जैसा कि हम सभी लोग जानते हैं कि भारत एक कृषि प्रधान देश है जहां पर लगभग 75 से 80% लोग की आजीविका आज भी कृषि के माध्यम से चल रही है हमारा भारत देश दुनिया भर मे कृषि उत्पादकों का दूसरा सबसे बड़ा स्थान है |
लगभग सभी तरह के कृषि उत्पादों का निर्यात भारत से पूरे विश्व में किया जा रहा है और यदि हम मसाले की बात करें तो भारत मसाला उत्पादकों में के मामले में दुनिया का सबसे बड़ा उत्पादक उपभोक्ता और निर्यातक देश है भारत देश में मसाले का उत्पादन लगभग 4.15 मिलियन तक होता है |
काली मिर्च की खेती (Black Pepper Farming)
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भारत दुनिया में विभिन्न प्रकार के मसाले को उत्पादक देश है जैसे इलायची ,लौंग, काली मिर्च , लाल मिर्च, सौफ् ,जीरा ,डालचिनि जैसे बहुत सारे मसले का उत्पादन करता है आंध्र प्रदेश और केरल सभी प्रकार के मसाले को उगाने वाला सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है |
हमारे भारत देश में काली मिर्च ,लाल मिर्च,हल्दी आदि जैसे मसाले की प्रचुर मात्रा में उत्पादन किया जाता है भारत में कई वर्षों से मसाले का उत्पादन किया जा रहा है देश के लगभग बहुत सारे किसान काली मिर्च की खेती pepper farming करके काफी अधिक मात्रा में मुनाफा कमा रहे हैं भारतीय मसाले में भी कुछ मसाले ऐसे होते हैं |
जिनकी खेती कुछ खास क्षेत्र में ही की जा सकती है लेकिन वैज्ञानिकों की लगातार मेहनत और रिसर्च के कारण आज ऐसी ऐसी किस्म को उपलब्ध कराया गया है जिनकी खेती आप देश के लगभग सभी हिस्सों में की जा सकती है इसी प्रकार का एक मसला है काली मिर्च है |
भारतीय बाजारों में काली मिर्च का एक विशेष स्थान है काली मिर्च की खेती pepper farming ज्यादातर दक्षिण के राज्यों में होती है लेकिन अब इसकी खेती और अधिक क्षेत्रों में कर सकते हैं यदि आप लोग भी कम मेहनत और लागत के साथ-साथ बहुत अधिक मात्रा में मुनाफा कमाना चाहते हैं तो काली मिर्च की खेती pepper farming से सरल कोई भी खेती नहीं हो सकती अधिक मात्रा में लाभ कमाने के लिए काली मिर्च खेती pepper farming की उपयुक्त है |
और यदि आप लोग काली मिर्च की खेती pepper farming वैज्ञानिक तरीके से करना चाहते हैं तो इन तरीकों का उपयोग करके काफी अच्छा उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं up agriculture के इस पोस्ट में आपको काली मिर्च की खेती pepper farming से संबंधित संपूर्ण जानकारी प्रदान की जाएगी |
काली मिर्च में उपस्थित गुण और उसके उपयोग(Properties present in black pepper and its uses)
काली मिर्च आयुर्वेदिक गुणों से भरपूर है यह एक ऐसा मसाला होता है जो न केवल खाने के स्वाद को बढ़ाने के लिए बल्कि शरीर में विभिन्न प्रकार के लाभ को पहुंचने में मदद करता है काली मिर्च का वैज्ञानिक नाम पाइपर निग्राम है ज्यादातर काली मिर्च का उपयोग आयुर्वेदिक दवाइयां बनाने में किया जाता है आयुर्वेद के अनुसार काली मिर्च की तासीर गर्म होती है |
