Jaifal ki Kheti- भारत पूरे विश्व का सबसे बड़ा मसाला उत्पादक देश है | पूरे विश्व भर में भारत ही अकेले लगभग 60% मसाले की आपूर्ति करता है | भारत में मसाले की खेती 12.5 लाख हैक्टेयर भूमि में की जाती है | जिसमें 10.5 टन मसाले का उत्पादन होता है | इसी मसाले में से एक मसला है जायफल | जिसका उत्पादन 14000 टन होता है |
आज हम बात करने वाले हैं कि जायफल की खेती (Jaifal ki Kheti) कैसे करते हैं ? तथा जायफल की खेती (Jaifal ki Kheti) करके हमारे किसान भाई कैसे मुनाफा कमा रहे हैं तो ब्लॉग को अंतर्गत अवश्य पढ़ें |
जायफल के बारे में जानकारी
भारत के प्रसिद्ध मसाले में से एक मसाला जायफल भी है जो कि पौधे का बीज है | जायफल का उपयोग ज्यादातर भोजन का स्वाद बढ़ाने वाले मसाले में किया जाता है तथा इसका उपयोग पूजा पाठ के साथ औषधीय के रूप में भी किया जाता है | जायफल का वैज्ञानिक नाम मिरिस्टिका है | जायफल का को अंग्रेजी में नटमेग (nutmeg) कहा जाता है | दिखने में यह भूरे रंग का गोल आकार का होता है |
जायफल का उपयोग सर्दियों में छोटे बच्चों के शरीर में गर्मी आने के लिए किया आता है | जायफल के औषधिय गुणों के कारण इसका उपयोग हमारे आयुर्वेद में आयुर्वेदिक दवाइयां के रूप में इस्तेमाल किया जाता है | जायफल का उपयोग ज्यादातर मासिक धर्म संबंधी समस्याओं के इलाज में किया जाता है |
जायफल की खेती (Jaifal ki Kheti)
Table of Contents
जायफल एक सदाबहार वृक्ष माना है | इसकी उत्पत्ति इंडोनेशिया के मोलुकास द्वीप पर हुई थी | भारत में जायफल की सबसे ज्यादा खेती केरल में की जाती है | जायफल का पौधा लगभग 15 से 20 फीट ऊंचा होता है | जायफल की खेती (Jaifal ki Kheti) करने के लिए कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर ध्यान देना होगा जो की निम्नलिखित विस्तार पूर्वक बताई गई है तो आता है इस ब्लॉक को अंत तक अवश्य पढ़ें |
जायफल की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी
जायफल की खेती (Jaifal ki Kheti) करने के लिए किसी भी प्रकार की उपजाऊ भूमि की आवश्यकता होती है, परंतु व्यापारिक तौर पर इसकी खेती में जल्दी वृद्धि और विकास के लिए सबसे उपजाऊ मिट्टी बलुई दोमट या फिर लाल लेटराइट मिट्टी होती है | जिस भूमि जायफल में खेती की जाती है उस भूमि में अच्छी जल निकास की व्यवस्था अवश्य होनी चाहिए तथा भूमि का पीएच मान भी सामान्य होना चाहिए |
जलवायु
ज्यादातर मसाले की खेती भारत में ही की जाती है क्योंकि इसके लिए उपयुक्त जलवायु भारत में ही मौजूद है | उसी प्रकार जायफल की खेती (Jaifal ki Kheti) भी उष्णकटिबंधीय जलवायु में की जाती है | जायफल के पौधे के अधिक विकास और वृद्धि के लिए सर्दी और गर्मी दोनों प्रकार के मौसम की आवश्यकता होती है, परंतु इसकी खेती के लिए अधिक सर्दी और अधिक गर्मी हानिकारक हो सकते हैं जायफल के अंकुरण के लिए 20 से 22 डिग्री अंश सेल्सियस का तापमान उचित माना जाता है | इसके बाद सामान्य ताप की आवश्यकता होती है |
जायफल की खेती के लिए खेत की तैयारी
जायफल के पौधों की रोपाई करने के लिए सबसे पहले खेत को मिट्टी पलट हाल के द्वारा अच्छे से गहरी जुताई करनी होती है |इसके बाद खेत को अच्छे से कुछ दिनों के लिए खुला छोड़ देते हैं | जिससे मिट्टी में उपस्थित हानिकारक कीट खत्म हो जाए | इसके बाद कल्टीवेटर के द्वारा दो से तीन शायरी तिरछी जुताई कर लेते हैं फिर मिट्टी को रोटावेटर के द्वारा भुरभुरी बना लेते हैं तथा खेत में 20 फीट की दूरी पर गड्ढे तैयार कर लेते हैं इन गड्ढों के पंक्तियों के मध्य की दूरी 18 से 20 फीट रखनी चाहिए |
