नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका up agriculture के इस ब्लॉग आज हम आप लोगों को बताएंगे की मसूर की खेती (masoor ki kheti) कब और कैसे करें तथा मसूर की खेती से संबंधित सभी प्रकार की जानकारियां प्रदान की जाएंगी यदि आप भी मसूर की खेती करके महीने का लाखों कमाना चाहते हैं तो इस ब्लॉग को अंत तक जरूर पढ़ें
मसूर की खेती (Masoor ki kheti) का परिचय:
Table of Contents
मसूर, एक दलहनी फसलों में से एक है जिसकी खेती भारत में प्रमुख रूप से की जाती है। इसका उपयोग खाद्य और पशुपोषण के लिए किया जाता है, और इसकी खेती के जरिये किसानों को अच्छा मुनाफा भी मिलता है। इस ब्लॉग में, हम जानेंगे की मसूर की खेती कैसे की जाती हजै यदि आप भी मसूर की खेती करना चाहते है तो इस ब्लॉग को अंत तक अवश्य पढ़े ।
मसूर की फसल के लिए भूमि और जलवायु:
मसूर की फसल के लिए अच्छे भूमि और अच्छे जलवायु की आवश्यकता है। मसूर की खेती के लिए गर्म और सुखद मौसम की आवश्यकता होती है और इसे बर्फ और बारिश के कारण होने वाली अधिक नमी से बचाया जा सकता है। अच्छी द्रावणी और मिट्टी मसूर के लिए उपयुक्त होती है।
मसूर की किस्में:
मसूर के कई प्रकार होते हैं, जैसे कि पंजाबी मसूर, एरकन मसूर, और रुपाली मसूर। इनमें से प्रत्येक का अपना विशेष उपयोग और विशेषताएं होती हैं। किसानों को अपने क्षेत्र में सबसे उपयुक्त किस्म का चयन करना चाहिए।
मसूर के खेत masoor ki kheti की तैयारी:
मसूर की खेती masoor ki kheti के लिए शुरुआती चरण में खेत की तैयार करना चाहिए। इसके लिए खेत को अच्छे से जोता जाना चाहिए खेत की जुताई करने से खेतो में पहले से मौजूद अशुद्धि नस्टho जाती है और फिर खेतों में उर्वरक और खाद डालना चाहिए।
मसूर के फसल में खाद व उर्वरक:
मसूर के फसल के लिए उचित खाद और उर्वरक का चयन करना बहुत जरुरी होता है। इसमें नाइट्रोजन, फॉस्फेट, और पोटाशियम की अच्छी मात्रा होनी चाहिए। खेती masoor ki kheti की तैयारी के समय खादों को खेत में अच्छी तरह से मिला देना चाहिए जिससे फसल को सही मात्रा में पोषण मिल सके।
मसूर के बीज एवं बुआई का समय:
मसूर के बीजों का समय समय पर बुआई करना महत्वपूर्ण है। बीजों को अच्छे से तैयार किया गया खेत में बोना जाता है, और यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है कि बीजों का अंतिम समय से पहले समय पर समर्थन किया जाता है।
फसल में सिंचाई:
मसूर की फसल को अच्छे से सिंचाई की आवश्यकता होती है, खासकर वर्षा के समय में। ध्यानपूर्वक सिंचाई करने से फसल को सही मात्रा में पानी मिलता है, जिससे यह अच्छे से विकसित हो सकती है और अच्छे फलों को उत्पन्न कर सकती है।
मसूर के फसल में खरपतवार नियंत्रण:
मसूर की फसल में खरपतवारों का संज्ञान रखना और इन्हें नियंत्रित करना भी महत्वपूर्ण है। फसल की सुरक्षा के लिए उपयुक्त कीटनाशकों का प्रयोग करना चाहिए masoor ki kheti ।
मसूर के फसल में लगने वाले रोग व उपचार:
मसूर की फसल masoor ki kheti को बीमारियों से बचाने के लिए सबसे पहले यह जांचा जाना चाहिए कि कौन-कौन से रोग इस पर प्रभाव डाल सकते हैं। रोगों का सही समय पर पहचानना और उपचार करना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
मसूर की कटाई और पैदावार:
मसूर की कटाई का समय भी बहुत महत्वपूर्ण है। यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है कि फसल पूरी तरह से परिपक्व हो गई है और इसे कटने का सही समय चयनित किया जा रहा है। कटाई के बाद, फसल को अच्छे से सुखाना चाहिए ताकि यह सही रूप से स्टोर किया जा सके।
इस पूरी प्रक्रिया के माध्यम से, हमने देखा कि मसूर की खेती masoor ki kheti करना एक विशेषता और सावधानीपूर्ण काम है। यह फसल भारतीय किसानों के लिए मुनाफे की एक अच्छी स्रोत है, और इसकी खेती masoor ki kheti को सही तरीके से करने से किसान अच्छा मुनाफा कमा सकता है। मसूर की खेती में सफलता प्राप्त करने के लिए, किसानों को नवीनतम तकनीकों, खाद्य सामग्रियों, और पोषण सुझावों के साथ काम करना चाहिए।
सामान्यतः पूछे जाने वाले प्रश्न
मसूर की बुवाई का उच्चतम समय 15 अक्टूबर से लेकर 15 नवंबर तक होता है।
एक एकड़ में लगभग 5 से 6 कुंटल मसूर की पैदावार होती है।
छोटे दाने वाले मशहूर 40 से 45 किलो प्रति हेक्टेयर तथा बड़े दाने वाले मसूर 55 से 60 किलो प्रति हेक्टेयर में डालना चाहिए।
मसूर की खेती यूरोप एशिया और उत्तरी अफ्रीका में की जाती है