हेलो दोस्तों स्वागत है आपका हमारे इस पोस्ट में आज के इस पोस्ट में हम जानेंगे कि गाजर की खेती (Gajar ki Kheti) कैसे करते हैं यदि आप गाजर की खेती करना चाहते हैं तो इस पोस्ट को अंत तक अवश्य पड़े क्योंकि इस पोस्ट के माध्यम से आपको गाजर की खेती से संबंधित सभी जानकारियां दी गयी है जैसे कि गाजर लगाने का सही समय गाजर की किस्मे गाजर के लिए खेत कैसा होना चाहिए गाजर के लिए उर्वरक की मात्रा गाजर की खेती का सही समय गाजर के फसलों की सिंचाई का समय आदि के बारे में इस पोस्ट के माध्यम से विस्तार में आपको बताएंगे।
Gajar ki Kheti- गाजर की खेती की जानकारी
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गाजर एक ऐसी फसल है जिसका उपयोग हम खाने के रूप में करते हैं। इसके जड़ वाले भाग का हम खाने में इस्तेमाल करते हैं तथा इसकी पत्तियां को पशुओं और जानवरों को खिला देते हैं। गाजर में क्या विशेष प्रकार के गुण पाया जाते हैं जिसकी वजह से इसका इस्तेमाल अचार बनाने कई प्रकार से इसका इस्तेमाल हम पृथ्वी वासी करते हैं। गाजर का प्रयोग करने से हमें भूख लगती है और हमारे गुर्दो के लिए बहुत ही लाभदायक होता है गाजर से हमें विटामिन ए काफी अधिक मात्रा में मिलता है।
विटामिन ए के साथ-साथ गाजर में विटामिन बी, विटामिन सी, विटामिन ए और विटामिन ई अधिक मात्रा में पाया जाता है गाजर में एक तत्व मौजूद होता है जिसे हम बिता के रुटीन के नाम से जानते हैं इस बेटा कैरोटीन तत्व से नियंत्रण में लाभकारी होता है पहले गाजर का रंग क्यों लाल ही होता था लेकिन आज के समय में गाजर की कई किस्म उत्पन्न हो गई है जैसे कि पीले रंग हल्के काले रंग के गाजर भी बाजार में मौजूद है भारत का लगभग सभी भागों में गाजर उत्पादन किया जाता है । आज के टाइम पर गाजर की खेती से काफी अच्छा कमाई कर रहे हैं करना चाहते हैं तो उसको अंत तक जरूर पढ़ें
Gajar ki Kheti- गाजर की खेती कैसे करें
यदि आपका घर की खेती करना चाहते हैं तो इसके लिए उठ जाओ भूमि की आवश्यकता होती है यदि आप कल भी दो मिनट मिट्टी में गाजर की खेती करते हैं तो इस भूमि में गाजर की पैदावार काफी अच्छी होती है इसकी खेती के लिए भूमिका पीएच मान 6.5 से 5 के बीच का होना चाहिए
गाजर की खेती के लिए तापमान का नियंत्रण भी आवश्यक है इसकी बुवाई का सही समय जाने का महीना होता है उसे दौर में इसका तापमान 10 डिग्री तक होता है जो की यह तापमान बीजों के लिए काफी मददगार साबित होता है गाजर के पौधे 25 डिग्री तापमान पर अच्छे विकास कर सकते हैं और गाजर के फलों का आकार और रंग भी काफी अच्छा होता है
गाजर की किस्म
यदि हम गाजर के किस्म की बात करें तो आजकल बाजारों में कई किस्म के गाजर मिलने लगे हैं जिन्हें उठाकर बहुत से किसान भाई काफी अधिक पैदावार कर रहे हैं तो चलिए आपको बताते हैं कि गाजर की कौन-कौन सी किस्म होते हैं
पूजा केसर-
यह एक गाजर के नस्ल है इस किस्म 90 से 100 दिन के बाद ही पैदावार देने लगता है इसका साइज़ छोटा और इसका रंग गहरा हरा होता है गाजर की खेती Gajar ki Kheti करने पर आपके प्रति हेक्टेयर लगभग 300 से 500 किलोमीटर की पैदावार होती है।
पूसा मेघाली-
