Til ki Kheti :बंजर भूमि हो या पानी की कमी तिल की खेती से होगा भारी मुनाफा

हेलो दोस्तों स्वागत है आपका upagriculture के नई पोस्ट तिल की खेती (Til ki Kheti) में आज के इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको तिल की खेती (Til ki Kheti) के बारे में बताएंगे यदि आप भी तिल की खेती (Til ki Kheti) करना चाहते हैं तो इस ब्लॉक को अंत तक अवश्य पढ़े |

तिल की खेती (Til ki Kheti)

तिल की खेती (Til ki Kheti) के लिए राजस्थान प्रसिद्ध है लेकिन यदि हम तिल की खेती (Sesame Farming) के लिए अन्य राज्यों की बात करें तो महाराष्ट्र भी सबसे अधिक तिल  का उत्पादन देता है महाराष्ट्र में साल में तीन बार तिल का उत्पादन किया जाता है किसान अगर  तिल की खेती सही तरीके से करें तो काफी अच्छा उत्पादन प्राप्त करके भारी मात्रा में मुनाफा कमा सकते हैं तिल में मोनो सैचुरेटेड फैटी एसिड उपलब्ध होता है |

जो मानव शरीर से कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को लगातार काम कर देता है इसलिए इसकी मांग बाजारों में काफी अधिक है ऐसे में तिल की खेती (Til ki Kheti)  करने के लिए यह सबसे उपयुक्त समय है तिल की खेती (Til ki Kheti) बड़े बनाने पर महाराष्ट्र और राजस्थान जैसे राज्य में की जाती है यदि आप भी  तिल की खेती (Til ki Kheti) करने का मन बना रहे हैं तो इस ब्लॉग को अंत तक जरूर पढ़ें।

तिल से विभिन्न प्रकार के मिठाई लड्डू बनाए जाते हैं और तिल से तेल भी निकाला जाता है जिस कारण बाजार में तिल की मांग सबसे अधिक होती है यही सब देखते हुए किसान के लिए तिल की खेती करना काफी लाभदायक साबित हो सकता है |

कृषि वैज्ञानिक संस्थान किसानों का यह सलाह देते हुए कहती है कि तिल की फसल दोहरी फसल की प्रणाली के लिए प्रयुक्त होता है क्योंकि तिल की फसल 90 से 95 दिनों से भी कम समय में तैयार हो जाता है तिल की खेती(Til ki Kheti) को किस अनउपजाऊ तथा बंजर भूमि में भी कर सकते हैं यदि इसकी की खेती हल्की रेतीली और दोमट मिट्टी में करते हैं तो सही मात्रा में उत्पादन प्राप्त होता है |

यदि आप तिल की खेती (Til ki Kheti) के साथ-साथ अन्य फसलों को भी उगना चाहते हैं तो उगा सकते हैं तिल की खेती (Til ki Kheti) के साथ उगाया जाने वाला फसल हरी मटर ,मक्का, एवं गाज़र मूली आदि फसल का उत्पादन कर सकते है इस तरह की खेती करके भी किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं |

तिल की खेती के लिए भूमि कैसा होना चाहिए (What should be the land for Til ki Kheti )

वैसे तो तिल की खेती किसी भी प्रकार की मिट्टी मे की जा सकती है परंतु तिल की खेती (Til ki Kheti) के लिए उचित जल निकास वाली भूमि सबसे ज्यादा उपयुक्त माना जाता हैं और तिल की खेती के लिए भूमि का पीएच मान सामान्य होना चाहिए |

तिल के पौधों को उष्णकटिबंधीय जलवायु हो सकता होती है आप इसे खरीफ की फसल के साथ गर्मियों में भी उग सकते हैं क्योंकि गर्म जलवायु में पौधों का विकास अच्छे तरीके से हो जाता है तिल की फसल को वर्ष की जरूरत नहीं होती है तथा सर्दी आने से पहले ही तिल की कटाई कर ली जाती है
तिल के पौधों कों सामान्य तापमान की जरूरत होती है तिल का पौधा 35 से 40 डिग्री सेल्सियस तापमान को आसानी से सहन कर लेता है |

तिल की खेती के लिए उन्नत किस्म का चयन (Selection of improved variety for sesame farming)

Til ki Kheti

तिल की खेती (Til ki Kheti) के लिए विभिन्न प्रकार की किस्म उपलब्ध है

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दिल के इस किस्म के पौधों को तैयार होने में 75 से 80 दिन का समय लगता है इसके पौधे 100 से 120 सेंटीमीटर तक लंबे होते हैं रतन के पौधों में 4 से 600 खाएं निकलते हैं जो 49% से तेल का उत्पादन देती है इस हिसाब से इस किस्म का उपयोग करके आप प्रति हेक्टेयर में 6 से 8 कुंतल तक का उत्पादन प्राप्त कर सकते है |

