हेलो दोस्तों स्वागत है आपका upagriculture के नई पोस्ट खरबूजा की खेती ( Kharbuja Ki Kheti ) में आज के इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको खरबूजा की खेती ( Kharbuja Ki Kheti ) के बारे में बताएंगे यदि आप भी खरबूजा की खेती ( Kharbuja Ki Kheti ) करना चाहते हैं तो इस ब्लॉग को अंत तक अवश्य पढ़े |
खरबूजा की खेती ( Kharbuja Ki Kheti )
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खरबूजा की खेती ( Kharbuja Ki Kheti ) कंदवर्गीय फसल के रूप में की जाती है जिसे नगदी फसल के नाम से भी जाना जाता है खरबूजे के पौधे लताओं के रूप में विकास करते हैं इनको फलों का ज्यादातर उपयोग खाने में किया जाता है जो स्वाद में बहुत अधिक स्वादिष्ट होते हैं इनके फलों का सेवन जूस या सलाद के रूप में भी किया जाता है तथा खरबूजे के बीजों को मिटाने में इस्तेमाल किया जाता है यह एक ऐसा फसल होता है जिसका गर्मियों सबसे अधिक उपयोग खाने के लिए प्रयोग किया जाता है खरबूजे के फलों में 91% पानी तथा 9% कार्बोहाइड्रेट की मात्रा उपलब्ध होती है |
खरबूजे के बीज में उपस्थित पोषक तत्व ( Nutrients present in melon )
खरबूजे के बीज में विभिन प्रकार के पोषक तत्व उपलब्ध होते है जैसे प्रोटीन 32.80 प्रतिशत, कार्बोहाइड्रेट्स 22.874 प्रतिशत, फैट 37.167 प्रतिशत, फाइबर 0.2 प्रतिशत, नमी (मॉइस्चर) 2.358 प्रतिशत, एश 4.801 प्रतिशत ऊर्जा 557.199 केसीएएल (प्रति 100 ग्राम) खरबूजे में प्रचूर मात्रा में उपलब्ध रहते है। इन पोषक तत्वों के अलावा भी खरबूजे के बीज में कई अन्य पोषक तत्व जैसे शर्करा कैल्शियम, जिंक, आयरन, मैग्रीशियम, मैगनीज व सोडियम और विटामिन ए, बी भी भरपूर मात्रा में होते हैं।
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खरबूजे की खेती के लिए उन्नत किस्म ( Improved variety for Kharbuja Ki Kheti )
पंजाब सुनहरी किस्म ( punjab golden variety )
खरबूजे की खेती ( Kharbuja Ki Kheti ) में यह किम 120 से 130 दिनों में पककर तैयार हो जाती है यह किस्म पंजाब किसी विश्वविद्यालय लुधियाना द्वारा तैयार की गई है इसके फलों में अधिक मात्रा में गुदा पाया जाता है जो साथ में बहुत अधिक मीठा होता है इस किस्म की पैदावार प्रति हेक्टेयर के हिसाब से 250 से 270 कुंतल तक का उत्पादन देती है |
हिसार मधुर किस्म ( Hisar sweet variety )
खरबूजे की यह किस्म बीज रोपाई के 70 से 80 दिन बाद तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है खरबूजे के इस किस्म को हरियाणा के चौधरी चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय हिसार द्वारा तैयार किया गया इस विश्व में निकलने वाले फलों का छलका धारीदार और अधिक पतला पाया जाता है जिसमें नारंगी रंग का गूदा होता है खरबूजे की इस किस्म की पैदावार एक हेक्टेयर में 200 से 240 क्विंटल तक होता है |
मृदुला किस्म ( mild variety )
इस किस्म के खरबूजे को तैयार होने में 80 से 100 दिन का समय लगता है जिसमें निकलने वाले फलों में गोड़ों की मात्रा अधिक तथा बीज का मात्रा में उपस्थित होते हैं इनके फलों का जाकर थोड़ा लंबा और अंडाकार होता है इस किस्म की पैदावार एक हेक्टेयर में 240 कुंतल तक होती है |
