हेलो दोस्तों स्वागत है आपका upagriculture के नई पोस्ट नींबू की खेती ( Nimbu ki kheti )मे आज के इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको नींबू की खेती ( Nimbu ki kheti ) के बारे में बताएंगे यदि आप लोग भी नींबू की खेती( Nimbu ki kheti ) करना चाहते हैं तो इस ब्लॉग को अंत तक जरूर पढ़े |
नींबू की खेती( Nimbu ki kheti )
Table of Contents
भारत में लगभग सभी घरों में नीबू का उपयोग किया जाता है नींबू की उत्पत्ति भी भारत में ही हुई थी इसका कोई ठोस प्रमाण नहीं है विशेषज्ञ और वैज्ञानिकों द्वारा यही माना जाता है कि नींबू की उत्पत्ति भारत में ही हुई नींबू की खेती ( Nimbu ki kheti ) करके हमारे किसान भाई काफी अधिक मात्रा में मुनाफा कमा सकते हैं क्योंकि इसे अधिक मुनाफे वाली खेती के रूप में जाना जाता है |
एक बार नींबू के पौधे तैयार हो जाने के बाद कई सालों तक लगातार फलों का उत्पादन देते हैं इसीलिए नींबू की खेती ( Lemon Farming ) कम खर्च और अधिक मुनाफे वाली फसल होती है इसकी फसल केवल एक बार लगाकर किसान भाई 10 से 12 साल तक लगातार उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं और यह भी माना जाता है कि दुनिया भर में सबसे अधिक नींबू का उत्पादन करने वाला देश भारत है नींबू का सबसे अधिक मात्रा में उपयोग खाने में किया जाता है |
खाने के अलावा भी नींबू का उपयोग विभिन्न प्रकार के अचार बनाने में इस्तेमाल किया जाता है इस समय नींबू बहुत ही उपयोगी हो गया है क्योंकि इसका उपयोग कई प्रकार की कॉस्मेटिक कंपनियों और फार्मासिटीकल कंपनियां भी कर रही है यही कारण है कि किसान भाई नींबू की खेती करके ( Nimbu ki kheti ) कम लागत में काफी अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं |
नींबू की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी का चयन (Selection of suitable soil for Nimbu ki kheti )
नींबू की खेती ( Nimbu ki kheti ) लगभग सभी तरह की मिट्टी में आसानी से की जा सकती है परंतु यदि आप इसकी खेती हल्की जल निकास वाली मिट्टी में करते हैं तो काफी अच्छा होगा नींबू की खेती करने के लिए मिट्टी का पीएच मान 5.7 से 7.5 होना चाहिए और यदि आप नींबू की खेती ( Nimbu ki kheti ) हल्की छारिय और तेजाबी मिट्टी में भी करना चाहते हैं तो कर सकते हैं हल्की दोमट मिट्टी और अच्छी जल निकास वाली मिट्टी में भी नींबू की खेती ( Nimbu ki kheti ) के लिए उपयुक्त होता है |
नींबू की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु (Suitable climate for Lemon Farming )
नींबू की खेती ( Nimbu ki kheti ) पूरे भारत में किसी भी प्रकार की जलवायु में आसानी से की जा सकती है परंतु यदि पोषण कटिबंधीय और अर्ध शुष्क जलवायु वाले क्षेत्रों में नींबू की खेती ( Nimbu ki kheti ) करते हैं तो अधिक मात्रा में उत्पादन प्राप्त होता है भारत के हरियाणा मध्य प्रदेश बिहार पंजाब राजस्थान उत्तर प्रदेश और विभिन्न राज्य के अनेक हिस्सों में नींबू की खेती अधिक मात्रा में की जाती है और यह अवश्य ध्यान रखें की जहां पर अधिक समय तक ठंड रहती है वहां पर नींबू की खेती ( Nimbu ki kheti ) नहीं करना चाहिए क्योंकि सर्दियों में गिरने वाला पालन नींबू के पौधों को बहुत अधिक प्रभावित करते हैं |
