हेलो दोस्तों स्वागत है आपका upagriculture के नई पोस्ट सहजन की खेती ( Sahjan Ki Kheti ) में आज के इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको सहजन की खेती ( Sahjan Ki Kheti ) के बारे में बताएंगे यदि आप भी सहजन की खेती ( Sahjan Ki Kheti ) करना चाहते हैं तो इस ब्लॉग को अंत तक अवश्य पढ़े |
सहजन की खेती ( Sahjan Ki Kheti )
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सहजन का पौधा बहुत उपयोगी होता है सहजन का दूसरा नाम मोरिंगा है इसे हिंदी में सहजन सूजना सेजल और मुनगा आदि नाम से जाना जाता है सहजन को अंग्रेजी में इसे ड्रमस्टिक भी कहा जाता है। इस पेड़ के सभी भाग फल, फूल, पत्तियों, बीजों में अनेक पोषक तत्व होते हैं। इसलिए इसका उपयोग कई प्रकार से किया जाता है।सहजन की खेती ( Sahjan Ki Kheti ) करने से काफी लाभ प्राप्त होता है |
यदि किसान भाई एक एकड़ भूमि में सहजन की खेती ( Sahjan Ki Kheti ) करना चाहते हैं तो एक एकड़ सहजन की खेती से भी आपको 6 से 7 लाख तक की कमाई हो सकती है सहजन के उत्पादन के सबसे खास बात यह होती है कि इस बंजर भूमि में भी उग सकते हैं और यदि आप इसकी खेती किसी अन्य फसल के साथ भी करना चाहते हैं तो कर सकते हैं |
सहजन में उपस्थित पोषक तत्व ( Nutrients found in drumstick )
सहजन के पौधों में विभिन्न प्रकार के पोषक तत्व उपलब्ध होते हैं जैसे कार्बोहाइड्रेट वसा प्रोटीन विटामिन कैल्शियम मैग्नीशियम फॉस्फोरस पोटेशियम सोडियम आदि विभिन्न प्रकार के पोषक तत्व पाए जाते हैं सहजन में 280 से अधिक रोगों से लड़ने की क्षमता होती है और इसमें 80 तरह के मल्टीविटामिन 45 तरह के अंतिम एक्सीडेंट और 30 तरह के दर्द निवारण के लिए उपलब्ध होते हैं |
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सहजन के उपयोग( uses of Drumstick Farming in Hindi )
- सहजन के लगभग सभी प्रकार के अंगों जैसे पत्ती फूल फल बीज डाली छाल और जड़े का उपयोग किया जाता है |
- कई देश तो ऐसे है जहा पर सहजन की छाल रस पत्तियां बीजों तेल और फूलों से पारंपरिक दवाइयां भी बनाई जाती हैं |
- सहजन के बीज द्वारा निकाले गए तेल का उपयोग औषधीय बनाने में किया जाता है |
- कई जगहों पर तो इसके फूलों को पका कर खाया जाता है पीकर खाने पर इनका स्वाद मशरूम जैसा लगता है |
- सहजन उपयोग जल को स्वच्छ करने के लिए तथा हाथ की सफाई के लिए भी किया जाता है |
सहजन की खेती होने वाले फायदे ( Benefits of Sahjan Ki Kheti )
सहजन के पौधों की सबसे खास बातें होती है कि उनके पौधों की रोपाई एक बार कर देने पर 4 साल तक लगातार फलों का उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं सहजन की खेती ( Sahjan Ki Kheti ) करने के लिए अत्यधिक जमीन की आवश्यकता नहीं होती है और ना ही इसके पौधों को अधिक पानी की आवश्यकता होती है |
सहजन में प्रचुर मात्रा में पोषक तत्व व विटामिन उपलब्ध होते हैं.एक अध्ययन से यह पता चला है की दूध की तुलना में चार गुना पोटाशियम तथा संतरा की तुलना में सात गुणा विटामिन सी सहजन में पाए जाते है |.
