जाने चुकंदर की खेती (Chukandar Ki Kheti) कैसे करें एवं खेती में खर्च, लागत और मुनाफा के बारे |

हेलो दोस्तों स्वागत है आपका upagriculture के नई पोस्ट चुकंदर की खेती (Chukandar Ki Kheti) में आज के इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको चुकंदर की खेती (Chukandar Ki Kheti) के बारे में बताएंगे यदि आप भी चुकंदर की खेती (Chukandar Ki Kheti) करना चाहते हैं तो इस ब्लॉग को अंत तक अवश्य पढ़े |

चुकंदर की खेती(Chukandar Ki Kheti)

चुकंदर की खेती (Chukandar Ki Kheti) हमारे भारत में सलाद, सब्जी, रस, हलवा और रायता के लिए करते हैं क्योंकि इससे आप चुकंदर सब्जी, रस, हलवा, रायता यह सारे चीज बना सकते हैं, और इनमें काफी अधिक मात्रा में पौष्टिक तत्व होते हैं। इसका उपयोग आयुर्वेदिक उपचार से लेकर प्रौद्योगिकी क्षेत्र के लिए किया जाता है | इसका इस्तेमाल चीनी बनाने के लिए भी किया जाता है|

बहुत से किसान चुकंदर की खेती (Chukandar Ki Kheti) करके काफी अच्छी खासी कमाई कर रहे हैं चुकंदर का प्रयोग हम पूरे वर्ष करते हैं इसलिए चुकंदर की खेती (Chukandar Ki Kheti) कैसे करें  जानने के लिए इस पोस्ट को अंत तक अवश्य पढ़े क्योंकि इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको चुकंदर की खेती से होने वाले मुनाफे और इसके खेती करने की पूरी प्रक्रिया के बारे में बताएंगे।

चुकंदर के खेती (Chukandar Ki Kheti) के प्रक्रिया के बारे में।

Chukandar Ki Kheti

चुकंदर का साइंटिफिक नाम बीटा वल्गैरिस है चुकंदर एक कंदवर्गिय फसल होती है। जो मूसला जड़ वनस्पति में आती है। इसका ऊपरी रंग गहरा लाल और ऊपर से जमुनी मठ मेला रंग का होता है। बीटरूट का स्वाद हल्का मीठा होता है चुकंदर का उपयोग करने से हमारे स्वास्थ्य के लिए काफी लाभदायक होता है। इन्हीं के कारण इसे सुपर फूड के नाम से भी जाना जाता है। इन्हें सलाद के रूप में भी खा सकते हैं यदि आप इस सलाद के रूप में खाते हैं या काफी अधिक पौष्टिक तत्व आपको प्रदान करता है।

150 ग्राम चुकंदर में तत्वों की मात्रा

डेढ़ सौ ग्राम चुकंदर में 37% विटामिन बी, 19% मैंगनीज,11% कॉपर, 17% विटामिन सी, 6% आयरन,15% फाइबर 18% शुगर, कार्बोहाइड्रेट और कुछ मात्रा में प्रोटीन आदि पौष्टिक तत्व पाए जाते हैं। बिगन डाइट का प्रचलन आजकल काफी तेजी से बढ़ रहा है। इसलिए चुकंदर का महत्व और भी बढ़ गया है चुकंदर के जूस में कोलेस्ट्रॉल, फैट और ग्लूटेन नहीं होता है।

चुकंदर का उपयोग करने के फायदे

चुकंदर में फाइटोन्यूट्रिएंट्स और एंटीऑक्सीडेंट्स पाए जाते हैं जिसके कारण यह चुकंदर का सेवन करने से हमारे शरीर में रक्तचाप का नियंत्रण बनाये रहता है इस पूर्ति को भी बढ़ता है, खून को साफ करता है, एनीमिया से भी राहत देता है, लीवर के लिए यह बहुत ज्यादा फायदेमंद होता है ,हृदय को भी स्वस्थ रखता है और आंखों की शक्ति को भी बढ़ाता है। एक शोध में चुकंदर को कैंसर रोधी भी माना गया है |