नींबू की खेती करने के लिए उन्नत किस्म का चयन (Selection of improved variety for Nimbu ki Kheti )
भारत में नींबू की खेती करने के लिए विभिन्न प्रकार की उन्नत किस्म उपलब्ध है |
कागजी नींबू
इस किस्म का उत्पादन भारत में सबसे अधिक मात्रा में किया जाता है कागजी नींबू के फलों में 52% तक रस की मात्रा उपलब्ध होती है इस किस्म का उत्पादन व्यापारिक रूप में नहीं किया जाता है |
प्रमालिनी
इस किस्म का उत्पादन व्यापारिक रूप में किया जाता है इस किस्म के पौधे में नींबू के फल गुच्छों के रूप में पाए जाते हैं यह किस्म कागजी नींबू की तुलना में 25 से 30% अधिक मात्रा में उत्पादन देते हैं एक नींबू में लगभग 58% तक रस की मात्रा उपलब्ध होती है |
विक्रम किस्म का नींबू
नींबू का या किस्म अत्यधिक पैदावार प्राप्त करने के लिए किया जाता है क्योंकि विक्रम किस्म के पौधे से निकलने वाले फल गुच्छे के रूप में पाए जाते हैं एक गुच्छे में लगभग 8 से 12 नींबू प्राप्त होते हैं इस किस्म के पौधे में 12 महीने लगातार नींबू का फल देखने को मिलता है पंजाब में इसे पंजाबी बारहमासी के नाम से भी जाना जाता है |
पंजाबी बारहमासी
इस किस्म के पौधों की शाखाएं जमीन को स्पर्श करती हैं जिसके फल पीले आकार में गोल और तल लंबा और पतला होता है या फल बीज रहित और रस भरे होते हैं अर्थात इनके फलों में बीज बहुत कम मात्रा में उपस्थित होते हैं इसकी पैदावार एक पौधों में 85 किलो तक होती है |
यूरेका
इस किस्म के पौधे मजबूत नहीं होते हैं और फल पीले छिलके वाले रंग के साथ- साथ मजबूत तेजाबी होने के कारण स्वाद में बहुत बढ़िया लगते हैं उनके फल अगस्त महीने में पकाना आरंभ कर देते हैं |
इसके अलावा भी नींबू के कई अन्य किस्मे जैसे पी के एम-1 ,साइ शरबती उपलब्ध होती हैं जिन्हें अधिक रस और अत्यधिक पैदावार प्राप्त करने के लिए उगाया जाता है |
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नींबू की खेती के लिए भूमि की तैयारी( Land preparation for Lemon Farming )
नींबू की खेती ( Lemon Farming ) करने के लिए हमें खेतों को अच्छे तरीके से तैयार करना होता है खेतों को तैयार करने के लिए मिट्टी पलटने वाली हलो की सहायता से दो या तीन बार गहरी जुताई कर देना चाहिए और खेतों को कुछ दिनों के लिए खुला छोड़ दें ताकि खेतों में उपस्थित पुरानी फसलों के अवशेष पूरी तरीके से नष्ट हो जाएं |
इसके पश्चात खेतों में पुरानी साड़ी हुई गोबर की खाद डालकर उसे रोटावेटर की सहायता से जुताई करके अच्छे से खाद को मिट्टी में मिला देना चाहिए खाद को मिट्टी में मिलने के पश्चात खेत में पाटा लगाकर भूमि को समतल कर लेना चाहिए इसके बाद ही खेतों में पौधों की रोपाई करने के लिए गड्ढो को तैयार करना चाहिए |
नींबू के पौधों की रोपाई का सही समय और तरीका (Right time and method of planting lemon plants)
नींबू के पौधों की रोपाई पौधे के रूप में ही की जाती है इसके लिए हमें सबसे पहले नींबू के नर्सरी को तैयार करना होता है यदि आप नर्सरी को तैयार नहीं करना चाहते हैं तो नर्सरी को फार्म हाउस से खरीद ले खरीदते समय यह अवश्य ध्यान रखें की नर्सरी के पौधे बिल्कुल स्वस्थ होने चाहिए |
