हेलो दोस्तों स्वागत है आपका upagriculture के नई पोस्ट मिर्च की खेती (Mirch Ki Kheti) में आज के इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको मिर्च की खेती (Mirch Ki Kheti) के बारे में बताएंगे यदि आप भी मिर्च की खेती (Mirch Ki Kheti) करना चाहते हैं तो इस ब्लॉग को अंत तक अवश्य पढ़े |
मिर्च की खेती (Mirch Ki Kheti) की जानकारी
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हमारे देश भारत में मिर्ची की खेती (Mirch Ki Kheti) मसाला के रूप में की जाती है। मिर्च का उपयोग हम ताजा, सूखा, एवं पाउडर के रूप में करते हैं, हम हर सब्जी में मिर्च का प्रयोग करते हैं क्योंकि बिना मिर्च की कोई सब्जी अच्छी ही नहीं लगती चाहे आप कितने भी अच्छे से सब्जी बना ले लेकिन यदि उसमें मिर्च ना डालें तो वह फीकी ही लगती है। मिर्च में कैप्सेइसिन रसायन पाया जाता है जो कि इसके स्वाद को तीखा बनाने में मदद करता है।
इसका प्रयोग हम भोजन के स्वाद बढ़ाने के लिए करते हैं मिर्ची में फॉस्फोरस, कैल्शियम, विटामिन ए, विटामिन सी आदि के तत्व पाए जाते हैं जो हमारे स्वास्थ्य के लिए काफी लाभदायक होते हैं। हमारे भारत में शिमला मिर्च की सब्जी, लाल मिर्च की अचार हरी मिर्च को सलाद तथा सुखी मिर्च को मसल के रूप में प्रयोग किया जाता है। इस तरह आप मिर्च की प्रजाति की खेती करके आसानी से लाभ कमा सकते हैं।
वैज्ञानिक रूप से मिर्च की खेती (Mirch Ki Kheti) करने पर हमें अधिक पैदावार होता है भारत में हरी मिर्च की खेती (Mirch Ki Kheti) महाराष्ट्र, कर्नाटक, उड़ीसा, राजस्थान, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु राज्यों में मुख्य रूप से की जाती है। यदि आप भी मिर्च की खेती करना चाहते हैं तो आप इस पोस्ट को अंत तक अवश्य पढ़ें क्योंकि इस पोस्ट में हम आपको मिर्च की खेती (Mirch Ki Kheti) कैसे की जाती है मिर्च की उन्नत शील किस्म के बारे में पूर्ण रूप से जानकारी देंगे।
मिर्च की खेती (Mirch Ki Kheti) के लिए उपयुक्त मिट्टी जलवायु एवं तापमान
यदि हम मिर्च की खेती (Mirch Ki Kheti) के लिए उपयुक्त मिट्टी की बात करें तो इसके लिए काली दोमट मिट्टी उपयुक्त होती है। मिर्च की खेती (Mirch Ki Kheti) के लिए उचित जल निकासी वाले खेत की आवश्यकता होती है क्योंकि जल भराव की स्थिति में मिर्च के पौधे ग्रसित हो जाते हैं जिसके कारण पैदावार में कमी आ जाती है मिर्च की खेती (Mirch Ki Kheti) के लिए इसकी भूमि का पीएच मान 5.5 से 7 के बीच होना चाहिए| मिर्ची की खेती (Mirch Ki Kheti) किसी भी जलवायु में आसानी से की जा सकती है।
लेकिन आद्र शुष्क जलवायु में इसकी खेती उचित होता है। अधिक गर्मी और अधिक सर्दी का मौसम उसकी फसल के लिए काफी हानिकारक होता है। इसके अलावा सर्दियों में गिरने वाले पाले भी मिर्च की फसल को काफी नुक्सान पहुंचते हैं शुरुआत में मिर्ची के पौधे को अंकुरित होने के लिए सामान्य ताप की जरूरत होती है| इसके पौधे अच्छे से विकास करते हैं मिर्च के पौधे गर्मियों के मौसम में 35 डिग्री से अधिक तापमान तथा सर्दियों के मौसम में 10 डिग्री से कम तापमान को सहन नहीं कर पाते हैं इससे कम या अधिक तापमान होने पर इसकी फसल को हानि पहुंचा सकता है।
मिर्च की उन्नतशील किस्में
