Makka ki kheti : गर्मी के मौसम में करें मक्का की खेती होगा भारी मुनाफा

Makka ki kheti :-

मक्का को दुनिया में खाद्यान्न फसलों की रानी कहा जाता है क्योंकि इसका उत्पादन क्षमता अन्य फसलों की अपेक्षा सबसे ज्यादा होती है मक्का को खाने के साथ कुट-कुट आहार पशु आहार शराब और स्टार्च के रूप में इस्तेमाल किया जाता है भारत में इसका उत्पादन सबसे अधिक मात्रा में किया जाता है इसलिए मक्के की खेती अन्य फसलों की तुलना में सबसे ज्यादा फायदेमंद है मक्के की खेती में जाड़ा में भी जाती है जाड़ा में मक्का की खेती भुट्टो और चारो दोनों के लिए की जाती है |

मक्के की खेती ( Makka ki kheti ) के लिए उपयुक्त जलवायु :-

मक्का एक प्रकार का ग्रीष्मकालीन फसल होता है जो सभी अवस्थाओं में तापमान लगभग 250 डिग्री सेंटीग्रेड के आसपास होने चाहिए और मक्के की फसल को पकाने के लिए गम तथा शुष्क वातावरण की आवश्यकता होती है |

corn ki kheti

मक्का की खेती के लिए उपयुक्त भूमि का चुनाव :-

मक्का की फसल से अधिक पैदावार प्राप्त करने के लिए उपजाऊ दोमट मिट्टी का प्रयोग करना चाहिए जिसमें वायु का संचार अधिक होता है और गुणवत्ता उत्तम होती है मक्के की खेती के लिए भूमि का पीएच मान 6 से 7 के बीच होना चाहिए खेती करते समय यह अवश्य ध्यान देना चाहिए कि जिस खेत में आप मक्के की खेती कर रहे हैं उसे खेत में जल भराव की समस्या ना उत्पन्न होता है क्योंकि जल भराव के कारण से मक्के की फसल को काफी हानि हो सकता है |

मक्का की खेती के लिए भूमि की तैयारी :-

भूमि की तैयारी करने के लिए खेत को एक बार मिट्टी पलटने वाले हाल से जुताई करने के बाद दो से तीन बार कल्टीवेटर से तिरछी जुटा करके जमीन को मिट्टी को भुरभुरा कर लेना चाहिए और पता चला कर खेत को समतल बना लेना चाहिए जिससे अंकुरण अच्छा होता है बुवाई से 20 दिन पहले 20 से 25 ट्रॉली साड़ी गोबर की खाद प्रति हेक्टेयर के हिसाब से डाल देना चाहिए और खेत में दीमक के नियंत्रण के लिए अंतिम विदाई के समय 25 किलो क्लोरोपीरीफास का चूर्ण डालना आवश्यक होता है |

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उन्नतशील किस्म का चयन :-

मक्का सुधार परियोजना के अंतर्गत अनुसंधान के आधार पर ग्रीष्मकालीन मक्का की खेती के लिए निम्न किस्म को चुना गया है
विवेक मक्का हाइब्रिड-27 गंगा-4 गंगा-11 डेक्कन-103, वी.एल.-42। |

ग्रीष्मकालीन मक्का फसल की खेती ( Corn ki kheti )के लिए शंकर कृष्ण का मक्का का उपयोग करते समय प्रत्येक बार नए बीज का उपयोग करना चाहिए

मक्के की खेती के लिए बीज की मात्रा एवं बीज उपचार :-

मक्के की खेती करने के लिए शंकर प्रजातियों का 15 से 20 किलोग्राम बीज 1 हैकटेयर एवं चारे की फसल के लिए 40 से 50 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर की आवश्यकता होती है जाड़ा में भुट्टे की खेती करने के लिए 20 से 25 किलो बीज प्रति हेक्टेयर की आवश्यकता होती है परंतु बी को होने से पहले सीरम या भाभी स्टीम नमक फफूंद नाशक दवा की 2 ग्राम मात्रा प्रति किलो बीज किधर से उपचारित करके बोना चाहिए बी की बुवाई तीन से 5 सेंटीमीटर गहराई पर की जानी चाहिए |

पौधों के बीच अंतर :-

मौसम के आधार पर मक्का की फसल से अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए उचित अंतराल रखना जरूरी होता है जाड़ा के मौसम में कतर से कतर के बीच की दूरी 45 से 50 सेंटीमीटर एवं पौधों से पौधों के बीच की दूरी 25 सेंटीमीटर होनी चाहिए