इसके पौधों की रोपाई करने का सबसे उपयुक्त समय जुलाई और अगस्त का महीना होता है |नींबू की खेती ( Nimbu ki kheti ) करने का सबसे मुख्य फायदा यह होता है कि इसके बीच में आप लोभिया , बींस, कद्दू, लौकी ,आदि विभिन्न प्रकार के फसलों का उत्पादन दो से तीन वर्षों तक करके मुनाफा कमा सकते हैं |
नींबू के पौधों को खेतों में लगाने के लिए गुड्डू के बीच की दूरी 10 से 12 फीट होनी चाहिए और गड्ढो का आकार लगभग 75 से 80 सेंटीमीटर चौड़ा और 60 सेंटीमीटर गहरा होना चाहिए इस तरह लगभग एक हेक्टेयर खेत में 600 पौधे की रोपाई की जा सकती है |
नींबू की खेती में फसलों की सिंचाई (Irrigation of crops in Nemou ki kheti )
नींबू के पौधों की रोपाई बारिश के मौसम में करने की वजह से नींबू के पौधों को अत्यधिक सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है सर्दियों के मौसम में इनके पौधों को 12 से 15 दिनों के बीच पानी देना चाहिए यदि आप इसे अधिक मात्रा में पानी देते हैं तो खेतों में जल भराव की समस्या उत्पन्न हो जाएगी जिससे पौधों को काफी हानि पहुंचेगी और फसलों के खराब होने का खतरा भी बना रहता है |
नींबू की खेती में प्रयुक्त होने वाले उर्वरक (Fertilizers used in Nimbu ki kheti)
फसल के 1-3 के पश्चात,अच्छे तरीके से हुए गाय का गोबर 5-20 किलो और युरिया 100-300 ग्राम प्रति वृक्ष में डालना चाहिए। 4-6 वर्ष की फसल में अच्छी तरह से गला हुआ गाय का गोबर 25-50 किलो और युरिया 100-300 ग्राम प्रति वृक्ष में डालें 8-9 वर्ष की फसल में यूरिया 650-850 ग्राम सड़ा हुआ गाय का गोबर 80-90 किलो प्रति वृक्ष में डालना चाहिए । जब फसल 10 वर्ष की या इससे ज्यादा की हो तो सड़ा हुआ गाय का गोबर 105 किलो या यूरिया 900-1650 ग्राम प्रत्येक पौधे में डालना चाहिए |
यदि पकने से पहले ही फल गिराने लग जाय तो फलों के ज्यादा गिरने को रोकने के लिए 2,4-D 10 ग्राम को 500 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें। पहली स्प्रे मार्च के अंत में, फिर अप्रैल के अंत में करें। अगस्त और सितंबर के अंत में दोबारा स्प्रे करें।
नींबू की खेती में पौधों और फलों पर लगने वाली बीमारियां और रोकथाम (Diseases affecting plants and fruits in Nimbu ki kheti and their prevention )
सिट्रस कीट रोग
यह रोग हो जाने पर पौधों में तन पत्तों और फलों पर भूरे रंग पानी रंग जैसे धब्बे बनने लगते हैं इस तरह के रोग लगने पर नए पट्टे और फल अधिक प्रभावित होते हैं हवा के धारा भैया बैक्टीरिया सेहतमंद पौधों को काफी नुकसान पहुंचाते हैं |
गुड़िया रोग
इस रोग से पीड़ित वृक्षों की छाल में गोंद निकलने लगता है इस रोग से प्रभावित पौधे हल्के पीले रंग में बदल जाते हैं तने और पेट की सतह पर गोंद के सख्त परत बनने लगती है कई बार चल गलन से नष्ट हो जाता है और ब्रिज पूरी तरह से सूख जाते हैं पौधे में फल पकने से पहले ही गिरने लगता है इस बीमारी को जड़ गलन रोग के नाम से भी जाना जाता है |
इस रोग से पौधों को बचाने के लिए आपको जल निकास का अच्छे से प्रबंध करने से ही इस बीमारी को नियंत्रित किया जा सकता है पौधों को नुकसान से बचने के लिए मिट्टी में 0.2% मिट्टी मैटालैक्सिल MZ-72 + 0.5 % ट्राइकोडरमा विराइड डालकर बीमारी को नियंत्रित किया जा सकता है। वर्ष में एक बार ज़मीनी स्तर से 50-75 सैं.मी ऊंचाई पर बॉर्डीऑक्स को जरूर डालना चाहिए |