मिर्च की उन्नत किस्म की बात करें तो वर्तमान समय में देसी और संकर प्रजाति काफी अच्छी मानी जाती है इन्हें जलवायु और अधिक पैदावार के हिसाब से उगाया जाता है।
मिर्च की देसी प्रजाति (Mirch Ki Kheti) कम समय में अधिक पैदावार देती है पंजाबी तेज किस्म के पौधे अअधिक फैलावदार तथा सामान्य लम्बाई वाले होते हैं जिनमें निकलने वाले फल लगभग 6 सेंटीमीटर के होते हैं। उनके फल शुरुआत में हरे रंग के तथा पकाने के बाद लाल रंग के होते हैं यदि आप एक एकड़ में पैदावार की बात करे तो यह किस्म आपको 60 कुंतल तक सुखी मिर्च की पैदावार दे सकती है।
पूसा जवाला के पौधे कम ऊंचाई के होते हैं तथा इसमें लगने वाले फलों की लंबाई 9 से 10 सेंटीमीटर होती है यह फल देखने में पतले और स्वाद में अधिक दिखे होते हैं इसके पौधे 130 से 150 दिन में उपज देने लगते हैं। तथा इसके प्रति एकड़ की पैदावार की बात करें तो 35 क्विंटल हरी तथा 7 कुंतल लाल मिर्च की पैदावार देते हैं इसके अलावा भी मिर्च की काशी, अनमोल, ,पूसा, सदाबाहर, पंजाब, सिंदूरी आदि जैसे किस्मों को भी उगाया जाता है।
मिर्च की संकर किस्म
यदि हम मिर्च की संकर किस्म की बात कर रहे तो यह देसी किस्म से हमें काफी अधिक पैदावार देती है।
अर्का मेघना
मिर्च की इस किस्म की खेती (Mirch Ki Kheti) अधिक पैदावार के लिए की जाती है। इस किस्म के पौधों में लगने वाले फल शुरुआत में हल्के हरे तथा पकाने के बाद गहरी लाल रंग के हो जाते हैं इस किस्म का पौधा पत्ती धब्बा रोग रहित होता है। इसके प्रति हेक्टेयर पैदावर की बात करें तो 130 से 140 क्विंटल हरी मिर्च तथा 15 से 20 क्विंटल लाल मिर्च की पैदावार होती है।
अर्का हरिता
इस किस्म की बात करें तो यह खाने में काफी तीखे होते हैं तथा उनके फल शुरुआत में हल्के हरे तथा पकाने के बाद गहरी लाल रंग के हो जाते हैं। इसकी फसल चूर्ण असिता रोग रहित होती है इसके प्रति हेक्टेयर में लगभग 150 से 200 क्विंटल (हरी मिर्च) तथा 30 से 35 कुंतल (लाल मिर्च) की पैदावार देती है। इसके अलावा बीज की काशी अर्ली, कल्याणपुर चमन की संकर किस्मों को भी अधिक मात्रा में उठाया जाता है।
मिर्च की खेती के लिए खेत।
मिर्च की पैदावार (Mirch Ki Kheti) के लिए खेतों की अच्छे से जुताई कर उचित मात्रा में उवर्रक देकर खेत को तैयार कर लेना चाहिए। इसके लिए आपको खेतों को अच्छी तरह से गहरी जुताई करनी चाहिए। जिससे खेत में पहले से मौजूद पुराने अवशिष्ट नस्ट हो जाए। इसके बाद खेत को कुछ दिनों के लिए खुला छोड़ देना चाहिए। जिससे खेत की मिट्टी में अच्छी तरीके से धूप लग सके।
इसके बाद खेती में 25 से 30 टाली पुरानी गोबर की खाद को प्रति हेक्टेयर के हिसाब से मिटटी में डालकर जुताई करने की आवश्यकता होती है इसके खेत में मिट्टी में गोबर को अच्छे से मिला देना चाहिए। यदि आप चाहे तो गोबर की जगह कंपोस्ट खाद का भी प्रयोग कर सकते हैं। और इसके अलावा यदि आप रासायनिक खाद का प्रयोग करना चाहते हैं तो आप 140 किलो नाइट्रोजन, 60 किलो फास्फोरस, तथा 80 किलो पोटाश लेकर आपस में मिल लेना चाहिए।
