Gudmar ki Kheti- गुड़मार की खेती कैसे करें ?

गुड़मार की खेती से संबंधित जानकारी (Gudmar ki Kheti)

Gudmar ki Kheti- गुड़मार एक औषधि पौधा है | गुड़मार का पौधा लता के रूप में फैलता है | इसकी खेती पूरे विश्व में बहुत अधिक की जाती है | गुड़मार के पौधे 2 वर्ष मैं पैदावार देना प्रारंभ करते हैं तथा तैयार होने के बाद यह कई वर्षों तक पैदावार देते रहते हैं | इसमें पाए जाने वाले पत्ते रोयेदार होते हैं |

गुड़मार के पौधे की पत्तियां खा लेने के बाद आपको हर मीठी चीज फीकी ही लगेगी | इसकी पत्ती खा लेने के बाद आपको किसी भी मीठी चीज का स्वाद नहीं मिल पाएगा | इसी वजह से इसके पौधे को शुगर डिस्ट्रॉयर और मधुनाशिनी के नाम से भी जानते हैं |

गुड़मार का इस्तेमाल औषधि के रूप में किया जाता है | इसे पीलिया, दमा, मधुमेह, अल्सर जैसे लोगों के इलाज में रामबण माना जाता है | गुड़मार के सेवन से हमारा वजन कम होता है तथा पाचन शक्ति भी बेहतर होती है | इसकी पत्तियों और जड़ों दोनों का ही इस्तेमाल औषधीय के रूप में किया जाता है | इसके पौधे पर पीले रंग के फूल पाए जाते हैं तथा दोनों का आकार 2 इंच लंबा और कठोर होता है | यह एक ऐसी फसल है जो कि कम खर्चे में अधिक मुनाफा देती है |

अगर किसान भाई अधिक मुनाफा कमाना चाहते हैं तो आज हम इस ब्लॉग के माध्यम से बताने वाले हैं कि गुड़मार की खेती (Gudmar ki kheti) कैसे करें तथा अपनी पारंपरिक कृषि के अलावा इस आधुनिक खेती में अधिक से अधिक लाभ कैसे प्राप्त करें तो ब्लॉग को अंत तक जरूर पढ़ें |

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गुड़मार की खेती (Gudmar ki kheti) में उपयुक्त मिट्टी

गुड़मार की खेती (Gudmar ki kheti) किसी भी उपजाऊ मिट्टी में की जा सकती है | इसकी खेती बर्फीले क्षेत्रों को छोड़कर किसी भी स्थान पर की जा सकती है | खेती के लिए भूमिका पीएच मान सामान्य होना चाहिए भूमि में जल भराव की समस्या ना हो इससे फसल खराब हो सकती है |

Gudmar ki kheti

जलवायु और तापमान

गुड़मार की खेती (Gudmar ki kheti) के लिए उष्णकटिबंधीय जलवायु सबसे अच्छी मानी जाती है | इसका पौधा अधिक गर्मी और अधिक सर्दी दोनों ही मौसम के लिए सहनशील होता है परंतु सर्दियों के मौसम में गिरने वाला पाला इसके पौधों के लिए हानिकारक होता है | इसकी खेती ज्यादातर दक्षिण इलाके में की जाती है | इसके पौधे के लिए न्यूनतम तापमान 10 डिग्री तथा अधिकतम तापमान 35 डिग्री होना चाहिए |

खाद तथा उर्वरक

गुड़मार के खेत में 1 मीटर की दूरी पर गड्ढों को तैयार कर लिया जाता है | इसके बाद इन गड्ढों में जैविक खाद और रासायनिक खाद की उचित मात्रा को मिलाकर भर दिया जाता है जो किसान सिंचाई के लिए टपक विधि का प्रयोग करते हैं उन्हें गड्ढों को पौधरोपाई से 10 से 12 दिन पहले तैयार करना होता है |

गड्ढों को तैयार करते समय प्रत्येक गड्ढे में जैविक खाद के रूप में 5 किलो पुरानी गोबर की खाद तथा 50 ग्राम एनपीके की मात्रा को रासायनिक खाद के रूप में अच्छे से मिलकर डालना होता है | इसके बाद पौधे विकास के दौरान उचित मात्रा को बढ़ा देते हैं पूर्ण विकसित पौधों को वर्ष में 15 किलो जैविक खाद के साथ 250 ग्राम रासायनिक खाद को तीन बार देना चाहिए |

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गुड़मार के पौधों की रोपाई का सही समय और तरीका

गुड़मार के बीज और कलम दोनों ही तरीके से की जा सकती है यदि आप इसकी रोपाई बीज के रूप में करना चाहते हैं तो इसके लिए बीज को नर्सरी में तैयार कर लिया जाता है | बीज को लगाने से पहले उन्हें अच्छे से उपचारित कर लिया जाता है | इन बीजों को रुपए से तीन से चार महीने पहले तैयार कर लिया जाता है | अगर आप कलम विधि का प्रयोग करना चाहते हैं तो उसके लिए पौधों की शाखाओं का इस्तेमाल किया जाता है |

दोनों ही विधियों में पौधरोपाई के लिए धोरेनुमा नालियों और गड्ढों की आवश्यकता होती है | उसके लिए प्रत्येक गड्ढों के मध्य 1 मीटर की दूरी रखते हुए पंक्ति तैयार कर लिया जाता है तथा इन पत्तियों के मध्य 1 मीटर की दूरी रखी जाती है |

