हेलो किसान बंधुओ आपको इस लेख में आलू की खेती कैसे की जाती है एवं अधिक से अधिक पैदावार कैसे किया जाय , आलू की अच्छी किस्म कौन कौन सी है और कितना पैदावार होता है और आलू की खेती कौन कौन सी रोग लगते है एवं उसका नियंत्रण कैसे किया जाय , एवं उसकी सिंचाई , निराई , मिटटी कैसे चढ़ाई जाय आदि ये सभी जानकारी आपको इस पोस्ट के माध्यम से मिल जाएगी अतः आप मेरे इस पोस्ट के साथ अंत तक बने रहिये आलू की फसल भारत की महत्वपूर्ण फसलों में से एक फसल मानी जाती है यह तमिलनाडु और केरल को छोड़कर आलू की खेती लगभग सभी देशो में किया जाता है aalu ki kheti भारत में औसतन 152 किवंटल प्रति हेक्टेयर की दर से उपज होती है आलू की अच्छी पैदावार के लिए आलू की उन्नति किस्मो के रोग रहित बीजो का उपयोग होना चाहिए और उर्वरको का उपयोग , सिंचाई की ब्यवस्था , रोग नियंत्रण के लिए दवा का प्रयोग के लिए भी उपज पर अधिक प्रभाव पड़ता है। यहाँ पर हम आपको ये बताएँगे की Aloo Ki Kheti Kaise Kare- आलू की खेती कैसे करे, किस की तरह की जलवायु और मिट्टी और उन्नत किस्मे क्या है आदि के बारे में जानकारी दी गयी है।
भारत में आलू प्रथम बार 17 वी शताब्दी में उगाया गया था चावल , गेंहू , मक्का , के बाद क्षेत्रफल में आलू का चौथा स्थान है आलू की फसल एक ऐसी फसल है जो प्रति इकाई क्षेत्रफल में अन्य फसलों गेंहू , धान , मूंगफली की अपेक्षा अधिक उत्पादन मिलता है 80 से 82 प्रतिशत पानी आलू की फसल के लिए आवस्य्क्ता होती है आदि ऐसे अनेक प्रकार की जरूरत पड़ती है aloo ki kheti के लिए।
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आलू की खेती (aalu ki kheti) के लिए आवश्यक जलवायु –
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आलू की खेती के लिए अच्छी जलवायु समशीतोष्ण मानी जाती है और आलू की फसल समशीतोष्ण की फसल है तथा उत्तर प्रदेश में आलू की खेती उपोषणीय जलवायु की दशाओ में रबी की मौसम में की जाती है यानी आलू की खेती अक्टूबर से नवंबर के माह में की जाती है aalu ki kheti के लिए उसकी फसल अवधि के समय दिन का तापमान 25 से 30 डिग्री सेल्सियस मानी जाती है तथा रात्रि के लिए 4-15 डिग्री सेल्सियस का तापमान होना चाहिए जब आलू की फसल में कंद बनते समय लगभग 18 से 20 डिग्री सेल्सियस का तापमान सर्वोत्तम मानी जाती है यदि लगभग 30 डिग्री से अधिक तापमान होने पर आलू की फसल में कंद बनना बंद हो जाती है ।
aalu ki kheti के लिए भूमि प्रबंधन –
आलू की खेती के लिए जीवाश्म युक्त बलुई – दोमट मृदा अच्छी मानी जाती है और भूमि में अच्छी जल की निकासी होनी चाहिए आलू की खेती के लिए क्षारीय तथा जल भराव अथवा खड़े पानी वाली भूमि कभी न चयन करे aalu ki kheti के लिए बलुई दोमट और जल निकासी वाली भूमि अच्छी मानी जाती है aalu ki kheti के लिए खेत की जुताई लगभग 3-4 बार कल्टीवेटर से जुताई करनी चाहिए वर्तमान में अब आलू की खेती के लिए खेत की जुताई रोटावेटर से भी की जाती है aalu ki kheti करने के लिए खेत की पलेवा जरूर कर लेनी चाहिए जिससे आलू की पैदावार अधिक होती है । तथा प्रतेक जुताई के बाद पाटा जरूर लगवा लेना चाहिए ।
आलू की बुआई का समय –
आलू की बुआई के समय 20 से 25 डिग्री दिन का तापमान आलू की वनस्पतिक वृद्धि और 15-20 डिग्री का तापमान आलू के कंदो की बढ़ावा की लिए उपयुक्त होती है सामान्यतः आलू की अगेती फसल की बुआई के लिए मध्य सितंबर से अक्टूबर के पहले सप्ताह तक बुआई हो जानी चाहिए तथा मुख्य फसल की बुआई के लिए मध्य अक्टूबर के बाद हो जानी चाहिए ।