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ऐसी किस्म के पौधों की लंबाई 110 से 125 सेमी तक होती है जो 80 से 90 दोनों के बाद फलों का उत्पादन देना प्रारंभ कर देते हैं जिसमें 48 से 49% दोनों से तेल प्राप्त होता है इस हिसाब से इस किस्म से 5 से 7 कुंतल प्रति हेक्टेयर का उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं |

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यह किम अन्य किस्म के अपेक्षा कम समय में पैदावार देने लगती है इसके फलों की चौड़ाई बी रोपाई के लगभग 75 से 80 दिनों के पश्चात की जाने की सकती है इसके दोनों में लगभग 48 से 50% तक तेल की मात्र प्राप्त होती है इस किस्म की रोपाई करके 6 से 8 कुंतल प्रति हेक्टेयर का उत्पादन प्राप्त कर सकते है |

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इस तरह के किस्म का पौधा 80 से 85 दिन में तैयार हो जाता है जिससे एक हेक्टेयर में 8 से 9 कुंतल तक तिल का उत्पादन प्राप्त होता है इसके पौधों से प्राप्त बीजों में 48% दोनों से तेल प्राप्त होता है इस तरह के किस में तना गलन पत्ती धब्बा जैसे रोग की समस्या होती है |

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इस किस्म का दूसरा नाम चेतक है इस किस्म का उत्पादन सबसे अधिक उत्तर प्रदेश राज्य में की जाती है क्योंकि इस किस्म को कम सिंचाई की आवश्यकता होती है इस किस्म का तैयार होने में लगभग 80 से 50 दिन का समय लगता है और यह 7 से 10 कुंतल प्रति हेक्टेयर के हिसाब से पैदावार देती है इसके दोनों से लगभग 50% से भी अधिक मात्रा में तेल प्राप्त होता है |

इन सभी किस्म के अलावा भी दिल की और भी विभिन्न उन्नत किस्म उपलब्ध है जिन्हें अधिक उत्पादन के लिए उगाया जा रहा है उन्नत किस्में इस प्रकार है:- वी आर आई- 1, पंजाब तिल 1, टी एम वी- 4, 5,  6, चिलक रामा, गुजरात तिल 4, हरियाणा तिल 1, सी ओ- 1, तरुण, सूर्या, बी- 67, प्यायूर- 1, शेखर और सोमा आदि |

तिल की खेती के लिए बीजों की बुवाई का सही समय (Right time of sowing seeds for Til ki kheti)

तिल के बीजों की बीच के रूप में किया जाता है तिल के बीजों को बन के लिए ड्रिल विधि का इस्तेमाल करना चाहिए वैसे तो ज्यादातर किसान भाई बीजों की रोपाई छिड़काव विधि क्या उपयोग करके करते हैं तिल की खेती (Til ki Kheti) के लिए बीजों की बुवाई करने के लिए प्रति हेक्टेयर में तीन से चार किलो बीज की आवश्यकता होती है इन बीजों को खेत में लगाने से पहले कार्बन डाइऑक्साइड और थ्योरम से उपचारित कर लेना चाहिए |

Til ki kheti

ड्रिल विधि का उपयोग करके बुवाई करने के लिए सबसे पहले खेत में पंक्तियों को तैयार कर लेना चाहिए इन पंक्तियों को लगभग 1 फीट की दूरी पर बनाना चाहिए और इसके बीजो को 10 से 15 सेंटीमीटर की दूरी पर लगाते हैं यदि हम छिड़काव विधि का प्रयोग करते हैं तो कल्टीवेटर की सहायता से हल्की मात्रा में जुताई कर दें |

जिससे बीज़ हल्के मात्रा में भूमि के अंदर. तिल के बीजों को पहली बारिश के बाद खेतों में लगा देना चाहिए क्योंकि यहां समय जून या जुलाई का महीना होता है जो बीज की बुवाई के लिए सबसे उपयुक्त समय होता है इसलिए हमें तिल के बीजों की बुवाई जून या जुलाई के महीने में ही कर देना चाहिए |

तिल की खेती में पौधों की सिंचाई (Irrigation of plants in sesame cultivation)

वैसे तो हम आप लोगों को बता दें कि तिल को बहुत कम पानी की आवश्यकता होती है तिल के पौधों की सिंचाई बुवाई के लगभग 1 महीने बाद करना चाहिए तथा दूसरे सिंचाई पौधों पर दाने आने के पश्चात कर देना चाहिए इसके बाद बीजों के पकने से पहले सिंचाई कर दें जिससे बीज़ अच्छे आकर प्राप्त कर सके और साथ ही साथ अच्छे मात्रा में उत्पादन दे सकें तिल के फलों की कटाई  सिंचाई के दो या तीन दिन बाद करना चाहिए |

