- कोस्टाटा रोमनेस्को
- एम्बेसडर
- ऑस्ट्रेलिया ग्रीन 4 से 5
- अर्ली येलो प्रोलिफिक
- पूसा पसंद इत्यादि
खेत की तैयारी
जुकिनी की फसल बोने के लिए खेत की तैयारी करने के लिए खेत में मिट्टी पलट हल के द्वारा गहरी जुताई कर लें जिसस खेत में मौजूद खरपतवार खत्म हो जाए तथा खेत में आवश्यकता अनुसार गोबर की खाद या फिर जैविक खाद डालकर जुताई करें | खेत की जुताई के बाद खेत में पानी को छोड़ दें जब भूमि के ऊपरी परत सुख जाए तो खेत की आड़ी तिरछी गहरी जुताई कर लें और मिट्टी को अच्छी तरह से भुरभुरी बना कर समतल कर लें इसके बाद खेत में बेड बनाकर सिंचाई के लिए ड्रिप इरिगेशन सिस्टम को भी बिछाते हैं |
इसे भी पढ़ें- कड़कनाथ पालन (Kadaknath Farming in Hindi) कैसे करें सम्पूर्ण जानकरी |
आपको बता दें कि गधी के दूध में एंटी एजिंग गुण पाए जाते हैं |
बुवाई करने का समय
जुकिनी की बुवाई का सबसे अच्छा समय सितंबर से नवंबर के बीच का महीना होता है | इस समय जुकिनी के बीज अच्छे से अंकुरित होते हैं |
जुकिनी की बुवाई का तरीका
जुकिनी की बुवाई करने के लिए एक एकड़ में लगभग 1 से 1.25 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है | इसकी बुवाई करने के लिए पौधों को पंक्तिबद्ध लगायें | ध्यान रहे कि इसके पौधों के बीच की दूरी 1 से 1.5 मीटर होनी चाहिए |
जुकिनी की सिंचाई
जुकिनी की पहली सिंचाई बुवाई के तुरंत बाद करनी चाहिए | गर्मी के मौसम में जुकिनी कीफसल में 5 से 6 दिन के अंतराल में सिंचाई करनी चाहिए तथा बारिश के मौसम में जरूरत पड़ने पर ही सिंचाई करें तथा ठंड के मौसम में फसल को पाले से अवश्य बचाए नहीं तो जुकिनी की पैदावार में भारी गिरावट आ सकती है |
इसे भी पढ़े – भारत में ब्लूबेरी की खेती
खाद तथा उर्वरक
जुकिनी की खेती (zucchini ki kheti) में खाद एवं उर्वरक की आवश्यकता भूमि की उर्वरा शक्ति के अनुसार देनी चाहिए | जुकिनी की खेती के लिए 15 से 20 टन सड़ी गोबर की खाद या कंपोस्ट खाद को खेत की तैयारी के समय ही डाल देनी चाहिए तथा रासायनिक खाद की बात की जाए तो 100 किलोग्राम यूरिया 60 किलोग्राम फास्फोरस और पोटाश की आवश्यकता होती है |
फास्फोरस और पोटाश को साथ में मिला दे और एक तिहाई हिस्सा फसल को दे तथा लगभग 1 महीने के बाद बचे हुए नाइट्रोजन और फास्फोरस को बराबर बराबर मात्रा में दें | खाद के लिए आप ड्रिप इरिगेशन सिस्टम का प्रयोग ज्यादा उचित होता है |
जुकिनी की खेती में लगने वाली कीट
जुकिनी की खेती में कई तरह के कीट आक्रमण करते हैं जैसे की एसिड्स, कुकुंबर बीटल, स्लग, घोंघे, स्व्कैश बग, स्व्कैश वाइन बोरर आदि इनकी रोकथाम के लिए कृषि वैज्ञानिक की जल्द से जल्द सलाह लें |
जुकिनी की खेती में उपज और मुनाफा
जुकिनी की खेती में पौधों की अच्छी से देखरेख की जाए तो जुकिनी का एक पौधा लगभग 35 से 40 फल प्रदान करता है इस हिसाब से जुकिनी की खेती (zucchini ki kheti) की औसत उपज लगभग 8000 किलोग्राम यानि की ८० कुंतल प्रति एकड़ तक मिलती है |
जुकिनी की खेती में मुनाफे की बात की जाए तो महक 40 से 45 दोनों में आप इसकी खेती से अच्छी कमाई कर सकते हैं भारतीय बाजार में जुकिनी की औसतन कीमत 25 से 30 रुपए प्रति किलो होती है | इस हिसाब से आप एक एकड़ में लगभग 2 से 2.5 लाख तक कमा सकते हैं |
सामान्यतःपूछे जाने वाले प्रश्न Zucchini ki Kheti
जुकीनी खाने से हड्डियाँ मजबूत करे , आखों की रोशनी में वृद्धि, पाचन तंत्र मजबूत रहेगा, वजन नियंत्रित, हार्ट अटैक से बचाव, मधुमेह में राहत आदि रोगों में लाभकारी होता है |
1 किलो जुकिनी की कीमत 25 से 30 रुपये के बीच है |
जुकीनी का वैज्ञानिक क्युकरबिटा पेपो (Cucurbita Pepo) है |