काली मिर्च में विभिन्न प्रकार के विटामिन जैसे विटामिन ए विटामिन ए विटामिन के विटामिन सी और विटामिन B6 थायमिन नियासिन सोडियम पोटेशियम जैसे विभिन्न प्रकार के गुण उपलब्ध होते हैं काली मिर्च का उपयोग सामान्यतः इम्यूनिटी को बढ़ाने के लिए किया जाता है काली मिर्च में कुछ ऐसे तत्व भी पाए जाते हैं |
जो सर्दी खांसी और वायरल ब्लू जैसी समस्याओं को दूर करने के लिए सर्वाधिक उपयोगी होते हैं यदि आपके शरीर में किसी भी प्रकार का इंफेक्शन हो जाता है तो काली मिर्च के उपयोग से उसे ठीक किया जा सकता है काली मिर्च का उपयोग भोजन में मसाले के रूप में किया जाता है इसके पश्चात कई देश ऐसे हैं जहां पर विभिन्न प्रकार के मांस मछली डिब्बा बंदी में खाद्य पदार्थों के परीक्षण के लिए भी काली मिर्च का उपयोग किया जाता है |
काली मिर्च की खेती से जुड़े विभिन्न प्रकार की जानकारियां (Various types of information related to black Pepper Farming)
वैज्ञानिकों के अनुसार काली मिर्च की तासीर गर्म होती है यही कारण है की काली मिर्च सर्दियों के दिनों में सेहत के लिए बहुत अधिक उपयोगी होते हैं काली मिर्च की खेती झाड़ के रूप में विकसित की जाती है काली मिर्च की खेती pepper farming को बढ़ावा देने के लिए कृषि विज्ञान केंद्र में प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए जाते हैं |
यदि किसान भाई काली मिर्च की खेती pepper farming करना चाहते हैं तो ट्रेनिंग लेने के बाद नर्सरी से लिए गए पौधों को रोपण करके काली मिर्च का भारी मात्रा में उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं और विभिन्न प्रकार के बागवानी से जुड़े किसान भाई इसकी खेती करके दो से तीन गुना तक का मुनाफा कमा सकते हैं |
काली मिर्च की खेती pepper farming करने पर काली मिर्च के पौधे को किसी अन्य पेड़ पौधों का सहारा देना पड़ता है क्योंकि उनके पौधे लता युक्त होते हैं पौधे जब फसल देने के लिए तैयार हो जाते हैं तो लगभग एक पौधे में 10 से 15000 रुपए तक के काली मिर्च की पैदावार होती है कभी-कभी काली मिर्च का भाव बाजार में अधिक होने के कारण मुनाफा अधिक मिल जाता है |
काली मिर्च की खेती से प्राप्त उत्पादन (Production obtained from black Pepper Farming)
हमारे भारत में पैदा होने वाले मसाले का स्वाद दुनिया भर में प्रसिद्ध है और भारतीय मसाले आयुर्वेदिक गुणों से भरपूर माने जाते हैं काली मिर्च का उत्पादक उपभोक्ता एवं निर्यातक के मामले में भारत अन्य देशों से प्रमुख है भारत में हर साल लगभग 20 से 21 करोड रुपए तक के काली मिर्च का निर्यात विदेश में किया जाता है |
सबसे ज्यादा काली मिर्च का उत्पादन भारत में होने के कारण भारत को काली मिर्च का सर्वाधिक उत्पादक देश कहा जाता है बहुत अधिक मात्रा में काली मिर्च का उत्पादन केरल कर्नाटक और तमिल जैसे राज्य में की जाती है महाराष्ट्र ,असम, मलाबार जैसे पहाड़ी इलाकों में काली मिर्च की खेती Pepper Farming की जा रही है और आजकल छत्तीसगढ़ में भी काली मिर्च की खेती Pepper Farming के लिए हॉटस्पॉट बना हुआ है
काली मिर्च की खेती करने के लिए उन्नत प्रजातियां (Improved varieties for black Pepper Farming )
