Akhrot Ki Kheti : इस विधि से करे अखरोट की खेती होगा लाखो का मुनाफा

अखरोट की खेती( Akhrot Ki Kheti )

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नमस्कार दोस्तो up agriculture के इस ब्लॉग में आपका स्वागत है की अखरोट की खेती (Akhrot Ki Kheti) कैसे करें अखरोट एक तरह का ड्राई फ्रूट होता है इसका उपयोग मुख्य रूप से खाने में किया जाता है इसकी खेती को मुख्य रूप से सूखेमेवा के रूप में किया जाता है और अखरोट में विभिन्न प्रकार के पौष्टिक तत्व भी मौजूद होते हैं जो मानव शरीर के लिए काफी लाभदायक होते हैं |

अखरोट “जुगैलेडेसी ” परिवार से संबंध रखता है हमारे भारत देश में शीतोष्ण अखरोट उगाया जाता है जो सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होता है | जो उत्तर दक्षिण उपस्थित हिमालय  के बेल्ट में उगाया जाता है जो उत्तर पश्चिम हिमालय तक फैला हुआ है भारत में अखरोट की व्यावसायिक खेती को सीमित रूप से किया जाता है और यह मुख्य रूप से उत्तराखंड ,जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश,और अरुणाचल प्रदेश में उसकी खेती उचित मात्रा में की जाती है |

परंतु वाणिज्य अखरोट की खेती (Akhrot Ki Kheti) अब पूरे देश में विकसित हो रही है अखरोट भारत में मुख्य रूप से चार चरणों में उपलब्ध है जो निम्नलिखित है कठोर छिलके वाले मध्यम छिलके वाले पतले छिलके वाले और कागज वाले भारत में उपस्थित जम्मू कश्मीर राज्य में अखरोट का उत्पादन भारी मात्रा में किया जाता है |

अखरोट को खाने से क्या-क्या लाभ होते है(What are the benefits of eating walnuts)

अखरोट को खाने से हमारे शरीर को विभिन्न प्रकार का लाभ प्राप्त होता है |

  • अखरोट का सेवन लगातार करने से कैंसर जैसी बीमारी का सामना नहीं करना पड़ता है |
  • अखरोट मधुमेह को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है |
  • अखरोट मध्य में जैसे बीमारी को कम करने में मदद कर सकता है |
  • अखरोट ओमेगा 3 फैटी एसिड से भरपूर होता है |
  • अखरोट खाने से हमारा दिल और मस्तिष्क दोनों स्वस्थ रहता है |
  • अखरोट में विभिन्न प्रकार के एंटीऑक्सीडेंट उपस्थित होते हैं जो प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देते हैं |
  • अखरोट तनाव जैसी समस्या को भी दूर करता है |
  • अखरोट वजन को प्रबंध करने में मदद करता है |

भारत में अखरोट की खेती कहां-कहां होती है :भारत में अखरोट की खेती बंगाल, उड़िया ,गुजरात ,तमिल ,असम आदि राज्यो मे होती है |

अखरोट के उच्च उत्पादन वाले राज्य :अखरोट का उत्पादन मुख्य रूप से जम्मू कश्मीर और अरुणाचल प्रदेश तथा उत्तराखंड में बहुत अधिक मात्रा में होती है |

Akhrot Ki Kheti

अखरोट की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु(Suitable climate for Akhrot Ki Kheti)

सामान्य रूप से अखरोट की खेती ठंडी जलवायु की परिस्थितियों में अच्छे से की जा सकती है बसंत के समय पड़ने वाले पालों के समय अखरोट की वृद्धि नहीं हो पाती है अखरोट की वृद्धि गर्मी वाले क्षेत्र में भी नहीं हो सकती है इसकी अधिकतम वृद्धि और विकास के लिए वार्षिक वर्षा सबसे ज्यादा उपयोगी होता है 38-40 डिग्री सेल्सियस के ऊपर तापमान के कारण धूप में छिलके और दाने झुलस जाते हैं और पैदावार पर काफी प्रभाव पड़ता है जिससे उत्पादन की मात्रा कम हो जाती है |

अखरोट की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी का चयन (Selection of suitable soil for Akhrot Ki Kheti )

अखरोट की खेती (Akhrot Ki Kheti) से अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए खाने वाली  बीज का उपयोग करना चाहिए जो ह्यूमस से संबंधित होता है और चूने के साथ पूरक होता है अखरोट की खेती सामान्य रूप से 6.5 से 7.5 पीएच मान वाली मिट्टी में करना चाहिए मिट्टी में जिंक और बोर्न को उचित मात्रा में डालते रहे जिससे अच्छा उत्पादन प्राप्त होता है |

अखरोट की खेती के लिए खेतों की तैयारी (Preparation of fields for Akhrot Ki Kheti )

