परिचय
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सीताफल (शरीफा) की खेती (Sitafal ki Kheti) भारत में बहुत से क्षेत्रो में की जाती है | यह एक सर्दी के मौसम में मिलाने वाला फल है | यह बहुत ही स्वादिष्ट और मीठा फल होता है | भारत में सीताफल को कई नाम से जाना जाता है | सीताफल को शरीफा, शुगर एप्पल और इंग्लिश में इसे Custard Apple के नाम से जानते हैं | इसका वैज्ञानिक नाम अन्नोना स्क्वामोसा है | फल यह बहुत समय पहले विदेशों से से भारत लाया गया था | इसकी खेती धीरे धीरे पूरे भारत में होने लगी | यह फल अपने आप भी उग जाता है |
सीताफल की खेती (Sitafal ki Kheti) ब्राजील और भारत में सबसे ज्यादा की जाती है | इस फल में कई प्रकार की औषधिय गुण और बहुत से स्वास्थ्य वर्धक तत्व भी पाए जाते हैं | साथ ही यह बहुत ही स्वादिष्ट और मीठा फल होता है | इसलिए इसे ज्यादा लोग खाना पसंद करते हैं, और इसकी मार्केट में हमेशा ही डिमांड बनी रहती है |
यह एक ऐसी फसल है जिसकी खेती के लिए कम पानी, कम लागतऔर कम मेहनत में ज्यादा कमाई कर सकते हैं | इसका उपयोग व्यापारिक तौर पर बहुत ही ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है | इसके बीज से भी तेल निकाला जाता है | जिससे साबुन, पेंट बनाने की में उपयोग किया जाता है |
सीताफल के बारे में
सीताफल ठंडा फल होता है | यह फल जब कच्चा रहता है तो यह हरे रंग का दिखता है | पकने के बाद यह हल्का पीला हो जाता है | इस फल का आकार गोलाकार-शंक्वाकार होता है | सीताफल का वजन 100 ग्राम से लेकर 1000 ग्राम या इससे ऊपर भी हो सकता है | इसका गूदा सुगंधित नरम मीठा और थोड़ा दानेदार चिकना होता है |
इसके गूदा के अंदर काले रंग के 13 से 16 मिलीमीटर लंबे बहुत से बीज पाए जाते हैं |यह फल दिखने में काफी खुरदरा होता है | जैसा की इमेज में दिखाया गया है | सीताफल में बहुत से औषधि गुण और स्वास्थ्यवर्धक तत्व पाए जाते हैं | सीताफल में विटामिन बी2,बी3, बी5, बी9, आयरन मैग्नीशियम फॉस्फोरस पोटेशियम थायमिन मैंगनीज विटामिन सी बहुत प्रचुर मात्रा में पाया जाता है |
सीताफल खाने के फायदे
- सीताफल में प्रचुर मात्रा में कैल्शियम फाइबर जैसे बहुत से न्यूट्रिएंट्स पाए जाते हैं जिससे आर्थराइटिस और कब्ज जैसी समस्या से छुटकारा मिलता है |
- सीताफल के पेड़ की छाल में टैनिन नामक तत्व पाया जाता है, जिसका इस्तेमाल दवाइयां बनाने के लिए होता है |
- इसके पत्ते और छालों में ऐसे गुण पाए जाते हैं, जिससे की कैंसर और ट्यूमर जैसी बीमारियों से भी छुटकारा मिल सकता है |
- सीताफल का ज्यादा उपयोग करने से यह आपके शरीर में मोटापा भी ला सकता है |
- सीताफल के बीज में तेल भी निकलता है | जिसका इस्तेमाल साबुन और अन्य सौंदर्य उत्पाद बनाने में किया जाता है |
- इस तेल का उपयोग पेंट को बनाने में किया जाता है |
- इसके बीज, पत्तियों और सूखे फल का उपयोग कीटनाशक बनाने में किया जाता है क्योंकि इसमें विभिन्न प्रकार के शराब मौजूद होते हैं जो की कीटों से निजात पाने में सहायता मिलती है |
- सीताफल के फलों का उपयोग कारखाने में मिठाई, शरबत रस वाइन और आइसक्रीम को बनाने में भी किया जाता है |
- यह शरीर को ठंडा रखने में मदद करता है | परंतु इसे खाने से सर्दी जुकाम को बढ़ावा मिलता है |
सीताफल की खेती (Sitafal ki Kheti) कैसे करें
सीताफल की खेती (Sitafal ki Kheti) के लिए किसी खास प्रकार की मिट्टी की आवश्यकता नही होती है | सीताफल की खेती (Sitafal ki Kheti) के लिए किसी खास जलवायु की भी आअवश्यकत नहीं होती है |
