Amrud Ki Kheti : इस विधि से करेअमरूद की खेती होगी बम्पर कमाई

हेलो दोस्तों स्वागत है आपका upagriculture के नई पोस्ट अमरूद की खेती ( Amrud Ki Kheti )में आज के इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको अमरूद की खेती ( Amrud Ki Kheti ) के बारे में बताएंगे यदि आप भी अमरूद की खेती ( Amrud Ki Kheti ) करना चाहते हैं तो इस ब्लॉग को अंत तक अवश्य पढ़े |

अमरूद की खेती ( Amrud Ki Kheti )

Table of Contents

अमरूद भारतवर्ष का एक प्रमुख फल है इसकी खेती भारत में अधिक मात्रा में होने के कारण इसका निर्यात से लगभग 10 करोड रुपए की विदेशी मुद्रा प्राप्त हुई अमरूद की खेती ( Amrud Ki Kheti ) प्रमुख रूप से उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद आगरा लखनऊ बस्ती फैजाबाद आंध्र प्रदेश के साथ-साथ तेलंगाना क्षेत्र महाराष्ट्र और गुजरात के उत्तरी एवं मध्य क्षेत्र तथा झारखंड में सफलतापूर्वक की जाती है और अमरुद से जूस निकालने के बाद बचे  हुए गूदे का उपयोग टॉफी बनाने में  किया जाता है अमरूद के फलों में विभिन्न प्रकार के विटामिन और खनिज तत्वों की भरपूर मात्रा उपलब्ध होती है |

अमरूद की खेती करने के लिए उपयुक्त भूमि Land suitable for cultivating guava

अमरुद एक प्रकार से सख्त किस्म का फसल होता है और अमरूद की खेती ( Amrud Ki Kheti ) सभी प्रकार की मिट्टी में किया जा सकता है परंतु यदि आप अमरूद की खेती ( Amrud Ki Kheti ) हल्की जल निकास वाली रेतीली चिकनी मिट्टी में करते हैं तो पैदावार अच्छे  मात्रा में प्राप्त होगी अमरूद की खेती ( Amrud Ki Kheti ) करने के लिए मिट्टी का पीएच मान 6.5 से 7.5 होना आवश्यक होता है |

अमरूद की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु ( Suitable climate for Amrud Ki Kheti )

अमरुद एक प्रकार का उपोषण कटिबंधीय फल होता है जो झारखंड जैसे राज्य में काम आद्रता वाले क्षेत्रों में सफलतापूर्वक उगाया जा सकता है वह उपोषण जलवायु होने के कारण इन क्षेत्रो में अमरुद के फल लंबे समय तक प्हैराप्त होते है  झारखंड की उपोषण जलवायु में अमरूद के पौधों में फूल मध्य मार्च से ही आना प्रारंभ हो जाते हैं जो रुक-रुक कर सितंबर महीने तक आते रहते हैं और उनके फलों की तुड़ाई अगस्त महीने के मध्य से मार्च महीने के अंत तक की जा सकती है और यदि अमरूद के पौधों की सिंचाई नवंबर से मार्च तक व्यवस्थित रूप से किया जाए तो उसके फलों के गुणवत्ता इलाहाबाद के समतुल्य देखी जा सकती है |

अमरूद की खेती के लिए प्रसिद्ध किस्म और पैदावार (Famous varieties and yields for guava Farming )

Amrud Ki Kheti

पंजाब गुलाबी किस्म ( punjab pink variety )

इस किस्म के फलों का आकार बड़ा और रंग बहुत ही आकर्षक होता है गर्मी में के समय में इसका रंग सुनहरा पीला हो जाता है और इसके अंदर के गुदो का रंग लाल होता है जिसमें से एक बहुत ही अच्छी खुशबू आती है इस किस्म के अमरुद में टी एस एस की मात्रा 11 से 12% तक पाई जाती है इसके एक पौधे से लगभग 160 किलो फलों का उत्पादन होता है |

इलाहाबाद सफेदा किस्म ( Allahabad Safeda variety )

इस किस्म के वृक्ष का आकार मध्य होता है परंतु पैदावार बहुत अधिक मात्रा में होती है फलों का आकार चपटा गोल होता है यह पकाने के पश्चात हल्के पीले रंग का दिखाई देता है इस किस्म के फलों के बीज मुलायम तथा अधिक मिठास वाले होते हैं यह एक बेहतरीन किस्म का अमरुद होता है जो इलाहाबाद के गंगिया मैदान में बहुत अधिक प्रसिद्ध है |