अखरोट की खेती (Akhrot Ki Kheti) करने के लिए खेतों को अच्छे तरीके से तैयार कर लेना चाहिए कल्टीवेटर या रोटावेटर सहायता से खेतों की दो से तीन बार गहरी जुताई कर दे जिससे खेतों में उपस्थित पुराने फसल के अवशेष पूरी तरह से नष्ट हो जाए इसके बाद खेतों को 15 से 20 दिनों के लिए खुला छोड़ दे जिस खेत में अच्छे तरीके से धूप लग जाए और मिट्टी सुख जाए उसके बाद दोबारा रोटावेटर की सहायता से दो बार जुदाई करते हैं |

जिससे मिट्टी अच्छे तरीके से भुरभुरी   हो जाए और फिर खेत में पाटा लगा दे क्योंकि पाटा लगाने से खेत पूरी तरह से समतल हो जाता है और जल भराव की समस्या नहीं उत्पन्न होती है | अखरोट के पौधों को खेतों में लगाने के लिए गड्ढो को तैयार करना होगा गुड्डू को तैयार करने के लिए 5 से 6 मीटर की दूरी वाली पंक्ति बना ले और प्रत्येक पंक्ति में उचित दूरी पर 1.5 से 2 मी का गहरा गड्ढा खोदकर तैयार कर लेना चाहिए |

गुड्डू को तैयार करने के पश्चात उर्वरक को उचित मात्रा में डाल देना चाहिए जिससे अखरोट के पौधे अच्छे तरीके से विकसित हो सके इसके लिए आपको 10 से 12 किलो पुरानी साड़ी हुई गोबर की खाद तथा लगभग 150 से 200 ग्राम रासायनिक उर्वरक की मात्रा को मिट्टी में अच्छे से मिलकर गड्ढे में डाल देना चाहिए इसके पश्चात इन गड्ढो की सिंचाई कर देना चाहिए पौधों को लगाने से लगभग 1 महीने पहले ही गड्ढो को तैयार कर लेना चाहिए जिस कारण से गड्ढो  में उपस्थित मिट्टी और खाद अच्छे तरीके से मिल जाते हैं जिससे उचित मात्रा में अखरोट के पौधों को पोषक तत्व प्रदान हो सके |

अखरोट की खेती में प्रसार (Spread in Akhrot Ki Kheti )

अखरोट के पेड़ों को बीच या ग्राफ्टिंग विधि का प्रयोग करके तैयार कर सकते हैं सबसे अधिक प्रसार बीजों के माध्यम से किया जा सकता है रूप स्टॉक्स के रूप में स्थानीय अखरोट के पौधों को उपयोग करना सबसे ज्यादा बेहतर होता है |

अखरोट की खेती में प्रयुक्त होने वाले खाद और उर्वरक की मात्रा (Amount of manure and fertilizer used in Akhrot Ki Kheti )

अखरोट की खेती (Akhrot Ki Kheti) करने के लिए मिट्टी को तैयार करते समय उचित मात्रा में सड़ी हुई गोबर की खाद डालने के पश्चात मिट्टी में एनपीके की उचित मात्रा का उपयोग करना चाहिए पहले 5 वर्ष के अंतराल में एनपीके की थोड़ी मात्रा लगभग 100 से 120 ग्राम प्रति पौधे में डालना चाहिए इसके बाद 50 से 80 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर एनपी और शर्ट से 100 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर के को डालना चाहिए पहले वर्ष के अंतर्गत 100 ग्राम प्रति पेड़ के हिसाब से डालना चाहिए हर साल 100 ग्राम रासायनिक उर्वरक की मात्रा को प्रति पौधे के हिसाब से बड़ा देना चाहिए |

अखरोट की खेती के लिए पौधारोपण में उचित अंतराल(Appropriate interval in planting for walnut cultivation)

अखरोट की खेती (Akhrot Ki Kheti) करने के लिए समतल भूमि और वर्गाकार  प्रणाली तथा पहाड़ी ढलान वाले क्षेत्र में पौधरोपण का अभ्यास करना चाहिए यदि हम बात करें अखरोट के पौधे से पौधों के बीच की दूरी तो अंकुर वाले पेड़ 12 * 12 मी पर ग्राफ्टेड 10 * 10 और ग्राफ्टेड जगलेस नगर 8 * 8 मीटर की दूरी पर करना चाहिए |

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अखरोट की खेती में मल्चिंग के फायदे(Benefits of mulching in Akhrot Ki Kheti)

अखरोट की खेती (Walnut farming) में मल्चिंग करने से मिट्टी की नमी बनी रहती है जिस खेत में उपस्थित प्लास्टिक या घास सड़कर खाद बन जाते हैं मल्चिंग विधि का उपयोग करके हम खरपतवारों को नियंत्रित कर सकते हैं |

अखरोट की खेती के साथ की जाने वाली अन्य खेती (Other farming done along with walnut farming)

