Satavar ki kheti- सतावर की खेती से कमाए 10 लाख प्रति एकड़

आज हम इस ब्लॉग के जरिये आपको सतावर की खेती(satavar ki kheti), सतावर के उपयोग, सतावर के फायदे तथा सतावर की कीमत से सम्बंधित सारी जानकारी देने वाले हैं क्यों कि आज के समय में भी सतावर की मांग बाजारों में बहुत अधिक है इसलिए हमारे किसान भाई सतावर की खेती कर (satavar ki kheti) के अपनी पारंपरिक खेती के मुकाबले बहुत अधिक कमाई कर सकते हैं| तो सम्पूर्ण जानकारी के लिए लेख को अंत तक अवश्य पढ़ें|

सतावर से सम्बंधित जानकारी

सतावर एक औषधीय पौधा है| इसका वैज्ञानिक नाम( Asparagus racemosus) ऐस्पेरेगस रेसीमोसस है| सतावर का कुल लिलीएसी है । सतावर को शतावरी, सतमूल और सतमूली आदि के नाम से जानते हैं| सतावर का पौधा भारत, श्रीलंका तथा हिमालय की कई क्षेत्रों में पाया जाता है| सतावर के पौधे का उपयोग नहीं होता, बल्कि उसके जड़ों का उपयोग किया जाता है| इसके पौधे में अनेक शाखाएं और पत्तियाँ कांटेदार होती हैं| पौधों की लंबाई 1 से 2 मीटर होती है तथा इसकी जड़ें मूली की तरह होती है परंतु यह गुच्छेदार होती है|

सतावर को आयुर्वेद में औषधियों की रानी कहा जाता है| शतावर की जड़ों को औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जाता है| जिसमें अनेकों प्रकार के औषधि गुण मौजूद होते हैं| सतावर में ऐस्मेरेगेमीन ए नामक पॉलिसाइक्लिक एल्कालॉइड, स्टेराइडल सैपोनिन, शैटेवैरोसाइड ए, शैटेवैरोसाइड बी, फिलियास्पैरोसाइड सी और आइसोफ्लेवोंस नामक गुण पाए जाते हैं जो कि हमारे शरीर में होने वाले रोगों को ठीक करने में कारगर साबित होते हैं|

(satavar ki kheti)

सतावर का उपयोग

सतावर का उपयोग औषधि के रूप में सदियों से किया जा रहा है| भारत में औषधीय बनाने के लिए सतावर का उपयोग प्रतिवर्ष 500 टन किया जाता है| सतावर के निम्नलिखित उपयोग हैं

  • सतावर का उपयोग स्त्रियों के प्रसव के बाद स्तन से दूध स्त्राव के लिए
  • इसका उपयोग बांझपन को खत्म करने में
  • सतावर का उपयोग गर्भपात के लिए
  • जोड़ों के दर्द में
  • मिर्गी में
  • प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत करने में
  • औषधियों को बनाने में
  • क्षय रोग में कारगर
  • दस्त में लाभदायक
  • मधुमेह रोगियों की शरीर की शर्करा को नियंत्रित करने में
  • कामोत्तेजना को बढ़ाने में
  • शरीर को शक्ति प्रदान करने में

सतावर की खेती (satavar ki kheti)

सतावर की खेती (satavar ki kheti) लगभग 2000 वर्ष पहले से की जा रही है आपको बता दे कि भारत में तमाम औषधीय को बनाने के लिए हर साल लगभग 500 टन सतावर की जड़ों का उपयोग किया जाता है| सतावर की खेती (satavar ki kheti) करके हमारे किसान भाई पारंपरिक खेती के मुकाबले कई गुना अधिक मुनाफा कमा सकते हैं| सतावर की खेती करने के लिए कई बिंदुओं पर ध्यान देना होगा जिसका वर्णन विस्तार पूर्वक किया गया है|

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सतावर की खेती (satavar ki kheti) के लिए उपयुक्त मिट्टी

किसान भाइयों आपको पता ही होगा कि किसी भी फसल को की खेती करने के लिए उपजाऊ मिट्टी की महत्वपूर्ण भूमिका होती है| इस प्रकार सतावर की खेती (satavar ki kheti)करने के लिए लेटराइट मृदा, लाल दोमट मृदा सबसे अच्छी मानी जाती है| आप जिस भूमि का प्रयोग करें ध्यान दे कि उस खेत में जल निकासी की अच्छी व्यवस्था होनी चाहिए क्योंकि इसकी खेती के लिए अत्यधिक पानी की आवश्यकता नहीं होती |

