Stevia ki Kheti- स्टीविया की खेती कैसे करें, जाने फायदे तथा मुनाफे के बारे में

Stevia ki Kheti- आज के समय में बहुत से ऐसे लोग हैं जो की डायबिटीज जैसे रोगों से ग्रसित है | जिनमें चीनी खाने पर बहुत ही ज्यादा नुकसान होता है | वैसे भी चीनी हमारे सेहत के लिए हानिकारक है | इसलिए शहरों में बहुत से लोग चीनी की जगह पर स्टीविया की पत्तियों का इस्तेमाल कर रहे हैं | इस समय में डायबिटीज के रोगियों की मात्रा बढ़ाने के कारण इसका इस्तेमाल और अधिक बढ़ता जा रहा है | इसलिए इससे किसान भाइयों को भी मुनाफा हो रहा है स्टीविया के फायदे और गुणवत्ता के कारण इसकी भारी मात्रा में मांग बनी रहती है |

तो आज हम आपको स्टीविया की खेती (Stevia ki Kheti) के बारे में बताने वाले हैं जिससे किसान अपनी खेती में अधिक मुनाफा कमा सकते हैं तो आईए जानते हैं कि स्टीविया की खेती कैसे की जाती है |

स्टीविया क्या है ?

स्टीविया एक पौधा है जो कि तुलसी की तरह होता है | इसलिए इसे मीठी तुलसी भी कहते हैं | इस पौधे में काफी अच्छी मात्रा में मिठास पाई जाती है | इसका इस्तेमाल चीनी की जगह किया जाता है | खासतौर पर इसका इस्तेमाल डायबिटीज रोगी जो की शक्कर का इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं | वह शक्कर की जगह स्टीविया के पत्ते का इस्तेमाल करते हैं | स्टीविया का इस्तेमाल सलाद सूप तथा इतर को बनाने में भी किया जाता है |

स्टीविया में बहुत से औषधि गुण भी मौजूद होते हैं, इसलिए इसका उपयोग हमारे आयुर्वेद में भी किया जाता है | इसकी गुणवत्ता के कारण आज के समय में भारतीय बाजारों में इसकी काफी अच्छी कीमत है | इससे बने हुए कई उत्पाद बाजार में उपलब्ध हैं | जैसे कि स्टीविया का रस, पत्तियों का चूर्ण जिनका ज्यादातर इस्तेमाल शक्कर के ही स्थान पर किया जाता है |

वैज्ञानिकों की रिसर्च के द्वारा पता चला है कि इसकी पत्तियों में काफी अच्छी मात्रा में प्रोटीन, फाइबर, कैल्शियम, फास्फोरस तथा बहुत से पोषक तत्व मौजूद होते हैं जो कि डायबिटीज रोगियों के लिए बहुत ही फायदेमंद होते हैं | इसके अलावा स्टीविया का इस्तेमाल मछलियों के भोजन तथा सौंदर्य उत्पाद के साथ बहुत सी आयुर्वेदिक दवाइयां को बनाने में किया जाता है |

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स्टीविया के फायदे

  • स्टीविया में चीनी के मुकाबले 300 गुना अधिक मिठास मौजूद होती है |
  • स्टीविया में कैलोरी की मात्रा बिल्कुल ना के बराबर होती है जिससे या शुगर रोगियों के शरीर में शर्करा को नियंत्रित करता है |
  • स्टीविया के सेवन से हमारे शरीर का वजन नियंत्रित रहता है |
  • स्टीविया के इस्तेमाल से हमारे त्वचा से संबंधित रोग कम होते हैं और त्वचा में निखार आता है |
  • स्टीविया की सेवन से हमारी हड्डियां मजबूत होती हैं
  • स्टीविया का इस्तेमाल कैंसर के लिए फायदेमंद साबित होता है |

स्टीविया की खेती (Stevia ki Kheti) 

स्टीविया की सबसे ज्यादा खेती पराग्वे देश में होती है | इसकी खेती दुनिया की कई देशों में की जाती है | जैसे- जापान, कोरिया, ताइवान, अमेरिका आदि | इन सभी देशों के अलावा इसकी खेती भारत में भी लगभग दो दशक पहले शुरू की गई थी, जो कि आज के समय में बेंगलुरु, पुणे, रायपुर, इंदौर, उत्तर प्रदेश व महाराष्ट्र के कुछ इलाकों में की जाती है | इसकी की खेती करके हमारे किसान भाई काफी अच्छी कमाई कर रहे हैं | आईए जानते हैं कि इसकी खेती में किन-किन महत्वपूर्ण बिंदुओं पर ध्यान देना होता है |

Stevia ki Kheti)

स्टीविया के लिए जलवायु

स्टीविया की खेती (Stevia ki Kheti) करने के लिए अधिकतम तापमान 41 अंश सेल्सियस होना चाहिए तथा न्यूनतम तापमान 5 और सेल्सियस होना चाहिए इसे अधिक तथा कम तापमान में इसकी खेती में रूप कावट उत्पन्न हो सकती है | इसके विकास के लिए 25 से 30 अंश सेल्सियस पर अच्छे से की जा सकती है | स्टीविया की खेती भारत में अधिकांश इलाकों में आसानी से की जा सकती है