गाजर की यह एक संकर प्रकार है इस प्रकार की कृष्ण की खेती करने पर उनके फलों में कैरोटीन की मात्रा काफी अच्छी होती है और इस फसल में होने वाले गाजर का गुड़ा नारंगी कलर का होता है किस किस्म के फसल के रोपाई में लगभग 100 से 110 दिन का समय लग सकता है यह किस्म की खेती करने से आपको 300 कुंतल का उत्पादन दे सकती है
पूसा यमदागिनी-
स्पेशल की सफाई करने पर आपको 90 से 100 दिन में ही फसल आने लगते हैं के फलों का रंग संतरा रंग का होता है और उनकी उपज 200 कुंटल प्रति हेक्टेयर होता है।
पूसा आसिता-
इस किस्म की खेती करने के लिए आपको मैदानी क्षेत्र की आवश्यकता होती है क्योंकि यह किस्म की फसल मैदानी क्षेत्रों में काफी अच्छी पैदावार देती है इस किस्म की फसल का रंग काले कलर का होता है तथा इन्हें तैयार होने में लगभग 100 दिन का समय लगता है और उनके उपज प्रति हेक्टेयर लगभग 200 कुंतल के आसपास होता है।
नैन्टस-
इस नस्ल की फसल को तैयार होने में लगभग 10 दिन का समय लगता है तथा इसके उत्पन्न होने वाली फसल का आकार बेलनाकार तथा इसका रंग नारंग भी होता है इसके ऊपर बाकी किस्म की अपेक्षा कम होता है या प्रति हेक्टेयर के हिसाब से लगभग 100 से 125 कुंतल ही पैदावार देता है
गाजर की खेती के लिए खेत
किसी भी फसल की खेती करने से पहले आपको उसकी खेत को तैयार करना होता है तो इसी प्रकार गाजर की फसल की खेती Gajar ki Kheti करने के लिए आपको सबसे पहले खेत की अच्छे से जुटाए करनी होगी इसके खेत में पहले से मौजूद फसल को नष्ट करना होगा जुदाई के बाद खेत में पानी लगाकर प्लेन हुआ करना होगा तथा इसके खेत की मिट्टी काम करने वाली लगभग 2 से 3 तिरछी जुताई की आवश्यकता होती है तिरछी जुताई करने से खेत में मौजूद मिट्टी के धीरे टूट जाते हैं और मिट्टी भोजपुरी हो जाती है और बुरी मिट्टी में पता लगाकर खेत को समतल कर देना होता है
गाजर के खेती के लिए उर्वरक की मात्रा
गाजर की खेती Gajar ki Kheti के लिए तैयार किया गया खेत में जुदाई के बाद ही लगभग 30 गाड़ी तक पुराने गोबर की खाद प्रति हेक्टेयर के हिसाब से डालना होता है इसके बाद खेत की आखिरी जुताई के समय रासायनिक खाद के स्वरूप 30 किलो पोटाश लगभग 30 किलो नाइट्रोजन का छिड़काव प्रति हेक्टेयर के हिसाब से करना चाहिए इससे पैदावार काफी हद तक बढ़ जाती है
Gajar ki Kheti (गाजर की खेती) का सही समय तरीका तथा बुवाई
गाजर के बीजों की बुवाई बीच के द्वारा की जाती है इसके लिए आपको बीजों को समतल खेतों में छिड़क देना चाहिए एक हेक्टेयर खेत में लगभग 6 से 8 किलो बीज की जरूरत होती है बीजों को खेतों में डालने से पहले इन्हें उपचारित करना आवश्यक होता है हल्की जुताई करने से बीज भूमि के अंदर सतह तक चले जाते हैं इसके बाद हल की मदद से क्यारी के रूप में मेड बना लेना चाहिए इसके बाद फसल में पानी लगाना चाहिए | गाजर के एशियाई किस्म को अगस्त से अक्टूबर माह में लगाया जाता है तथा यूरोपीय किस्म की बुवाई का सही समय अक्टूबर से नवंबर माह के मध्य का समय होता है |
गाजर के फसल की सिंचाई
गाजर की फसल की सिंचाई बीज की रोपाई के तुरंत बाद ही करनी चाहिए इसके बाद खेत में नमी के लिए हफ्ते में दो बार सिंचाई की आवश्यकता होती है तथा जब बीज भूमि से बाहर आ जाए तब उन्हें सप्ताह में लगभग एक बार ही पानी की आवश्यकता होती है तथा एक महीने के बाद जब बीज से पौधा बनने लगता है तब उसे समय कम पानी की आवश्यकता होती है इसके बाद जब पौधे की जड़े पूरी तरह से लंबी हो जाती है तो पानी की मात्रा को बढ़ा देना चाहिए क्युकी इस समय ज्यादा पानी की आवश्यकता होती है
