Dragon Fruit Farming in Hindi | नईं तकनीक से करे ड्रैगन फ्रूट की खेती

हेलो दोस्तों स्वागत है आपका upagriculture के नई पोस्ट ड्रैगन फ्रूट की खेती (Dragon Fruit ki kheti) में आज के इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको ड्रैगन फ्रूट की खेती (Dragon Fruit Farming in Hindi) के बारे में बताएंगे यदि आप भी इसकी खेती करना चाहते हैं तो इस ब्लॉक को अंत तक अवश्य पढ़े |

Dragon Fruit Farming in Hindi :-

ड्रैगन फ्रूट एक प्रकार का विदेशी फल होता है सिर्फ किसानों की आमदनी को दोगुना करती है बल्कि इसमें विभिन्न प्रकार के पोषक तत्व भी पाए जाते हैं आकर्षक दिखने के कारण इस फल की बाजार में काफी ज्यादा मांग रहती है भारत में इसकी खेती की जाती है जिसे ड्रैगन फ्रूट के नाम से जाना जाता है विभिन्न प्रकार के शायरी उपभोक्ता जो मधुमेह कार्डियो वैस्कुलर और अन्य तनाव संबंधी बीमारियों से पीड़ित है और प्राकृतिक उपचार को प्राथमिकता देते हैं ड्रैगन फ्रूट उन लोगों के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है |

Dragon Fruit Farming in Hindi :ड्रैगन फ्रूट की खेती करने का तरीका 

बीते हुए 2 से 3 साल में जलवायु में काफी परिवर्तन आया है इसे वर्ष की अनियमित फसल खराब होने की संभावना काफी ज्यादा बढ़ गई है इन सभी समस्याओं को देखते हुए कई किसानों ने ड्रैगन फ्रूट की खेती करने का मन बना लिया क्यों किया सूखा पड़ने की स्थिति में भी खराब मिट्टी में भी हो सकता है ड्रैगन फ्रूट में हीलिंग के अच्छे गुण पाए जाते हैं |

यही कारण है की पौधे की कीमत बाजार में ₹60 से लेकर ₹200 तक होती हैं ड्रैगन फ्रूट की कीमत पौधों के पुराने होने पर निर्भर करती है जितना ज्यादा पुराना पौधा होता उसकी कीमत इतनी ही ज्यादा होगी 3 साल पुराने पौधे पर लगाने पर आपको जल्दी उत्पादन मिलने लगेगा |

ड्रैगन फ्रूट की खेती

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ड्रैगन फ्रूट के प्रकार :-

ड्रैगन फ्रूट मुख्ता तीन प्रकार के होते हैं |

  • सफेद गूदे वाला लाल रंग का फल |
  • सफेद गूदे वाला पीले रंग का फल |
  • लाल गूदे वाला लाल रंग का फल |

बुवाई का उचित समय :-

इसके पौधे जून से अगस्त महीने तक गम और आद्रता वातावरण में प्रत्यारोपण कर सकते हैं |

ड्रैगन फ्रूट की कटिंग :-

ड्रैगन फ्रूट के पौधे में नए करने और पौधों की अच्छी वृद्धि के लिए 15 से 30 सेंटीमीटर स्लाइस का उपयोग करना चाहिए कटिंग करने के प्रसाद पौधों पर फफूंद नाशक लगा देना चाहिए और धूप में दो से तीन दिन के लिए कटिंग को सूखने के लिए रख देना चाहिए कटिंग करने से पौधों के विकास में मदद मिलता है जब कटे टिप्स सफेद दिखाई देने लगती है तो क्या तैयार हो जाता है अब आप कटे हुए टिप्स को मिट्टी में या नर्सरी मे काली पॉली बाग में वर्मी कंपोस्ट और कोको पीट से तैयार की गई मिट्टी में लगा सकते हैं |

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ड्रैगन फ्रूट के पौधों की बुवाई का तरीका :-

ड्रैगन फ्रूट के पौधे गर्म और आदर वातावरण में प्रत्यारोपण कर सकते हैं पौधों की अच्छी वृद्धि के लिए चॉपस्टिक से काटा जाता है और पौधों के अच्छे वृद्धि के लिए 15 से 30 सेंटीमीटर के स्लाइस का उपयोग करना उचित है इन स्लाइस किए गए पौधों को जुताई के बाद खेत में लगाना चाहिए लगभग 40 से 50 दिनों में जड़े उभरने लगेगी इसे लगाने से पहले 6 फीट लंबी आरसीसी पोल लगाने होंगे |

क्योंकि यह एक कैक्टस बिल है और उनके फल काफी बड़े-बड़े होते हैं जिससे उन्हें खड़े होने के लिए एक सहारे की जरूरत पड़ती है प्रत्येक पौधों के बीच की दूरी कम से कम 6 फीट होनी चाहिए 6 फीट की दूरी रखने पर एक हेक्टेयर खेत में 1700 पौधे लगाए जा सकती है |

ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु पर तापमान :-

ड्रैगन फ्रूट की खेती करने के लिए उष्णकटिबंधीय अथवा उष्णकटिबंधीय क्षेत्र की आवश्यकता होती है Dragon Fruit ki kheti और अच्छे उत्पादन के लिए 20 से 30 डिग्री तापमान का होना अनिवार्य है कैक्टस बल होने के कारण यह कम पानी में भी अच्छा उत्पादन देता है इसी 50 सेंटीमीटर वार्षिक वर्षा की आवश्यकता होती है बहुत अधिक सूर्य की रोशनी ड्रैगन फ्रूट के पदों को नुकसान पहुंचा सकती हैं इसी कारण से इसकी खेती छायादार इलाकों में की जाती है |

Dragon Fruit ki kheti के लिए उपयुक्त भूमि का चयन :-

ड्रैगन फ्रूट की खेती सभी प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है परंतु या ध्यान रहे की जैविक खेती करने से उत्पादन अच्छा प्राप्त होगा जिससे आमदनी में भी बढ़ोतरी होगी जुताई करने के बाद 2 दिन के लिए मिट्टी को खुले धूप में छोड़ देना चाहिए जिससे मिट्टी में उपस्थित एवं उनके एंड और रोगजनक जीवाणु नष्ट हो जाए जुताई के बाद कोई भी जैविक अनुपात मिट्टी में दिया जाना चाहिए |

Dragon Fruit Farming in Hindi :- खाद और उर्वरक की मात्रा

ड्रैगन फ्रूट के पौधों की रोपाई करते समय 10 से 20 ग्राम जैविक खाद या प्रति पौधे पर और 100 ग्राम सिंगल सुपर फास्फेट का उपयोग करना चाहिए 2 वर्षों तक प्रत्येक पौधों में 300 ग्राम नाइट्रोजन 200 ग्राम फास्फोरस और 200 ग्राम पोटेशियम का प्रयोग करना चाहिए पूरी तरह से परिपक्व पौधे के लिए 550 ग्राम नाइट्रोजन 750 ग्राम फास्फोरस और 300 ग्राम पोटेशियम प्रतिवर्ष डालना चाहिए |

वानस्पतिक अवस्था में इसके पौधों में लगने वाले रासायनिक खाद्य का अनुपात 40 अनुपात 90 अनुपात 70 ग्राम प्रति पौधे पर उपयोग करना चाहिए जब पौधों में फल लगने लगे तो इसकी मात्रा काम कर देनी चाहिए और नाइट्रोजन एवं पोटाश की मात्रा अधिक कर देनी चाहिए जिससे उत्पादन अच्छा प्राप्त है |

Dragon Fruit Farming in Hindi :- ड्रैगन फ्रूट के पौधों की सिंचाई

इसके पौधों को अत्यधिक पानी की जरूरत नहीं होती है यदि आप इसकी खेती में ड्रिप इरिगेशन सिस्टम का उपयोग करते हैं तो यह अवस्था खेती के लिए अनुकूल माना जाता है क्योंकि अधिक अपनी जड़ों के पास इकट्ठा होने पर ड्रैगन फ्रूट की फसल खराब हो सकती है इसलिए खेतों में जल विकास की अच्छी सुविधा होना अनिवार्य है |

ड्रैगन फ्रूट के पौधों में फलों का आना एवं फलों की तुड़ाई :-

ड्रैगन फ्रूट के पौधा में मैं जून के महीने में फूल आना प्रारंभ हो जाता है और अगस्त से दिसंबर तक फल लगने लगते हैं मानसून में ड्रैगन फ्रूट पूरी तरह से तैयार हो जाता है मानसून के चार से पांच महीने तक 40 दिनों के अंतराल पर फल पटे रहते हैं सीजन के समय में एक पौधों की कीमत ₹400 प्रति किलो होती है इसकी उत्पादन क्षमता प्रति एकड़ में 5 से 6 टन होती है ड्रैगन फ्रूट का फल एक एकड़ की खेती में 14 लख रुपए तक का मुनाफा देता है

ड्रैगन फ्रूट के स्वास्थ्य लाभ :-
  • ड्रैगन फ्रूट फल में कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करने की क्षमता होती है |
  • शुगर डायबिटीज के रोगियों के लिए या काफी ज्यादा लाभदायक होता है |
  • ड्रैगन फ्रूट फाइबर युक्त होता है जो आपके शरीर में आवश्यक पोषक तत्व की कमियों को पूरा करता है |
    इसका सेवन करने से कार्डियोवैस्कुलर रोग होने का खतरा कम हो जाता है |
  • हार्ट अटैक जैसे गंभीर रोगो से भी बचा जा सकता है |
  • ड्रैगन फ्रूट में एंटीऑक्सीडेंट गुड़ की भरपूर मात्रा उपलब्ध होती है |
  • पोटेशियम और विटामिन की भी प्रचुर मात्रा ड्रैगन फ्रूट के फल में उपलब्ध होती है |

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