सरदार (लखनऊ- 49) किस्म ( Sardar (Lucknow- 49) variety )

इस किस्म के वृक्षों की ऊंचाई मध्य तो होती है लेकिन इनका फैलाव बहुत अधिक होता है जिस कारण से उन्हें व्यावसायिक किस्म के नाम से जाना जाता है इनके फलों का आकार अंडाकार होता है या पकने पर हल्के हरे से पीले तथा कभी-कभी चित्तीदार दिखाई देने लगते हैं इनमें उपस्थित गूदो का बीज बहुत ही कठोर होता है | इस किस्म के प्रति पौधे से लगभग 65 से 70 किलोग्राम फलों का उत्पादन प्राप्त होता है |

ताइवान गुलाबी अमरूद ( taiwan pink guava )

इस किस्म के पौधे माध्यम आकर के होते हैं परंतु उनके पौधों में बहुत सारी शाखाएं निकलते हैं इनके फलों का आकार अंडाकार तथा लंबा होता है यह हल्के खुरदुरे किस्म के पौधे होते हैं इसके अंदर उपस्थित गूदो का रंग सफेद होता है और इसके एक फल का वजन 2से 2.5 ग्राम होता है और इसके एक पौधों से लगभग 75 से 80 किलोग्राम फलों का उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं |

L – 49 किस्म ( L-49 variety )

यह बहुत ही अच्छी और शानदार किस्म होता है इनके पौधों का आकार काफी बड़ा होने के साथ-साथ शाखाओं से युक्त होता है इसके एक अमरूद का वजन 150 से 200 ग्राम तक पाया जाता है और इसके एक पौधे से 80 से 85 किलोग्राम तक फलों का उत्पादन प्राप्त होता है |

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अमरूद के पौधों को तैयार करने की विधि ( Method of preparing guava plants )

अमरुद की व्यावसायिक खेती ( Amrud Ki Kheti ) करने के लिए अमरूद के पौधों को वानस्पतिक विधि द्वारा तैयार करना चाहिए क्योंकि इस विधि से तैयार किए गए पौधों से फलों का उत्पादन जल्दी प्राप्त होगा इस विधि का उपयोग करने के लिए गुटी लगाना ,दाब लगाना ,तथा चश्मा बांधना आदि विभिन्न प्रकार के कार्यों को करना होगा |

अमरूद की खेती के लिए गूटी विधि का प्रयोग ( Use of Guti method for Amrud Ki Kheti )

गूटी विधि द्वारा पौधों को तैयार करने के लिए जून जुलाई के महीने में चुनी हुई डाली पर सीट से 40 से 50 सेंटीमीटर पहले गांठ के पास 2 सेंटीमीटर की छाल को उतार कर एक छल्ला बना लेना चाहिए और छल्ले के ऊपरी सिरे पर 1000 PPM , IBA का लेप लगाकर छल्ले को नम घास से ढक कर 300 गज की पॉलिथीन का टुकड़ा लपेटकर सुतली से कस कर बांध देना चाहिए गूटी बाधने के लगभग 2 महीने के अंदर जड निकल आती हैं |

ऐसे समय में डाली के लगभग आधे पत्तियों को निकाल देना चाहिए और मुख्य पौधों से कटकर पौधे शाला में अधिकांश छायादार स्थान पर लगा देना चाहिए घास के स्थान पर तालाब की मिट्टी 40 किलोग्राम सड़ी हुई गोबर की खाद 40 किलोग्राम (40 कि.ग्रा.) सड़ी हुई गोबर की खाद का भी प्रयोग कर सकते हैं।

स्टूल लेयरिंग विधि (stool layering method )

इस विधि का प्रयोग करने के लिए गूटी विधि द्वारा तैयार किए गए पौधे को 2 * 2 मी की दूरी पर नर्सरी लगाना चाहिए और जब पौधा एक से दो वर्ष पूर्ण हो जाए तो उसे मार्च अप्रैल में जमीन के बराबर से काट देना चाहिए काटने के पश्चात उसमे कई प्रकार के नए शाखा निकलते हैं इन शाखों पर जमीन से 5 से 6 सेंटीमीटर की ऊंचाई पर गूटी की भांति की छल्ला बनाकर IBA पेस्ट को बनाकर उसका लेप लगा देना चाहिए |

