हेलो दोस्तों स्वागत है आपका upagriculture के नई पोस्ट सनई की खेती (Sanai ki kheti) में आज के इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको सनई की खेती (Sanai ki kheti) के बारे में बताएंगे यदि आप भी सनई की खेती करना चाहते हैं तो इस ब्लॉक को अंत तक अवश्य पढ़े।
सनई की खेती (Sanai ki kheti) की प्रस्तावना
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सनई की खेती भारत के कुटीर उद्योग के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है उत्तर प्रदेश में लगभग 40% सनई की खेती की जाती है जो प्रतापगढ़, जौनपुर, आजमगढ़, सुल्तानपुर, सोनभद्र, मिर्जापुर, वाराणसी, बांदा एवं प्रयागराज में समय की अच्छी फसल होती है और यहां पर इसकी खेती किसानों को करनी पसंद है।
सनई की खेती (Sanai ki kheti) के लिए जलवायु:
सनई की खेती (Sanai ki kheti) के लिए नम एवं गर्म जलवायु की आवश्यकता होती है। फसल उत्पादन के समय 40 से 45 सेंटीमीटर की वर्षा को सनई की फसल के लिए अच्छी मानी जाती है।
सनई की खेती के लिए मिट्टी:
सनई की खेती (Sanai ki kheti) नमी व रेतीली मिट्टी या चिकनी मिट्टी में अच्छे से की जा सकती है। सनई की खेती के लिए खेत की गहरी जुताई करके मिट्टी को भुरभुरी कर लेना चाहिए उसके बाद उसमें पटा लगाकर खेत को बराबर कर लेना चाहिए। खरीफ सीजन में फसलों की पूर्व सनई की बुवाई की जाती है साथ ही अप्रैल से जुलाई माह तक बीजों को खेत में छिड़क देना चाहिए वर्षा आधारित होने के कारण सनईकी खेती में ज्यादा सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है। जब सनई के पौधों में फूल बना स्टार्ट होता है तो उनके खेतों में नमी रखने की आवश्यकता होती है।
सनई की खेत की तैयारी:
सनई के बीजों को बोने से पूर्व आपको खेत को अच्छे से जोत लेना चाहिए उसके बाद आपको खेतों को दो-तीन अच्छी जुताई करना चाहिए जिसके कारण खेत की मिट्टी भुरभुरी हो जाती है। अच्छे पैदावार के लिए खेत की मिट्टी भुरभुरी तथा 35% नमी की आवश्यकता होती है।
सनई के बीज (Sanai ki kheti) की उन्नतशील प्रजाति
सनई के बीच के उन्नतशील प्रजाति की बात करें तो इसमें उन्नतशील पदार्थ का नाम नरेंद्र सनई-1 है
सनई के बीजों का बुवाई का सही समय
सनई की बुवाई का सही समय अप्रैल के दूसरे सप्ताह से शुरू होकर मई के मध्य तक उपयुक्त माना जाता है। इस समय बुवाई करने के आपको दो लाभ होंगे। पहला लाभ यह की जहां चारे की कमी हो वहां इसके हर पत्तियों को विशेष कर ऊपर ही भाग को पशुओं को खिलाया जा सकता है। दूसरा लाभ यह की फसल रोग कीटों से मुक्त रहे रहता है। असिंचित क्षेत्र में बुआई पहले वर्षा के पश्चात ही कर देनी चाहिए ।
सनई के बुवाई में बीज की मात्रा
सनई के बीजों की मात्रा की बात करें तो हरी खाद उगाने के लिए अनुमोदित बीजों को 80 किग्रा प्रति हेक्टेयर के रूप में डालना चाहिए, तथा रेशे के लिए अनुमोदित बीजों की मात्रा को 60 किलो प्रति हेक्टेयर के हिसाब से डालना चाहिए तथा बीज उत्पादन के लिए अनुमोदित बीजों की मात्रा को लगभग 25 से 30 किलो प्रति हेक्टेयर के हिसाब से डालना चाहिए।
सनई की फसल में उर्वरक की मात्रा एवं उर्वरक देने की विधि
वैसे तो सनई दलहनी फसलों में आती है, इसके जड़ों में गांठ होती है, जिसमें नाइट्रोजन फिक्सिंगवैक्टीरिया होते हैं, इस कारण नाइट्रोजन की आवश्यकता नहीं होती है लेकिन देखा यह गया है की फसल में प्राथमिक बढ़ावा अस्थाई तुरंत जड़ों की ग्रंथियां के अच्छे विकास के लिए 15 से 20 किलोमीटर एवं फास्फोरस उर्वरक की प्रारंभ में डालने की आवश्यकता होती है । यदि आपके पास डीएपी उपलब्ध न हो तो सिंगल सुपर फास्फेट 125 किलो हेक्टेयर के हिसाब से खेतों में प्रयोग करना चाहिए।
सनई के बीज बुवाई की विधि