भारत में काली मिर्च की खेती Pepper Farming करने के लिए विभिन्न प्रकार की किस्म उपलब्ध हैं काली मिर्च की खेती Pepper Farming करने के लिए लगभग 80 से अधिक प्रजातियां उपलब्ध है जिनमें से दक्षिण केरल के मध्य केरल की नारायकोड़ी और केरल की कारीमुंडा प्रजाति को सबसे अच्छा माना जाता है |
इसके बाद भी यदि आप नीलमुंडी बालनकोट्टा और कुतिरवल्लि प्रजातियों का उपयोग काली मिर्च की खेती Pepper Farming के लिए उपयोग करते हैं तो भी अच्छे मात्रा में उत्पादन प्राप्त होगा इस किस्म के काली मिर्च के अंदर उपस्थित तेल की मात्रा 17.5% तक होती है इसके अलावा भी काली मिर्च की खेती Pepper Farming के लिए विभिन्न प्रकार की प्रजातियां उपलब्ध है |
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काली मिर्च की खेती के लिए रोपाई का सही समय (Right time of transplanting for black Pepper Farming)
वैज्ञानिक पद्धति के अनुसार यदि आप सितंबर माह के बीच में काली मिर्च की रोपाई करते हैं तो काफी अच्छा होता है काली मिर्च को लगाते समय थोड़ी बहुत ही सिंचाई करें जिस कारण काली मिर्च की फसल को अंकुरण होने में मदद मिले और इसके अलावा काली मिर्च को कलम विधि द्वारा भी लगा सकते हैं
काली मिर्च की खेती के लिए पौधों को कैसे तैयार करें (How to prepare plants for Pepper Farming )
काली मिर्च की खेती (Pepper Farming)करने के लिए उनकी वीजा को सीधे खेत में नहीं लगाया जाता है यदि आप इनके बीजो को सीधे खेत में लगाते हैं तो बीजों के अंकुरित होने में बहुत अधिक समय लगता है इसीलिए काली मिर्च की खेती Pepper Farming के लिए बीजो की रोपाई ना करके पहले पौधों को तैयार कर लेना चाहिए |
जिससे बाद में काली मिर्च के पौधों को खेतों में लगाया जा सके इनके पौधों को तैयार करने के
लिए विभिन्न प्रकार की विधियों का उपयोग कर सकते हैं साधारण विधि जैसे परंपरागत विधि संशोधन प्रावधान विधि ,ट्रेंच विधि, सरपंच, टाइम विधि निर्धारित पोर्टिंग मिश्रण आदि विधि के माध्यम से काली मिर्च के पौधों को तैयार कर सकते हैं |
और यदि आप काली मिर्च के पौधों को तैयार नहीं करना चाहते हैं तो पौधे सरकारी नर्सरी से खरीद कर भी अपने खेतों में लगा सकते हैं से आपका पैसा और समय दोनों की बचत होगी |
काली मिर्च की खेती में पौधरोपण कैसे करें (How to plant seedlings in Pepper Farming )
काली मिर्च के पौधों का पौधारोपण सितंबर माह में ही कर लेना चाहिए क्योंकि काली मिर्च के पौधे शुरुआती समय में अत्यधिक धूप को सहन नहीं कर सकते काली मिर्च के पौधों को खेतों में लगाने के बाद इन्हें लगभग 2 साल तक अत्यधिक धूप से बचा कर रखना होता है पौधों से धूप को बचाने के लिए आप बड़े तिरपाल का उपयोग कर सकते हैं |
इसके अलावा काली मिर्च की खेती Pepper Farming को मानसून शुरू होने के समय भी शुरू कर सकते हैं उसे समय से सहायता प्रदान करने वाले पौधों के पास उत्तर दिशा में लगाना चाहिए काली मिर्च के पौधों को लगाते समय यह अवश्य ध्यान रखें की हर पौधों के बीच की दूरी कम से कम 3 मीटर होनी चाहिए |
पौधों को लगाते समय ढलान वाली भूमिका चयन करना अति आवश्यक होता है काली मिर्च का पौधा बेल के तरीके बढ़ता है यही कारण है की काली मिर्च के पौधों की रोपाई से पहले सहायक पौधों को तीन-तीन मीटर की दूरी पर लगाना अति आवश्यक होता है क्योंकि काली मिर्च के पौधों को बड़ा होने पर यही पौधे सहायता प्रदान करते हैं |