इसके पौधों की रोपाई के लिए सबसे अच्छा महीना जुलाई और अगस्त का होता है | इस समय बारिश के दौरान पौधों को अधिक पानी की आवश्यकता नहीं होती और मानसून के कारण का विकास भी अधिक होता है |

गुड़मार के पौधों की सिंचाई

गुड़मार की खेती (Gudmar ki kheti) में अधिक सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती | इसकी पहली सिंचाई पौधारोपण के तुरंत बाद कर देनी चाहिए तथा गर्मियों के मौसम में 10 से 12 दिन के अंतराल में सिंचाई करनी होती है तथा सर्दियों के मौसम में 20 से 25 दिन के अंतराल में सिंचाई की जाती है | बारिश के मौसम में आवश्यकता पड़ने पर ही इसकी सिंचाई करें | अधिक सिंचाई न करें क्योंकि इसकी जड़े अधिक सिंचाई से खराब हो जाती है |

खरपतवार नियंत्रण

गुड़मार की खेती (Gudmar ki kheti) में खरपतवार नियंत्रण की अधिक जरूरत होती है | खरपतवार नियंत्रण के लिए प्राकृतिक विधि का इस्तेमाल किया जाता है | इसकी पहली गुड़ाई बीज रोपाई के 20 से 25 दिन बाद की जाती है तथा अन्य गुड़ाई 1 महीने के अंतराल में की जाती है |

गुड़मार के पौधों में लगने वाले रोग एवं उपचार

कीट रोग : गुड़मार के पौधों में लगने वाला यह एक कीट रोग होता है | यह रोग पौधों पर बहुत ही कम देखने को मिलता है | यदि यह कीट रोग गुड़मार में पौधों पर दिखाई दे, तो नीम के तेल या नीम के बीज के आर्क का छिड़काव कर इस रोग से गुड़मार के पौधों को बचाया जा सकता है |

पीली पत्ती रोग : इस क़िस्म का रोग गुड़मार के पौधों पर अक्सर बारिश के मौसम में देखने को मिलता है | इस रोग से प्रभावित पौधे की पत्तिया पीली पड़कर सूखने लगती है, और पौधा विकास करना बंद कर देता है | इस रोग से बचाव के लिए गुड़मार के पौधों की रोपाई के समय प्रति हेक्टेयर के हिसाब से 10 KG फेरस सल्फेट का छिड़काव करना होता है |

जड़ गलन : यह जड़ गलन रोग गुड़मार के पौधों पर अक्सर खेत में जलभराव की स्थिति में देखने को मिलता है | इस रोग से प्रभावित पौधा पीला पड़कर मुरझाने लगता है, और पौधे का विकास भी पूरी तरह से रुक जाता है | गुड़मार के पौधों को इस रोग से बचाने के लिए खेत में जलभराव की समस्या न होने दे | इसके अलावा जो पौधे इस रोग की चपेट में आ चुके है, उन्हें उखाड़ कर निकला दे, या बोर्डों मिश्रण का छिड़काव पौधों की जड़ो पर करे |

फसल की कटाई

गुड़मार के पौधे को तैयार होने में 1 से 1.5 साल का समय लग जाता है | इसके पौधे शुरुआत में बहुत ही कम पैदावार देते हैं तथा पौधे के विकास के साथ-साथ इसकी पैदावार भी बढ़ती है | इसका पौधा वर्ष में 1 से दो बार कटाई के लिए तैयार हो जाता है | इसकी पत्तियों के अलावा फलियां की भी तुड़ाई की जाती है | इसकी फलियां गर्मी के मौसम में फटने से पहले ही तोड़ ले | पूरी तरह से तैयार पौधा कई वर्षों तक पैदावार देता रहता है | उसके अलावा इसके जड़ों को बेचकर भी कमाई की जा सकती है |

पैदावार तथा कीमत 

1 वर्ष में इसके पौधे दो बार कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं | जिसमें प्रत्येक पौधे से चार से पांच किलो तक हरी पत्तियों का उत्पादन प्राप्त हो जाता है | एक हेक्टेयर के खेत में एक तकरीबन 10000 तक पौधे लगाए जा सकते हैं, जिसमें 40000 किलो तक पत्तियां प्राप्त हो जाती हैं | जिसे 5 क्विंटल तक सूखी पत्तियों का उत्पादन प्राप्त हो जाता है | बाजार में इसका भाव ₹70 प्रति किलो होता है | इस हिसाब से एक बार की कटाई में 30000 तक की कमाई आसानी से हो जाती है |

सामान्यतः पूछे जाने वाले प्रश्न 

गुड़मार खाने के क्या-क्या फायदे हैं ?

गुड़मार पाउडर सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है. यह अपने एंटीऑक्सीडेंट और सूजन-रोधी गुणों के कारण मधुमेह के प्रबंधन में उपयोगी है। यह अपने रोगाणुरोधी और एंटीबायोटिक गुणों के कारण बैक्टीरिया के विकास को रोककर संक्रमण (आमतौर पर दांतों के संक्रमण) को प्रबंधित करने में मदद करता है।

गुड़मार का प्रयोग कैसे करें?

गुड़मार की पत्तियों का उपयोग मुख्‍यत: मधुमेह-नियंत्रण औषधियों के निर्माण में किया जाता है। इसके सेवन से रक्‍तगत शर्करा की मात्रा कम हो जाती है। साथ ही पेशाब में शर्करा का आना स्‍वत: बन्‍द हो जाता है। सर्पविष में गुड़मार की जड़ को पीसकर या काढ़ा पिलाने से लाभ होता है।

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