स्टीविया के लिए उपयुक्त मिट्टी

स्टीविया की खेती (Stevia ki Kheti) प्राय किसी भी उपजाऊ मिट्टी पर की जा सकती है, परंतु इसकी खेती के लिए रेतीली दोमट मिट्टी, हल्की कपासिया तथा लाल मिट्टी अधिक उपजाऊ मानी जाती है | आप जिस भूमि का का प्रयोग करें उसका पीएच मान 6 से 8 के मध्य होना चाहिए तथा उसे खेत की जल निकास की व्यवस्था अच्छी होनी चाहिए | क्योंकि इसके खेत में ज्यादा देर तक पानी नहीं रुकना चाहिए | इससे फसल खराब हो सकती है |

स्टीविया की प्रमुख किस्म

पूरे विश्व में स्टीविया की लगभग 90 प्रजातियां विकसित की गई हैं, परंतु भारत में उगाने के लिए सिर्फ तीन प्रजातियों ही ऐसी है जिनको भारत में सफलतापूर्वक की जा सकती है जो की निम्नलिखित हैं-

  • एस० आर० बी०-123
  • एस० आर० बी०-512
  • एस० आर० बी०-128

खेत की तैयारी

स्टीविया की फसल एक ऐसी फसल है | जिसकी फसल 5 साल तक चलती है, इसलिए इसकी रोपाई करने से पहले खेत को अच्छे से तैयार करना बहुत ही जरूरी होता है | खेत को तैयार करने के लिए सबसे पहले मिट्टी पलट हल के द्वारा गहरी जुताई कर लेनी चाहिए | इसके बाद खेत में 3 टन केचुआ की खाद 6 टन कंपोस्ट खाद तथा 120 किलोग्राम जैविक खाद को प्रति एकड़ के हिसाब से खेत में अच्छे से मिला देना चाहिए | खेत दीमक तथा अन्य रोगों से सुरक्षित रहे इसके लिए प्रति एकड़ 150 से 200 किलोग्राम नीम की खली को खेत में डालना चाहिए |

स्टीविया के पौधों को लगाने के लिए बेड या मेड की जरूरत होती है | इसलिए खेत में 1 से 1.5 फिट ऊंची और 2 फीट चौड़ी मेड को तैयार कर लेना चाहिए |मेड को इसलिए बनाते हैं क्योंकि इसकी सिंचाई अथवा बरसात के समय नालियों में से होते हुए पानी बाहर निकल जाए और जल भराव ना हो पाए | जिससे फसल सुरक्षित रहे |

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स्टीविया के पौधों की रोपाई का तरीका

स्टीविया के पौधों की रोपाई करने के लिए नर्सरी को आप टिश्यूकल्चर विधि से तैयार हुए पौधे का प्रयोग करें | इससे आपकी खेती और अधिक अच्छी होगी |पौधों की रोपाई करने के लिए पौधे से पौधे के बीच की दूरी 6 से 9 इंच तथा कतर से कतर के बीच की दूरी 40 सेमी होनी चाहिए | इस हिसाब से एक एकड़ में लगभग 30 से 40000 स्टीविया के पौधे लगाए जा सकते हैं |

स्टीविया को लगाने का सही समय ज्यादा गर्मी तथा ज्यादा सर्दी के अलावा किसी भी समय इसकी रोपाई कर सकते हैं | इस प्रकार कहें तो उत्तरी भारत में दिसंबर जनवरी एवं अप्रैल के महीने के अलावा किसी भी महीने में इसकी रोपाई कर सकते हैं |

सिंचाई

स्टीविया की फसल पत्तेदार होने के कारण इसे अधिक पानी की आवश्यकता होती है | इसके लिए इसकी वर्षभर निरंतर सिंचाई की आवश्यकता होती है | इसकी सिंचाई करने के लिए स्प्रिंकलर्स का उपयोग किया जा सकता है, परंतु इसकी खेती के लिए ड्रिप इरिगेशन सिस्टम सबसे अच्छा माना जाता है |

खरपतवार नियंत्रण तथा निराई गुड़ाई

स्टीविया की खेती (Stevia ki Kheti) में निराई गुड़ाई तथा खरपतवार बहुत ही आवश्यक होता है | समय-समय पर इसकी निराई गुड़ाई करते रहना चाहिए तथा किसी भी प्रकार के अन्य घास फूस नहीं होने चाहिए | इसकी खेती के लिए किसी भी रासायनिक खरपतवार नियंत्रण का उपयोग नहीं करना चाहिए | इससे फसल को नुकसान पहुंच सकता है |

स्टीविया की फसल में खाद तथा उर्वरक

स्टीविया की फसल हमेशा वृद्धि करने वाली फसल है इसलिए इसे अधिक पोषक तत्वों की जरूरत होती है | इसके लिए खेत को तैयार करने से पहले बताई गई जैविक खाद की मात्रा को अच्छे से डाल देनी चाहिए | फसल कटाई करने के बाद 500 किलोग्राम केचुआ की खाद तथा 30-30 किलोग्राम प्राम जैविक खाद को पौधे के पास पास डाल देनी चाहिए |