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इसके पश्चात गोबर की सड़ी हुई खाद तथा मिट्टी को अच्छी तरह से मिलकर छाले को ढक देते हैं  अमरूद की खेती ( Amrud Ki Kheti ) पौधों को आवश्यकता अनुसार समय-समय पर सिंचाई करते रहते हैं स्टूल लेयरिंग में 2 महीने के अंदर जड़ निकल आती है जिनका मुख्य पौधों से अलग करके 6000 स्थान पर लगा दिया जाता है स्टूलिंग करते समय एक नर्स सूट बिना छल्ला की हुई छोड़ देते हैं जो पौधों को भोजन देता रहता है |

पैच बॉन्डिंग विधि ( patch bonding method )

इस विधि द्वारा अमरूद की खेती ( Amrud Ki Kheti )  में पौधों को तैयार करने के लिए 1 साल पुराना पौधा को मूल वृत्त रूप से प्रयोग किया जाता है यदि आप पैच बॉन्डिंग का उपयोग मई , जून के महीने में करते हैं तो सबसे उपयुक्त समय होता है |

अमरूद के पौधे लगाने का सही समय ( Right time to plant guava plants )

अमरूद का पौधा यदि आप फरवरी – मार्च या अगस्त – सितंबर के महीने में लगाते हैं तो यह समय अमरूद के पौधों को लगाने का सबसे उपयुक्त समय होता है |

पौधों से पौधों के बीच की दूरी ( distance between plants )

अमरूद का पौधा लगाते समय यह अवश्य ध्यान दें कि पौधों से पौधों के बीच की दूरी 5 * 6 मी का होना चाहिए यदि पौधे वर्गाकार विधि द्वारा लगाए जा रहे हैं तो पौधों से पौधों के बीच की दूरी 7 मी रखना आवश्यक होता है इस हिसाब से एक एकड़ खेत में लगभग 135 पौधे लगाए जा सकते हैं |

अमरूद के बीज को कितनी गहराई में  लगाए ( At what depth to plant guava seeds )

यदि आप अमरूद के बीज को 25 सेंटीमीटर की गहराई में होते हैं तो बेहतर होगा |

बुवाई की विधि

सीधी बुवाई करके
खेत में रोपण करके
कलमें लगाकर
पनीरी लगाकर

अमरूद की खेती में पौधों की कटाई – छटाई ( Pruning of plants in Amrud Ki Kheti )

अमरूद के पौधों में मजबूती को बनाए रखने के लिए कटाई – छटाई करना अधिक आवश्यक होता है क्योंकि जितना मजबूत बूटे का तना होगा उतनी ही अधिक पैदावार होगी और पौधे उतने ही अधिक गुणवत्ता से भरपूर होंगे बूटे की उपजाई क्षमता को बनाए रखने के लिए फलों की पहले तुड़ाई के बाद बूटे की हल्की छटाई करनी चाहिए जबकि सूख चुकी और बीमारी से प्रभावित टहनिया को लगातार काटते रहना चाहिए |

अमरूद की खेती ( Amrud Ki Kheti ) में अमरूद के बूटे को फूल टहनियाँ और तने स्थिति के अनुसार पड़ते रहते हैं इसीलिए साल में एक बार हल्की छटाई करते समय टहनियां के ऊपर वाले हिस्से को 10 सेंटीमीटर तक काट देना चाहिए तभी कटाई के पश्चात नई टहनियां के अंकुरण में सहायता प्रदान होती है |

अमरूद की खेती में प्रयुक्त होने वाले खाद एवं उर्वरक की मात्रा ( Amount of manure and fertilizer used in Amrud Ki Kheti )

अमरूद की खेती ( Amrud Ki Kheti ) में जब अमरूद के पौधे 1 से 3 वर्ष के हो जाएं तो इसमें 12 से 25 किलोग्राम देसी सड़ी हुई खाद 155 से 200 ग्राम यूरिया 500 से 1700 ग्राम सिंगल सुपर फास्फेट और 100 से 500 ग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश प्रति पौधों के हिसाब से डालना चाहिए और जब पौधे 3 से 5 वर्ष के हो जाए तो इसमें 28 से 40 किलोग्राम सड़ी हुई गोबर की खाद 350 से 600 ग्राम यूरिया 1800 से 2000 ग्राम सिंगल सुपर फास्फेट और 500 से 900 ग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश प्रति पौधों में डाल देना चाहिए |

जब पौधा 7 से 9 वर्ष की आयु का हो जाए तो बूटों में 45 से 50 किलोग्राम सड़ी हुई गोबर की खाद 750 से 900 ग्राम यूरिया 2000 से 2200 ग्राम सिंगल सुपर फास्फेट और 1100 से 1500 ग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश की मात्रा प्रति पौधों में डाल देना चाहिए | 10 वर्ष से अधिक उम्र वाले पौधों के लिए 50 किलोग्राम सड़ी हुई गोबर की खाद 1000 ग्राम यूरिया 2200 ग्राम सिंगल सुपर फास्फेट और 1400 ग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश प्रतिपादन में डालना चाहिए |