आलू की फसल के लिए उन्नत किस्मे :
- कुफरी चंद्र मुखी – ( 80 से 90 दिन में तैयार हो जाता है ) 200- 250 कुंतल की उपज
- कुफरी अलंकार – ( यह 70 दिन में तैयार हो जाती है ) यह प्रति हेक्टेयर 200-250 किवंटल उपज देती है
- कुफरी बहार 3792 E – ( 90 से 110 दिनों में एक लम्बी वाली अवधि में 100-135 दिन में तैयार हो जाती है
- कुफरी ज्योति – ( 80 से 120 दिन में तैयार हो जाता है ) 150- 250 किवंटल प्रति हेक्टेयर उपज देती है
- कुफरी शीत – ( 100-130 दिन में तैयार हो जाता है )
- कुफरी लवकर – ( 100-120 दिन में तैयार हो जाता है ) साथ में 300-400 किवंटल प्रति हेक्टेयर उपज होती है
- कुफरी स्वर्ण – ( 110 दिन में तैयार हो जाता है ) 300-400 किवंटल प्रति हेक्टेयर उपज होती है
आलू की फसल की संकर किस्मे –
- कुफरी जवाहर JH 222 – ( 90 से 110 दिन में तैयार हो जाता है ) यह 250-300 किवंटल उपज होती है
- E 4486 – ( 135 दिन में तैयार हो जाता है ) यह हरियाणा , उत्तर प्रदेश , पंजाब , गुजरात आदि में उगने के लिए उपयोगी है
- JF 5106 – ( यह उतर भारत के मैदानी क्षेत्रो में ज्यादातर यज्ञ जाता है यह 75 दिनों में तैयार हो जाता है )
- कुफरी सतुलज J 5857 – ( यह सिंधु गंगा की मैदनो में ज्यादातर उपयोग में उगाई जाती है यह 75 दिनों की फसल है ) 23 से 28 टन प्रति हेक्टेयर की उपज होती है
- कुफरी अशोक P 376 J – ( यह 75 दिनों में 23 से 28 टन प्रति हेक्टेयर में इसकी उपज होती है )
- JEX — 166 C – ( यह किस्म 90 दिन की अवधि लेती है और यह 30 टन प्रति हेक्टेयर उपज देती है )
आलू की नवीनतम किस्मे –
- कुफरी चिप्सोना -1
- कुफरी चिप्सोना -2
- कुफरी गिरिराज
- कुफरी आनंद
Aloo Ki kheti के लिए कार्बनिक खाद – ( Potato organic manure )
किसान बंधुओं को आलू की खेती के लिए खादों का सही चयन करना अति आवश्यक है क्योकि खादों पर ही उपज की मात्रा निर्भर करती है किसानो को aloo ki kheti में खाद को एक उचित मात्रा में डालना चाहिए यदि किसान भाई हरी खाद का प्रयोग नहीं करना चाहते है तो वह 15 से 30 टन प्रति हेक्टेयर की दर से सदी गोबर की खाद खेत में डालकर जीवाश्म की मात्रा को बढ़ाया जा सकता है और जीवाश्म पदार्थ की मात्रा बढ़ने से आलू की कंदो को वृद्धि करने सहायक होगी तथा आलू की बीज की बुआई करने से पहले जब खेत की जुताई करते है तो उसी वक्त सदी गोबर की खाद डालकर जुताई करवा देना चाहिए फेर उसके बाद बीज की बुआई करनी चाहिए ।
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आलू की बीज की बुआई – ( Potato sowing seeds )
आलू की बीज की बुआई करते समय किसानो को इस बात का ध्यान देना चाहिए की खेत में हल्की नमि होनी चाहिए आलू की बीज को 3 से 4 भागो में काट लेना चाहिए और आलू को इस प्रकार काटना चाहिए जिसमे प्र्तेक भाग में आलू की आँखे होना चाहिए आलू के बीज को कुलो में बोया जाता है कुलो में हल्की हल्की मिटटी से डालकर एक मेड बना दी जाती है इस आधुनिक समय में आलू की बुआई पोटेटो प्लांटर से किया जा रहा है जिसमे कम समय और मेहनत से हो जा रहा है ।
आलू की सिंचाई की प्रबंध – ( Irrigation management )