चुकंदर की खेती (Chukandar Ki Kheti) कहां और चुकंदर की खेती में खर्च

भारत में चुकंदर की खेती (Chukandar Ki Kheti) उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, महाराष्ट्र, अरुणाचल प्रदेश, कर्नाटक और तमिलनाडु में अधिक मात्रा में की जाती है भारत के कुछ अन्य राज्यों में उचित जलवायु उपस्थित है कुछ वहां के लोग कुछ कम मात्रा में चुकंदर की खेती (Chukandar Ki Kheti) करते हैं दुनिया में अभी रूस,फ्रांस और संयुक्त राज्य अमेरिका में इसकी सर्वाधिक खेती की जाती है। भारत में चुकंदर की शुगर बीट किसको भी उगाई जाती है |

जिसके माध्यम से शक्कर तैयार किया जाता है पूरी दुनिया में 27% चीनी, शक्कर या शुगर बीट के माध्यम से ही बनता है चुकंदर की खेती (Chukandar Ki Kheti) में खर्च बहुत कम होते हैं और उनकी खेती के लिए देखभाल करने की भी आवश्यकता नहीं होती, क्योंकि चुकंदर की फसल में रोग कम लगते हैं और इन्हें काम पानी की आवश्यकता होती है| यही चुकंदर की खेती (Chukandar Ki Kheti) में कुल खर्च की बात करें तो लगभग 22 से 25000 में आप चुकंदर की पूरी खेती कर सकते हैं |

चुकंदर की खेती (Chukandar Ki Kheti) के लिए उपयुक्त मृदा एवं उपयुक्त जलवायु

चुकंदर की खेती (Chukandar Ki Kheti) के लिए उष्ण कटिबंधीय और उप – उष्ण कटिबंधीय क्षेत्र उपयुक्त होता है चुकंदर की खेती (Chukandar Ki Kheti) के लिए ठंडी का महीना अच्छा माना जाता है, सितंबर के महीने में आप चुकंदर की खेती (Chukandar Ki Kheti) कर सकते हैं, इसकी खेती हल्के गर्म प्रदेशों में भी की जाती है। चुकंदर की अच्छे से विकास के लिए 20 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है|

चुकंदर की खेती (Chukandar Ki Kheti) करने से आपकी खेत और भी उपजाऊ हो जाता है और इसकी फसल की पैदावार होने में टाइम भी कम लगता है|जिस वजह से चुकंदर की खेती (Chukandar Ki Kheti) काफी तवज्जो मिलती है चुकंदर की खेती (Chukandar Ki Kheti) के लिए दोमट मिट्टी, बलुई मिट्टी, भुरभुरी, बलुई मिट्टी, और लवणीय मिट्टी की आवश्यकता होती है।

चुकंदर की खेती आप बंजर जमीन में भी कर सकते हैं चुकंदर की खेती (Chukandar Ki Kheti) करते समय खेतों में पानी नहीं भरना चाहिए। यदि आप खेतों में जल भराव कर देते हैं तो आपकी फसल सड़ जाएगी। यह चुकंदर की फसलों में जल भराव हो जाता है तो आपको काफी नुकसान हो सकता है चुकंदर की खेती (Chukandar Ki Kheti) के लिए मिट्टी का पीएच मान 6 से 7 के मध्य होना चाहिए |