अमरूद की खेती ( Amrud Ki Kheti ) में यूरिया सिंगल सुपर फास्फेट और न्यू रेट ऑफ पोटाश की अधिक खुराक को में से जून और अधिक खुराक सितंबर से अक्टूबर महीने में डालना चाहिए क्विनलफॉस 400 मि.ली. को 100 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें।

चेपा कीट ( aphid insect )

अमरूद की खेती ( Amrud Ki Kheti ) में लगने वाला एक प्रकार का गंभीर कीट होता है जो छोटे कीट पौधों में से रस को चूसकर उसे कमजोर बना देते हैं इन कीटों के गंभीर हमले के कारण पेट मुड़ जाते हैं जिससे उनका आकार खराब हो जाता है और यह किट शहद की बूंद जैसी पदार्थ छोड़ते हुए चलते हैं जिससे प्रभावित पत्ते पर काले रंग की फंगस इकट्ठा हो जाती है |

यदि इसका हमला दिखे तो डाइमैथोएट 20 मि.ली. या मिथाइल डेमेटान 20 मि.ली. का प्रति 12 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव कर देना चाहिए |

अमरूद की खेती में लगने वाली बीमारियां और रोकथाम ( Diseases and prevention in guava cultivation )

सूखा रोग  ( rickets )

अमरूद की खेती ( Amrud Ki Kheti ) अमरूद के पौधों पर लगने वाला एक खतरनाक रोग होता है इस रोग के हमले होने पर बूटे के पत्ते पीले पड़ने के साथ-साथ मुरझाने लगते है और यदि इस रोग का प्रकोप बहुत अधिक है तो पेड़ गिरना प्रारंभ हो जाते हैं |

अमरूद की खेती ( Amrud Ki Kheti ) में पौधों को इस रोग से बचने के लिए पानी इकट्ठा न होने दें प्रभावित पौधों को निकालना और दूर ले जाकर जलकर नष्ट कर दें इसके पश्चात कॉपरऑक्सिक्लोराइड 25 ग्राम यह कार्बनडीए जिम 20 ग्राम को 10 लीटर पानी में मिलाकर मिट्टी के नजदीक छिड़काव कर देना चाहिए |

एंथ्राक्नोस या मुरझाना ( anthracnose or wilt )

अमरूद की खेती ( Amrud Ki Kheti ) इस रोग से प्रभावित अमरूद के पौधों की टहनियों पर गहरे भूरे या काले रंग के धब्बे पड़ जाते हैं और फलों पर भी गहरे रंग के धब्बे पड़ने लगते हैं इस रोग के कारण अमरूद के फल दो से तीन दिन में गणना शुरू हो जाते हैं |

अमरूद के पौधों को इस बीमारी से बचने के लिए खेत को साफ सुथरा रखें प्रभावित पौधों के भागों को और फलों को नष्ट कर दें खेत में पानी इकट्ठा न होने दे छटाई के बाद कप्तान 300 ग्राम को 100 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे कर दें पहले बनने के बाद कप्तान की दोबारा स्प्रे करें और 10 से 15 दिनों के अंतराल पर फल पकने तक स्प्रे करते रहें यदि इसका हमला खेत में दिखे तो कॉपर ऑक्सिक्लोराइड 30 ग्राम को 10 लीटर पानी में मिलाकर प्रति पौधों पर स्प्रे कर दें |

अमरूद का पेड़ कितने साल तक फलो का उत्पादन देता है ?

यदि आप अच्छे किस्म के पौधे लगाते हैं और उसकी अच्छे से देखरेख करते हैं तो अमरूद के पौधों से 15 से 20 वर्षों तक फलों का उत्पादन प्राप्त होगा |

1 एकड़ खेत में कितने अमरूद के पेड़ लगा सकते हैं ?

यदि आप पौधों से पौधों के बीच की दूरी 6 से 7 मीटर रखते हैं तो 1 एकड़ लगभग 300 अमरूद के पौधे लगाया जा सकते हैं |

अमरूद का पेड़ किस महीने में लगाया जाता है ?

अमरूद का पेड़ लगाने का सबसे उपयुक्त समय जुलाई से अगस्त महीने मे लगाया जाता है |

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