इससे सतावर की जड़े खराब होने का खतरा रहता है तथा 20 से 30 सेंटीमीटर गहराई वाली उथली तथा पुथली मृदा में सतावर की खेती आसानी से की जा सकती है| इसको घरेलू उपयोग में उगाने के लिए आप किसी गमले या ग्रो बैग में आसानी से उगा सकते हैं|

सतावर की खेती (satavar ki kheti)के लिए उपयुक्त जलवायु

किसी भी फसल को उगाने और उसकी अच्छी वृद्धि के लिए जलवायु एक महत्वपूर्ण कारक है| वैसे ही सतावर की खेती (satavar ki kheti) के लिए गर्म तथा आर्द्र जलवायु अधिक उपयुक्त मानी जाती है| इसकी खेती के लिए 10 अंश सेल्सियस से 50 अंश सेल्सियस के बीच का तापमान उत्तम माना जाता है| सतावर खेती भारत के ठंडे प्रदेशों के अलावा संपूर्ण भारत की जलवायु में किया जा सकता है|

खेत की तैयारी तथा पौधे की रोपाई

सतावर की खेती (satavar ki kheti) के लिए आपको खेत को अच्छी तरह से जुताई करके सभी खरपतवार को नष्ट कर देना है| इसके बाद उसमें सड़ी हुई गोबर की खाद को डालकर खेत की अच्छी तरह से आढी तिरछी जुताई करके मिट्टी को भुरभुरी कर देना है फिर खेत को अच्छी तरह से समतल करके उसमें आलू की तरह 60 सेमी की दूरी पर लंबी सीधी बेड को तैयार कर लेना है|

जुताई के पौधों की रोपाई की बात की जाए तो बुवाई के लिए आपको पौधों की जरूरत होगी जो कि आप अपने नजदीकी नर्सरी से प्राप्त कर सकते हैं| या फिर अभी शतावर की खेती करने वाले किसान से भी आप इसकी नर्सरी को प्राप्त कर सकते हैं| इसके बाद आप अपने खेत में बने बेड पर पौधों को एक से डेढ़ फीट की दूरी पर लगा दें|

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पौधों की सिंचाई

सतावर की खेती (satavar ki kheti) में सिंचाई की बात की जाए तो इसकी पहली सिंचाई पौध रोपण के तुरंत बाद कर देनी चाहिए तथा इसे एक महीने तक लगातार 4 से 6 दिनों के अंतराल में सिंचाई करते रहनी चाहिए तथा इसकी खेती में 4 से 6 दिनों में सिंचाई करती रहनी चाहिए |

पौधे की सुरक्षा

आपको बता दे की सतावर एक ऐसा पौधा है जिसे ना तो कोई जंगली जानवर खाता है और ना ही इसे कोई रोग लगता है क्योंकि यह खुद ही एक रोगनाशक है |

कटाई और उपज

सतावर की खेती को तैयार होने में लगभग 12 से 18 महीने का समय लगता है जो की भूमि और जलवायु पर निर्भर करता है | पौधे की उपज की बात की जाए तो अगर इसकी अच्छे से देख-रेख की जाए तो प्रति पौधा आपको कम से कम 3 से 6 किलो की पैदावार दे सकता है अगर आप इसकी खेती एक एकड़ मैं करें तो ₹12000 पौधे आएंगे जिससे आपको लगभग 35 से 36 कुंतल की उत्पादन होगी |

लागत तथा मुनाफा

सतावर की खेती (satavar ki kheti) लागत की बात की जाए तो लगभग 18 महीने में इसकी संपूर्ण लागत लगभग एक से डेढ़ लाख रुपए के बीच आएगी |

वही सतावर की खेती में मुनाफे की बात की जाए तो इसकी थोक में इसकी कीमत 400 से ₹500 किलो होती है तथा रिटेल में इसकी कीमत 600 से ₹700 किलो होती है इसी हिसाब से आप एक एकड़ में 9 से 10 लाख रुपए की कमाई कर सकते हैं | अगर किसी कारणवश आपके फसल की गुणवत्ता काम भी रहती है तो आप एक एकड़ में 4 से 5 लाख रुपए काम ही लेंगे जो की अन्य किसी खेती के मुकाबले काफी अधिक है |

सामान्यतः पूछे जाने वाले प्रश्न 

सतावर की कीमत क्या है ?

सतावर की एक किलों की कीमत 1400 से 1600 रुपये तक है |

सतावर का क्या उपयोग है |

सतावर आयुर्वेदिक औषधि है इसे आयुर्वेद की रानी कहते हैं | इसका औषधियों के रूप में किया जाता

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