सनई के बीज की बुवाई की विधि हरी खाद के लिए पंक्ति से पंक्ति की दूरी 20 सेंटीमीटर तथा पौधे से पौधे की दूरी 4 सेंटीमीटर होनी चाहिए और रेशे के लिए पंप से पथ की दूरी 30 सेंटीमीटर तथा फोन की दूरी 10 सेंटीमीटर होनी चाहिए यही बीज उत्पादन की बात करें तो पंक्ति से पंक्ति दूरी 45 सेंटीमीटर तथा पौधे से पौधे की दूरी 12.5 सेंटीमीटर होनी चाहिए ।
सनई की फसल की सिंचाई एवं निराई गुड़ाई
सनई की फसल को बुवाई के 25 दिन के बाद ही एक सिंचाई की आवश्यकता होती है उसके पश्चात 25 से 30 दिन पर दो से तीन सिंचाई करते रहना चाहिए इससे कर पैदावार काफी अच्छी होती है यदि आपको फसलों की निराई करनी हो तो पहले सिंचाई के पश्चात ही निराई गुड़ाई कर ले क्योंकि बाद में फसलों की निराई गुड़ाई फसलों के लिए नुकसानदायक होता है।
सनई के बीजों के उत्पादन हेतु फसलों की कटाई
सनई के बीजों के लिए फसलों की कटाई लगभग 130 से 135 दिन पर हेलो से झुनझुन की आवाज आने पर कर लेनी चाहिए।
सनई के फसलों में लगने वाले कीट एवं रोकथाम के उपाय
सनई के फसलों (Sanai ki kheti) में कोपल, तना छेदक रोग लगने पर आपको मोनोकोटोफास 36 एस०एल० का 750 मिली लीटर दवा 500-600 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करने की आवश्यकता होती है तथा फली छेदक के फली क्षेत्रक की लगने पर मोनोकोटोफास दवा का 1.5 मिली लीटर पानी में घोल बनाकर 30,45 व 60 दिन की अवस्था पर छिड़काव करते रहना चाहिए सनई की सूडी रोग लगने पर थायोडीन 15 मिली० प्रति ली० पानी की दर फसलों पर छिड़काव करना चाहिए।
उक्ठा रोग लगने पर 4 ग्राम ट्राइकोडर्मा प्रति किलो के हिसाब से बीजों की दर से उपचार करने की आवश्यकता होती है पत्ती का मोजेक रोग लगने पर वेस्टर्न नामक दवा को दो ग्राम प्रति किलो बीज से उपचारित करना चाहिए तथा M45- 2 किलो एवं न्यूवाकान 1 सी०सी० प्रति ली० पानी की दर से छिड़काव करने की आवश्यकता होती है तथा आपको प्रमाणित बीच ही बोने चाहिए।
सनई की फसल की कटाई का सही समय
सनई के बीजों (Sanai ki kheti) के बोने के 150 दिन बाद यानि की लगभग 5 महीने के बाद कटाई की आवश्यकता होती है। साथ ही हरी खाद के उद्देश्य से सनई की खेती करने पर 45 से 60 दिनों के अंदर उसकी कटाई करी जाती है फसल को हरी खाद बनाने के लिए उन्हें खेतों में अच्छे से फैला देते हैं
सनई की खेती (Sanai ki kheti) से आमदनी
भारत के अधिकांश हिस्सों में सनई की खेती का उद्देश्य केवल हरी खाद, पीले फूलों तथा जूट के वजह से की जाती है लेकिन जैविक खेती के तौर में हरी खाद की बिकाऊ डिमांड के माध्यम से इसकी व्यापारिक खेती काफी कम फायदे की खेती साबित हो रही है बाजार में सनई के फूलों (Sanai ki kheti) की कीमत लगभग ₹200 किलो है इस तरह मृदा है आवश्यक खनिज और पोषक तत्वों से भरपूर सनई की खेती (Sanai ki kheti) करके 10% लाखों से आप 100% का मुनाफा आसानी से कमा सकते हैं।
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आशा करते हैं आपको हमारी यह पोस्ट सनई की खेती (Sanai ki kheti) कैसे करें पसंद आई होगी। यदि आप किसी अन्य खेती के बारे में जानना चाहते हैं तो हमें कमेंट जरुर करें। हम आपके समस्या का समाधान अवश्य करेंगे और इस पोस्ट को अपने साथियों के साथ शेयर करें जो सनई की खेती करना चाहते हैं या खेती में जो रुचि रखते हैं।
सामान्यतः पूछे जाने वाले प्रश्न
सबसे आसान खेती की बात करें तो सबसे आसान खेती में आने वाली सब्जी मशरूम है।
पैसा कमाने के लिए सबसे अच्छी फसल धान की खेती को माना जाता है।
सनई की खेती रेशे हरी खाद और दाने के लिए करी जाती है।
सनई का फूल खाने से हमें डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, अर्थराइटिस, दिल की बीमारियां नहीं होती है
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