सहजन की खेती के लिए उन्नत किस्म ( Improved variety for drumstick cultivation )
कोयम्बटूर 2 :
इस किस्म के सहजन में लगने वाले फली का रंग गहरा हरा और बहुत ही स्वादिष्ट होता है इस किस्म का पौधा लगभग तीन से चार साल तक लगातार फलो का उत्पादन देता है पौधे से प्राप्त उपज को सही समय पर ले लेना चाहिए नहीं तो बाजार में इसका मूल्य कम हो जाता है |
पीकेएम 1 :
यह किस्म सहजन की बहुत अच्छी किस्म होती है क्योंकि अन्य किस्म की तुलना में इसकी फली का स्वाद काफी अच्छा होता है और इस किस्म के पौधों से लगातार चार से पांच सालों तक खली का उत्पादन प्राप्त होता है और इस किस्म के पौधों में 80 से 100 दिनों के बाद फूल आना प्रारंभ हो जाता है यदि हम इसके सुनकर लंबाई की बात करें तो इस किस्म की लंबाई 50 से 75 सेंटीमीटर तक होती है यही कारण है कि इस किस्म की के सहजन की खेती करना किसानों के लिए बहुत ही ज़्यदा लाभदायक साबित होता है |
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सहजन की खेती के लिए भूमि व जलवायु ( Land and climate for drumstick cultivation
सहजन की खेती ( Sahjan Ki Kheti ) किसी भी प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है परंतु यदि आप सहजन की खेती ( Sahjan Ki Kheti )सुखी बलुई मिट्टी या चिकनी बाली मिट्टी में करते हैं तो पौधों का विकास अच्छे से होता है जिस कारण से उत्पादन में अच्छा प्राप्त होता है गर्म जलवायु में इसके पौधे आसानी से फल फूल जाते हैं |
सहजन की खेती ( Sahjan Ki Kheti ) में फसलों को तैयार होने के लिए अत्यधिक पानी की जरुरत नहीं होती है इसीलिए सर्दी के मौसम में सहजन की खेती ( Sahjan Ki Kheti ) बहुत कम मात्रा में की जाती है क्योंकि इसका पौधा अधिक सर्दी और पाले को सहन नहीं कर पता है क्योंकि सहजन के फूल को खिलने के लिए कम से कम 30 से 35 डिग्री सेल्सियस तापमान की आवश्यकता होती है |
सहन की खेती में प्रयुक्त खाद और उर्वरक की मात्रा (Sahjan Ki Kheti)
रोपाई के तीन महीने के बाद 100 ग्राम यूरिया + 100 ग्राम सुपर फास्फेट + 50 ग्राम पोटाश प्रति गड्ढा की दर से डालना चाहिए। वहीं इसके तीन महीने बाद 100 ग्राम यूरिया प्रति गड्ढा का दुबारा डालना चाहिए। सहजन पर किए गए शोध से यह पाया गया कि मात्र 15 किलोग्राम गोबर की खाद प्रति गड्ढा तथा एजोसपिरिलम और पी.एस.बी. (7 किलोग्राम/हेक्टेयर) के हिसाब से जैविक खाद का उपयोग सहजन की खेती में की जाती है |
सहजन के फसलों की सिचाई कब करे ( When to irrigate drumstick crops
सहजन की खेती ( Sahjan Ki Kheti ) में फसलों से अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए इसकी सिंचाई समय-समय पर करते रहना चाहिए यदि सहजन के बीज से पौधों को तैयार किया गया है तो बीजों के अंकुरण के लिए खेतों में नमी को बनाए रखना चाहिए और फूल लगते समय हेतु को ज्यादा सूखने ना दे और ना ही ज्यादा जिला रहने दे क्योंकि दोनों ही अवस्था में फूलों के झड़ने की समस्या रहती है इसलिए इसके पौधों की आवश्यकतानुसार हल्की सिंचाई ही की जानी चाहिए। इसके लिए ड्रिप या फव्वारा सिंचाई का इस्तेमाल किया जा सकता है।
सहजन में रोग और कीट प्रबंधन ( Disease and pest management in drumstick
सहजन के फसल पर मुख्य रूप से भुआ पिल्लू नामक कीट के रूप में लगता है और यह कीट धीरे – धीरे करके पूरे पौधे की पत्तियों को खाकर उन्हे नस्ट कर देते है और धीरे धीरे करके पूरे पौधे में फैल जाता है। इस रोग को नियंत्रित करने के लिए डाइक्लोरोवास (नूभान) 0.5 मिली. एक लीटर पानी में घोलकर पौधों पर छिडक़ाव कर देने से यह रोग नियंत्रित हो जाता है |
इसके अलावा सहजन में फल मक्खी का आक्रमण भी इसमें देखा गया है। इससे भी फसल को भारी नुकसान होता है। इसके नियंत्रण के लिए डाइक्लोरोवास (नूभान) 0.5 मिली. दवा एक लीटर पानी में घोलकर छिडक़ाव करना चाहिए।
फसल की कटाई और प्राप्त उपज ( Harvesting and yield )
सहजन की खेती ( Sahjan Ki Kheti ) में आवश्यकता के अनुसार विभिन्न अवस्थाओं में सहजन के फलों की तुड़ाई की जाती है सहजन के पौधों की रोपाई के लगभग 150 से 160 दिनों में तैयार हो जाते हैं सहजन के पौधों की रोपाई करने के बाद 4 से 5 साल तक लगातार फलो का उत्पादन प्राप्त किया जाता हैप्रत्येक वर्ष फसल लेने के बाद पौधे को जमीन से एक मीटर छोडक़र काटना जरूरी होता है। दो बार फल देने वाले सहजन की किस्मों की तुड़ाई सामान्यत: फरवरी-मार्च और सितम्बर-अक्टूबर में होती है।
प्रत्येक पौधे से लगभग 40 से 45 किलोग्राम सहजन सालभर में प्राप्त हो जाता है। सहजन के फल में रेशा आने से पहले ही तुड़ाई कर लेनी चाहिए। इससे इसकी बाजार में मांग बनी रहती है और इससे लाभ भी ज्यादा मिलता है। बता दें कि पहले साल के बाद साल में दो बार उत्पादन होता है और आमतौर पर एक पेड़ 10 साल तक अच्छा उत्पादन करता है।
सामान्यत पूछे जाने वाले प्रश्न
सहजन का पौधा पौध रोपाई के लगभग 160 से 170 दोनों में तैयार हो जाता है |
लो ब्लड प्रेशर के मरीजों को सहजन का उपयोग नहीं करना चाहिए और ना ही प्रेगनेंसी और पीरियड्स के दौरान सहजन का सेवन करें सहजन का सेवन करने से मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर पड़ता है जिन लोगों को ब्लीडिंग डिसऑर्डर की समस्या होती है उन्हें सहजन का सेवन नहीं करना चाहिए |
सहजन का वानस्पतिक नाम मोरिंगा ओलेइफेरा होता है जो बहुत ही उपयोगी पौधा होता है इसे हिंदी में सहजन सूजना सीजन और मुनगा आदि के नाम से भी जाना जाता है |