इस रासायनिक खाद का प्रयोग खेतों के जुताई के समय किया जाता है। खाद को मिट्टी में अच्छे प्रकार से मिलने के बाद उसमें पानी देने की आवश्यकता होती है। पानी लगाने के बाद खेत (Mirch Ki Kheti) को ऐसे ही छोड़ देना चाहिए। इसके पश्चात जब खेत की मिट्टी ऊपर से सुखी दिखने लगे तो रोटावेटर लगाकर 2 से 3 तिरछी जुताई करने की आवश्यकता होती है। जिस खेत की मिट्टी अच्छे से भुरभुरी हो जाए। इसके बाद खेत में पाटा लगाकर खेत को समतल कर देना चाहिए। जिससे खेत में जल भराव की समस्या उत्पन्न ना हो।
मिर्च के पौधे तैयार करने की विधि
यदि आप मिर्च की खेती (Mirch Ki Kheti) करना चाहते हैं तो इसकी रोपाई बीज के रूप में नहीं करनी चाहिए उसके लिए आपको सबसे पहले पौधे तैयार करने की आवश्यकता होती है। इसके लिए मिर्च के बीजों की नर्सरी को आपको तैयार करना चाहिए बीजों को नर्सरी तैयार करने के लिए पहले थायरम या बाविस्टन से उपचारित कर लेना चाहिए।
इसके बाद नर्सरी को तैयार कर लेना चाहिए कंपोस्ट खाद या 25 किलो पुरानी गोबर की खाद को डाल उसे मिट्टी से मिला देना चाहिए। इसके बाद क्यारियों में चार से पांच सेंटीमीटर की दूरी रखते हुए हल्की गहरी नालियों को तैयार करें लेना चाहिए। तैयार की गई नाली को हल्की मिट्टी से दवा देना चाहिए इसके बाद हजारे विधि द्वारा बीजों की सिंचाई करनी चाहिए एक हेक्टेयर में 500 ग्राम संकर बीज तथा 1 किलो देसी बीज की आवश्यकता होती है।
मिर्च के पौधे की रोपाई का सही समय और सही तरीका
मिर्च के पौधों को मेड या समतल स्थान पर करना चाहिए। यदि आप उनके पौधे को मेड पर उगना करना चाहते हैं तो उनके लिए आपको खेत में 3 फीट की दूरी पर पेड़ों को तैयार करना चाहिए इसके बाद प्रत्येक पौधे के बीच डेढ़ फीट की दूरी रखते हुए पौधों की रोपाई (Mirch Ki Kheti) करने की आवश्यकता होती है। समतल भूमि पौधे की रोपाई के लिए 10 फीट लंबी क्यारियों को तैयार करना चाहिए, इन क्यारियों में ढाई फीट की दूरी रखते हुए पौधों को लगाना चाहिए।
इससे पौधे को फैलाने के लिए पर्याप्त जगह मिलता है। मिर्च के पौधे की रोपाई शाम के समय करनी चाहिए क्योंकि इस समय रोपाई करने से बीज अच्छे से अंकुरित होते हैं और इससे पैदावार भी काफी अच्छी होती है मिर्च के पौधे (Mirch Ki Kheti) की रोपाई के लिए सामान्य तापमान की जरूरत होती है। इसलिए सर्दियों के मौसम में इसके पौधों को अक्टूबर और नवंबर माह के बीच करना चाहिए वहीं गर्मियों में फरवरी और मार्च के महीने में करनी चाहिए।
मिर्ची के खेतों की सिंचाई
मिर्च की फसल को अधिक सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है क्योंकि इनके पौधों को अंकुरित होने के समय खेत में नमी की जरूरत होती है मिर्च के खेतों की पहली सिंचाई पौधों की रोपाई के तुरंत बाद करनी चाहिए, गर्मी के मौसम में मिर्च के पौधों को 2 से 3 सिंचाई की आवश्यकता होती है इसके अलावा सर्दियों के मौसम में 10 से 15 दिनों में सिंचाई की आवश्यकता होती है। बारिश के मौसम में आवश्यकता पड़ने पर ही मिर्च की सिंचाई करनी चाहिए।
मिर्च की फसल में खरपतवार नियंत्रण।
मिर्च के खेतों में खरपतवार नियंत्रण प्राकृतिक तरीके निराई गुड़ाई करके करनी चाहिए। सही समय पर खरपतवार नियंत्रण न करने से पौधे का विकास रुक जाता है और पैदावार भी कम होती है, मिर्च के खेतों (Mirch Ki Kheti) की पहली गुड़ाई को 30 दिन के पश्चात करनी चाहिए तथा बाकी गुड़ाई को 15 से 20 दिन के अंतराल पर करते रहना चाहिए खरपतवार नियंत्रण के लिए आप रासायनिक विधि का भी प्रयोग कर सकते हैं। रासायनिक विधि के लिए आपको ऑक्सी फ्लोर फैन की उचित मात्रा को फसलों में छिड़काव करना चाहिए।
