Cashew farming :काजू की खेती से करें बंपर कमाई और जाने काजू की खेती का सबसे आसान तरीका

नमस्कार किसान भाइयों up agriculter के इस ब्लॉग में आपका स्वागत है भारत देश में काजू का आयात निर्यात एक बहुत बड़ा व्यापार भी है इसीलिए आज हम आप लोगों को (Cashew farming)काजू की खेती से संबंधित जानकारियां प्रदान करेंगे उम्मीद करता हूं कि हमारे द्वारा प्रदान कि गई जानकारी आपके लिए लाभदायक साबित होगी |

काजू की खेती (Cashew farming)

काजू की व्यावसायिक खेती दिनों-दिन लगातार बढ़ती जा रही है क्योंकि काजू का प्रयोग लगभग सभी कार्यक्रम या उत्सव में किया जाता है भारत देश में नहीं बल्कि विदेशों में भी इसकी मांग लगातार बढ़ती जा रही है काजू की खेती(Cashew farming)करने के लिए उष्णकटिबंधीय जलवायु सबसे अच्छा होता है

इसके बाद भी यदि आप गर्म और आद्र्र जलवायु जैसे जगह पर इसकी खेती करते हैं तो अच्छी पैदावार प्राप्त होती है काजू के पौधे को विकसित होने के लिए 600 से 3500 मि मी बारिश की जरूरत होती है काजू की खेती के लिए पाला  नुकसानदायक होता है इसीलिए काजू की फसल को पाला से बचना चाहिए जिस क्षेत्र में अधिक समय तक सर्दी होती है वहां पर इसकी खेती न करें |

भारत में होने वाली खेती में पिछले कुछ समय से बहुत सारे ने बदलाव किए गए किसान अब परंपरागत खेती के साथ-साथ और अधिक मुनाफा कमाने के लिए जागरूक हो रहे है काजू की खेती(Cashew farming)केरल, महाराष्ट्र, गोवा ,कर्नाटक, तमिलनाडु ,आंध्र प्रदेश ,ओडिशा और पश्चिम बंगाल जैसे राज्य में काफी अधिक मात्रा में की जाती है परंतु अब इसकी खेती झारखंड और उत्तर प्रदेश के कई जिलों में की जाने लगी है |

काजू का उपयोग मिठाई बनाने और मिठाई को सजाने में किया जाता है और काजू का इस्तेमाल शराब बनाने में भी किया जाता है यही कारण है कि अब काजू की खेती (Cashew farming)बड़े पैमाने पर की जाने लगी है काजू को स्पोर्ट करना भी एक बड़ा बिजनेस होता है जिससे किसान इसके पौधे लगाकर बहुत अधिक मात्रा में कमाई कर सकते हैं और आप लोगों को यह भी बता दे की काजू पेड़ में होता है इसके पेड़ की लंबाई 14 से 15 मीटर तक होती है

काजू के पौधे से फल प्राप्त करने के लिए आपको 3 साल का इंतजार करना पड़ेगा काजू के अलावा इसका छिलका भी बहुत अधिक उपयोगी होता है इसी कारण से इसकी खेती फायदेमंद मानी जाते हैं काजू का पौधा तैयार करने का सबसे उपयुक्त समय जून और जुलाई का महीना होता है |

Cashew farming

काजू के एक पौधे से 10 किलो तक की फसल प्राप्त कर सकते हैं 1 किलो काजू की कीमत लगभग ₹1200होती है इस हिसाब से काजू के एक पौधे से आप लगभग ₹12000 की कमाई कर सकते हैं ऐसे में यदि आप अधिक मात्रा में पौधे लगाते हैं तो बहुत अच्छी कमाई कर सकते हैं |

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काजू का पौधा कैसा होता है(What is the cashew plant like)

तेजी से बढ़ने वाला कटिबंधीय पौधा होता है काजू का पेड काजू और बीज दोनों का उत्पादन करता है काजू की उत्पत्ति ब्राजील में हुई थी किंतु आजकल इसकी खेती दुनिया भर के लगभग सभी देश में की जाने लगी है सामान्य रूप से काजू का पौधा 14 से 15 मीटर तक बढ़ता है हालांकि काजू की भवानी कल्टीवर प्रजाति भी उपलब्ध है

जो कि 6 मीटर की ऊंचाई तक ही बढ़ता है यह प्रजाति जल्दी और अधिक मात्रा में उत्पादन देने के कारण बहुत अधिक लाभदायक साबित हो रहा है काजू के पौधे लगाने के लगभग 3 साल बाद पौधों में फूलना शुरू हो जाता है और 2 महीने के भीतर ही फल पक्कर् पूरी तरह से तैयार हो जाते हैं |

काजू की खेती कैसे होती है (How is kaju farming)

उष्णकटिबंधीय स्थान पर इसकी पैदावार अच्छी होने के कारण जिन जगहों पर तापमान सामान्य रहता है हमें उन्ही स्थान पर काजू की खेती (Cashew farming) करना चाहिए इसकी खेती के लिए समुद्रीय लाल लेटराइट मिट्टी को बहुत ही अच्छा माना जाता है इसीलिए दक्षिण भारत में बड़े पैमाने पर इसकी खेती की जाती है

इसकी खेती समुद्र तल से 750 मीटर की ऊंचाई पर ही करना चाहिए यदि आप इसकी अच्छी पैदावार प्राप्त करना चाहते हैं तो आपको इसे नमी और सर्दी से बचना होगा क्योंकि नमी और सर्दी इसकी पैदावार को प्रभावित करती हैं यदि आप काजू की खेती (Cashew farming) की देखभाल अच्छी तरीके से करते हैं तो काजू की खेती को कई प्रकार की मिट्टी में भी की जा सकती है |