यह भारत में लगभग हर प्रदेश में देखने को मिल जाता है | साथ ही इस फल की खेती करने में कम पानी कम लागत और कम मेहनत में की जा सकती है | सीताफल की खेती (Sitafal ki Kheti) से सम्बंधित कई बिन्दुए नीचे विस्तार पूर्वक बताई गयी हैं |
सीताफल की खेती (Sitafal ki Kheti) की प्रमुख किस्में
सीताफल की कई किस्में हैं जिनको जलवायु , फल का आकार, बीज की मात्रा, तथा रंग के आधार पर बाँट दिया गया है | जिनके बारे में विस्तार पूर्वक वर्णन किया गया है |
- सरस्वती-7
- बाला नगर
- अर्का सहन
- लाल शरीफा
- मैमथ
- सरस्वती-7:- यह सीताफल की बहुत अच्छी किस्म है | इस किस्म में फलों का वजन 500 ग्राम से लेकर 1100 ग्राम तक होता है | इसका सबसे ज्यादा उपयोग जूस बनाने के लिए किया जाता है | यह किस्म जैविक खेती के लिए सबसे उत्तम है | इस किस्म की बाहरी सतह बहुत ही पतली और इसमें आंखें कम उभरी हुई होती है | सीताफल की इस किस्म का उत्पादन 7.5 टन प्रति एकड़ तक होता है |
- बाला नगर :- यह किस्म झारखंड क्षेत्र के लिए सबसे बेस्ट है | इस किस्म में फल हल्के हरे रंग के होते हैं | तथा इसमें बीजों की मात्रा अधिक पाई जाती है | इस किस्म में एक पेड़ से लगभग 5 किलो तक फल प्राप्त होते हैं |
- अर्का सहन:- सीताफल की यह एक शंकर किस्म है जो कि अन्य किस्म की अपेक्षा चिकनी होती है और इसके फल भी अधिक मीठे होते हैं | उसके फल बहुत ही रसदार होते हैं | इसके फल में बीजों की मात्रा कम पाई जाती है | इसके गुदे सफेद बर्फ की तरह दिखाई देते हैं | इस किस्म को पकने में काफी समय लगता है |
- लाल शरीफ :- इस किस्म के नाम से ही पता चल रहा है कि इसका रंग लाल होता है | इस पेड़ में लगभग 40 से 50 फल प्रति वर्ष आते हैं | जो कि हर साल पेड़ के पुराने होने के साथ बढ़ते रहते हैं |
- मैमथ:- इस किस्म में एक पेड़ के द्वारा लगभग 60 से 80 फल प्रतिवर्ष आते हैं | इसमें बीजों की संख्या लाल सीताफल की अपेक्षा कम होती है | इसका उत्पादन और गुणवत्ता भी अच्छी मिलती है |
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खेत की तैयारी
सीताफल के पौधों की रोपाई बरसात की शुरुआत में यानी की जुलाई महीने में की जाती है | इसकी पौधों की रोपाई करने के लिए जून के की शुरुआती सप्ताह में खेत कि सभी खरपतवार को अच्छे से साफ करके उसमें 60 वर्ग सेंटीमीटर के आकार के गड्ढे बना लेना चाहिए | 1 एकड़ में लगभग 400 से 450 गड्ढे तैयार करने चाहिए |
उसके बाद इन गड्ढों में सड़ी हुई खाद सिंगल सुपर फास्फेट और नीम या करंज के पौधों की छाल तथा 50 से 10% कूड़ा मिलकर गड्ढे में डाल देना चाहिए | इसके बाद पौधों को गड्ढे में लगाकर उसकी सिंचाई अच्छे से कर देनी चाहिए |
सीताफल के लिए आवश्यक भूमि
सीताफल की खेती (Sitafal ki Kheti) के लिए किसी खास मृदा की आवश्यकता नहीं होती, परंतु इसकी खेती पथरीली भूमि में भी की जाती है | इसकी अच्छी पैदावार के लिए दोमट मिट्टी सबसे उपयोगी होती है आप जिस मृदा में सीताफल की खेती (Sitafal ki Kheti) कर रहे हो उसका पीएच मान 5.5 से 7 के बीच रहना चाहिए |
सीताफल की खेती (Sitafal ki Kheti) करने से पहले आपको ध्यान देना होगा कि आप जिस मृदा में सीताफल की खेती (Sitafal ki Kheti) करें, उसमें जल भराव ना हो, क्योंकि जल भरा होने के कारण कई प्रकार की कीट उत्पन्न होते हैं | पौधे में कई तरह के रोग लगने की संभावना रहती है | इसलिए इसकी खेती के लिए अच्छे जल निकास वाली भूमि चयन करें इससे आपकी पैदावार और क्वालिटी बढ़ेगी और आपको अधिक मुनाफा प्राप्त होगा |