पत्तों में लगने वाला धब्बा रोग
इस रोग से पीड़ित पौधों के पत्तो के ऊपरी भाग में सफेद धब्बे देखने को मिलते हैं पत्ते हल्के पीले और मुड़ जाते हैं पत्तों पर विभिन्न प्रकार के विकृत दिखाई देने लगते हैं जिस कारण से पत्तों का ऊपरी भाग सबसे ज्यादा प्रभावित होता है नए फल पकने से पहले ही गिरने लगते हैं |
और उपज की मात्रा कम हो जाती है पत्तों के ऊपरी धब्बे रोग को रोकने के लिए पौधों को प्रभावित भाग को निकाल दें और नष्ट कर दें यदि आप ऐसा नहीं करना चाहते हैं तो कार्बेनडाज़िम की 20-22 दिनों के अंतराल पर तीन बार स्प्रे करके इस रोग को समाप्त कर सकते है |
काले धब्बे
यह एक प्रकार का फंगस होगा होता है जो फलों पर काले रंग के धब्बे बना देता है इस रोग का उपचार करने के लिए बसंत ऋतु के शुरुआत में ही हरे पत्तों पर स्प्रे से काले धब्बों को पड़ने से रोका जा सकता है इसे 6 सप्ताह के बाद पुनः दोहराना चाहिए |
जड़ गलन रोग
यह रोग भी फंगस के कारण देखने को मिलता है यह रोग मुख्य रूप से नींबू के पौधों की जड़ों की छाल को प्रभावित करते हैं जड़े धीरे-धीरे गलना शुरू हो जाती है और जमीन की सतह से ऊपर एक परत बन जाती है यह परत धीरे-धीरे पूरे जड़ को ढक लेती है जिस कारण से वृक्ष पूरी तरह से नष्ट होने लगते हैं |
यह रोग गलत मल्चिंग के कारण जैसे गुड़ाई – निराई करते समय पौधों का नष्ट होना इसके कारण वृक्ष अपनी शक्ति को खो सकता है जड़ गलन रोग से पौधों को बचाने के लिए पौधों के प्रभावित भागों को कॉपर की स्प्रे कर देना चाहिए या फिर बॉडी ऑक्स को प्रभावित पौधों के भाग पर लगाना चाहिए |
नींबू की खेती से पैदावार कमाई और कटाई (Earning and harvesting from Nimbu ki kheti )
सामान्य रूप से नींबू के पौधों पर फूल आने के 4 से 5 महीने के बाद फल आना शुरू हो जाता है इसके बाद पौधों पर लगे हुए नींबू को अलग कर लिया जाता है नींबू की पैदावार बच्चों के रूप में होने के कारण इसके फल अलग-अलग समय पर उदय के लिए तैयार होते हैं |
तोड़े गए नींबू को अच्छे से साफ कर क्लोरिनेटड की दोस्त 2.5 गम की मात्रा 1 लीटर पानी में डालकर घोल बनाकर नींबू की सफाई कर ले इसके पश्चात नींबू को किसी छायादार स्थान पर अच्छे से सुख लेना चाहिए नींबू का पूर्ण विकसित पौधा एक वर्ष में लगभग 50 से 60 किलो तक पैदावार देता है इस हिसाब से 1 हेक्टेयर खेत में लगभग 600 पौधे लगाया जा सकता है जिस हिसाब से किसान भाई एक वर्ष में 4 से 5 लाख तक की कमाई आसानी से कर सकते हैं |
सामान्यतः पूछे जाने वाले प्रश्न
नींबू का पौधा लगाने का सबसे उपयुक्त समय जुलाई से अगस्त का महीना होता है |
पौधारोपण के लगभग चार से पांच साल के पश्चात नींबू के पौधे में फल लगना प्रारंभ हो जाता है इसके फल जनवरी-फरवरी जून -जुलाई सितंबर और अक्टूबर के महीने में आते हैं |
यदि हम बात करें नींबू के पौधे के उम्र की तो इसकी औसत उम्र 50 साल से भी अधिक होती है और यदि इसके पौधों की देखभाल और रोग निवारण के साथ एक रोग रहित पेड़ लगभग 90 से 100 साल तक जीवित रह सकता है |