पूसा शरबती किस्म ( Pusa Sharbati variety )
खरबूजे की यह किस भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान नई दिल्ली द्वारा अमेरिकन किस्म के साथ संकरण करके तैयार किया गया यह किस्म में अगेती पैदावार के लिए उगाई जाती है भारत में इस किस्म की पैदावार उत्तर प्रदेश बिहार और मध्य प्रदेश राज्य में अधिक मात्रा में की जाती है किस किस्म को तैयार होने में 90 से 100 दिन का समय लग जाता है प्रति हेक्टेयर के हिसाब से 260 कुंतल तक का उत्पादन देती है |
इसके अलावा भी खरबूजे के विभिन्न प्रकार की उन्नत किस्म उपलब्ध है जो अधिक उत्पादन देते हैं जैसे एम एच 51, पूसा मधुरस, अर्को जीत, पंजाब हाइब्रिड, पंजाब एम. 3, आर. एन. 50, एम. एच. वाई. 5 दुर्गापुरा मधु, एम- 4, स्वर्ण, एम. एच. 10, हिसार मधुर सोना, नरेंद्र खरबूजा 1,और पूसा रसराज आदि।
खरबूजे की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी जलवायु और तापमान ( Suitable soil, climate and temperature for muskmelon farming in india )
यदि आप खरबूजे की खेती ( Kharbuja Ki Kheti ) करके अच्छा उत्पादन प्राप्त करना चाहते हैं तो खरबूजे की खेती ( Kharbuja Ki Kheti ) हल्की बलुई दोमट मिट्टी में करें खेती करते समय यह भी ध्यान रखें कि जिस भूमि में खरबूजे की खेती ( Kharbuja Ki Kheti ) कर रहे हैं वहां पर जलभराव की समस्या ना उत्पन्न होती हो क्योंकि जल भराव की स्थिति में इसके पौधों पर अधिक रोग देखने को मिल जाते हैं |
खरबूजे की खेती ( Kharbuja Ki Kheti ) के लिए भूमि का पीएच मान 6 से 7 के मध्य होना चाहिए जायद के मौसम को खरबूजे के फसल के लिए काफी अच्छा माना जाता है क्योंकि इस समय पौधों को पर्याप्त मात्रा में आद्र और गर्म जलवायु मिल जाती है खरबूजे के बीजों के अंकुरण के समय 25 डिग्री के तापमान की आवश्यकता होती है तथा पौधों के विकास के लिए 35 से 40 डिग्री का तापमान आवश्यक होता है |
खरबूजे की खेती के लिए खेत की तैयारी (Muskmelon cultivation in india )
खरबूजा की खेती ( Kharbuja Ki Kheti ) करने के लिए भुरभूरी मिट्टी की आवश्यकता होती है इसके लिए सबसे पहले खेत में उपस्थित पुराने फसल के अवशेषों को नष्ट करने के लिए मिट्टी पलटने वाले हलो से गहरी जुताई दो से तीन बार कर देनी चाहिए और इसके पश्चात खेतों को कुछ दिनों के लिए खुला छोड़ देना चाहिए जिससे खेतों में अच्छे तरीके से धूप लग जाए और फिर इसके पश्चात खेतों में पानी लगाकर प्लेव कर देना चाहिए |
जब मिट्टी सुखी दिखाई देने लगे तो उसे समय कल्टीवेटर की सहायता से खेत की दो से तीन बार तिरछी जुताई कर दी जाती है जिससे खेत की मिट्टी में मौजूद मिट्टी के ढेले टूट जाते हैं और मिट्टी भुरभूरी हो जाती है मिट्टी भुरभूरी हो जाने के पश्चात खेत में पाटा लगाकर खेत को समतल कर लेना चाहिए इसके पश्चात खेत में बीच की बुवाई करने के लिए उचित आकार की क्यारिओ को तैयार कर लिया जाता है क्यारियों के बीच की दूरी 10 से 12 फीट रखनी चाहिए |
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इसके अलावा यदि आप इनके बीजों की बुवाई नालियों में करना चाहते हैं तो इसके लिए आपको भूमि पर एक से डेढ़ फीट चौड़े और आधा फीट गहरी नालियों को तैयार करना होगा तैयार की गई तैयारी क्यारियों और नालियों में जैविक और रासायनिक खाद का इस्तेमाल किया जाता है इसके लिए प्रारंभ में 200 से 250 कुंतल पुरानी सड़ी हुई गोबर की खाद प्रति हेक्टेयर के हिसाब से डाल देना चाहिए |