गाजर के फसल के में खरपतवार नियंत्रण
गाजर की फसल में खरपतवार नियंत्रण करना बहुत ही आवश्यक है इसके लिए खेत की जुताई के समय पर ही कई प्रकार की मार्केट में दवाइयां आती है उनका इस्तेमाल करना चाहिए इसके बाद भी यदि खेत में खरपतवार दिखते हैं तो समय-समय पर खेत की लड़ाई एवं गुड़ाई करते रहना चाहिए और इसके दौरान दिखने लगे तो मिट्टी भी चढ़ा देनी चाहिए।
गाजर की फसल में लगने वाले रोग एवं उसके रोकथाम
गाजर की फसल में कई प्रकार के रोग लगते हैं जैसे कि आद्र विगलन, सक्लेरोटिनिया विगलन, कैरेट वीविल, रस्ट फ्लाई इन रोगों के रोकथाम के लिए आप गौमूत्र का इस्तेमाल कर सकते हैं थायराइड 30 या कार्बेनडाजिम 50 की उचित मात्रा का उपयोग कर बीजों की रोपाई से पहले खेत में छिड़काव कर सकते हैं इनडाइक्लोप्रिड 17.8 एस एल की उचित मात्रा को पानी में डालकर खेत में छिड़काव कर सकते हैं पौधों पर क्लियर तैयारी फास्ट 20 एक की उचित मात्रा मिलाकर छिड़काव कर सकते हैं कल इन लोगों से रोकथाम कर सकते हैं का प्रयोग कर इन लोगों से रोकथाम कर सकते हैं।
गाजर की फसल की खुदाई
गाजर की फसल लगभग तीन से चार महीने में तैयार हो जाती है इस प्रकार किसान भाई यदि चाहे तो गाजर की फसल को एक वर्ष में लगभग तीन से चार बार गाजर उत्पन्न कर सकते हैं इससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार भी आता है जब घायल की तैयार हो जाती है तब फसल की खुदाई की जाती है खुदाई से पहले खेत में पानी लगाने की आवश्यकता होती है जिससे गाजर आसानी से मिट्टी से बाहर निकल सके गाजर की खुदाई के बाद उन्हें पानी में अच्छी तरह से धो लेना चाहिए और फिर बाजार में बेचने के लिए भेज देना चाहिए।
Gajar ki Kheti- गाजर के खेती से पैदावार एवं लाभ
गाजर की किसने उनके उत्पादन पर निर्भर करता है लगभग 1 हेक्टेयर में 300 से 350 कुंतल की पैदावार गाजर की होती है लेकिन कुछ ऐसी किसने भी होती है जिनमें एक हेक्टेयर में लगभग 100 कुंतल ही पैदावार होता है । गाजर की फसल से कम समय में अच्छा पैदावार कर किसान भाई काफी लाभ कमा सकते हैं गाजर का बाजार में शुरुआती भाव काफी अच्छा होता है यदि आप चाहे तो गाजर की अधिक पैदावार करके अच्छे दामों में उन्हें भेज सकते हैं तो वहीं इसकी एक बार की फसल से लगभग आप 3 से 3:30 लाख की कमाई आसानी से कर सकते हैं। ज्यादा जानकारी के लिए गवर्मेंट की ऑफिसियल वेबसाइट पर जाये |
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आशा करते हैं आपको हमारी यह पोस्ट गाजर की खेती (Gajar ki Kheti) कैसे करें पसंद आई होगी यदि आप किसी अन्य फसल के बारे में जानकारी लेना चाहते हैं तो कमेंट में अवश्य बताएं हम अपनी पूरी कोशिश करेंगे आपको अन्य फसलों के बारे में जानकारी देने की।
सामान्यतःपूछे जाने वाले प्रश्न Gajar ki Kheti
गाजर के बीज दिवाली के लगभग 12 से 15 दिन में अंकुरित हो जाते हैं
गाजर की खेती करने के लिए सबसे अच्छा महीना अप्रैल से जुलाई माह की प्रथम सप्ताह तक होता है।
गाजर का बीज लगभग 400 से 750 रुपए किलो के बीच मिलता है।
गाजर की खेती सबसे ज्यादा कैलिफोर्निया में होती है ।
जी हां गाजर की खेती प्रसाद के मौसम में भी कर सकते हैं।