Sagwan ki kheti :एक एकड़ में सागवन की खेती करके कमाए करोड़ों

सागवान  को इमारती लकड़ी का राजा कहा जाता है जो बर्बिनेशन परिवार से संबंधित सागवान का वैज्ञानिक नाम टोना ग्रेडी में सागवान की खेती (Sagwan ki kheti )इसका पेड़ बहुत ही लंबा होता है इसके पौधों को किसी भी प्रकार की मिट्टी में उगाया जा सकता है परंतु यह अवश्य ध्यान दें कि जहां पर आप इसे उग रहे हैं वहां पानी का जमाव न हो क्योंकि जल भराव की स्थिति में इसके पौधों में रोग लगने का अधिक खतरा रहता है |

सागवान की लकड़ी काफी मजबूत और महंगी होती है जिस कारण या महंगे दामों में बिकती है इसीलिए सागवान को व्यापारिक तौर पर उगाया जाता है इसका इस्तेमाल प्लाईवुड, जहाज़, रेल के डिब्बे और विभिन्न प्रकार के बहुमूल्य फर्नीचरों को बनाने में किया जाता है क्योंकि यह मजबूत होने के साथ-साथ बहुत दिनों तक टिकाऊ होता है इसके पौधों का इस्तेमाल ज्यादातर दवाइयां को बनाने में किया जाता है

सागवान में विभिन्न प्रकार की खासियत उपलब्ध होती है जिस कारण से बाजार में लगातार इसकी मांग बनी रहती है सागवन की खेती से जुड़ी और अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए ब्लॉग को अंत तक जरूर पढ़ें आशा करता हूं कि हमारे द्वारा प्रदान की गई जानकारियां आपके लिए लाभदायक साबित होंगे |

सागवान की खेती (Sagwan ki kheti)

Table of Contents

सागवान की खेती (sagwan ki kheti ) करने के लिए किसी भी प्रकार की खास मिट्टी की आवश्यकता नहीं होती है सागवान की खेती (sagwan ki kheti दोमट मिट्टी में भी की जा सकती है परंतु यह ध्यान रहे कि जहां सागवान की खेती (sagwan ki kheti )कर रहे हैं वहां पर जल भराव की समस्या ना हो क्योंकि जल भराव के कारण पौधे मैं रोग लगने लगता है

सागौन की खेती ऐसी मिट्टी में करना चाहिए जिसका पीएच मान 6.5 से 7.5 के बीच हो सागवन की अच्छी पैदावार प्राप्त करने शुष्क और सांद्र मौसम जलवायु की आवश्यकता होती है क्योंकि शगुन के पौधे सामान तापमान पर अच्छे से वृद्धि करते हैं |

सागवान की खेती कैसे करें(How to )

सागवान की खेती (sagwan ki kheti ) करने के लिए सबसे पहले खेतों की गहरी जुताई करें जिस खेत में उपस्थित पुराने अवशेष खत्म हो जाए इसके बाद खेत में 8 से 10 फीट की दूरी रखते हुए 2 फीट चौड़े और डेढ़ फीट गहरे गढ़ों को तैयार कर लेना चाहिए सागवान के पौधों को अधिक से अधिक उर्वरक की आवश्यकता होती है

Sagwan ki kheti

सागवान के पौधों की रोपाई करने से 1 महीने पहले लगभग 15 किलोग्राम पुरानी गोबर की खाद के साथ 500 ग्राम एन पी के की मात्रा को मिलाकर मिट्टी में डाल देना चाहिए और गड्ढे में पौधों की रोपाई करने से 1 महीने पहले ही तैयार कर लेना चाहिए सागवान की खेती (sagwan ki kheti ) में पौधों की रोपाई करने के लिए पौधे लगभग 1.5 से 2 साल पुरानी होनी चाहिए क्योंकि 2 साल पुराना पौधा अच्छे तरीके से विकसित होता है |

सागवान की खेती के लिए कितनी दूरी का होना आवश्यक (What distance is required for Sagwan ki kheti)