इसके अलावा रासायनिक खाद के रूप में 65 किलो फास्फोरस 45 किलो पोटाश और 35 किलो नाइट्रोजन की मात्रा को प्रति हेक्टेयर में तैयार नालियों और क्यारियो में डाल देना चाहिए और जब खरबूजे के पौधों में फूल दिखाई देने लगे तो उसे समय 20 किलोग्राम यूरिया की मात्रा को प्रति हेक्टेयर के हिसाब से खेतों में डाल देना चाहिए |
खरबूजे के पौधों की सिंचाई ( Irrigation of Melon Plants )
खरबूजे के पौधों को अत्यधिक सिंचाई की आवश्यकता होती है खरबूजे के बीज ( melon seeds ) की बुवाई के पश्चात बीज के अंकुरण के लिए खेतों में नमी को बनाए रखना चाहिए इसलिए इसकी प्रारंभिक सिंचाई बीज बुआई के तुरंत बाद कर दी जाती है गर्मी के समय में उनके पौधों को तीन से चार दिन में सिंचाई की आवश्यकता होती है तथा सर्दियों के मौसम में 8 से 10 दिन के अंतराल पर सिंचाई करना चाहिए इसके अलावा जब बारिश के मौसम हो तो जरूरत पड़ने पर ही खरबूजे की सिंचाई करें |
खरबूजे की खेती में खरपतवार नियंत्रण ( Weed control in Muskmelon Cultivation )
खरबूजे की खेती ( Kharbuja Ki Kheti ) में खरबूजे के पौधों को खरपतवार से बचाए रखने के लिए और पौधों के अच्छे विकास के लिए खरपतवार नियंत्रण करना आवश्यक होता है इनके पौधों की पहली गुड़ाई 18 से 20 दिन के अंतराल में की जाती है तथा बाद की गुड़ाई को 10 दिन के अंतराल में करना चाहिए इसके अलावा यदि आप खरबूजे की खेती ( Kharbuja Ki Kheti ) में रासायनिक विधि का इस्तेमाल करना चाहते हैं तो उसके लिए आपको ब्यूटाक्लोर की उचित मात्रा का छिड़काव भूमि पर करना होगा |
खरबूजे की खेती में लागत पैदावार तुड़ाई और लाभ ( Cost, yield, harvesting and profit in melon cultivation )
1 हेक्टेयर खेत में खरबूजे की खेती ( Kharbuja Ki Kheti ) करने के लिए₹1000 का खर्चा और लगभग 3 से 5 किलो ग्राम बीज₹3000 खेत की तैयारी रोपाई और खाद₹6000 थोड़ा ही पर मजदूरी 3000 कीटनाशक का उपयोग ₹13000 कुल खर्च उदय बी रोपाई के 90 से 95 दिन पश्चात फसल तैयार हो जाती है और जब फल रखना शुरू हो जाता है तो इसके रंग बदल जाते हैं |
उसे समय इसके फलों के उदय कर ले जाती है एक हेक्टेयर खेत में लगभग 220 से 250 कुंतल तक का उत्पादन प्राप्त होता है 1 किलो खरबूजे का भाव बाजार में 15 से 20 रुपए किलो होता है जिससे किसान भाई एक बार की फसल में 4 से 5 लाख की कमाई कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं |
सामान्यतः पूछे जाने वाले प्रश्न
खरबूजे की फसल बुवाई के 90 से 95 दिनों के पश्चात उत्पादन देना प्रारंभ कर देती है |
खरबूजा एक प्रकार का चिंता निवारक होता है अच्छी और उच्च पोटेशियम सामग्री के कारण यह फल दिल की धड़कन को सामान्य करने में मदद करता है और साथ ही शरीर को मस्तिष्क में अधिक ऑक्सीजन लेने के लिए उत्तेजित करता रहता है जैसे ही आप इस खरबूजे को कहते हैं तो आपका शरीर आराम करता है और चिंता गायब हो जाती है |
युबारी किंग प्रजाति का खरबूजा दुनिया का सबसे महंगा खरबूजा होता है इसकी खेती सिर्फ जापान में ही की जाती है |