मानसून शुरू होते ही सहायक पौधों के सहारे उत्तर दिशा में 50 सेंटीमीटर के गहरे गड्ढे को खोद लेते हैं इन गड्ढो के आपस में दूरी लगभग 30 सेंटीमीटर होनी चाहिए और गड्ढों में मिट्टी तथा खाद को 5 किलोग्राम प्रति गड्ढे के हिसाब से डालना आवश्यक होता है यदि आप काली मिर्च के पौधों का रोपण करते समय नीम केक एक किलोग्राम, ट्राईकोडर्मा 50 ग्राम हरजियानम और लगभग 1.5 ग्राम फास्फेट प्रति पौधे के हिसाब से डालना चाहिए 1 वर्ष होते ही लगभग तीन काली मिर्च के पौधे को गड्ढे में अलग-अलग स्थान पर रोपण कर देना चाहिए |
काली मिर्च की खेती में प्रयुक्त होने वाले खाद्य और उर्वरक की मात्रा (Amount of food and fertilizer used in Pepper Farming)
यदि आप काली मिर्च के पौधे की वृद्धि और विकास के साथ-साथ अच्छे मात्रा में पैदावार प्राप्त करना चाहते हैं तो खाद्य और उर्वरक को पर्याप्त मात्रा में डालना होगा 10 किलोग्राम गोबर की सड़ी हुई खाद 1 किलोग्राम नीम केक जहां काली मिर्च की खेती pepper agriculture रहे हैं यदि वहां के मृदा अम्लीय है तो 1 वर्ष के अंतराल पर 500 ग्राम प्रति पौधा की दर से डोलोमाइट का उपयोग अप्रैल में महीने में कर सकते हैं को प्रति पौधे के हिसाब से मई माह मे डालना चाहिए |
और 3 वर्ष या उसके बाद उर्वरक की संतृप्त मात्रा में एन.पी. के.50:50:150 प्रतिवर्ष में प्रति पौधे पर डाल सकते हैं उर्वरक को डालते समय या अवश्य ध्यान रखें की और वर्ग पौधों से 30 सेंटीमीटर की दूरी पर डालकर उसकी मिट्टी द्वारा ढंग है दिया जाता है काली मिर्च के पौधों की जड़ों को उर्वरक से दूर रखना अति आवश्यक होता है |
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क्योंकि जब जैव उर्वरकों का प्रयोग किया जाता है तो मृदा में जिंक या मैग्नीशियम की कमी होने पर जिंक सल्फेट 0.25% वर्ष में दो बार मैया से जून तथा दिसंबर से अक्टूबर माह में पहाड़ो पर चढ़कर तथा मैग्नीशियम सल्फेट को 200 ग्राम प्रति पौधों के दर से मृदा को उपचरित करना होता है |
काली मिर्च की खेती में पौधों को हानि पहुंचाने वाले रोग एवं उसके रोकथाम (Diseases causing harm to plants in Pepper Farming and their prevention )
फाइटोफथोरा रोग : यह रोग काली मिर्च के पौधे पत्तों तन तथा जड़ों में देखने को मिलता है इस रोग से बचने के लिए बोर्डियो मिश्रण का एक प्रतिशत छिड़काव करना चाहिए |
एंथ्रेक्नोज रोग : यह रोग समानता किट के रूप में पाया जाता है इस संक्रमण के फैलने से पत्तों पर भूरे पीले तथा काले भूरे रंग के अनियमित धब्बे पड़ जाते हैं इस रोग से पौधों को बचाने के लिए एक प्रतिशत बॉडियों मिश्रण या carbendazim 0.1% का छिड़काव करना आवश्यक होता है |
काली मिर्च के पौधों में दो प्रमुख सूत्रकृमि जड़ गाँठ सूत्र कृमि तथा बरोयंग सूत्रकृमि हानि पहुंचाते हैं। यह सूत्रकृमि मुख्यतः जड़ों को हानि पहुंचाते हैं। इसकी रोकथाम के लिए पोटिंग मिश्रण को सौरिकरण करके उसमे पोकोनिया क्लैडोस्पोरिया या ट्राईकोडरमा हरजियानम 1 से 2 ग्राम प्रति किलोग्राम की दर से डालना चाहिए।