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जायफल के पौधे की रोपाई का तरीका
जायफल के पौधों को दो तरीके से लगाया जाता है | पहले या तो बीच विधि द्वारा या तो कलम विधि द्वारा | आपको जिस प्रकार की नर्सरी लेनी हो वह नर्सरी आपको आपके नजदीकी नर्सरी केंद्र में मिल जाएगी |
नर्सरी की रोपाई करने के लिए खेत में तैयार गड्ढों में जैविक खाद तथा मिलकर अच्छे से डाल देना चाहिए | इसके बाद नर्सरी को गोमूत्र या बाविस्टिन के द्वारा उपचारित कर लेना चाहिए | जिससे इसमें बीमारियां कम लगे इसके बाद पौधों कितने को 2 सेंटीमीटर तक मिट्टी में दबा देना चाहिए |
जायफल की खेती (Jaifal ki Kheti) में पौधा लगाने का सबसे सही समय जून से अगस्त के बीच का महीना होता है | इसके अलावा इसकी रोपाई मार्च के महीने में भी की जा सकती है |
पौधों की सिंचाई
जायफल की खेती (Jaifal ki Kheti) में सिंचाई की बात की जाए तो जायफल की पहली सिंचाई पौधारोपण के तुरंत बाद ही कर देनी चाहिए तथा जब तक पौधा अच्छे से लगा जाए तब तक इसकी सिंचाई करती रहनी चाहिए | गर्मियों में इसकी सिंचाई की बात की जाए तो 15 से 17 दिन के अंतराल में कर देनी चाहिए तथा सर्दियों में 25 से 30 दिनों के अंतराल में करनी चाहिए और बारिश के मौसम में आवश्यकता पड़ने पर ही सिंचाई करनी चाहिए |
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रोग तथा खरपतवार नियंत्रण
जायफल की खेती (Jaifal ki Kheti) में खरपतवार नियंत्रण की बात की जाए तो इसकी 25 से 30 दिन में हल्की गुड़ाई कर देनी चाहिए | इसके बाद गड्ढों में मौजूद खरपतवार को निकाल देना चाहिए |
जायफल के पौधों में रोगों की बात की जाए तो इसमें कई तरह के रोग तथा कीट पतंगे लगते हैं | सही समय पर उनकी देखभाल न की जाए तो इसके विकास में काफी प्रभाव पड़ता है | जिससे पैदावार भी प्रभावित होती है |
जायफल के फलों की तुड़ाई
जायफल के पौधों को तैयार होने में लगभग 6 से 8 साल का समय लगता है, परंतु इस समय यह बहुत कम पैदावार देता है | उसकी अच्छी पैदावार 18 से 20 साल बाद मिलती है | इसके पौधों में फूल लगने के लगभग 9 महीने बाद फल पक कर तैयार होते हैं | इसके फल जून से लेकर अगस्त के महीने तक तोड़ जाते हैं | जायफल के फल पकने के बाद पीले रंग के दिखाई देने लगते हैं तथा बीच से फट जाते हैं |
जायफल के फल से जायफल के साथ जावित्री की भी प्राप्ति होती है | फल पकने के बाद फट जाते हैं जिसमें जायफल के ऊपर लाल रंग की एक परत होती है जिसे जावित्री कहते हैं | इसकी भी काफी अच्छी कीमत होती है | इसके बाद फलों को तोड़ कर जायफल और जावित्री को अलग कर लिया जाता है |
जायफल की पैदावार तथा कीमत
जायफल की खेती (Jaifal ki Kheti) में 8 साल के बाद एक एकड़ में लगभग 1200 किलोग्राम जायफल का उत्पादन होता है तथा 200 किलोग्राम जावित्री का उत्पादन मिलता है | यह उत्पादन समय के साथ-साथ बढ़ता रहता है |
जायफल तथा जावित्री की कीमत की बात की जाए तो वर्तमान समय में जायफल की कीमत 26000 रुपए प्रति कुंतल है | वही जावित्री की कीमत की बात की जाए तो 2000 से ₹2500 के बीच होती है | इस हिसाब से आप शुरुआती जायफल की खेती में प्रति एकड़ 5 लाख का मुनाफा कर सकते हैं जो कि समय के साथ-साथ और भी बढ़ता रहेगा |
सामान्यतः पूछे जाने वाले प्रश्न
औसतन जायफल की कीमत 26000 रुपये कुंतल है
1 किलो जावित्री की कीमत 2000 से 2500 रुपये किलो है ?
जायफल की खेती (Jaifal ki Kheti) भारत में सबसे ज्यादा केरल राज्य में होती है |