सागवान की खेती (sagwan ki kheti ) के लिए पौधे से पौधों के बीच की दूरी 8 से 10 फीट होनी चाहिए ऐसे में किसान एक एकड़ खेत में 500 से 600 सागवान के पौधे लगा सकते हैं सागवान की खेती (sagwan ki kheti ) के लिए 15 डिग्री सेल्सियस से लेकर 40 डिग्री सेल्सियस तक का तापमान उचित माना जाता है |

सागवान की खेती के लिए नर्सरी कैसे तैयार करें( How to prepare nursery for Sagwan ki kheti)

नर्सरी तैयार करने के लिए हल्की बालू युक्त अच्छी सूखी हुई दोमट मिट्टी वाला क्षेत्र की आवश्यकता होती है विभिन्न प्रकार के शोध और परिणाम यह बताते हैं कि सागवान के पौधा के विकास और लंबाई के लिए कैल्शियम की ज्यादा मात्रा की आवश्यकता होती है यही कारण की कैल्शियम को कैसे प्रजाति का नाम दिया गया सागवान की खेती (sagwan ki kheti ) कहां की जा सकती है

इसका निर्धारण करने के लिए कैल्शियम की मात्रा की अहम भूमिका होती है और इसे अभी साबित होता है कि जहां पर सागवान की जितनी अधिक मात्रा होगी वहां पर उतनी अधिक मात्रा में कैल्शियम होगा जंगली इलाकों में सागवान की खेती के लिए नर्सरी तैयार की जा सकती है यदि आप इसकी नर्सरी जंगली इलाकों में तैयार करते हैं तो आपको अलग से खाद्य और उर्वरक देने की आवश्यकता नहीं हो |

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सागवान के पौधों की रोपाई करने का तरीका(Method of transplanting teak plants )

 क्रमिक या डिब्लिंग तरीके करना चाहिए क्योंकि यह ज्यादा फायदेमंद होता है आमतौर ऊपरी सेट की जरूरत नहीं होती है बहुत सुख स्थानो में सिंचाई की ज्यादा जरूरत नहीं पड़ती है ऐसे हालात में यहां खरपतवार की समस्या उत्पन्न नहीं होती है |

सागवान की खेती करने के लिए पौधों से पौधों के बीच की दूरी (Distance between plants for Sagwan ki kheti)

सागवान के पौधों का रोपण 2×2 तथा 3×3 मीटर के बीच करना चाहिए इससे यह फायदा होता है कि आप दूसरी फसल भी लगा सकते हैं लेकिन उसके लिए 4 × 4 या 5 × 1 मी का गैप होना आवश्यक होता है |

सागवान की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी और जलवायु (Suitable soil and climate forSagwan ki kheti)

सागवान की खेती (sagwan ki kheti ) बर्फीले और रेगिस्तान स्थान को छोड़कर सभी जगह कर सकते हैं इसकी खेती के लिए दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है शुष्क क्षेत्र में गर्मियों के दिनों में अतिरिक्त सिंचाई की जरूरत होती है सागवान की खेती (sagwan ki kheti ) 6.5 से और 8.5 पीएच मान वाली मिट्टी में करना चाहिए |

सागवान की खेती में कटाई-छटाई का महत्व (Importance of cutting and pruning in Sagwan ki kheti )

सागवान के पौधा की कटाई-छटाई पौधरोपण के लगभग 5 से 10 साल के अंदर की जाती है कटाई-छटाई करने के लिए जमीन के गुणवत्ता और पौधों के बीच अंतराल का ध्यान रखना चाहिए यदि जगह अच्छी है 2×2 वाले पौधों की पहली और दूसरी कटाई-छटाई का काम 5 से 10 साल पर की जाती है दूसरी बार कटाई छटाई करते समय 25 फीसदी पौधों को विकास के लिए छोड़ दिया जाता है |