खरपतवार नियंत्रण :-

मक्के की फसल में समय पर निराई गुड़ाई नहीं होने पर उत्पादन अत्यधिक प्रभावित होता है निराई गुड़ाई करने से भूमि में नमी बनी रहती है और भूमि में वायु के अच्छे संचार से जड़ों को खाद्य पदार्थ व जल प्रचुर मात्रा में मिलता रहते हैं खरपतवार नाशक 500 ग्राम सक्रिय तत्व एक से 1.5 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर किधर से 700 से 800 लीटर पानी में का घोल बनाकर छिड़काव करने से खरपतवार नष्ट हो जाता है |

खरपतवार नियंत्रण के लिए दवा का उपयोग बुवाई के बाद अंकुरण से पहले करना चाहिए अर्थात बुवाई के 1 से 2 दिन के अंदर ही कर लेना चाहिए और इसके बाद 20 से 30 दिन की फसल अवस्था पर इससे कतारबद्ध तरीके से नीति करना चाहिए इसके बाद पौधों पर मिट्टी चढ़ा देना चाहिए जिससे पौधे गिरने से बच सकते हैं |

जल प्रबंधन :-

मक्के की फसल के लिए पानी की अधिकता एवं कमी दोनों ही हानिकारक होते हैं खरीफ में सिंचाई की आवश्यकता नहीं पड़ती है ग्रीष्मकालीन समय में फसल को 10 से 15 दिन के बाद सिंचाई करते रहना आवश्यक होता है पूरी फसल की अवधि में 8 से 10 सिंचाई की आवश्यकता होती है जिसमें से तीन सिंचाई पौधों में फूल आने के पहले वह तीन फूल आने के बाद की जाती है

कटाई और मडाई :-

दाने के लिए लगाई गई फसलों में भुट्टे की ऊपरी परत के सूखने पर दाना नाखून से ना लगे पौधों की निकली पत्तियां सुखी दिखाई देने लगे तन सोकर करने लगे उसे समय खेत से भुट्टे अलग कर ले और उसे सूखे फर्श या अच्छा पर तेज धूप में सुखाएं भुट्टे से दाने को अलग करने के लिए भट्ट चिलक यंत्र का उपयोग किया जा सकता है चेहरे के लिए लगाई गई फसल की कटाई न मंजरी अवस्था में करनी चाहिए क्योंकि इस अवस्था में फूड प्रोटीन की मात्रा ज्यादा होती है और भुट्टे के लिए लगाई गई फसल की कटाई दूध भरने वाली अवस्था में करनी चाहिए

अंतरवर्गीय फसलों के अतिरिक्त लाभ :-

मक्का की फसल के साथ-साथ अंतर वर्गीय खेती में अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए ऐसी फसल का चुनाव करना चाहिए जिससे कुल उत्पादन में वृद्धि हो ग्रीष्मकालीन मक्का के साथ हो गया कि अंतर वर्गीय खेती की जा सकती है

सामान्यत: पूछे जाने वाले प्रश्न
मक्का की अच्छी पैदावार प्राप्त करने के लिए क्या करें ?

मक्का की अच्छी पैदावार प्राप्त करने के लिए उचित जल विकास वाली बलुई दोमट मिट्टी में इसकी खेती करें और पहले जुताई मिट्टी पलटने वाले फल से तथा अन्य दो या तीन जुताई कल्टीवेटर या देशी हल से करनी चाहिए छोटे दाने वाले देसी प्रजातियों के लिए 16 से 18 किलोग्राम शंकर एवं सफेद प्रजातियों के लिए 18 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर के हिसाब से डालें |

1 एकड़ खेत में कितने मक्के का उत्पादन होता है ?

अगर किसान रवि सीजन में गेहूं के जगह मक्का की खेती करें तो किसानों को गेहूं का उत्पादन प्रति एकड़ 8 से 12 कुंतल से ज्यादा नहीं मिलता है वहीं मक्का का उत्पादन 30 से 40 कुंतल प्रति एकड़ आसानी से मिल जाएगा |

मक्के की खेती कौन से महीने में करनी चाहिए ?

मक्के की खेती करने का सबसे उपयुक्त समय मध्य जून से मध्य जुलाई का होता है पहाड़ी एवं कम तापमान वाले क्षेत्रों में में के अंत से जून के शुरुआत में मक्का की बुवाई की जा सकती है |

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