मिर्च की फसल में लगने वाले रोग एवं उनके रोकथाम
मिर्च के पौधे में अनेक प्रकार के रोग लगते हैं यह रोग पौधे पर आक्रमण कर उन्हें नष्ट कर देते हैं जिसकी वजह से पैदावार भी कम होता है।
छाछया किस्म के रोग- इस प्रकार के रोग को सफेद रोली के नाम से भी जानते हैं इस रोग से प्रभावित होने पर पौधों की पत्तियां पर सफेद धब्बे दिखाई देने लगते हैं, केराथियॉन एल सी की उचित मात्रा को 10 से 15 दिन के अंतराल पर पौधों पर छिड़काव करके इस रोग से रोकथाम किया जा सकता है।
आर्द्र गलन- यह रोग पौधों में शुरुआत में ही देखने को मिलता है यह रोग पौधों पर उसकी जमीन सतह पर कुछ ऊपर तक देखने को मिलता है इस रोग के लग जाने पर पौधे का ताना काला दिखाई देने लगता है जिसके पास पौधे का ताना सड़कर खराब हो जाता है। इस रोग की रोकथाम के लिए पौधों की रोपाई से पहले ही उन्हें थायराइड या कैप्टन से उपचारित करना चाहिए। खड़ी फसल पर इस रोग के लग जाने में पौधों की जड़ों पर इसका छिड़काव किया जा सकता है।
इन रोगों के अलावा भी मिर्च के पौधे में कई तरह के रोग देख देखने को मिलते हैं जैसे फूलों का झड़ना, सफेद लट, मोजेक, सूत्र कृमि आदि।
मिर्च की तुड़ाई, पैदावार एवं लाभ
उनकी फसल की तुड़ाई इनके किस्म के आधार पर की जाती है। मिर्च की कई किस्म लगभग 50 दिनों में ही तैयार हो जाती हैं जिनकी पहले तुरई के बाद बाकी सभी फसलों को 10 से 12 दिनों के अंतराल में तुड़ाई करना चाहिए किंतु लाल मिर्च प्राप्त करने के लिए इसके फलों को 120 से 130 दिन के पश्चात ही तोड़ना चाहिए। इसके बाद इन लाल मिर्च को धूप में सूखने की आवश्यकता होती है
इन सूखी हुई मिर्ची का भंडारण कर दबा दिया जाता है जिससे उनके अधिक तीखापन उत्पन्न हो जाता है। इसके पश्चात बाजार में बेचने के लिए भेज दिया जाता है। एक एकड़ के खेत में किस्म के आधार पर देसी प्रजाति में 30 से 35 क्विंटल की पैदावार की जा सकती है इसके अलावा शंकर किसको से 250 से 300 क्विंटल की पैदावार की जा सकती है।
मिर्च का बाजारी भाव
इसका भाव इसकी किस्म के आधार पर होता है इसके प्रति किलो की बात करें तो 15 से 40 रुपए प्रति किलो इसका बाजरी भाव है इस हिसाब से किस एक एकड़ में इसकी खेती से एक बार की फसल में लगभग एक लाख रुपए की कमाई कर सकते हैं वही शंकर किसको की फसल से 3 से 4 लाख की कमाई आसानी से कर सकते हैं।
इसे भी पढ़ें- सनई की खेती कैसे करें
आशा करते हैं आपको यह ब्लॉक मिर्च की खेती (Mirch Ki Kheti) कैसे करे पसंद आया होगा यदि आप किसी अन्य खेती के बारे में जानना चाहते हैं तो कमेंट में अवश्य बताएं हम आपको अन्य खेती के बारे में जानकारी उपलब्ध कराने की कोशिश करेंगे और अपने साथियों के साथ इस पोस्ट को अवश्य शेयर करें।
सामान्यतः पूछे जाने वाले प्रश्न
मिर्च की फसल 55 से 60 दिन में तैयार हो जाती है।
एक एकड़ में लगभग 150 से 200 क्विंटल मिर्च की पैदावार होती है।
मिर्च के पौधों में 8 से 10 बार फसल आती है।
मिर्च में उच्च पोटेशियम सामग्री वाले उर्वरक डालने चाहिए