आलू की फसल की सिंचाई के लिए लगभग 8-10 बार सिंचाई करना अनिवार्य है यदि आप आलू की अधिक उपज पाना चाहते है तो आप आलू में 7-8 बार सिंचाई जरूर करे सिंचाई करने से पौधों को उचित विकास एवं वृद्धि में सहायक होती है बीज बुआई के बाद आप 1 हप्ते के बाद यानि 7 से 8 दिन के अंदर पहली सिंचाई कर देनी चाहिए भूमि में 15-30 प्रतिशत नमि कमी होने पर सिंचाई करनी चाहिए यदि तापमान अत्यधिक कम होने की सम्भावना है और पाला गिरने की तो आप फसल की सिंचाई अवश्य करे इस समय आलू की सिंचाई के लिए नई नई आधुनिक सिंचाई प्रणाली आ गयी है जैसे स्प्रिंकलर प्रणाली । ड्रिप प्रणाली आदि यदि आप कुलो की सिंचाई स्प्रिंकलर वृद्धि से कर रहे है तो पानी की बचत 40 % हो जाती है तथा ड्रिप विधि से 50 % पानी की बचत हो जाती है तथा पैदावार 10 – 20 प्रतिशत बढ़ जाती है ।
Aalu ki kheti में किट , खरपतवार एवं रोग –
आलू की फसल में खरपतवारो को नस्ट करने के लिए समय समय पर उसकी निराई गुड़ाई करनी चाहिए व समय पर आलू के कुलो पर मिटटी को चढ़ाना चाहिए आलू की फसल में बहुत से रोग व कीट लगते है और वह कई प्रकार की हनिया करते है जिससे आलू की विर्धि दर उपज कम हो जाती है निचे कुछ प्रमुख रोगो के बारे में बताया गया है ।
आलू की फसल में पिछेता झुलसा रोग –
यह रोग आलू की फसल में फफूंद से लगने वाली एक भयानक बीमारी है इस बीमारी की चपेट में आलू की पत्ती , तने तथा कंदो यानी आलू की सभी भागो को ग्रसित कर देता है यह मौसम के बार बार बदलने से इस बीमारी का प्रकोप ज्यादा बढ़ जाता हैis बीमारी के समय आप फसल में सिंचाई करना बंद कर दे और आवश्यक होने पर ही हल्की हल्की सिंचाई करनी चाहिए यदि फसल में लक्षण दिखाई दे रहा है तो आप उसके रोकथाम के लिए 0.20 प्रतिशत मैंकोजेब दवा के घोल का छिड़काव 8 से 10 दिन के अंतराल पर क्र देना चाहिए ।
आलू की फसल में अगेता झुलसा रोग –
इस बीमारी में आलू की फसल पर बहुत ज्यादा ही बुरा प्रभाव पड़ता है अगेता झुलसा रोग में आलू की पत्तिया और कंदो पर बीमारी का प्रकोप दीखता है इस बीमारी का लक्षण निचली तथा पुराणी पत्तियों पर छोटे गोले अंडाकार भूरे धब्बो के रूप में दिखाई देता है इस बीमारी के निवारण के लिए 0.3 % कॉपर आक्साइड क्लोराइड फफूंदनाशक के घोल का प्रयोग करे ।
आलू की पत्ती मुड़ने वाला रोग – ( Potato Leaf Roll )
यह एक वायरस बीमारी है यह वायरस के द्वारा फैलती है इस बीमारी के निवारण के लिए रोग रहित बीज ही बोना चाहिए और इस वायरस के वाहक एफिड की रोकथाम दैहिक कीटनाशक या फास्फोमिडान 0.04 % घोल में मिथाइलाक्सीडीमितं या डाईमिथोएट का 0.1 % घोल बनाकर 1 से 2 बार छिड़काव कर देना चाहिए ।
आलू की खेती में दीमक – ( Potato Termmit )
आलू की फसल में दीमक का प्रकोप ज्यादातर अगेती फसलों में होता है इस रोग से प्रभावित आलू की पत्तिया निचे की और मूड जाती है दीमक की रोकथाम के लिए डाइकोफाल 18.5 इ सी या क्यूनालफास 25 इ सी की 2 लीटर मात्रा प्रति हेक्टेयर की दर से सिंचाई के पानी के साथ प्रयोग करे और 7 से 10 दिनों के अंतराल पर ।
आलू की खुदाई – ( Potato Digging )
आलू की खुदाई अगेती फसल से अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है यह बुआई के उपरांत 60 se70 दिनों में कच्ची फसल की अवस्था में खुदाई किया जा सकता है आलू की फसल पकने पर खुदाई करने का उत्तम समय अवधि फरवरी से मार्च माना गया है वतावरण का 30 डिग्री सेंटीग्रेड का तापमान आने के पूर्व ही आलू की खुदाई का काम कर लेना चाहिए और उसे एक अच्छे स्थान पर भंडारण कर देना चाहिए जहा पर आलू की सड़ने की संभावना न हो ।
Aalu ki खेती में बेहतरीन उपज के आप ने अच्छी जानकारी दी है