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नर्सरी
सीताफल की खेती (Sitafal ki Kheti) के लिए नर्सरी की आवश्यकता पड़ेगी इसकी नर्सरी को तैयार करने की दो विधियां हैं | पहला बीज के द्वारा पौधे की नर्सरी को तैयार करना और दूसरा शील्ड बडिंग या ग्राफ्टिंग विधि द्वारा पौधे की नर्सरी को तैयार करना | अगर आप सीताफल की खेती (Sitafal ki Kheti) करना चाहते हैं तो आपको नर्सरी केंद्र में जाकर नर्सरी को लेना होगा |
अब आप सोच रहे होंगे कि आपको कौन सी नर्सरी लेनी होगी तो आपको बता दे कि अगर आप बीज के द्वारा तैयार हुई लड़की को लेंगे तो इस फल देने में लगभग 4 से 5 साल का समय लग जाएगा और अगर आप शील्ड बडिंग या ग्राफ्टिंग विधि द्वारा तैयार नर्सरी लेंगे तो यह सिर्फ 2 साल में ही फल देना शुरू कर देगा | जिससे आपका समय और पैसा दोनों बचत होगा |
अनुकूल जलवायु और तापमान
सीताफल की खेती (Sitafal ki Kheti) के लिए किसी विशेष प्रकार की जलवायु की आवश्यकता नहीं होती | परंतु सीताफल एक उष्णकटिबंधीय जलवायु का वृक्ष है | सीताफल की खेती (Sitafal ki Kheti) के लिए शुष्क और गर्म वातावरण वाले क्षेत्र का चुनाव करना चाहिए क्योंकि इसके पौधे गर्म वातावरण में अधिक और आसानी से विकास करते हैं | इसके वृक्ष के लिए सर्दी बहुत ही हानिकारक होती है |
अधिक सर्दी पड़ने पर इसके फल कठोर हो जाते हैं और वह जल्दी पक नहीं पाते | इसके फलों को पकने के लिए 40 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है, लेकिन इसके अंकुरण के लिए सामान्य तापमान 25 से 30 डिग्री की आवश्यकता होती है और इसके फूलों के लिए ज्यादा गर्मी की आवश्यकता नहीं होती, क्योंकि ज्यादा गर्मी पड़ने पर इसके फूल झड़ने लगते हैं |
सिंचाई
सीताफल की खेती (Sitafal ki Kheti) करने के लिए बहुत ही काम पानी की आवश्यकता होती है | लेकिन इसके पौधों को गर्मी के मौसम में पानी देना जरूरी होता है, क्योंकि ज्यादा गर्मी में इसके पत्ते पीले हो जाते हैं और झड़ने लगते हैं जिससे फूलों और फलों के झड़ने का भी खतरा रहता है | सीताफल की पहले सिंचाई पौधों की रोपाई की तुरंत बात करनी चाहिए |
अगर आप पौधों की रोपाई के लिए विधि द्वारा तैयार नर्सरी का उपयोग कर रहे हैं, तो इसकी रोपाई के बाद दो से तीन दिन के अंतराल में सिंचाई करते रहे | परंतु जब पौधा साल भर का हो जाए तो 15 से 20 दिन के अंतराल में सिंचाई कर लें, और सर्दियों के मौसम में इसकी सिंचाई 20 से 25 दिन के अंतराल में करनी होती है और गर्मी के मौसम में इसकी सिंचाई 8 से 10 दिन के अंतराल में कर देनी चाहिए |
सीताफल की खेती (Sitafal ki Kheti) में पैदावार, लागत और कमाई
सीताफल का पेड़ दो से तीन साल बाद फल देना शुरू कर देता है पहले साल यह प्रति एकड़ लगभग 2 से 3 kg सीताफल ही देंगे | परंतु जैसे-जैसे बड़े होंगे वैसे लगभग 6 सालों में यह 3 से टन फल एक एकड़ में आपको प्राप्त हो जाएंगे | जिसकी मार्केट में कीमत ₹80 से ₹250 प्रति किलो मिलती है |
एक एकड़ के हिसाब से आपको 1 साल में लगभग 4 से 5 लाख का मुनाफा होगा और सीताफल की खेती (Sitafal ki Kheti) में सिर्फ एक बार ही लागत लगानी पड़ेगी जो कि लगभग 1.5 लाख तक आएगी इसके बाद हर साल इसमें लागत में सिर्फ लेबर की मजदूरी आएगी जो उसे फल की तुड़ाई करेंगे और कुछ इसमें खाद और कीटनाशक की लागत आएगी जो की लगभग 50 हजार होगी |
परंतु यह एक ऐसी खेती है जिसमें सिर्फ एक बार लागत लगाकर हर साल मुनाफा कमाया जा सकता है जो कि पेड़ और फल की बढ़ने के साथ-साथ बढ़ता रहेगा |