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सागौन की कटाई-छटाई में ध्यान रखने योग्य बातेंT (hings to keep mind while pruning teak )

  1. कटाई छटाई करने के बाद सीरियल नंबर लिखें और पौधों पर चलने लगे |
  2. मुख्य क्षेत्रीय वन अधिकारी के पास इस संबंध में रिपोर्ट दर्ज करें |
  3. क्षेत्रीय वन विभाग जांच के लिए अपने अधिकारी भेज कर रिपोर्ट को तैयार करवाए |
  4. कटाई छटाई के बारे में स्थानीय वन अधिकार को रिपोर्ट अवश्य दर्ज करे |
  5. अधिकारी द्वारा अनुमति मिलने के बाद ही पेड़ों की कटाई चटाई की प्रक्रिया शुरू करें |

सागवान की खेती करने के फायदे (Benefits of Sagwan ki kheti )

  1. सागवान की खेती करने का मुख्य फायदा यह है कि इसे 10 से 12 साल में काटना पड़ता है |
  2. यदि किसान चाहे तो इसे और समय तक लगाए रख सकता है |
  3. 1 एकड़ में 500 से 600 पौधे लगाए जा सकते हैं |
  4. इन पौधों को लगाने और पालन पोषण करने में 40 से 50 हजार तक की लागत आती है |
  5. 10 से 12 साल का पेड़ कम से कम 35 से ₹40 हजार का बिकता है |
  6. इस हिसाब से किसान 10 से 12 साल के इंतजार के बाद प्रति एकड़ में करीब 1.7 करोड़ तक की कमाई कर सकते हैं |
  7. सागवान की खेती करने वाले किसान कुछ सालों में लखपति और करोड़पति बन सकते हैं |

सागवान की खेती करने का नुकसान (Disadvantages of Sagwan ki kheti)

सागवान की खेती करने से दीमक जैसे कीट बढ़ रहे हैं जो सागवान के पौधों को भारी नुकसान पहुंचाते हैं सागौन के पौधे में समानता पाली पोरस ,जूना लिस्ट जैसे रोग लग जाते हैं जो सागवान के पौधों की जड़ों को गला कर खत्म कर देते हैं ओलिविया ,टेकटोन की वजह से पाउडर जैसे फफूंद पैदा हो जाते हैं जिससे सागवान के पौधों की पत्तियां झड़ने लगते हैं जिस कारण से पौधों की सुरक्षा के लिए रोग निरोधी उपाय करना आवश्यक हो जाता है

कैलोटरोपिस प्रॉसेरा मेटल और आजादीराचिता इंडिका के ताजा पत्तों के रस इन रोगों से लड़ने में बेहद कारगर साबित होते हैं जैविक और अकार्बनिक खाद के मुकाबले इससे हानिकारक कीट को अच्छी तरीके से खत्म करने की छमता होती है और साथ ही पर्यावरण को भी नुकसान नहीं पहुंचता है |

सागौन के पेड़ से प्राप्त लकड़ी का उपयोग(Use of wood obtained from teak tree)

  1. इसका उपयोग दरवाजा बनाने में किया जाता है |
  2. प्लाईवुड और फ्लोर बनाने में भी इस्तेमाल किया जाता है |
  3. नौ और जलयान जैसे उपकरणों को बनाने में भी इसका प्रयोग किया जाता है |
  4. रेल के डिब्बे बनाने में भी sagwan की लकड़ी का उपयोग किया जाता है |

 

सागवान का पेड़ कितने दिनों में तैयार हो जाता है ?

सागवान का पेड़ तैयार होने में 12 से 13 साल लग जाते हैं और एक पेड़ लगभग 35 से 40 हजार रुपए का बिकता है |

सागवान के पौधे कहां मिलते हैं ?

भारत में उपस्थित म्यांमार नामक स्थान पर सागवान के पौधे मिलते हैं |

सागवान का दूसरा नाम क्या है ?

सागवान का दूसरा नाम टिकवुड दोबीजपत्री पौधा होता है |

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