उत्पन्न होने वाले रोग उनका नियंत्रण

स्टीविया की फसल (Stevia ki Kheti) में किसी विशेष प्रकार के रोग उत्पन्न नहीं होते हैं परंतु इसमें एक समस्या आती है कि कभी-कभी फसल में बोरोन तत्व की कमी होने के कारण लीफ स्पॉट का प्रकोप देखने को मिलता है | इसके नियंत्रण के लिए फसल में 6% बोरेक्स का छिड़काव करना पड़ता है |

फसल में नियमित अंतराल में प्रकाश मंत्र गोमूत्र अथवा नीम के तेल को पानी में मिलाकर फसल के ऊपर छिड़काव करने से फसल पूरी तरह से रोग मुक्त हो जाती है | इसकी की खेती में ध्यान दें कि रोग नियंत्रण के लिए किसी प्रकार की रासायनिक कीटनाशक उर्वरक का प्रयोग किया जाए |

स्टीविया की कटाई

स्टीविया की फसल 5 महीने तक चलती है कटाई की बात की जाय तो, लगभग 4 महीने के पश्चात स्टीविया की फसल पहली कटाई के लिए तैयार हो जाती है | इसकी कटाई पौधों में फूल आने के पहले ही कर लेनी चाहिए | फूल आने के बाद इसमें स्टीवियोसाइड की मात्रा कम होने लगती है | जिससे अधिक मूल्य नहीं मिल पाता है | आपको पहली कटाई 4 महीने के बाद करनी होती है | इसके बाद कटाई तीन महीने में करते रहने चाहिए | कटाई करने से पहले हर बार यह ध्यान रखें कि पौधे में फूल आने से पहले ही कटाई कर लेनी है |

कटाई के तरीके की बात की जाए तो इसके लिए पूरे पौधे को काट लिया जाता है या फिर बिना काटे ही पौधे से पत्तों को चुना जा सकता है | पत्तों को तोड़ने के बाद इसे छाया में अच्छे से सिखाया जाता है पौधे तीन से चार दिन तक सूखने के बाद पौधों से नमी पूरी तरह से दूर हो जाती है इसके बाद इस बोर्न में पैक करके बिक्री के लिए रख दिया जाता है |

स्टीविया की फसल की उपज

स्टीविया की फसल (Stevia ki Kheti) कई वर्षों तक चलने वाली फसल है इसलिए इसकी कटाई के बाद इसकी उपज में बढ़ोतरी होती रहती है परंतु ऑस्टिन उपज की बात की जाए तो तो प्रति एकड़ 20 से 25 कुंतल सूखे पत्तों का उत्पादन हो जाता है जो की स्टीविया की प्रजाति, फसल की वृद्धि और कटाई के समय पर निर्भर करती है |

स्टीविया की खेती में मुनाफा

स्टीविया की कीमत की बात की जाए तो आपको स्टीविया की पत्ती बाजार में ₹300 से ₹500 किलो के बीच मिलती है | वही स्टीविया के पत्तियों का चूर्ण ₹500 से ₹800 किलो मिलता है तथा इसके तेल की बात की जाए तो स्टीविया का तेल₹1000 से ₹1200 लीटर मिलता है |

स्टीविया

किसान अगर खुद इसका चूर्ण बनाकर या फिर तेल निकाल कर बेचेंगे तो अधिक मुनाफा मिलेगा | अगर किसी कंपनी को बेचेंगे तो इसकी कीमत 100 से 150 रुपए प्रति किलो के हिसाब से जाएगी |

प्रति एकड़ में अगर 25 कुंतल सुखी पत्ती प्रतिवर्ष प्राप्त होते हैं तो एक एकड़ में लगभग 2.5 से ₹3 लाख का मुनाफा मिलेगा जो की अन्य फसलों के मुकाबले काफी अच्छा है और यह आमदनी लगातार 5 सालों तक बढ़ती रहेगी | हमारे भारतीय किसानों के लिए स्टीविया की खेती (Stevia ki Kheti) बहुत ही फायदेमंद साबित होगी |

सब्सिडी

स्टीविया की खेती (Stevia ki Kheti) करने पर हमारे भारत सरकार द्वारा 20% सब्सिडी का अनुदान भी दे रही है | जिसका लाभ आप आसानी से प्राप्त कर सकते हैं |

सामान्यतः पूछे जाने वाले प्रश्न 

स्टीविया की कीमत क्या है ?

स्टीविया के 1 किलो सूखे पत्ते की कीमत 300 से 500 रुपये किलो है तथा इसके पत्ते के चूर्ण की कीमत 500 से 800 रुपये किलो है और इसके तेल की कीमत 1000 से 1200 रुपये लीटर है |

स्टीविया इतना महँगा क्यों है ?

स्टीविया के महँगा होने का सबसे बड़ा कारण है की इसके औषधीय गुण बहुत से मौजूद हैं और इसका उत्पादन बहुत कम हो रहा है |

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