चुकंदर के बीज एवं उनके बुवाई का समय

यदि आप चुकंदर की खेती (Chukandar Ki Kheti) कर रहे हैं तो इसके लिए आपको इसके बीजों का चुनाव करना महत्वपूर्ण होता है। यदि आप अच्छे बीजों का चुनाव करते हैं तो आपकी फसल भी काफी अच्छी होती है। बाजार में कई प्रकार के बीज मिलते हैं तो आपके लिए अच्छा होगा भारत के कृषि अनुसंधान केन्द्रो में चुकंदर के बीज को तैयार किया जाता है क्योंकि यह बीज उत्पादन देते ही है यह निश्चित किया गया है नीचे हम आपको कुछ बीजों के नाम दे रहे हैं जैसे कि क्रिमसन ग्लॉब, रूबी रानी, एम एस एच 102, डेट्रॉयट डार्क रेड, मिस्र की क्रोस्बी,अर्ली वंडर आदि चुकंदर की किस्म होते हैं

चुकंदर के खेत की तैयारी

चुकंदर की खेती (Chukandar Ki Kheti) के लिए बीजों का चुनाव करने के पश्चात आपको खेत तैयार करने की आवश्यकता होती है अधिक अच्छी फसल के लिए आपको खेत को अच्छे से तैयार करने की आवश्यकता होती है तो इसके लिए आपको सबसे पहले खेतों की अच्छे से जुताई करनी चाहिए जुताई करने से आपके खेतों में पहले से मौजूद फसलों की अवशेष निकल जाते हैं और फिर जुताई करने के बाद रोटावेटर की मदद से खेत को समतल कर लेना चाहिए।

चुकंदर की खेती के लिए बुवाई की विधि

चुकंदर की खेती दो विधिओ द्वारा की जा सकती है

मेड विध और छिड़काव विधि

मेड विध- इसमें आपको मेड बनानी पड़ती है जिनमें मेढ़ों की दूरी लगभग 10 इंच होनी चाहिए और चुकंदर के बीजों को आधा सेंटीमीटर गड्ढे के अंदर लगाना चाहिए चुकंदर के बीच इस तरह लगने से फसल की पैदावार अच्छी होती है और पौधे को पौधे से लगभग 2 से 3 इंच की दूरी पर ही लगाना चाहिए

छिड़काव विधि- इसमें लगभग 4 किलो बीज प्रति हेक्टेयर के हिसाब से खेतों में बोना चाहिए जैसा कि आपको नाम से ही मालूम होता है कि इसमें बीजों का छिड़काव किया जाता है इनमें आपको क्यारिया बनाने की आवश्यकता नहीं होती है।

चुकंदर के खेत की सिंचाई

चुकंदर के खेत की सिंचाई बीज लगाने के तुरंत बाद करनी चाहिए और दूसरी सिंचाई खेतों की निराई गुड़ाई करने के पश्चात करनी चाहिए। चुकंदर रवि फसल की प्रजाति है। यानी इस सितंबर से मार्च के बीच में उगाया जाता है, इसलिए चुकंदर की खेती करने की यह खासियत है कि इसे ज्यादा सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है चुकंदर की खेती ज्यादातर सर्दियों के मौसम में ही की जाती है।

जिससे उसे ज्यादा नमी की आवश्यकता नहीं होती और इनमें पानी की भी कमी लगता है। आपको ध्यान रखना चाहिए कि चुकंदर की सिंचाई में पहली सिंचाई तथा दूसरे सिंचाई के बीच में 20 से 25 दिन का अंतराल अवश्य होना चाहिए। यदि बारिश या नामी हो तो चुकंदर के खेत में 10 दिन के अंतराल पर सिंचाई करने की आवश्यकता होती है यदि खेत में पानी जमा होता है तो आपकी फसल सड़ने का खतरा बढ़ जाता है।

चुकंदर के खेत में खरपतवार और उर्वरक प्रबंधन

खरपतवार किसी भी खेत को बहुत कमजोर कर देती है और फसलों को खराब कर देती है निराई गुड़ाई की सहायता से आप खरपतवार को खेतों से निकाल सकते हैं खेतों की निराई गुड़ाई 20 से 25 दिन के अंतराल पर करते रहना चाहिए आप रासायनिक विधि द्वारा भी खरपतवारों का को नियंत्रित कर सकते हैं इसके लिए आपके बीज के रोपण के समय ही पेंडीमैथाइलिन का छिड़काव करना चाहिए।