पौलिथिन में पौधों को रखकर तीन ओर 2-3 से.मी के गहरे गढ़डे् को तैयार करके उसमें फोरेट (10जी)’ से ग्राम प्रति पौधा और कारवोफयुरान (3 जी)’ से 3 ग्राम प्रति पौधे के हिसाब से उपचारित करना आवयशक होता है। और यह भी आवश्यक होता है कि सूत्रकृमि नाशक से उपचारित करने के बाद मृदा में आवश्यक आद्रता बनाये रखने के लिए इसकी इसकी संचाई करना आवश्यक है। अगर पौधशाला में पौधों को लम्बे समय तक रखते हैं, तब 45 दिनों के अन्तराल पर उपरोक्त निमेटीसाईड (सूत्रकृमिनाशक) का उपयोग करना चाहिए।
काली मिर्च की खेती से प्राप्त फलों की तुड़ाई पैदावार एवं लाभ (Harvesting yield and benefits of fruits obtained from black Pepper Parming)
जैसा कि हम आप लोगों को बता दें की काली मिर्च की खेती Capsicum Farming की सहायता से ही सफेद मिर्च बनाई जाती है यही कारण है की काली मिर्च की तुड़ाई टाइम पर कर लेना चाहिए क्योंकि काली मिर्च के पौधों पर फूल आने के बाद इनको पूरी तरह से तैयार होने में 7 से 8 महीने का समय लग जाता है सफेद और काली दोनों ही मिर्च एक ही पौधे से प्राप्त होते हैं लेकिन इन्हें तोड़ने के बाद कला और सफेद रूप दिया जाता है |
सफेद मिर्च को बनाने के लिए उनके फल को पानी में डालकर इनका ऊपरी झील का उतार लिया जाता है और फिर इसे 4 से 5 दिनों तक घड़ी धूप में सुखाया जाता है जिससे इनका रंग सफेद दिखाई देने लगता है काली मिर्च प्राप्त करने के लिए इनके फलों को पूरी तरह से पकाने दिया जाता है जब काली मिर्च के फलों का रंग हरे रंग से बदलकर चमकीला नारंगी हो जाता है तो समझ लीजिए कि फल पूरी तरह से पक चुका है |
जिसके बाद काली मिर्च को पौधों से अलग कर देना चाहिए काली मिर्च के फल गुच्छू के रूप में पाए जाते हैं जिन्हें बाद में तोड़कर अलग-अलग कर लिया जाता है अलग किए हुए फलों को गर्म पानी में 1 मिनट तक डालकर रख देना चाहिए और इसके बाद उसे अच्छे से सूखने के लिए कड़ी धूप में डाल देना चाहिए काली मिर्च के प्रत्येक पौधों से लगभग 8 से 10 किलो ग्राम तक पैदावार प्राप्त होती है |
एक हेक्टेयर में लगभग 1100 से अधिक काली मिर्च के पौधे लगाए जा सकते हैं ऐसे में एक हेक्टेयर से किसान भाइयों को लगभग 65 से 70 कुंतल तक की पैदावार प्राप्त होती है जिससे किसान भाई को भारी मात्रा में मुनाफा प्राप्त होता है आशा करता हूं कि हमारे द्वारा प्रदान की गई जानकारी आपके लिए लाभप्रद साबित होगी और अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए हमारी वेबसाइट up.agriculture पर विजिट करें |
सामान्यतः पूछे जाने वाले प्रश्न
काली मिर्च की खेती कौन से महीने में की जाती है ?
काली मिर्च की खेती करने के लिए जून जुलाई का महीना सबसे उपयुक्त होता है और यदि आप सितंबर अक्टूबर में भी इसकी खेती करना चाहते हैं तो कर सकते हैं |
काली मिर्च के पौधों को आप चाहे या कॉफी के बागानों में भी लगा सकते हैं और वह 2 से 5 साल के बाद फल देना शुरू कर देते हैं और लगातार 40 साल तक फल लेते हैं |
यदि आपको कब्ज की समस्या नहीं होती है तो एक दिन में लगभग एक या दो छोटी चम्मच काली मिर्च से का सेवन कर सकते हैं |