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तिल की खेती में खरपतवार नियंत्रण (Til ki kheti Weed control )

इसके अलावा तिल की खेती (Til ki Kheti) को खरपतवार से बचने के लिए समय-समय पर निराई -गुड़ाई करते रहे हैं पहले सिंचाई के लगभग 20 से 25 दिनों बाद एक बार निराई – गुड़ाई कर दें और दूसरी गुड़ाई लगभग 15 दिनों के पश्चात करना चाहिए यदि खरपतवारों के नियंत्रण के लिए रासायनिक विधि का उपयोग करना चाहते हैं तो खेतों में बीजों की बुवाई के बाद खेत में एलाक्लोर का छिड़काव कर देना चाहिए जिससे खरपतवार की समस्या नहीं होती है |

तिल के खेती का उचित समय(Appropriate time for sesame farming)

तिल की खेती (Til ki Kheti) का सबसे उपयोग समय जून या जुलाई का महीना होता है यदि इस समय में तिल की बुवाई करते हैं तो काफी अच्छे मात्रा में उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं वाली और दोमट मिट्टी में पर्याप्त नमी की उपस्थिति के कारण पैदावार का अपेक्षा प्राप्त होता है तिलहन की खेती में पानी की जरूरत तो कम होती है इसके साथ-साथ पशुओं के लिए चारा भी उपलब्ध होता है इसीलिए हमारे भारत के किसान भाई को  की तिल  खेती अवश्य करना चाहिए |

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तिल की खेती में खाद और उर्वरक की मात्रा(Amount of manure and fertilizer in sesame cultivation )

तिल की खेती (Til ki Kheti) करने से पहले 4 से 5 टन सड़ी हुई गोबर की खाद प्रति हेक्टेयर में डाल दें और बुवाई से लगभग 15 दिन पहले नीम के पाउडर डाल दें 25 किलोग्राम इन प्रति हेक्टेयर बुवाई के समय तथा 25 किलोग्राम इन हेक्टेयर बुवाई के 3 सप्ताह बाद डाल दें यदि खेतों की मिट्टी में सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी है तो इसकी पूर्ति करने के लिए लगभग 20 किलो सल्फर को प्रति हेक्टेयर के हिसाब से डाल दें जिससे पोषक तत्व की पूर्ति हो जाती है |

फसलों की कटाई कब करें(when to harvest crops)

यदि हम तिल के फसलों की कटाई की बात करें तो जब लगभग 80% पत्तियां और तने पीली पड़ने लगे तो समझ जाइए की फसल काटने के लिए तैयार हो गई है और आप उसे समय फसल की कटाई कर दें तिल के बीजों की बुवाई करने के लगभग 80 से 90 दोनों के बाद फसल कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं

यदि आप इससे पहले पौधों  की कटाई कर देते हैं तो बीज बहुत ही पतले और बारीक दिखाई देने लगते हैं जिससे उपज कम प्राप्त होती है उपज की मात्रा अधिक प्राप्त करने के लिए तिल के पौधों की कटाई सही समय पर करें और कटाई करने के बाद पौधों को अच्छे तरीके से धूप में सुखा लें जब यह सुख जाए तो पौधों से बिजो को अलग कर ले |

तिल की खेती से प्राप्त पैदावार और लाभ(Yield and benefits from sesame cultivation)

यदि आप उन्नत किस्म का चयन करके दिल की खेती करते हैं तो एक हेक्टेयर में 8 से 9 कुंतल तक का उत्पादन प्राप्त होता है जिसका बाजार में भाव ₹8000 प्रति कुंटल होता है इस हिसाब से किसान भाई एक हेक्टेयर में एक बार खेती करके 50 से 60 हजार तक का भारी मुनाफा कमा सकते हैं |

सामान्यतः पूछे जाने वाले प्रश्न

तिल की खेती कौन-कौन से महीने में की जाती है ?

तिल की खेती करने का सबसे उपयुक्त समय जून और जुलाई का महीना होता है 1 हेक्टेयर खेत में दिल की बुवाई के लिए 4 से 5 किलो बीज की आवश्यकता होती है और बुवाई करते समय ध्यान रहे की खेतों में नमी अवश्य रहे|

एक बीघा में कितने कुंटल तिल का उत्पादन होता है ?

यदि आप अच्छे किस्म के भेजो की बुवाई करते हैं तो 8 से 10 कुंतल प्रति हेक्टेयर तक उत्पादन प्राप्त होता है।

तिल की फसल कितने दिनों में तैयार हो जाती है ?

दिल की फसल 90 से 100 दिनों में पक्कर तैयार हो जाती है |

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