अखरोट की खेती (Akhrot Ki Kheti) करने के बाद भी किसान भाई खाली स्थान पर 4 से 6 साल तक किसी भी प्रकार की फसल का उत्पादन कर सकते हैं जैसे प्याज टमाटर मूली गाजर चुकंदर धनिया मटर आलू लौकी खीरा कद्दू आदि विभिन्न प्रकार के फसलों का उत्पादन कर सकते हैं |

अखरोट के खेत की सिंचाई (Irrigation of Walnut Field)

यदि हम अखरोट की सिंचाई की बात करें तो रुपए के बाद सिंचाई करने से मिट्टी की नमी बनी रहती है नामीधारण की क्षमता मौसम और ऋतु के आधार पर होती है चाहिए मानसून वर्षा जैसे मौसम में किसी भी प्रकार की सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है और यदि जिस स्थान पर आप अखरोट की खेती (Akhrot Ki Kheti) कर रहे हैं |

वहां पर बाढ़ या जल भराव की समस्या उत्पन्न होती है तो जल निकास की व्यवस्था अवश्य करें जल के संक्षिप्त उपयोग एवं जल समस्या ग्रस्त क्षेत्र के लिए ड्रिप सिंचाई है बूंद बूंद सिंचाई का उपयोग कर सकते हैं |

अखरोट की खेती में खरपतवारों का नियंत्रण (Control of weeds In Akhrot Ki Kheti)

अखरोट की खेती (Akhrot Ki Kheti) करते समय रासायनिक उर्वरक की उचित मात्रा या  खरपतवार मुक्त भूमि का चयन और मल्चिंग से खरपतवारों को नियंत्रित किया जा सकता है और इसके साथ-साथ निराई का उपयोग करके खरपतवार को नियंत्रित किया जा सकता है |

अखरोट की खेती में लगने वाले कीट और बीमारियां  (Pests and diseases affecting walnut cultivation)

अखरोट की खेती (Akhrot Ki Kheti) करने से पहले गुणवत्तापूर्ण रोग प्रतिरोधी बीजों का चयन करना चाहिए जिससे कीटो और बीमारियों की रोकथाम हो सके अखरोट की खेती में लगने वाली बीमारियां और कीट नियंत्रण के उपाय के लिए बागवानी कृषि विभाग से संपर्क करें |

अखरोट की खेती से प्राप्त फलों की तुड़ाई पैदावार और लाभ( Harvesting yield and benefits of fruits obtained from Akhrot Ki Kheti )

अखरोट के पौधे सामान्य रूप से पैदावार देने के लिए 15 से 20 साल का समय लेते हैं किंतु अखरोट की उन्नत किस्म 20 की रोपाई से तीन से चार वर्ष में ही पैदावार देने लगते हैं इसके लिए पौधों में जब फलों के ऊपर चल फटने लगे तब अखरोट के फलों की धुलाई कर लेना चाहिए ज्यादातर इसके फल टूट कर गिर जाते हैं जब अखरोट के फल टूट कर गिरने लगे तो इसके फलों की थोड़ा ही कर लेना चाहिए

अखरोट में चमक को बनाए रखने के लिए एक विशेष प्रकार का गोल बनाकर अखरोट को उस घोल मे डूबा दिया जाता है | इसके बाद अखरोट के फलों को धूप में अच्छे तरीके से सुख लेना चाहिए एक पौधे में लगभग 70 से 80 किलो फल की पैदावार होती है भारतीय बाजार में अखरोट का भाव 700 से 1200 रुपए प्रति किलोग्राम होता है ऐसे में अखरोट के एक पौधे से 55 से 60 हजार की कमाई होती है इस तरह से किसान भाई अखरोट की खेती (Walnut farming) करके भारी मात्रा में मुनाफा  कमाए |

सामान्यतः पूछे जाने वाले प्रश्न

 

भारत में अखरोट कहां पाया जाता है ?

भारत में उपस्थित जम्मू कश्मीर में अधिक मात्रा में अखरोट की खेती की जाती है 2022 से 2023 के दौरान देश में 717.64 मेट्रिक टन अखरोट का निर्यात विश्व भर में किया जिससे 25.83 करोड रुपए अर्जित किया |

अखरोट कब नहीं खाना चाहिए ?

अखरोट का सेवन हमारे शरीर के लिए लाभदायक होता है परंतु यदि आपके शरीर में बहुत अधिक मात्रा में फैट है या आपका वजन बहुत अधिक है तो अखरोट का सेवन न करें इससे अधिक मात्रा में कैलोरी एकत्रित होती है जो वजन को बढ़ाती है |

दिन भर में कितने अखरोट खाना चाहिए ?

यदि आप लोग अपना कोलेस्ट्रॉल कम करना चाहते हैं तो रोजाना 30 से 60 ग्राम अखरोट का सेवन कर सकते हैं जिससे कोलेस्ट्रॉल की मात्रा कम हो जाती है और आप अपने हॉट को हेल्दी बना सकते हैं |

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