चुकंदर के खेत में रोग एवं उनके रोकथाम

जैसा कि आपके ऊपर ही बताया गया कि चुकंदर के खेतों में रोग बहुत कम ही लगते हैं लेकिन यह आपको फिर भी दो बातों का ध्यान रखना आवश्यक होता है लीव स्पॉट रोग एवं किट आक्रमण रोग चुकंदर की फसल में लगते है

लीफ स्पॉट रोग- यह रोग चुकंदर के पत्तों में लगता है इससे चुकंदर के पत्ते सूख जाते हैं और फसलों को बहुत ज्यादा नुकसान होता है इसके रोकथाम के लिए आप एग्रिमाइसिन का छिड़काव करके इसके रोकथाम कर सकते हैं।

किट आक्रमण रोग- चुकंदर के फसल में किट आक्रमण का खतरा भी होता है लेकिन यह भी चुकंदर के पत्तियों को ही हानि पहुंचती है। यह किट चुकंदर की पत्तियों को खाकर उन्हें नष्ट कर देते हैं और इससे फसलों को काफी अधिक नुकसान होता है, इनके संरक्षण के लिए आप मेलाथियान का छिड़काव करके अपने फसल को बचा सकते हैं या तो आप एंडोसल्फान का भी प्रयोग कर सकते हैं।

चुकंदर की खुदाई का सही समय

Chukandar Ki Kheti

चुकंदर की फसल लगभग 60 दिनों में तैयार हो जाती है। उनकी फसले जब तैयार हो जाती है तो इनके पत्ते पीले पड़ने लगते हैं, तो आपको चुकंदर को खोद कर निकाल लेना चाहिए। इसके लिए आपको चुकंदर के खेत में हल्की सिंचाई की आवश्यकता होती है जिससे चुकंदर आसानी से जमीन से निकल जाए उसके पश्चात चुकंदर को अच्छे से पानी में धोकर उन्हें छाये में सूखा दें इसके बाद इन्हें बाजार में आप बेच सकते हैं और अच्छी कमाई कर सकते हैं।

इसे भी पढ़े- सेम की खेती कैसे करें।

चुकंदर का बाजरी भाव

चुकंदर का बाजरी भाव लगभग 50 से 60 रुपए किलो होता है और इसके खेत में लगभग 200 से 300 कुंतल की पैदावार आसानी से हो जाती है और इन्हें बेचकर आप अच्छा लाभ कमा सकते हैं।

आशा करते हैं आपको यह ब्लॉक चुकंदर की खेती (Chukandar Ki Kheti) कैसे करे पसंद आया होगा यदि आप किसी अन्य खेती के बारे में जानना चाहते हैं तो कमेंट में अवश्य बताएं हम आपको अन्य खेती के बारे में जानकारी उपलब्ध कराने की कोशिश करेंगे और अपने साथियों के साथ इस पोस्ट को अवश्य शेयर करें।

सामान्यतः पूछे जाने वाले प्रश्न

चुकंदर कौन से महीने में लगाया जाता है?

चुकंदर सामान्यतः सितंबर से मार्च के महीने में लगाया जाता है।

चुकंदर बोने का सही तरीका क्या होता है?

चुकंदर को 2 सेंटीमीटर की गहराई में बोना चाहिए।

चुकंदर का उपयोग कब नहीं करना चाहिए?

यदि आपको मधुमेह है तो चुकंदर का सेवन आपको भूलकर भी नहीं करना चाहिए।

चुकंदर के लिए कौन सी मिट्टी उपजाऊ होती है?

चुकंदर के लिए अच्छी जल निकासी जहां अच्छे से धूप लगती हो ऐसी मिट्टी अच्छी होती है|

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