किन-किन राज्यों में होती है अधिक पैदावार (Which states produce more)

एशियाई देश ऑन के लगभग अधिकांश तटीय इलाकों में काजू का उत्पादन बहुत बड़े मात्रा में किया जाता है और यदि हम बात करें कि भारत में काजू की खेती (Cashew farming) की तो मुख्य रूप से केरल ,महाराष्ट्र ,गोवा, कर्नाटक, तमिलनाडु, उड़ीसा ,बंगाल ,आंध्र प्रदेश ,में काजू की  खेती (Cashew farming) की जाती है परंतु झारखंड राज्य के कुछ जिलों से सटे हुए स्थान पर काजू की खेती (Cashew farming) की जाती है और अब तो मध्य प्रदेश में भी काजू की खेती (Cashew farming) की जाने लगी है |

काजू की खेती के लिए कैसे करें खेतों की तैयारी (How to prepare fields for cashew farming cultivation)

काजू की खेती(Cashew farming) करने से पहले खेतों को दो या तीन बार कल्टीवेटर की सहायता से जुताई कर देना चाहिए इसके बाद पाटा लगा के समतल कर लेना चाहिए जिससे नए पौधे को अंकुरित होने में किसी प्रकार की परेशानी ना और यह भी ध्यान रखें कि (Cashew farming) के लिए खेतों में किसी प्रकार का खरपतवार ना हो |

काजू की खेती के लिए गड्ढे कैसे तैयार करें (How to prepare pit for cashew cultivation)

काजू की खेती (Cashew farming) मई -जून के महीने में निश्चित दूरी पर 60 ×60 × 60 सेंटीमीटर आकर के गड्ढो को तैयार कर लेना चाहिए क्युकी इंडिया की जमीन की परत कठोर है तो गड्ढो केआकार को आवश्यकता अनुसार ही बढ़ाया जाए इसके बाद गड्ढो को 20 से 25 दिन के लिए खुला छोड़ दें और फिर 6 किलो गोबर की खाद या 5 किलोग्राम डी ए पी के मिश्रण को मिट्टी में मिलाकर गड्ढे में भर देना चाहिए और इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि गड्ढे के पास पानी एकत्रित ना हो |

काजू की खेती पौधों को तैयार कैसे करें(Cashew Cultivation How to prepare प्लांट्स )

सामान्यता काजू के पौधों को सॉफ्ट वुड ग्राफ्टिंग विधि द्वारा तैयार किया जाता है और काजू के पौधों को साफ्ट वुड ग्राफ्टिंग विधि से तैयार किया जा सकता है। भेंट कलम द्वारा भी पौधों को तैयार कर सकते है पौधों को तैयार करने का सबसे उपयुक्त समय मई और जुलाई का महीना होता है |

काजू की खेती के लिए पौधों का रोपण कैसे करें (How to plant plants for cashew cultivation )

वर्षा काल में काजू के पौधों को लगाना उचित रहता है और गड्ढा में पौधों को लगाने के बाद थाला बना देना चाहिए. पौधों का रोपण करने के पश्चात निराई-गुड़ाई समय-समय पर करते रहना चाहिए जल संरक्षण के लिए तलों में सूखी घास या पैरा को बिछा देते हैं |

काजू के पौधों का संरक्षण (Protection of cashew plants)

काजू के पौधों में टी मॉस्किटो बाग जेसीबी विभिन्न प्रकार की समस्याएं होती हैं और काजू के पौधों का संरक्षण छिड़काव विधि द्वारा दूर किया जा sakata हैं।

काजू की फसल की तोड़ाई और प्राप्त उपज(Cashew crop harvesting and yield obtained)

काजू के पौधे से पूरे फलों की तोड़ाई ही नहीं की जाती है सिर्फ गिरे हुए काजू को ही एकत्रित किया जाता है और इस धूप में अच्छे से सुखाकर इकट्ठा करके बोरी में भरकर दिया जाता है ताकि सर्दी से बच सके प्रत्येक पौधे में लगभग 10 से 12 किलो नेट प्रतिवर्ष प्राप्त होता है इस प्रकार एक हेक्टेयर में लगभग 12 से 15 क्विंटल काजू प्राप्त होते हैं |

सामान्यतः पूछे जाने वाले प्रश्न 

सबसे ज्यादा काजू के पैदावार कहां होती है ?

वैसे तो काजू की व्यावसायिक खेती बड़े पैमाने पर केरल महाराष्ट्र ,गोवा, तमिलनाडु ,आंध्र प्रदेश ,बंगाल ,उड़ीसा में की जाती है परंतु झारखंड के कुछ जिले जो बंगाल और उड़ीसा से सटे हुए हैं वहां पर की खेती अधिक मात्रा में होती है |

भारत में सबसे बड़ा काजू का उत्पादक राज्य कौन सा है ?

इस समय भारत के केरल राज्य में सबसे अधिक मात्रा में काजू का उत्पादन होता है इसीलिए केरल राज्य को काजू का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य कहा जाता है |

सबसे सस्ता काजू कहां मिलता है ?

सबसे सस्ता काजू जामताड़ा शहर के महल 4 किलोमीटर की दूरी पर नाला नाम का एक गांव में मिलता है।

उत्तर प्रदेश में काजू कितने रुपए किलोग्राम है ?

उत्तर प्रदेश में काजू की कीमत ₹800-1000 प्रति किलोग्राम होती है |

हमें 1 दिन में कितने काजू खाना चाहिए ?

1 दिन में ज्यादा से ज्यादा कर से पांच काजू खाना चाहिए यदि आप उससे ज्यादा खाते हैं तो पेट खराब हो सकता है |

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